धर्म

इसलिए वर्षा ऋतु में ही मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा

इस साल गुरु पूर्णिमा जुलाई महीने की 27 तारीख को है इस दिन हर कोई अपने गुरु के प्रति मान सम्मान व्यक्त करते हैं और अपने गुरु को ख़ास तोहफे देकर उनके प्रति प्यार जताते हैं. दुनिया में सबसे ऊंचा स्थान ज्ञान देने वाले गुरु को ही दिया जाता हैं. हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है. लेकिन कभी आपने ये जानने कि कोशिश की आखिर गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु में ही क्यों मनाई जाती है. अगर नहीं तो आज हम आपको बताएँगे कि आखिर ऐसा क्यों हैं. दरअसल वर्षा ऋतू में पूर्णिमा को आदि गुरु वेद व्यास का जन्म हुआ था. उनके सम्मान में ही आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. भगवान शिव-पार्वती को खुश करेगा ये व्रत इसके अलावा बताया गया है कि इस महीने में परिव्राजक और साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर गुरु से ज्ञान की प्राप्ति करते हैं. ऐसा माना है कि मौसम के हिसाब से वर्षा ऋतु सबसे अनुकूल होती है इसलिए गुरुचरण में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शांति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है. गुरु पूर्णिमा 2018 : अपनी राशि के अनुसार गुरु को भेंट करें ये चीजें बात करें प्राचीन काल की तो इस दौरान विद्यार्थी गुरु के आश्रम में नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण करते थे. इसी श्रद्धा भाव से प्रेरित होकर शिष्य अपने गुरु की पूजा का आयोजन करते थे. यही वजह है कि गुरु पूर्णिमा को सबसे ख़ास माना जाता हैं.

इस साल गुरु पूर्णिमा जुलाई महीने की 27 तारीख को है इस दिन हर कोई अपने गुरु के प्रति मान सम्मान व्यक्त करते हैं और अपने गुरु को ख़ास तोहफे देकर उनके प्रति प्यार जताते हैं. दुनिया में सबसे ऊंचा स्थान ज्ञान देने वाले गुरु को ही दिया जाता हैं. …

Read More »

इसलिए भगवान शिव को पसंद हैं बिल्वपत्र

सावन का महीना जल्द ही शुरू होने वाला है और इस महीने को भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना बताया गया हैं, जिसमें उनकी ख़ास तरीके से पूजा की जाती है. आपने अक्सर देखा होगा कि ज्यादातर भगवान शिव के मंदिर में बिल्वपत्र ही चढ़ाये जाते हैं. लेकिन कभी अपने ये जानने की कोशिश की आखिर ऐसा क्यों होता है. अगर नहीं तो आज हम आपको बताएंगे कि भगवान शिव को बिल्वपत्र चढाने का रहस्य क्या है. शिव पुराण के अनुसार एक बार भगवान शिव से पार्वती ने पूछा कि स्वामी आपको बिल्व पत्र इतने प्रिय क्यों है?. इस दौरान शिव जी ने पार्वती को बड़े ही सहज अंदाज़ में कहा कि बिल्व के पत्ते उनकी जटा के समान हैं, उसका त्रिपत्र यानी 3 पत्ते ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद हैं. इसके अलावा शिव ने बताया कि स्वयं महालक्ष्मी ने शैल पर्वत पर बिल्ववृक्ष रूप में जन्म लिया था. कहा जाता है कि अगर कोई भक्त भगवान शिव के पास बिल्वपत्र चढ़ाता है उसे भगवान शिव सभी पापों से मुक्त करके अपने लोक में स्थान देते हैं, यही नहीं बल्कि उस व्यक्ति को स्वयं लक्ष्मीजी भी नमस्कार करती हैं. वर्षो से चली आ रही इस परंपरा के अनुसार भगवान शिव की पूजा बिना बिल्वपत्र के पूरी नहीं मानी गई हैं. इसके अलावा भगवान शिव का दूध, दही, आंक के फूलों से अभिषेक किया जाता हैं. इस साल श्रावण महीने की शुरुआत 27 जुलाई से हो रही है और पहला सोमवार 30 जुलाई से शुरू होगा.

