धर्म

सावन के हर मंगलवार करना चाहिए मंगला गौरी का व्रत

सावन माह 27 जुलाई से शुरू होने वाले हैं जिसमें सभी भगवान शिव की आराधना शुरू कर देते हैं और पूरे महीने उनकी पूजा पाठ कर के अपनी मनोकामना पूरी करते हैं. कहा जाता है सावन का महीना पूरा भगवान शिव का होता है जिसमें खास तौर पर इनकी ही पूजा की जाती है. लेकिन आपको बता दें सिर्फ भगवान शिव ही नहीं बल्कि माता पार्वती का भी महीना होता है जिसमें आप भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती को भी पूजते हैं. जी हाँ, अगर नहीं जानते तो आइये हम बता देते हैं. विडियो :- 30 जुलाई को होगा सावन का पहला सोमवार, ऐसे करें पूजा वैसे तो पूरा महीना ही शिवजी का होता है लेकिन सोमवार शिवपूजन के लिए हम खास मानते हैं. उसी तरह मंगलवार को माता पार्वती का दिन होता है जिसे मंगला गौरी के नाम से जाना जाता है. कथाओं की मानें तो अगर ये व्रत अव‍िवाहित कन्‍याएं पूरे योग के साथ करती हैं तो उनकी शादी के उनके बढ़ते हैं साथ ही पति की उम्र भी बढ़ती है. इसके अलावा शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए ये व्रत करती हैं ताकि उनकी सेहत भी ठीक रहे. अगर आप इस व्रत को रखना चाहती हैं तो चलिए जानते हैं उसके विधि विधान. जानिए कब शुरू हो रहा श्रावण मास, कितने होंगे सोमवार इस व्रत को रखने के ल‍िए सावन के हर मंगलवार को सुबह जल्‍दी उठकर स्नान करें और साफ़ वस्त्र धारण करें. इसके बाद माता पार्वती के मूर्ति या फोटो लगा कर उनकी पूजा करें. फोटो को चौकी पर सफेद या लाल साफ कपड़े पर रखकर विधि से पूजन करें. इस दौरान आप ध्यान रखें कि माता को 16 की संख्या बहुत पसंद है. इसलिए जब भी उन्हें कुछ अर्पित करें तो 16 की संख्या में ही करें. जैसे 16 बत्‍त‍ियों वाला दीपक 16 चीजों का भोग लगाना और 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करना चाहिए. एक मंदिर जहां हैं 30 हज़ार नाग करते हैं मनोरथ पूरे मंगला गौरी व्रत खासतौर पर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और बिहार में प्रचल‍ित है. लेकिन इस व्रत की तारीखें हर जगह अलग होती हैं. सावन के पहले दिन से ही आप व्रत की शुरुआत कर सकते हैं और हर मंगलवार को माँ पार्वती का पूजन कर सकते हैं.

सावन माह 27 जुलाई से शुरू होने वाले हैं जिसमें सभी भगवान शिव की आराधना शुरू कर देते हैं और पूरे महीने उनकी पूजा पाठ कर के अपनी मनोकामना पूरी करते हैं. कहा जाता है सावन का महीना पूरा भगवान शिव का होता है जिसमें खास तौर पर इनकी ही …

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सावन 16 सोमवार में भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न

