धर्म

Letter: केन्द्रीय मंत्री मेनका ने कश्मीर की सीएम महबूबा को लिखा पत्र, जानिए क्या मांग की?

जम्मू: केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने जम्मू.कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से वैष्णो देवी मार्ग पर खच्चरोंए घोड़ों और टट्टू के इस्तेमाल को बंद करने का आग्रह किया है। उन्होंने सामानों की ढुलाई और लोगों को दर्शन के लिए लाने-जाने में काम लाए जा रहे 5000 से अधिक इन पशुओं को …

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बुद्ध पूर्णिमा 2018: भगवान बुद्ध से सीखें जीवन के अनमोल सत्य

बुद्ध पूर्णिमा 2018: भगवान बुद्ध से सीखें जीवन के अनमोल सत्य

30 अप्रैल 2018 को वैशाख मास की पूर्णिमा है। इस दिन भगवान बुद्ध की जयंती मनाई जाती है। बौद्ध धर्म और हिन्दू धर्म के अनुयायी इस दिन को बहुत ही खास तरह से मनाते हैं। महात्मा बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक है। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर आइए जानते हैं …

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30 अप्रैल का दिन है बहुत ही खास, नौकरी से लेकर व्यापार में इन राशियों की होगी तरक्की

30 अप्रैल का दिन है बहुत ही खास, नौकरी से लेकर व्यापार में इन राशियों की होगी तरक्की

दो दिन बाद यानि 30 अप्रैल को वैशाख मास की पूर्णिमा है। इस बार की पूर्णिमा बहुत ही खास है क्योंकि करीब 3 साल के बाद वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन सिद्धि योग भी बन रहा है। हिंदू पंचांग में इस योग को बहुत ही शुभ माना जाता है। …

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29 अप्रैल 2018 का राशिफल: आज इस राशि पर माँ लक्ष्मी की रहेगी कृपा

29 अप्रैल 2018 का राशिफल: आज इस राशि पर माँ लक्ष्मी की रहेगी कृपा

मेष (Aries): गणेशजी कहते हैं कि आज आप सामाजिक तथा सार्वजनिक क्षेत्र में लोगों की प्रशंसा प्राप्त कर सकेंगे। लक्ष्मीजी की कृपा रहेगी। कुटुंब और दांपत्यजीवन में सुख और संतोष का अनुभव करेंगे। वाहन सुख मिलेगा। प्रिय व्यक्ति का प्रेम प्राप्त कर सकेंगे। बौद्धिक चर्चा में भाग लेने का अवसर आएगा। …

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इसलिए भगवान के समक्ष फोड़ा जाता है नारियल

हिन्दू धर्म के अनुसार जब भी किसी काम कि शुरूआत की जाती है, तो उसके पहले नारियल फोड़ने का विधान है। लेकिन कभी आपने इसके बारे में गौर किया है की आखिर किसी भी काम कि शुरूआत के पहले नारियल ही क्यों फोड़ा जाता है? मान्यता के अनुसार नारियल फोड़ना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है की प्रारंभ किये जाने वाले काम में किसी भी प्रकार का कोई विघ्न न आये इसलिए नारियल को फोड़ने का विधान है। इसके अलावा नारियल के फीचर बाकी सब तरह के फलों और सब्जियों से अलग होते हैं, जो कि बाहर से एक दम कड़क और अंदर से बिल्कुल सफेद और मुलायम होता है। ऐसे में इसके बाहरी हिस्से से इंसान के अहंकार और उसकी नेगिटिव क्वालिटिज को दर्शाया जाता है, जबकि उसके अंदर का मुलायम और सफेद हिस्सा इंसान की पवित्रता और पॉजिटिव क्वालिटिज को दर्शाता है। जब हम नारियल को फोड़ते हैं, तो यह माना जाता है की हम अपने अहंकार और बुराईयों को खत्म कर रहे हैं। और इसे हमेशा भगवान के सामने इसलिए फोड़ा जाता है, ताकि हम अपनी पूरी निष्ठा के साथ उसका पालन कर सकें। इसका मतलब जब हम भगवान के सामने नारियल फोड़ते हैं, तो हम उनसे यह वादा करते हैं की हम अपनी बुराईयों को छोड़कर और एक अच्छा इंसान बनकर अपनी जिंदगी जिऐंगे। नारियल को फोड़ने से जुड़ी एक बात यह है कि इसे कभी भी एकदम भगवान कि प्रतिमा के सामने नहीं फोड़ा जाता है, उसे उनकी दिशा में 100 से 200 मीटर की दूरी पर ही फोड़ा जाता है। एक और बात है, जिसका नारियल फोड़ते समय ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस समय अपने मन को एकदम शांत रखें और कोई भी बुरा विचार मन में नहीं आने दें।

