धर्म

भगवान की ये तस्वीरें पैदा कर सकती हैं ये बड़ी समस्याएं 

आमतौर पर लोग अपने घरों में भगवान की तस्वीर या फिर उनकी मुर्ति रखना जरूरी समझते हैं। भगवान की मूर्ति या फिर तस्वीर रखने से लोगो कि यह मान्यता होती है की इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार निरंतर बना रहता है, और नकारात्मक ऊर्जा घर से बाहर चली जाती है। …

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अगर आपके हथेली पर भी बनता हैं ये निशान, तो…

अगर आपके हथेली पर भी बनता हैं ये निशान, तो...

शास्त्रों के अनुसार हथेली पर मौज़ूद सारी रेखाओं का अलग अलग अर्थ होता है. हथेली पर रेखाओं के अलावा कई निशान और आकृतियां दिखाई पड़ती है जिसमे से कुछ शुभ होते है और कुछ अशुभ. आइये जानते है वो कौनसे चिन्ह है जो किसी व्यक्ति को बुलंदियों पर ले जाते …

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शिव मंदिर में ताली बजाना पड़ सकता है आपको महंगा

हमारे दैनिक जीवन में बहुत सी ऐसी चीज़े होती है जो वैज्ञानिक दृष्टि से अच्छी होती है पर उनका धार्मिक महत्त्व हमारे जीवन को तहस-नहस कर देती है. एक्यूप्रेशर चिकित्सा प्रणाली में  ताली बजाने को शरीर के कई अंगों का अच्छा व्यायाम और कोशिकाओं को एक्टिव करने वाला माना गया …

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इस दिशा में तिजोरी रखने से होती है धन में कमी

हर इंसान यह चाहता है कि उसके पास हमेशा ही सबसे ज्यादा धन हो और कितना भी खर्च करे पर उसके धन में लगातार बढ़ोत्तरी होती रहे. क्युच लोग कंजूसी के कारण पैसों को खर्च नहीं करते है फिर भी उनके पास पैसे टिक नहीं पाते है. वास्तुशास्त्र के अनुसार …

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हिन्दू धर्म में क्यों माना जाता है अन्न को देवता

शास्त्रों के अनुसार, वह कोई भी द्रव या ठोस वस्तु जिससे किसी सजीव को प्राण और जीवन प्राप्त होता है वह ईश्वर के समान माना जाता है. उसी प्रकार जल,अन्न और फल आदि को भी देवता की उपाधि दी गई है जिसमे अन्न को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इस संसार …

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जानिए कैसे एक गरीब ब्राह्मण बना धन का देवता

शिव पुराण की कथा के अनुसार,पूर्व जन्म में कुबेर देव एक गुणनिधि नामक ब्राह्मण थे.ब्राह्मणरूप बालपन में उन्होंने पिता के द्वारा धर्म शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण की लेकिन धीरे-धीरे गलत मित्रो की कुसंगति के कारण उनका ध्यान धार्मिक कर्मकांडो से हटकर गलत कार्यों में लग गया. गुणनिधि ने धर्म से …

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13 मई 2018, राशिफल: इन राशि के लिए लाभदायक होगा आज का दिन…

मेष: मानसिक रूप से आपकी एकाग्रता कम रहेगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखिएगा। धार्मिक कार्य तथा प्रवास हो सकता है। नए कार्य का प्रारंभ आज कर सकेंगे। आकस्मिक धनलाभ होगा। वृषभ: गृह एवं संतान सम्बंधी शुभ समाचार मिलेंगे। मित्रों से भेंट के कारण मन में आनंद छाया रहेगा। व्यवसायिक एवं आर्थिक …

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जानिए कैसे एक गरीब ब्राह्मण बना धन का देवता