श्रावण का महीना आने में है और सभी इसकी तैयारी में जुटे हुए हैं. इस महीने से सभी व्रत, तीज और त्यौहार शुरू हहो जाते हैं. ये तो आप जानते हैं भोलेनाथ को प्रसन्न करना काफी आसान है. कहते है भगवान शिव सिर्फ एक बिल्व पत्र से ही खुश हो जाते हैं. अगर पूरे महीने आप भगवान शिव को बिल्व पत्र अर्पित करने से आपकी मनोकामना पूरी होती है. सावन का महीना 27 जुलाई से शुरू हो रहा है लेकिन इसे 28 जुलाई से माना जायेगा. वहीं बता दें 30 जुलाई को इसका पहला सोमवार होगा जो शिवभक्तों के लिए बेहद ही खास होता है. अविवाहित लडकियां खासकर अपने मनचाहे वर के लिए ये व्रत करती हैं और भगवान से वरदान प्राप्त करती हैं. इसी के साथ कई लोग सावन में ही सोलह सोमवार का आरम्भ भी करते हैं. इसमें आपको कैसे पूजा पाठ करना है ये हम आपको बताने जा रहे हैं. एक मंदिर जहां हैं 30 हज़ार नाग करते हैं मनोरथ पूरे अगर आप सोहलाह सोमवार का व्रत कर रहे हैं तो सबसे पहले - सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें और साथ ही पूजा स्थान की सफाई करें. घर के पास कोई शिवमंदिर हो तो वहां जा कर भगवान शिव को दूध और बिल्व पत्र अर्पित करें और साथ ही मन ही मन व्रत का संकल्प लें. इतना ही भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना सुबह और शाम करने से मनवांछित फल मिलता है. यहां है भगवान शिव का ससुराल जहां सावन में करते हैं वास भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दीया जलना चाहिए और ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. पूजा करते हुए भगवान शंकर को सुपारी, पंच अमृत, नारियल व बेल की पत्तियां चढ़ाएं. जब भी पूजा करने बैठे भगवान सोमवार व्रत कथा का पाठ करें इसी के बाद प्रसाद वितरण करें और शाम को पूजा कर व्रत खोलें. इस विधि से आप भगवान शिव की आराधना कर सकते हैं और उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं.

श्रावण का महीना आने में है और सभी इसकी तैयारी में जुटे हुए हैं. इस महीने से सभी व्रत, तीज और त्यौहार शुरू हहो जाते हैं. ये तो आप जानते हैं भोलेनाथ को प्रसन्न करना काफी आसान है. कहते है भगवान शिव सिर्फ एक बिल्व पत्र से ही खुश हो …

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यहां है भगवान शिव का ससुराल जहां सावन में करते हैं वास

सावन का महीना शुरू होने वाला है इसी अवसर पर हम आपको बता देते हैं भगवान शिव के ससुराल के बारे में जिसके बारे में कई लोग नहीं जानते होंगे. भगवान शिव और माता सती की कथा तो सभी जानते हैं. नहीं जानते हैं तो आइये बता देते हैं उस कथा के बारे में और कहाँ है ये मंदिर जहां पर एक महीने तक भगवान शिव वास करते हैं. बता दें, हरिद्वार के समीप बसे कनखल में दक्षेश्वर महादेव मंदिर है. ये मंदिर माता सती के पिता दक्ष प्रजापति के नाम पर है लेकिन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. विडियो :- 30 जुलाई को होगा सावन का पहला सोमवार, ऐसे करें पूजा माता सती के भस्म होने की कथा सभी अच्छे से जानते हैं. उन्होंने भगवान शिव से अपने पिता की आज्ञा के विरुद्ध विवाह किया था जिसके चलते दक्ष ने उन्हें और भगवान शिव को विराट यज्ञ का निमंत्रण नहीं भेजा. भगवान शिव के मना करने पर भी सती अपने पिता के घर चली गई और जब बिना निमंत्रण के सती वहां पहुंची तो दक्ष ने उनका और भगवान शिव का काफी अपमान किया जिसके चलते सती ने स्वयं की ज्वाला से खुद को भस्म कर लिया. जब इसका ज्ञान भगवान शिव को हुआ तो उन्होंने क्रोध में आकर दक्ष का सिर काट दिया. लेकिन बाद में क्षमा मांगने पर भगवान शिव ने उन्हें बकरे का सिर लगाया और क्षमा किया. वैदिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव श्रावण मास में अपनी ससुराल कनखल में पूरे एक माह तक रहते हैं. इतना ही नहीं भगवान शिव के साथ सभी पृथ्वी पर आ जाते हैं और उनके साथ ही वास करते हैं. इस मंदिर में आप देख सकते हैं, यज्ञ कुण्ड मंदिर में अपने स्थान पर ही स्थापित है जिसे सती कुंड कहा जाता है. मंदिर के समीप गंगा किनारे ‘दक्षा घाट‘ है, जहां मंदिर में आने वाले श्रद्धालु स्नान करते हैं. इतना ही नहीं इस मंदिर में भगवान शिव की बड़ी सी मूर्ति भी है जिसमें उनके हाथों में माता सती भी है. सावन सोमवार में करें ये काम नहीं होंगे भोले नाराज़