सावन का महीना जल्द ही शुरू होने वाला है और इस महीने को भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना बताया गया हैं, जिसमें उनकी ख़ास तरीके से पूजा की जाती है. आपने अक्सर देखा होगा कि ज्यादातर भगवान शिव के मंदिर में बिल्वपत्र ही चढ़ाये जाते हैं. लेकिन कभी अपने …

Read More »

मनचाहा फल के लिए इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा

श्रावण मास शुरू होने वाला है और ऐसे में हर कोई भगवान शिव की ख़ास तरीके से पूजा के लिए जोरों शोरों से तैयारी में जुटे हुए हैं. हर कोई चाहता है कि उन पर भगवान शिव की असीम कृपा बनी रही लेकिन अनजाने में कई ऐसी गलतियां हो जाती हैं जिससे पूजा करने का पूरा फल नहीं मिल पाता है. श्रावण मास में राशि के अनुसार ऐसे करें भगवान शिव की पूजा बता दें कि सावन का महीना भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना होता हैं अगर इस महीने में आप भगवान शिव की सच्चे मन से आराधना करते हैं तो आपको आपकी इच्छानुसार फल मिलेगा लेकिन उससे पहले आपको इन बातों पर ध्यान देना होगा. भगवान शिव की पूजा बहुत कठिन मानी गई है. अगर आप पूरे विधि विधान के अनुसार शिव की पूजा करते हैं इसके लिए आपको कई सामग्री की आवश्यकता होगी जो इस प्रकार हैं. आखिर क्यों भगवान शिव ने पार्वती को सुनाई थी अमरकथा? दीपक, तेल या घी, फूल, चंदन का पेस्ट, सिंदूर, धूप, कपूर, विशेष व्यंजन, खीर, फल, पान के पत्ते और मेवा, नारियल. इसके अलावा शिव का अभिषेक के लिए इकट्ठा की गई सामग्री में पवित्र राख, ताजा दूध, दही, शहद, गुलाबजल, पंचामृत (शहद के साथ फल मिला हुआ), गन्ना का रस, निविदा नारियल का पानी, चंदन पानी, गंगाजल और अन्य सुगंधित पदार्थ को शामिल जरूर करना चाहिए. पूजा के दौरान शिवलिंग को उत्तर दिशा में रखना शुभ माना गया हैं और गंगा जल से शिव जी का अभिषेक किया जाता है और अंत में भगवान की आरती की जाती है.

श्रावण मास शुरू होने वाला है और ऐसे में हर कोई भगवान शिव की ख़ास तरीके से पूजा के लिए जोरों शोरों से तैयारी में जुटे हुए हैं. हर कोई चाहता है कि उन पर भगवान शिव की असीम कृपा बनी रही लेकिन अनजाने में कई ऐसी गलतियां हो जाती …

Read More »

गाय से जुड़े कुछ उपाय करने से दूर हो जाती हैं ये बड़ी मुसीबत

गाय को हिन्दू धर्म में पवित्र जीव माना गया है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है गाय के शरीर पर 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है। …

Read More »

देवशयनी एकादशी पर ऐसे मिलेगा फल

हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है जिसमें देव चार माह के विश्राम के लिए चले जाते हैं और उन चार महीनों में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता. इस वर्ष 23 जुलाई को यह एकादशी मनाई जाएगी जिसमें भगवान श्री हरि विष्णु क्षीर-सागर में शयन करते हैं और ये विश्राम उनका कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है. उसके बाद भगवान निद्रा से जागते हैं जिसके बाद सभी मंगल कार्य शुरू हो जाते हैं. इन चार महीने के वास चातुर्मास कहा जाता है. आइये बता देते हैं इस व्रत को करने का क्या फल मिलता है और क्या करना चाहिए इस व्रत पर. देवशयनी एकादशी पर इन चीज़ों का रखें ध्यान * देवशयनी एकादशी को सुबह जल्दी उठे और घर को स्वच्छ करें और उसके बाद आप घर में पवित्र जल छिड़कें. * घर के पूजा मन्दिर में श्री हरि विष्णु की सोने, चाँदी, तांबे अथवा पीतल की मूर्ति की स्थापना करें. * भगवान को शुद्ध जल से स्नान करा कर उन्हें वस्त्र से विभूषित करें. चातुर्मास में करें खाने की इन चीज़ों का त्याग * पूजा करके कथा सुनें और आरती के बाद प्रसाद वितरण करें * अंत में सफेद चादर से ढंके गद्दे-तकिए वाले पलंग पर श्री विष्णु को शयन कराना चाहिए. इसी तरह भगवान विष्णु की पूजा कर उन्हें क्षीर सागर के लिए प्रस्थान कराएं और चार्तमास के लिए विश्राम करने के लिए छोड़. इस व्रत को करने से आपको सभी प्रकार के पुण्य मिलते हैं और कई पापों से मुक्ति मिलती है.

हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है जिसमें देव चार माह के विश्राम के लिए चले जाते हैं और उन चार महीनों में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता. इस वर्ष 23 जुलाई को यह एकादशी मनाई जाएगी जिसमें भगवान …

Read More »

आज है आशा दशमी जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचग के अनुसार 22 जुलाई 2018 को आशा दशमी मानी जा रही है जिसमें महिलाएं व्रत रखकर सभी आशाओं की पूर्ति करती हैं. जी हाँ, जैसा कि ये नाम से ही समझ में आ रहा है कि ये व्रत सभी आशाओं को पूरा करने वाला है. हिन्दू पंचांग के अनुसार आज की तिथि हर तरह से शुभ है और दिन का हर समय अगर शुभ है तो इस घड़ी में किया गया काम हर तरह से शुभ ही माना जा रहा है. इस घड़ी में आप जो भी कार्य करेंगे वो शुभ फल देने वाले होंगे. लेकिन इस बीच आपको ये ध्यान रखना होगा कि आज की तिथि में कौनसा काम किस मुहूर्त में किया जा रहा है. आज हम आशा दशमी के भी शुभ मुहूर्त को बताने जा रहे हैं आपके व्रत को फलित करने के लिए शुभ माने जायेंगे. वैसे तो हर शुभ काम के लिए शुभ मुहूर्त निकलवाना ही पड़ता है उसी तरह आज आशा दशमी का शुभ मुहूर्त हम आपको बता देते हैं जो आपके लिए भी सही रहेगा. तो पंडित के अनुसार - सभी आशाओं को पूरा करेगा ये अनोखा व्रत तारीख – 22 जुलाई 2018 दिन – रविवार हिंदी महीना – आषाढ़ तिथि – शुक्ल पक्ष, दशमी – 14:48 तक योग – शुभ – 07:16 तक सूर्य और चंद्र की गणनाएं सूर्योदय – 05:24 बजे सूर्यास्त – 18:44 बजे चंद्र राशि – वृश्चिक चन्द्रास्त – 01:39 बजे इसमें आपको सबसे खास ध्यान रखना है तो वो है शुभ मुहूर्त का - 22 जुलाई 2018 का शुभ समय (शुभ मुहूर्त) आज का शुभ मुहूर्त समय – 11:58 से 12:54 तक इस बीच आप कभी भी पूजा पाठ कर सकते हैं व्रत को फलित कर सकते हैं. इसके अलावा आज का व्रत आशा दशमी है और आज का त्यौहार है गिरिजा पूज.

हिन्दू पंचग के अनुसार 22 जुलाई 2018 को आशा दशमी मानी जा रही है जिसमें महिलाएं व्रत रखकर सभी आशाओं की पूर्ति करती हैं. जी हाँ, जैसा कि ये नाम से ही समझ में आ रहा है कि ये व्रत सभी आशाओं को पूरा करने वाला है. हिन्दू पंचांग के …

Read More »

आखिर क्यों भगवान शिव ने पार्वती को सुनाई थी अमरकथा?