हिन्दू धर्म के अनुसार जब भी किसी काम कि शुरूआत की जाती है, तो उसके पहले नारियल फोड़ने का विधान है। लेकिन कभी आपने इसके बारे में गौर किया है की आखिर किसी भी काम कि शुरूआत के पहले नारियल ही क्यों फोड़ा जाता है? मान्यता के अनुसार नारियल फोड़ना शुभ माना जाता …

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त्रयोदशी प्रदोष व्रत के प्रताप से होते हैं यह लाभ

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत के सम्बन्ध में शास्त्रों में वर्णित हैं कि जो मानव इस व्रत को 11 या 26 त्रयोदशियों तक रखने का संकल्प लेकर उसके बाद यथा विधिपूर्वक इसका उद्यापन करता हैं उसे दो गायों को दान देने के समान पुन्य फल प्राप्त होता है और वह जन्म जन्मांतर के बंधनो से मुक्त होकर वैकुण्ड धाम को प्राप्त करता हैं. वैसे तो यह व्रत सातो दिनों में से किसी भी दिन आ सकता हैं पर क्या आप जानते हैं दिन के आधार पर इस प्रदोष व्रत के क्या-क्या लाभ प्राप्त होते हैं. आज हम आपको बताएँगे दिन के आधार पर प्रदोष व्रत के लाभ के बारे में 1 यदि आप प्रदोष व्रत रविवार के दिन रखते हैं, तो आपको सदैव निरोग स्वास्थ्य का लाभ प्राप्त होता हैं. 2 यदि आप प्रदोष व्रत सोमवार के दिन रखते हैं तो आपकी मन की इच्छापूर्ति का लाभ प्राप्त होता हैं. 3 यदि आप प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन रखते हैं तो आप को रोगमुक्त स्वास्थ्य की प्राप्ति होती हैं. 4 यदि आप प्रदोष व्रत बुधवार के दिन रखते हैं तो आपकी सभी प्रकार की कामना सिद्ध होती है. 5 यदि आप प्रदोष व्रत बृहस्पतिवार के दिन रखते हैं तो आपके शत्रुओं का नाश होता है. 6 यदि आप प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन रखते हैं तो आपको सौभाग्य वृद्धि का सुख प्राप्त होता हैं . 7 यदि आप प्रदोष व्रत शनिवार के दिन रखते हैं तो आपको फलस्वरूप पुत्रधन की प्राप्ति होती है.

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत के सम्बन्ध में शास्त्रों में वर्णित  हैं कि जो मानव इस व्रत को 11 या 26 त्रयोदशियों तक रखने का संकल्प लेकर उसके बाद यथा विधिपूर्वक इसका उद्यापन करता हैं उसे दो गायों को दान देने के समान पुन्य फल प्राप्त होता है और …

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VIDEO: हनुमान जी के कुछ अनसुने किस्से

हनुमान

भगवान राम के परम भक्त हनुमानजी इस कलियुग के अंत तक धरती पर रहेंगे. जब कल्कि रूप में भगवान विष्णु अवतार लेंगे तब हनुमान, परशुराम, अश्वत्थामा, कृपाचार्य, विश्वामित्र, विभीषण और राजा बलि सार्वजनिक रूप से प्रकट हो जाएंगे. कलियुग में हनुमानजी, भैरव, काली और माता अम्बा को जाग्रत देव माना …

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विनायक की बुधवार को वंदना का महत्व

विनायक

हमारी भारतीय संस्कृति मे प्रथम पूज्य गणपति जी को माना जाता है किसी भी शुभ काम मे सबसे पहले आराधना  गणेश जी की जाती है, जो विघ्न हर्ता है और सभी कष्टों का निवारण करने वाले है. ऋद्धि-सिद्धि के दाता और शुभ-लाभ के प्रदाता हैं. और शिव गौरी के पुत्र …

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हिन्दू धर्म में पीपल के पेड़ के इस महत्व से बहुत ही कम लोग परिचित हैं