सावन का महीना शुरू होने वाला है इसी अवसर पर हम आपको बता देते हैं भगवान शिव के ससुराल के बारे में जिसके बारे में कई लोग नहीं जानते होंगे. भगवान शिव और माता सती की कथा तो सभी जानते हैं. नहीं जानते हैं तो आइये बता देते हैं उस …

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तूफान भी नहीं बदल पाते जगन्नाथ मंदिर की ध्वजा का रुख़

उड़ीसा के पुरी में मौजूद जगन्नाथ मंदिर कई गहरे रहस्यों से भरा हुआ मंदिर है. इस मंदिर के चमत्कारों के बारे में जितनी बात की जाए उतनी कम है. अपने रहस्यों और चमत्कारों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में इन दिनों लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई हैं. गौरतलब है कि इन दिनों में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का भव्य आयोजन किया जाता है जिसमें लाखों संख्या में लोग मौजूद रहते हैं. वर्षो से चली आ रही परम्परा के अनुसार हर वर्ष इस भव्य रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है. आज हम आपको जगन्नाथ मंदिर से जुड़ा एक और गहरा रहस्य बताने जा रहे हैं जिसके बारे में शायद ही किसी ने सुना होगा. इस मंदिर की चोटी पर लहराती ध्वजा के बारे में ऐसा कहा जाता है कि हवा अपना रुख बदल सकती है लेकिन इस मंदिर की ध्वजा अपना रुख कभी नहीं बदलती है यही नहीं बल्कि मंदिर की चोटी पर लहराता ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है. ऐसा कहा जाता है कि यहां दिन के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है और शाम में इसके उल्ट दिशा में हवा बहती है. लेकिन चमत्कार यह है कि मंदिर का ध्वज इसके ठीक विपरीत उल्टे दिशा में लहराता है और इसका रुख हवा भी नहीं बदल पाती है. माना गया है कि मंदिर में हवा दिन में समुद्र की ओर और रात में मंदिर की तरफ बहती है. इस मंदिर की एक और खास बात यह है कि मंदिर पर लगे सुदर्शन चक्र के दर्शन आप मंदिर परिसर में कहीं से भी खड़े होकर कर सकते हैं. जब भी आप इस सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो आपको मंदिर के हर परिसर से सुदर्शन चक्र आपके सामने ही दिखेगा. इस साल की रथ यात्रा 14 जुलाई से शुरू हो चुकी है जो पूरे 9 दिन तक चलने वाली है.

उड़ीसा के पुरी में मौजूद जगन्नाथ मंदिर कई गहरे रहस्यों से भरा हुआ मंदिर है. इस मंदिर के चमत्कारों के बारे में जितनी बात की जाए उतनी कम है. अपने रहस्यों और चमत्कारों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में इन दिनों लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई …

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सावन के हर मंगलवार करना चाहिए मंगला गौरी का व्रत

