धर्म

एक मात्र ऐसा मंदिर जंहा नही की जाती भगवान की पूजा

हिन्दू धर्म के अनुसार हर घर में मंदिर होता है और कोई व्यक्ति भगवन की ख़ास तरीके से पूजा पाठ करते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जंहा पर भगवान की पूजा नहीं की जाती. जी हाँ आप यह जानकर हैरान जरूर हुए होंगे लेकिन पुरी में मौजूद भगवान जगन्नाथ की पूजा नहीं की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु जब चारों धामों पर बसे अपने धामों की यात्रा पर गए थे तब उन्होंने हिमालय की ऊंची चोटियों पर बने अपने धाम बद्रीनाथ में स्नान किया था. इसके बाद पश्चिम में गुजरात के द्वारिका में वस्त्र धारण किये थे फिर वह पुरी में निवास करने लगे और बन गए जग के नाथ अर्थात जगन्नाथ और उन्हें जगन्नाथ के रूप में आज भी माना जाता है. जगन्नाथ धाम चार धामों में से एक है, इस स्थान पर जगन्नाथ के बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान है. भगवान कृष्ण ही जगन्नाथ का रूप है. पूरी में जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र (बलराम) और बहन सुभद्रा की मूर्तियां काष्ठ की बनी हुई हैं जिसके चलते यहां प्रत्येक 12 साल में सिर्फ एक बार प्रतिमा का नया कलेवर किया जाता है. इन मूर्तियों का निर्माण किया जाता है लेकिन उनका अकार और रूप वैसा का वैसा ही होता है. ऐसा कहा गया है कि इन मूर्तियों की पूजा नहीं होती केवल यंहा मूर्तियां दर्शन के लिए रखी गई हैं.

हिन्दू धर्म के अनुसार हर घर में मंदिर होता है और कोई व्यक्ति भगवन की ख़ास तरीके से पूजा पाठ करते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जंहा पर भगवान की पूजा नहीं की जाती. जी हाँ आप यह जानकर हैरान जरूर …

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भगवद्गीता सिखाती है हमे ये 8 महत्वपूर्ण बातें

हिन्दू धर्म में श्रीमद् भगवद्गीता का बहुत महत्व है. श्रीमद् भगवद्गीता वह है जिसका महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के समय अपने मित्र अर्जुन को बताया था. इसमें बताये गये महत्व को हर व्यक्ति याद रखता है और अपने जीवन में भी अपनाता है. इसमें कही गई हर बात से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता है. आपने भी श्रीमद् भगवद्गीता के कई श्लोक सुने होंगे जिनका आपके जीवन में काफी महत्व भी होगा. इसके अलावा हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि श्रीमद् भगवद्गीता से आपको और क्या सीख मिलती है. आइये जाने हैं इसकी 8 बातें- 1. मनुष्य विश्वास से बनता है, विश्वस जैसा होगा वैसे ही आप होंगे - इसका अर्थ है आप जैसा सोचते हैं वैसा ही होता. अगर आप खुश हैं तो कुछ भी आपको दुखी नहीं कर सकता है और अगर आप दुखी हैं तो हर अच्छी बात भी आपको दुखी करेगी. 2. कर्म करो, फल की चिंता नहीं - इस बात को सभी जानते हैं और ये बहुत ही महत्व भी रखती है. भगवद्गीता में यही कहा गया है आप किसी से कोई अपेक्षा ना रखो. आप सिर्फ अपना काम करो उसका फल आपको जरूर मिलेगा. 3. ज़िन्दगी एक यात्रा है - भगवद्गीता में कहा गया है ज़िन्दगी एक यात्रा है ना कि कोई मंज़िल. यात्रा करने से ही आपको ख़ुशी मिलेगी ना कि अच्छी मंज़िल पा लेने से. 4. संदेह - कभी व्यर्थ संदेह ना करें. इससे आपको पूरे जीवन में कभी ख़ुशी नहीं मिलेगी ना इस लोक में ना ही परलोक में. संदेह हमे डरपोक बनाता है और मेहनती होते हुए भी हमें आपकी मंज़िल तक नहीं पहुंचता. 5. विचार - मनुष्य के विचार ही उसे ऊपर भी उठाते हैं और उसे नीचे भी गिराते हैं. इसी के कारण मनुष्य अपना ही शत्रु भी है और मित्र भी है. 6. सबसे अच्छा मित्र - खुद पर आपको यकीन रखना होगा, क्योंकि आप ही खुद के सबसे अच्छे मित्र हैं ना कि कोई और. आपकी परेशानी का हल आपके ही पास होता है. इसलिए कभी भी अपनी परेशानी किसी के सामने ना रखें. 7. आत्मा न जन्म लेती है और न मरती है - भगवद्गीता में इस पंक्ति का बहुत महत्व है. भगवान श्री कृष्णा ने कहा है आत्मा अजर है, अमर है. ये ना तो मरती है ना ही जन्म लेती है मरता है तो सिर्फ शरीर. 8. भय और चिंता दो शत्रु हैं - डर से मनुष्य कभी आगे नहीं बढ़ सकता. साथ ही भय और चिंता आपके आज को कभी खत्म कर देती है. जितना हो इन सब से दूर रहा जाए जो आपके सुख शांति का भी शत्रु है.

