उत्तरप्रदेश

Decision: जमीन घोटाले में मायावती को कोर्ट से मिली बड़ी राहत!

इलाहाबाद: जमीन घोटाला मामले में सोमवार को इलाहबाद हाईकोर्ट से बहुजन समाज पार्टी बसपा की मुखिया मायावती को बेहद राहत मिली है। हाईकोर्ट ने मायावती के खिलाफ जमीन घोटाल मामले में दाखिल जनहित याचिका खारिज कर दी है। याचिका में नोएडा के बादलपुर गांव की जमीन को अधिग्रहण मुक्त कराकर बेचने …

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Politics: अखिलेश की करीबी पंखुरी पाठक ने तोड़ा समाजवादी का साथ!

लखनऊ: समाजवादी पार्टी से जुड़ी तेज तर्रार ने प्रवक्ता पंखुड़ी पाठक का मोह शायद समाजवादी पार्टी से खत्म हो गया है। उन्होंने अब समाजवादी पार्टी से रिश्ता तोड़ दिया है। पंखुरी पाठक सपा प्रमुख अखिलेश यादव की काफी करीबी मानी जाती हैं। वह पिछले आठ सालों से समाजवादी पार्टी के लिए …

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Jevar Airport: योगी सरकार ने इस एयरपोर्ट के लिए दिये 80 करोड़ रुपये!

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विधानसभा सत्र के दौरान जेवर एयरपोर्ट के लिए योगी सरकार ने अपना खजाना खोल दिया है। अनुपूरक बजट पेश करने के दौरान भले ही सदन में भारी हंगामा रहा हो लेकिन जेवर एयरपोर्ट के लिए इसमें 80 करोड़ का प्रावधान किया गया। बता दें कि योगी सरकार …

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सरकारी कोटे ने कड़वी की चीनी की मिठास

सरकारी कोटे ने कड़वी की चीनी की मिठास

देश से लेकर विदेश तक चीनी के बंपर उत्पादन का फायदा उपभोक्ताओं को नहीं मिल पा रहा है। सरकारी कोटा तय होने के बाद चीनी की कीमतें फुटकर में 40 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुकी हैं। थोक में चीनी की कीमतें 3450 रुपये से 3600 रुपये प्रति क्विंटल हैं। …

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दो साल से लापता युवती की हत्या में डीएवी का छात्र नेता और साथी गिरफ्तार

दो साल से लापता युवती की हत्या में डीएवी का छात्र नेता और साथी गिरफ्तार

दो साल पहले लापता हुई युवती की हत्या कर शव हमीरपुर में यमुना नदी में फेंकने के मामले में पुलिस ने आरोपित डीएवी के छात्र नेता रितेंद्र उर्फ बउवा ठाकुर और अनुज सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। बाबूपुरवा थाना व चकेरी के तत्कालीन पुलिसकर्मियों की लापरवाही सामने आने के …

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विसर्जन से निकला शालीनता के सम्मान का अमृत

विसर्जन से निकला शालीनता के सम्मान का अमृत

साधारण लोगों के उस विश्वास की पुन: प्रतिष्ठा है कि अच्छे कर्म सदा साथ रहते हैं और उन्हें अर्जित किए जाने के समय के संघर्ष और श्रम का मोल एक दिन चुकाते अवश्य हैं। निर्मम राजनीति कुर्सी पर नहीं तो ह्दय से भी ओझल की अनीति पर चलती है लेकिन …

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Supplementary Budget: हंगामे के बीच योगी सरकार ने पेश किया अनुपूरक बजट, किसानों का दिल जीतने की कोशिश!