भगवान शिव से जुड़े आज तक आपने कई चमत्कारों के बारे में सुना होगा लेकिन आज हम आपको भगवान शिव का एक ऐसा चमत्कार बताने जा रहे हैं जिसे आपने आज तक नहीं सुना होगा. अमरनाथ की पवित्र गुफा की अमरकथा के बारे में कई सारी बातें की जाती है लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि आखिर क्यों भगवान शिव ने पार्वती को यह कथा सुनाई थी, दरअसल इसके पीछे एक गहरा रहस्य है. आज इस राशि के लोगों को मिल सकता हैं लाभ पार्वती का पहला जन्म दक्ष की पुत्री के रूप में हुआ था इसके बाद सती ने ही दूसरा जन्म हिमालयराज के यहां पार्वती के रूप में लिया. एक बार पार्वती जी ने शंकरजी के गले में नरमुंड माला के रहस्य के बारे में जानने की कोशिश की. उन्होंने भगवान शिव से पूछा कि आपके गले में नरमुंड माला क्यों है?’ गुरुपूर्णिमा पर ऐसे करें अपने कुंडली दोष मुक्त इस दौरान भगवान शिव ने पार्वती से कहा कि जितनी बार तुम्हारा जन्म हुआ है उतने ही मुंड मैंने धारण किए हैं. इसके बाद पार्वती ने कहा कि मेरा शरीर नाशवान है, मृत्यु को प्राप्त होता है, परंतु आप अमर हैं. इसके बाद पार्वती ने भी इस रहस्य को जानने की कोशिश की. शिव के मना करने के बावजूद पार्वती जिद पर अड़ी रही और फिर भगवान शिव ने पार्वती को इस रहस्य के बारे में बताने का फैसला कर लिया. आज है आशा दशमी जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त इस दौरान शिव ने कहा कि अमरकथा सुनाते वक्त कोई अन्य जीव इस कथा को न सुने इसीलिए भगवान शिव पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, वायु, आकाश और अग्रि) का परित्याग करके इन पर्वतमालाओं में पहुंच गए और अमरनाथ गुफा में भगवती पार्वतीजी को अमरकथा सुनाने लगे.

भगवान शिव से जुड़े आज तक आपने कई चमत्कारों के बारे में सुना होगा लेकिन आज हम आपको भगवान शिव का एक ऐसा चमत्कार बताने जा रहे हैं जिसे आपने आज तक नहीं सुना होगा. अमरनाथ की पवित्र गुफा की अमरकथा के बारे में कई सारी बातें की जाती है …

Read More »

सावन 16 सोमवार में भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न

श्रावण का महीना आने में है और सभी इसकी तैयारी में जुटे हुए हैं. इस महीने से सभी व्रत, तीज और त्यौहार शुरू हहो जाते हैं. ये तो आप जानते हैं भोलेनाथ को प्रसन्न करना काफी आसान है. कहते है भगवान शिव सिर्फ एक बिल्व पत्र से ही खुश हो जाते हैं. अगर पूरे महीने आप भगवान शिव को बिल्व पत्र अर्पित करने से आपकी मनोकामना पूरी होती है. सावन का महीना 27 जुलाई से शुरू हो रहा है लेकिन इसे 28 जुलाई से माना जायेगा. वहीं बता दें 30 जुलाई को इसका पहला सोमवार होगा जो शिवभक्तों के लिए बेहद ही खास होता है. अविवाहित लडकियां खासकर अपने मनचाहे वर के लिए ये व्रत करती हैं और भगवान से वरदान प्राप्त करती हैं. इसी के साथ कई लोग सावन में ही सोलह सोमवार का आरम्भ भी करते हैं. इसमें आपको कैसे पूजा पाठ करना है ये हम आपको बताने जा रहे हैं. एक मंदिर जहां हैं 30 हज़ार नाग करते हैं मनोरथ पूरे अगर आप सोहलाह सोमवार का व्रत कर रहे हैं तो सबसे पहले - सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें और साथ ही पूजा स्थान की सफाई करें. घर के पास कोई शिवमंदिर हो तो वहां जा कर भगवान शिव को दूध और बिल्व पत्र अर्पित करें और साथ ही मन ही मन व्रत का संकल्प लें. इतना ही भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना सुबह और शाम करने से मनवांछित फल मिलता है. यहां है भगवान शिव का ससुराल जहां सावन में करते हैं वास भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दीया जलना चाहिए और ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. पूजा करते हुए भगवान शंकर को सुपारी, पंच अमृत, नारियल व बेल की पत्तियां चढ़ाएं. जब भी पूजा करने बैठे भगवान सोमवार व्रत कथा का पाठ करें इसी के बाद प्रसाद वितरण करें और शाम को पूजा कर व्रत खोलें. इस विधि से आप भगवान शिव की आराधना कर सकते हैं और उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं.