हिन्दू धर्म में श्रीमद् भगवद्गीता का बहुत महत्व है. श्रीमद् भगवद्गीता वह है जिसका महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के समय अपने मित्र अर्जुन को बताया था. इसमें बताये गये महत्व को हर व्यक्ति याद रखता है और अपने जीवन में भी अपनाता है. इसमें कही गई हर बात से …

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बिजली से टूटता है और मक्खन से जुड़ता है यहां का शिवलिंग, हैरान कर देगा रहस्य

सावन का महीना शुरू होने वाला है और भगवान शिव की साज सज्जा की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही हैं. सावन का महीना भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना होता है और इस महीने में शिव की ख़ास तरीके से पूजा की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि इस महीने में भगवान शिव से जो भी मुराद की जाती है वह उन्हें पूरी कर देते हैं. भगवान शिव देवों के देव है मतलब शिव जी सारे देवाताओं के देवता है और यह कहना गलत ना होगा कि सृष्टि के कण-कण में शिव समाए हुए हैं और यह दुनिया उनकी शक्ति की एक अभिव्यक्ति मात्र है. आज हम आपको भगवान शिव के एक ऐसे चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहें हैं जिसके रहस्य को जानकार आप हैरान हो जायेंगे. जी हाँ इस मंदिर की खासियत है कि बिजली के आघात से शिवलिंग खंडित हो जाता है लेकिन पुजारी इसे मक्खन से जोड़ देते हैं और शिवलिंग वापस उसी रूप में स्थापित हो जाता है. सच है कि आप इस तरह की बातों पर यकीन नहीं कर पाएंगे लेकिन यह सच है. इस मंदिर के बारे में बताया गया है कि हर 12 साल बाद शिवलिंग पर भयंकर बिजली गिरती है और शिवलिंग खंडित हो जाती है. यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कु्ल्लू जिले में स्थित है. इस मंदिर को बिजली महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर ब्यास और पार्वती नदी के संगम स्थल के नजदीक एक पहाड़ पर स्थित है. हालांकि इस मंदिर के पीछे गहरा रहस्य बताया गया है जो भगवान शिव से जुड़ा हुआ है.

सावन का महीना शुरू होने वाला है और भगवान शिव की साज सज्जा की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही हैं. सावन का महीना भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना होता है और इस महीने में शिव की ख़ास तरीके से पूजा की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि …

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भगवान शिव के ये मन्त्र दिलाएंगे हर काम में सफलता

सावन के महीने में आने वाले सोमवार बहुत महत्वपूर्ण माने गए हैं इसमें भगवान शिव की ख़ास तरिके से पूजा की जाती हैं. हालांकि साल में प्रत्येक महीने शिव उपासना किसी न किसी रूप में चलती ही रहती है लेकिन सावन में आये सोमवार के दिन भगवान शिन आराधना ख़ास तरिके से की पूजा जाती है. अगर आप भी चाहते हैं कि भगवान शिव की कृपा दृष्टि हमेशा आप पर बनी रही तो आपको इसके लिए इस ख़ास मंत्र का जाप करना होगा. ऐसा बताया गया है कि मंत्रों का जाप पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए. जप के पूर्व शिवजी को बिल्वपत्र अर्पित करना चाहिए, उनके ऊपर जलधारा अर्पित करना चाहिए. इसके अलावा आप उनके प्रिय भोग अर्पित करें. पूजा करने के दौरान आप इन मंत्रो का जाप करें. 1.ॐ नमः शिवाय। 2.प्रौं ह्रीं ठः। 3. ऊर्ध्व भू फट्। 4. इं क्षं मं औं अं। 5. नमो नीलकण्ठाय। 6. ॐ पार्वतीपतये नमः। 7. ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय। 8. ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा। अगर आप नियमित इन मंत्रो का जाप करेंगे तो भगवान शिव की असीम कृपा आप पर रहेगी और आपका परिवार हमेशा खुशहाल रहेगा. दरअसल ऐसा माना गया है कि सावन का महीना भगवान शिव का सबसे अधिक प्रिय होता है और इस महीने में वे अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं. अगर सावन में आये सोमावर को आप भगवान शिव की सच्चे मन से आराधना करते हैं तो आपको मनचाहा जीवनसाथी मिलता है. इसके अलावा आपको हर काम में सफलता मिलती है.