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विधानमंडल सत्र में भारी हंगामे के बीच 34833.24 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पेश कर दिया गया है। हालांकि बजट पेश करने के साथ ही सदन की कार्यवाही कल 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले देवरिया कांड व प्रदेश में खराब कानून- …

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अयोध्या में संपत्ति विवाद में महंत की हत्या, चार दशक ऐसी अनेक हत्याएं

विद्यामाता मंदिर विद्याकुंड की महंती के दावेदार रामचरनदास की बीती रात हत्या कर दी गई। पुलिस ने शव उनके कक्ष में स्थित चौकी के नीचे से बरामद किया। उनका हाथ और मुंह बंधा हुआ था। समझा जाता है कि उनकी हत्या गला घोंटकर की गई। पुलिस मंदिर में रहने वाले साधुवेशधारी परमात्मादास को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। रामचरनदास पर गत वर्ष भी जानलेवा हमला हुआ था और इस मामले में परमात्मादास के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत किया गया था। उल्लेखनीय है कि संपत्ति विवाद में संतों-महंतों की हत्या का सिलसिला दशकों पुराना है। अब तक बड़ी संख्या में हत्याएं हो चुकी है। महंतों की हत्या का लंबा इतिहास चार दशक पूर्व रामनगरी की सर्वाधिक प्रतिष्ठापूर्ण पीठ रघुनाथदासजी की छावनी के महंत रामप्रतापदास की धारदार हथियार से हत्या कर दी गई थी। इस घटना के करीब एक दशक के अंतराल में रघुनाथदासजी की छावनी के एक अन्य महंत प्रेमनारायणदास की हत्या का मामला सामने आया था। अयोध्या में मंठ-मंदिरों के स्वामित्व विवाद में ही नौवें दशक के उत्तरार्द्ध में सनातन मंदिर के महंत मोहनानंद झा को गोलियों से भून दिया गया था। इसी तरह मोहनानंद झा के भाई रामकृष्णदास की करंट लगने से संदिग्ध हालत मौत को भी मंदिर के स्वामित्व विवाद से जोड़कर देखा जाता रहा। मंदिर हथियाने की कोशिश में इसी दशक की शुरुआत में कुछ साधुवेशधारियों हनुमतभवन के महंत रामदेवशरण की बम से प्रहार कर हत्या कर दी थी। 1991 में नगरी की प्रमुख पीठों में शुमार जानकीघाट बड़ास्थान के महंत मैथिलीशरण की उनके ही कक्ष में गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी। 1995 को संपत्ति विवाद के ही चलते हनुमानगढ़ी से जुड़े महंत रामाज्ञादास पर गोलियों की बौछार कर साधुवेशधारी अपराधियों ने मौत के घाट उतार दिया। एक महंत रामकृपालदास की तो रामनगरी में एक दशक तक तूती बोलती रही लेकिन नवंबर 1996 में उन्हें भी गोलियां बरसाकर मौत की नींद सुला दिया गया। संत समाज के बीच घुले मिले अराजकतत्वों ने ही 1999 में अयोध्या में विद्याकुंड बड़ास्थान के महंत रामकृपालदास की संपत्ति विवाद में हत्या कर दी गई। लंबे समय से व्याप्त विवाद संपत्ति व महंती के विवाद को लेकर अयोध्या में महंत दयानंद दास का अपहरण यह भी पढ़ें विद्यादेवी मंदिर की महंती का विवाद लंबे समय से व्याप्त है और गत वर्ष रामचरनदास पर हमला इसी विवाद के चलते हुआ था। विवाद को ध्यान में रखकर पुलिस ने दोनों पक्षों को धारा 107/16 में पाबंद भी कर रखा था और मंदिर में रात्रि के दौरान एक होमगार्ड की ड्यूटी भी लगाई गई थी। गुरुवार रात 10 बजे के करीब होमगार्ड जब ड्यूटी पर पहुंचा, तब उसने मंदिर में सन्नाटा पसरा देखा। वह अंदर गया तो देखा कि रामचरनदास के कक्ष की वस्तुएं बिखरी पड़ी हैं। हालांकि पहली नजर में होमगार्ड को चौकी के नीचे छिपाई गई महंत की लाश नहीं नजर आई। उसने उच्चाधिकारियों को फोन कर अवगत कराया और इसके बाद मौके पर पहुंचे रायगंज चौकी प्रभारी यशंवत द्विवेदी ने लाश बरामद की। इसके बाद मंदिर पर पुलिस के आलाधिकारियों का तांता लग गया। फैजाबाद के जमथराघाट में आग से हाहाकार, पहले चिंगारी भड़की फिर धड़ाधड़ सिलेंडर फटे यह भी पढ़ें साधना में पगे थे महंत रामचरनदास 65 वर्षीय मृत महंत रामचरनदास साधना में पगे साधु थे। यूं तो विद्याकुंड मंदिर के साकेतवासी महंत रघुवरदास के शिष्य थे पर वह 26 वर्ष तक खड़े रहकर साधना का रिकार्ड बनाने वाले दिग्गज संत भगवानदास खड़ेश्वरी के साधक शिष्य थे और उन्हीं की प्रेरणा से रामचरनदास ने भी 10 वर्ष तक निरंतर खड़े रहकर आराध्य की साधना की। उनकी साधना से आइएएस अधिकारी किंजल सिंह भी प्रभावित थीं और दो वर्ष फैजाबाद की जिलाधिकारी रहते किंजल सिंह के इशारे पर रामचरनदास को पुलिस ने मंदिर पर कब्जा दिलाया था।