श्रावण का महीना आने में है और सभी इसकी तैयारी में जुटे हुए हैं. इस महीने से सभी व्रत, तीज और त्यौहार शुरू हहो जाते हैं. ये तो आप जानते हैं भोलेनाथ को प्रसन्न करना काफी आसान है. कहते है भगवान शिव सिर्फ एक बिल्व पत्र से ही खुश हो …

Read More »

बेलपत्र के अलावा भी ये पत्ते हैं भगवान शिव को बेहद प्रिय

बेलपत्र के अलावा भी ये पत्ते हैं भगवान शिव को बेहद प्रिय

सावन का महीना आने को है और सभी लोग इस महीने की तैयारी बड़ी जोरों-शोरों से कर रहे हैं, क्योंकि यह महीना भगवान शिव का सबसे अधिक प्रिय होता हैं. इस महीने में भगवान शिव की खास तरीके से पूजा की जाती है और उनकी मनपसंद की चीजों का भोग …

Read More »

यहां है भगवान शिव का ससुराल जहां सावन में करते हैं वास

सावन का महीना शुरू होने वाला है इसी अवसर पर हम आपको बता देते हैं भगवान शिव के ससुराल के बारे में जिसके बारे में कई लोग नहीं जानते होंगे. भगवान शिव और माता सती की कथा तो सभी जानते हैं. नहीं जानते हैं तो आइये बता देते हैं उस कथा के बारे में और कहाँ है ये मंदिर जहां पर एक महीने तक भगवान शिव वास करते हैं. बता दें, हरिद्वार के समीप बसे कनखल में दक्षेश्वर महादेव मंदिर है. ये मंदिर माता सती के पिता दक्ष प्रजापति के नाम पर है लेकिन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. विडियो :- 30 जुलाई को होगा सावन का पहला सोमवार, ऐसे करें पूजा माता सती के भस्म होने की कथा सभी अच्छे से जानते हैं. उन्होंने भगवान शिव से अपने पिता की आज्ञा के विरुद्ध विवाह किया था जिसके चलते दक्ष ने उन्हें और भगवान शिव को विराट यज्ञ का निमंत्रण नहीं भेजा. भगवान शिव के मना करने पर भी सती अपने पिता के घर चली गई और जब बिना निमंत्रण के सती वहां पहुंची तो दक्ष ने उनका और भगवान शिव का काफी अपमान किया जिसके चलते सती ने स्वयं की ज्वाला से खुद को भस्म कर लिया. जब इसका ज्ञान भगवान शिव को हुआ तो उन्होंने क्रोध में आकर दक्ष का सिर काट दिया. लेकिन बाद में क्षमा मांगने पर भगवान शिव ने उन्हें बकरे का सिर लगाया और क्षमा किया. वैदिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव श्रावण मास में अपनी ससुराल कनखल में पूरे एक माह तक रहते हैं. इतना ही नहीं भगवान शिव के साथ सभी पृथ्वी पर आ जाते हैं और उनके साथ ही वास करते हैं. इस मंदिर में आप देख सकते हैं, यज्ञ कुण्ड मंदिर में अपने स्थान पर ही स्थापित है जिसे सती कुंड कहा जाता है. मंदिर के समीप गंगा किनारे ‘दक्षा घाट‘ है, जहां मंदिर में आने वाले श्रद्धालु स्नान करते हैं. इतना ही नहीं इस मंदिर में भगवान शिव की बड़ी सी मूर्ति भी है जिसमें उनके हाथों में माता सती भी है. सावन सोमवार में करें ये काम नहीं होंगे भोले नाराज़

सावन का महीना शुरू होने वाला है इसी अवसर पर हम आपको बता देते हैं भगवान शिव के ससुराल के बारे में जिसके बारे में कई लोग नहीं जानते होंगे. भगवान शिव और माता सती की कथा तो सभी जानते हैं. नहीं जानते हैं तो आइये बता देते हैं उस …

Read More »
English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com