सावन माह 27 जुलाई से शुरू होने वाले हैं जिसमें सभी भगवान शिव की आराधना शुरू कर देते हैं और पूरे महीने उनकी पूजा पाठ कर के अपनी मनोकामना पूरी करते हैं. कहा जाता है सावन का महीना पूरा भगवान शिव का होता है जिसमें खास तौर पर इनकी ही पूजा की जाती है. लेकिन आपको बता दें सिर्फ भगवान शिव ही नहीं बल्कि माता पार्वती का भी महीना होता है जिसमें आप भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती को भी पूजते हैं. जी हाँ, अगर नहीं जानते तो आइये हम बता देते हैं. विडियो :- 30 जुलाई को होगा सावन का पहला सोमवार, ऐसे करें पूजा वैसे तो पूरा महीना ही शिवजी का होता है लेकिन सोमवार शिवपूजन के लिए हम खास मानते हैं. उसी तरह मंगलवार को माता पार्वती का दिन होता है जिसे मंगला गौरी के नाम से जाना जाता है. कथाओं की मानें तो अगर ये व्रत अव‍िवाहित कन्‍याएं पूरे योग के साथ करती हैं तो उनकी शादी के उनके बढ़ते हैं साथ ही पति की उम्र भी बढ़ती है. इसके अलावा शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए ये व्रत करती हैं ताकि उनकी सेहत भी ठीक रहे. अगर आप इस व्रत को रखना चाहती हैं तो चलिए जानते हैं उसके विधि विधान. जानिए कब शुरू हो रहा श्रावण मास, कितने होंगे सोमवार इस व्रत को रखने के ल‍िए सावन के हर मंगलवार को सुबह जल्‍दी उठकर स्नान करें और साफ़ वस्त्र धारण करें. इसके बाद माता पार्वती के मूर्ति या फोटो लगा कर उनकी पूजा करें. फोटो को चौकी पर सफेद या लाल साफ कपड़े पर रखकर विधि से पूजन करें. इस दौरान आप ध्यान रखें कि माता को 16 की संख्या बहुत पसंद है. इसलिए जब भी उन्हें कुछ अर्पित करें तो 16 की संख्या में ही करें. जैसे 16 बत्‍त‍ियों वाला दीपक 16 चीजों का भोग लगाना और 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करना चाहिए. एक मंदिर जहां हैं 30 हज़ार नाग करते हैं मनोरथ पूरे मंगला गौरी व्रत खासतौर पर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और बिहार में प्रचल‍ित है. लेकिन इस व्रत की तारीखें हर जगह अलग होती हैं. सावन के पहले दिन से ही आप व्रत की शुरुआत कर सकते हैं और हर मंगलवार को माँ पार्वती का पूजन कर सकते हैं.

सावन माह 27 जुलाई से शुरू होने वाले हैं जिसमें सभी भगवान शिव की आराधना शुरू कर देते हैं और पूरे महीने उनकी पूजा पाठ कर के अपनी मनोकामना पूरी करते हैं. कहा जाता है सावन का महीना पूरा भगवान शिव का होता है जिसमें खास तौर पर इनकी ही …

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आर्थिक राशिफल 18 जुलाई: जानिए, पैसो के मामले में आज क्या कहती है आपकी राशि

मेष: आज आपको हर काम सोच-समझकर करना चाहिए। ग्रह आज आपके पक्ष में कम ही हैं तो बेहतर होगा कि रिस्क न लिया जाए। जल्दबाजी काम बिगाड़ सकती है, इसलिए धीमी गति से लेकिन पूरी सतर्कता से कामों को अंजाम दें। इससे स्थायी लाभ प्राप्त होगा। वृषभ: जल्दी ही भाग्य …

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राशिफल 18 जुलाईः कन्या राशि वालों के लिए आज लाभ का दिन

मेष: आर्थिक और व्यावसायिक दृष्टि से दिन लाभदायक है। मित्रों तथा स्वजनों की ओर से उपहार मिलेगा। उनके साथ समय आनंद में व्यतीत होगा। उनके साथ किसी समारोह या पर्यटन में जाने की संभावनाएं दिख रही हैं। परोपकार के काम करेंगे खुशी मिलेगी। वृषभ: वाणी की सौम्यता नए सम्बंध स्थापित …