शिव पुराण की कथा के अनुसार,पूर्व जन्म में कुबेर देव एक गुणनिधि नामक ब्राह्मण थे.ब्राह्मणरूप बालपन में उन्होंने पिता के द्वारा धर्म शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण की लेकिन धीरे-धीरे गलत मित्रो की कुसंगति के कारण उनका ध्यान धार्मिक कर्मकांडो से हटकर गलत कार्यों में लग गया. गुणनिधि ने धर्म से विमुख होकर अब आलस्य को अपना साथी बना लिया था.उनकी इस आदत से परेशान होकर एक दिन उनके पिता ने उनको घर से बाहर निकाल दिया. तब गुणनिधि ब्राह्मण असहारा और असहाय होकर भीख मांग कर अपना गुजरा करने लगा. एक दिन उसे पूरा समय कुछ भी नहीं मिला भूख प्यास से विचलित होकर वह वन की ओर चले गया. वहां उसे कुछ ब्राह्मण अपने साथ भोग की सामग्री ले जाते हुए दिखाई दिए. भोग सामग्री को देख गुणनिधि की भूख और अधिक बढ़ गई तथा वह भी उन ब्राह्मणो के पीछे चलते हुए गुणनिधि एक शिवालय आ पहुंचा. उसने देखा मंदिर में ब्राह्मण भगवान शिव की पूजा कर रहे थे.भगवान शिव को भोज अर्पित कर वे भजन कीर्तन में मग्न हो गए.रात्रि के समय भजन कीर्तन की समाप्ति के बाद सभी ब्राह्मण सो गए तभी गुणनिधि ने चुपके से भगवान शिव के सामने रखा भोग को चुराकर भागने लगा. परन्तु भागते समय गुणनिधि का एक पाँव किसी ब्राह्मण पर लग गया तथा वह चोर-चोर चिल्लाने लगा. गुणनिधि जान बचाकर भागा परन्तु नगर के रक्षक का निशाना बन गया तथा उसकी मृत्यु हो गई. उस दिन महाशिवरात्रि का महापर्व था और गलती से ही सही पर उस दिन गरीब ब्राह्मण गुणनिधि से उस व्रत का पालन हो गया जिसके शुभ फल स्वरुप वह अगले जन्म में वह कलिंग देश का राजा बना.अपने इस जन्म में गुणनिधि भगवान शिव का परम भक्त था वह सदैव भगवान शिव की भक्ति में खोया रहता. उसकी कठिन तपस्या को देख भगवान शिव उस पर प्रसन्न हुए तथा उसे वरदान स्वरूप यक्षों का स्वामी तथा देवताओ का कोषाध्यक्ष बना दिया.

शिव पुराण की कथा के अनुसार,पूर्व जन्म में कुबेर देव एक गुणनिधि नामक ब्राह्मण थे.ब्राह्मणरूप बालपन में उन्होंने पिता के द्वारा धर्म शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण की लेकिन धीरे-धीरे गलत मित्रो की कुसंगति के कारण उनका ध्यान धार्मिक कर्मकांडो से हटकर गलत कार्यों में लग गया. गुणनिधि ने धर्म से …

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जानिए क्यों इस्लाम धर्म में पूजे जाते है महादेव

यह अक्सर देखने और सुनने में आता है कि हिंदू धर्म के अनुयायी मजारों और दरगाहों पर इबादत करने के लिए गए हैं. लेकिन आपने कभी ये सुना है कि कोई मुस्लिम सम्प्रदायवादी भोलेनाथ की पूजा करते हैं. यह कोई कहानी नहीं है, बल्कि यह सच है. दरअसल गोरखपुर से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित एक गांव में महादेव को मुस्लिम के द्वारा पूजा भी जाते है और उनकी इबादत अपने आराध्य कि तरह ही की जाती है. उत्तर प्रदेश में गोरखपुर जिले में यह जगह ऐसी है जहां भगवान शिव वर्षों से मुस्लिमों के द्वारा पूजे जा रहे हैं. उत्तरप्रदेश के गोरखपुर से 25 किलोमीटर दूर सरेया तिवारी गांव में एक ऐसा शिवलिंग स्थापित मंदिर है,जहाँ पर इस शिवलिंग को हिन्दुओं के द्वारा नहीं बल्कि मुस्लिमों के द्वारा भोलेनाथ की पूजा की जाती हैं.मंदिर में स्थित शिवलिंग की मुस्लिम शागिर्द उसी प्रकार इबादत करते है जैसे अपने आराध्य करते है. बता दे कि ऐसा करने के पीछे एक खास वजह है.दरअसल मुस्लिम जिस शिवलिंग की पूजा करते हैं उसपर कलमा खुदा हुआ है. ऐसा कहा जाता है कि अपने आक्रमण के दौरान महमूद गजनवी ने इसे तोड़ने की कोशिश की थी, मगर वो कामयाब नहीं हो सका. इसके बाद उसने इस पर उर्दू में "लाइलाहाइल्लललाह मोहम्मदमदुर्र् रसूलअल्लाह" लिखवा दिया ताकि कोई भी हिंदू इसकी पूजा नहीं कर पाए.