हिन्दू धर्म में पीपल के पेड़ को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इसका सम्बध भगवान विष्णु से है। इसके साथ ही यह मानव जीवन कि कई प्रकार कि समस्या के समाधान के लिए भी उपयुक्त माना गया है। ऐसा माना जाता है कि पीपल के पेड़ में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होते रहता है। ऋग्वेद में इसे देव वृक्ष भी माना गया है। यजुर्वेद में यह हर यज्ञ की जरूरत बताया गया है। अथर्ववेद में इसे देवताओं का निवास स्थान बताया गया। इसका उल्लेख बौद्ध पौराणिक इतिहास के साथ-साथ रामायण, गीता, महाभारत, सभी धार्मिक हिन्दू ग्रंथों में भी किया गया है, स्कंदपुराण में पीपल के बारे में उल्लेख किया है। इसमें कहा गया है कि पीपल के जड़ में भगवान विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में हरि और फलों में सभी देवताओं के साथ अच्युत देव निवास करते हैं। मान्यता है कि इस पेड़ को प्रणाम करने से सभी देवता प्रसन्न होते हैं। पीपल के पेड़ को अक्षय वृक्ष कहा जाता है क्योंकि इसके पत्ते कभी समाप्त नहीं होते हैं। पीपल के पत्ते एक साथ कभी नहीं झड़ते हैं और फिर नए पत्ते आने पर पेड़ को हरा-भरा बना देते हैं। पीपल की यह खूबी जन्म-मरण के चक्र को भी दर्शाती है। पीपल के नीचे बैठकर तप करने से महात्मा बुद्ध को इस सच्चाई का ज्ञान प्राप्त हुआ था। शास्त्रों के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति पीपल के नीचे शिवलिंग स्थापित कर पूजा करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पढ़ने से चमत्कारी लाभ मिलता है। ‘ऊं चैतन्य अव्क्षत्थाय शरणम् नम:’ मंत्र ध्यान करते हुए सफेद तिल और दूध से पीपल के पेड़ को अर्ध्य दें। इससे पितृ दोष खत्म हो जाते हैं। ऐसा करने से शनि की कृपा भी बनी रहती है।

हिन्दू धर्म में पीपल के पेड़ को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इसका सम्बध भगवान विष्णु से है। इसके साथ ही यह मानव जीवन कि कई प्रकार कि समस्या के समाधान के लिए भी उपयुक्त माना गया है। ऐसा माना जाता है कि पीपल के पेड़ में सकारात्मक ऊर्जा का …

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जानें गाय के किस अंग पर कौन से देवता निवास करते हैं

हिन्दू धर्म में गाय को एक महत्वपूर्ण पशु माना गया है, शुरू से ही यह मान्यता चली आ रही है कि गाय में 33 करोड़ देवी-देवता वास करते हैं। इसलिए गाय को एक पूज्यनीय पशु माना जाता है। जिस घर में गाय को पाला जाता है, वह घर हमेशा सुख-शांति से भरा रहता है। आज हम आपसे गाय के इसी महत्व के बारे में चर्चा करने वाले हैं, यहां पर हम जानेंगे कि गाय में देवी-देवताओं का वास किस-किस अंग पर होता है। तो चलिए जानते हैं हिन्दू धर्म के उन खास देवी-देवताओं के बारे में जो गाय के शरीर में वास करते हैं। पुराणों के मुताबिक गाय के मुख में चारों वेदों का निवास होता है। गाय के सींगों में भगवान शिव जी का वास माना जाता है। गाय के उदर में भगवान शिव जी के बड़े बेटे कार्तिकेय, मस्तक में ब्रह्मा, ललाट में रुद्र, सीगों के आगे वाले भाग में भगवान इन्द्र, कानों में अश्विनीकुमार, आंखों में सूर्य और चंद्र, दांतों में गरुड़, जिह्वा में सरस्वती निवास करती है। गाय के अपान में सारे तीर्थ और मूत्र स्थान में गंगा जी, दक्षिण पार्श्व में वरुण एवं कुबेर, वाम पार्श्व में महाबली यक्ष,रोमकूपों में ऋषि गण, पृष्ठभाग में यमराज, खुरों के पिछले भाग में अप्सराएं मुख के भीतर गंधर्व, नासिका के अग्रभाग में सर्प का वास होता है। गाय के गोबर में लक्ष्मी, गोमूत्र में भवानी और थनों में समुद्र विराजमान होता है। इसके अलावा गाय के पैरों में लगी हुई मिट्टी का तिलक लगाने से तीर्थ-स्नान का पुण्य मिलता है। ब्रह्माण्ड पुराण, महाभारत, भविष्य पुराण, स्कंद पुराण में गाय का विस्तृत वर्णन किया गया है, जिसमें गाय के शरीर में देवी-देवताओं के निवास स्थान के बारे में बताया गया है। मान्यता है, जहां गाय बैठकर आपराम से सांस लेती है, उस स्थान पर सुख-समृद्धि का वास होता है। जो मनुष्य गौ की श्रद्धापूर्वक पूजा-सेवा करते हैं, देवता उस पर सदैव प्रसन्न रहते हैं।

हिन्दू धर्म में गाय को एक महत्वपूर्ण पशु माना गया है, शुरू से ही यह मान्यता चली आ रही है कि गाय में 33 करोड़ देवी-देवता वास करते हैं। इसलिए गाय को एक पूज्यनीय पशु माना जाता है। जिस घर में गाय को पाला जाता है, वह घर हमेशा सुख-शांति …

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