सावन के महीने में आने वाले सोमवार बहुत महत्वपूर्ण माने गए हैं इसमें भगवान शिव की ख़ास तरिके से पूजा की जाती हैं. हालांकि साल में प्रत्येक महीने शिव उपासना किसी न किसी रूप में चलती ही रहती है लेकिन सावन में आये सोमवार के दिन भगवान शिन आराधना ख़ास …

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बिजली से टूटता है और मक्खन से जुड़ता है यहां का शिवलिंग, हैरान कर देगा रहस्य

सावन का महीना शुरू होने वाला है और भगवान शिव की साज सज्जा की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही हैं. सावन का महीना भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना होता है और इस महीने में शिव की ख़ास तरीके से पूजा की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि …

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बद्रीनाथ पर्वत पर स्पष्ट देखे जा सकते हैं शेष नाग फन

बद्रीनाथ पर्वत पर स्पष्ट देखे जा सकते हैं शेष नाग फन

  हिन्दू धर्म में धार्मिक यात्रा का काफी महत्व माना जाता है. इन यात्राओं में सबसे खास और बड़ी यात्रा होती है चार धाम की यात्रा जिसे हर व्यक्ति करना चाहता है और अपने जीवन को धन्य बनाना चाहता है. ऐसे ही धार्मिक स्थलों में से एक है बद्रीनाथ की …

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इस मंदिर में दाढ़ी-मूछ में पूजे जाते हैं बालाजी

बताया जाता है कई सालों पहले जब एक किसान खेत में हल चला रहा था तब उसके हल से कोई टकराई थी जब उस चीज़ को देखा गया तो उसमें दो मूर्तियां दबी हुई थी जिसे साफ करने पर पता चला कि मूर्ति भगवान हनुमान और बालाजी जी है. उसके बाद उस किसान के सपने में बालाजी आये और कहा इस मूर्ति को चूरू जिले में सालासर में स्थित किया जाए और इसी के बाद मूर्ति को सालासर भेज दिया और वहीं दूसरी मूर्ति को पाबोलाम में स्‍थापित किया गया.

अक्सर लोग कष्ट में होते हैं तो भगवान का नाम लेते हैं और ये तो माना भी जाता है कि भगवान का नाम लेने से ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. ऐसे में भगवान हनुमान को ज्यादा माना जाता है कि वो हमे हर कष्ट से दूर रखते हैं. …

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सबसे अलग हैं हनुमान जी के ये तीन मंदिर

आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे हनुमान मंदिरों के बारे में जो बाकि मंदिरों से थोड़े अलग हैं. जी हाँ, सभी जगह हनुमान जी एक जैसे ही होते हैं जहाँ पर उनकी मूर्ति खड़ी हुई होती है और हनुमानजी के हाथ में पहाड़ होता है. लेकिन आज कुछ तीन हनुमान अलग हैं जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे. यहाँ के हनुमान अपनी किसी अलग ही मुद्रा में हैं और उसी के कारण उन्हें जाना भी जाना जाता है. * सालासर बालाजी हनुमान मंदिर : राजस्थान के चुरू जिले में सालासर बालाजी हनुमान मंदिर है. इस मंदिर में खास बात ये है कि यहाँ के हनुमानजी दाढ़ी और मूंछ हैं. जी हैं उनके चेहरे पर दाढ़ी और मूंछ लगी होती है. इसके अलावा उनके चेहरे पर भगवान राम के लिए सिन्दूर लगा हुआ है. दूर-दूर लोग आते हैं इनके दर्शन करने. और इस मंदिर को मुस्लिम कारीगरों ने बनाया है जो बहुत प्रसिद्द है. * उल्टेन हनुमान जी : ये मंदिर सांवेर में स्थित है जो उज्जैन से सिर्फ 30 किलोमीटर की दूरी पर है. इस मंदिर का नाम उल्टे इसलिए पड़ा क्योंकि यहाँ हनुमान जी की मूर्ति उलटी स्थापित है. यहाँ भगवन की मूर्ति का उल्टा मुख जिस पर कहा जाता है ये वही जगह जहाँ से हनुमान जी उलटे हो कर पाताल लोक गए थे. * लेटे हनुमान जी : ये हनुमान मंदिर उत्तर प्रदेश में इलाहबाद के किले से लगा हुआ है. यहाँ के हनुमान जी की प्रतिमा लेटी हुई है. ये देश का इकलौता मंदिर है जहाँ हनुमान इस मुद्रा में हैं. आपको बता दें, ये प्रतिमा करीब 20 फीट लम्बी है. लेकिन इस मंदिर के अलावा ऐसे कई और मंदिर हो गए हैं जहाँ पर हनुमानजी लेटी हुई मुद्रा में हैं.

आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे हनुमान मंदिरों के बारे में जो बाकि मंदिरों से थोड़े अलग हैं. जी हाँ, सभी जगह हनुमान जी एक जैसे ही होते हैं जहाँ पर उनकी मूर्ति खड़ी हुई होती है और हनुमानजी के हाथ में पहाड़ होता है. लेकिन आज …

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इस मंदिर में पति-पत्नी भूलकर भी न करें एक साथ पूजा, वरना…

अक्सर आपने सुना होगा कि मंदिर में अगर पति-पत्नी एक साथ पूजा करें तो उनका जीवन हमेशा खुशियों से भरा रहता है और वे अगले सात जन्मों तक एक दूसरे के साथ रहते हैं. यही नहीं बल्कि ऐसा माना गया है कि पति-पत्नी के एक साथ पूजा करने पर घर में किसी प्रकार की समस्या नहीं आती और उन दोनों के बीच के रिश्ते भी कभी नहीं बिगड़ते हैं. लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे मंदिर के बारे में जंहा पति पत्नी एक साथ पूजा नहीं कर सकते. अगर वे पूजा करते है तो उन्हें इसकी सजा भुगतनी पड़ती है. जी हाँ आप ये सुनकर हैरान जरूर हुए होंगे लेकिन देवभूमि हिमाचल प्रदेश के शिमला में मां दुर्गा का एक ऐसा मंदिर हैं जिसमें पति-पत्नी एक साथ पूजा नहीं कर सकते. यह मंदिर श्राई कोटि माता के नाम से पूरे हिमाचल में प्रसिद्ध है. इस मंदिर के बारे में कहा गया है कि अगर यह पति पत्नी साथ जाते है तो उन्हें एक बार में किसी एक ही व्यक्ति को दर्शन करना होता है. यह मंदिर शिमला के रामपुर में समुद्र तल से 11000 फुट की ऊंचाई पर है जिसमें मां दुर्गा का एक स्वरूप विराजमान है जिन्हे श्राई कोटि माता के नाम जाना जाता है. दरअसल इस मंदिर का एक गहरा रहस्य है. एक कहानी के अनुसार बताया जाता है कि जब भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों गणेश और कार्तिकेय को ब्रह्मांड का चक्कर लगाने को कहा था तब कार्तिकेय अपने वाहन पर बैठकर ब्रह्मांड का चक्कर लगाने निकल गए लेकिन गणेश जी ने अपने माता पिता के ही चक्कर लगा दिए और कह दिया कि माता पिता के चरणों में ही पूरा ब्रह्मांड है. जब कार्तिकेय ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर आए तब गणेश जी ने अपना विवाह रचा लिया था. जब वह आये तो इस बात से बेहद ही नाराज हुए और उन्होंने कभी शादी नहीं करने का संकल्प ले लिए और इस फैसले से माता पार्वती बहुत रुष्ट हुई थीं. इस दौरान माता पार्वती ने कहा था कि यंहा जो भी पति-पत्नी उनके दर्शन करेंगे वह एक दूसरे से अलग हो जाएंगे. बस उसी के बाद से यह परम्परा चली आ रही है और आज भी इस मंदिर में पति पत्नी एक साथ पूजा नहीं करते हैं.

अक्सर आपने सुना होगा कि मंदिर में अगर पति-पत्नी एक साथ पूजा करें तो उनका जीवन हमेशा खुशियों से भरा रहता है और वे अगले सात जन्मों तक एक दूसरे के साथ रहते हैं. यही नहीं बल्कि ऐसा माना गया है कि पति-पत्नी के एक साथ पूजा करने पर घर …

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कालाष्टमी व्रत से दूर होंगे आपके सभी कष्ट

इस व्रत को करने की प्रथा है कि इस दिन प्रातः उठकर काल पवित्र नदी में स्नान कर पितरों का श्राद्ध व तर्पण करना चाहिए. काल भैरव भगवान शिव के रूप हैं और इसी को करने से भूत प्रेत जैसी शक्ति भी दूर होती है. काल भैरव के साथ-साथ ही माँ दुर्गा की भी पूजा की जाती है. इस व्रत की पूजा को रात में किया जाता है और भक्त रात के समय जागरण भी करते हैं जिसमें माँ पार्वती और भगवान शिव की पूजा करते हैं. इसके बाद आरती करके उसी दिन कुत्ते को भोजन करा दें.

धर्म के अनुसार हर माह कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत रखा जाता है. इस बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं. आप भी नहीं जानते तो हम बता देते हैं क्या होता है अष्टमी से और कैसे व्रत और पूजन किया जाता है. कालाष्टमी पर भगवान शिव …

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