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आर्थिक राशिफल 17 जुलाई: धन के मामले में आज क्या कहती है आपकी राशि…

मेष: कार्यक्षेत्र में आपकी भागदौड़ से परिस्थितियां खराब हो सकती हैं इसलिए काम धीरे-धीरे ही निपटाएं। पैसे के लेन-देन के मामले में सफलता के साथ खर्च के नए प्रस्ताव जुड़ेंगे। दूसरों की सहायता लेनी पड़ सकती है, चोर आदि से सावधानी रखें। वृषभ: आज ऑफिस में अच्छे लोगों से मेल …

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राशिफल 17 जुलाईः जानिए, किस राशि को आज मिलेगा लाभ..

मेष: आपका दिन शुभ फलदायी रहेगा। स्नेहीजन के साथ भेंट से आपका मन प्रसन्न होगा। मध्याह्न के बाद घर में शांतिपूर्ण वातावरण बना रहेगा। माता-पिता से अच्छे समाचार मिलेंगे। प्रतिस्पर्धियों पर विजय प्राप्त होगी। कार्यालय में अधिकारियों से संभलकर रहें। वृषभ: आज आप वाणी और वर्तनी पर संयम बरतें। जलाशय …

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इस कारण लकड़ी से बनी है भगवान जगन्नाथ की मूर्ति

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का सिलसिला जारी है जो जुलाई की 14 तारीख से शुरू हुआ है. सालों से चली आ रही है ये परंपरा आज भी जारी है. इस यात्रा को शुरू हुए 3 दिन बीत चुके हैं. कहा जाता है इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर जाते हैं और वहीँ कुछ दिन रुकते हैं. आज हम इस मंदिर से कुछ और रहस्य बताने जा रहे हैं जिनके बारे में आप नहीं जानते होंगे. इसके पहले बता दें, इस रथ यात्रा में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल होते हैं और रथ खींचने का सौभगाय प्राप्त करते हैं जिसके लिए ये कहा जाता है जो इस रथ को खींचता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. जानकारी के लिए बता दें, भगवान जगन्नाथ का मंदिर 1108 ई. में बनकर पूर्ण हुआ था जिसकी ऊंचाई 58 मीटर है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी की मूर्तियां हैं. कहा ये भी जाता है कि इस मंदिर में आने वाला कभी भूखा नहीं रहता क्योंकि इस मंदिर की रसोई विश्व प्रसिद्ध है, जहां निरंतर भोजन बनता रहता है. इस मंदिर में भगवान की मूर्तियां लकड़ी की बनी हुई है जिसके पीछे एक कथा प्रचलित है. राजा इंद्रद्युम्न के मन में नीलांचल पर्वत पर स्थित नीलामाधव देव के दर्शन पर्वत पर गए. वो चाहते थे वहीं उन्हें देव दर्शन हो जहां पर ये आकाशवाणी हुई कि उस राजा को लकड़ी में भगवान जगन्नाथ के दर्शन होंगे. इसी के लिए समुद्र से प्राप्त लकड़ी के एक बहुत बड़े टुकड़े से देवताओं के शिल्पकार विश्वकर्मा जी को विग्रह निर्माण के लिए नियुक्त किया गया. विश्वकर्मा जी ने ये बात रखी कि जब वो निर्माण करेंगे उस दौरान उन्हें कोई नहीं देखेगा. लेकिन राजा ही इस नियम को तोड़कर मूर्ति निर्माण को देखने चले गए. जब विश्वकर्मा जी को ये पता चला तो उन्होंने काम अधूरा छोड़ दिया और चले गए. इसी के कारण इस मंदिर की मूर्तियां अधूरी ही पूजी जाती हैं.

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का सिलसिला जारी है जो जुलाई की 14 तारीख से शुरू हुआ है. सालों से चली आ रही है ये परंपरा आज भी जारी है. इस यात्रा को शुरू हुए 3 दिन बीत चुके हैं. कहा जाता है इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के …

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