यह अक्सर देखने और सुनने में आता है कि हिंदू धर्म के अनुयायी मजारों और दरगाहों पर इबादत करने के लिए गए हैं. लेकिन आपने कभी ये सुना है कि कोई मुस्लिम सम्प्रदायवादी भोलेनाथ की पूजा करते हैं. यह कोई कहानी नहीं है, बल्कि यह सच है. दरअसल गोरखपुर से …

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जनेऊ धारण करने से पहले जरूर बोलना चाहिए यह मंत्र

हिंदू धर्म में प्रत्येक हिंदू का कर्तव्य है जनेऊ पहनना और उसके नियमों का पालन करना। हर हिंदू जनेऊ पहन सकता है, बशर्ते कि वह उसके नियमों का पालन करे। ब्राह्मण ही नहीं समाज का हर वर्ग जनेऊ धारण कर सकता है। जनेऊ धारण करने के बाद ही द्विज बालक को यज्ञ तथा स्वाध्याय करने का अधिकार प्राप्त होता है। द्विज का अर्थ होता है दूसरा जन्म। जनेऊ में मुख्‍यरूप से तीन धागे होते हैं। यह तीन सूत्र त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक होते हैं। यह तीन सूत्र देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक होते हैं। यह सत्व, रज और तम का प्रतीक होते हैं। यह गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक हैं। यह तीन आश्रमों का प्रतीक है। संन्यास आश्रम में यज्ञोपवीत को उतार दिया जाता है। तीन सूत्रों वाले इस यज्ञोपवीत को गुरु दीक्षा के बाद हमेशा धारण किया जाता है। अपवित्र होने पर होने पर यज्ञोपवीत बदल लिया जाता है। नया जनेऊ पहनने से पहले स्नान के उपरांत शुद्ध कर लेने के पश्चात अपने दोनों हाथों में जनेऊ को पकड़ें। इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण करें - ॐ यज्ञोपवीतम् परमं पवित्रं प्रजा-पतेर्यत -सहजं पुरुस्तात। आयुष्यं अग्र्यं प्रतिमुन्च शुभ्रं यज्ञोपवितम बलमस्तु तेजः।। इसके बाद गायत्री मन्त्र का कम से कम 11 बार उच्चारण करते हुए जनेऊ या यज्ञोपवित धारण करें। महिलाएं भी पहन सकती हैं जनेऊ वह लड़की जिसे आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करना हो, वह जनेऊ धारण कर सकती है। ब्रह्मचारी तीन और विवाहित पुरुष छह धागों का जनेऊ पहनते हैं। यज्ञोपवीत के छह धागों में से तीन धागे स्वयं के और तीन धागे पत्नी के होते हैं। यज्ञोपवीत में पांच गांठ लगाई जाती है जो ब्रह्म, धर्म, अर्ध, काम और मोक्ष का प्रतीक है। यह पांच यज्ञों, पांच ज्ञानेद्रियों और पंच कर्मों का भी प्रतीक भी है।

हिंदू धर्म में प्रत्येक हिंदू का कर्तव्य है जनेऊ पहनना और उसके नियमों का पालन करना। हर हिंदू जनेऊ पहन सकता है, बशर्ते कि वह उसके नियमों का पालन करे। ब्राह्मण ही नहीं समाज का हर वर्ग जनेऊ धारण कर सकता है। जनेऊ धारण करने के बाद ही द्विज बालक …

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