विद्यामाता मंदिर विद्याकुंड की महंती के दावेदार रामचरनदास की बीती रात हत्या कर दी गई। पुलिस ने शव उनके कक्ष में स्थित चौकी के नीचे से बरामद किया। उनका हाथ और मुंह बंधा हुआ था। समझा जाता है कि उनकी हत्या गला घोंटकर की गई। पुलिस मंदिर में रहने वाले साधुवेशधारी परमात्मादास को …

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स्वर्ण पदक से बेटे-बेटियों के साथ मां-बाप भी निहाल, भावुक हुआ माहौल

गर्व से दमकते चेहरों के इतराने का दिन था तो मेहनत को सलामी मिलने का भी। बेटे-बेटियों की खुशी पर माता-पिता के निहाल होने का दिन था तो भविष्य के सपने बुनने का भी। यह सबकुछ हुआ मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षा समारोह में। राज्यपाल राम नाईक की बतौर कुलाधिपति और मेट्रो मैन ई. श्रीधरन की बतौर मुख्य अतिथि मौजूदगी विश्वविद्यालय के एकेडमिक इतिहास को समृद्ध कर रही थी। राज्यपाल ने मेधावियों को स्वर्ण पदक और प्रशस्ति पत्र देकर उनकी मेधा को सलाम किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास सिंह ने इन्हें अपनी थाती बताया तो विश्वास भी जताया कि यह विश्वविद्यालय को नई पहचान से अलंकृत करेंगे। स्वर्ण पदक से बेटे-बेटियों के साथ मां-बाप भी निहाल यह भी पढ़ें तीसरे दीक्षा समारोह में एक-एक कर बीटेक, एमटेक, एमसीए और एमबीए की परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त करते हुए उपाधि प्राप्त कर रहे कुल 19 मेधावियों को गरिमामयी मंच पर आमंत्रित कर स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। आयोजन का समय 11 बजे निर्धारित था लेकिन 10 बजते-बजते समारोह स्थल विश्वविद्यालय का बहुद्देश्यीय हाल खचाखच भर गया। टॉपरों का उत्साह देखने लायक था, राज्यपाल के हाथों उन्हें मेडल जो लेना था। उनके लिए एक-एक मिनट भी भारी पड़ रहा था। 12 बजे के करीब जब मंच से यह गूंजा कि राज्यपाल शहर में पहुंच चुके हैं, सभी के चेहरे चमक उठे। फिर शुरू हो गया समारोह का औपचारिक कार्यक्रम। पूरे अदब के साथ राज्यपाल और मेट्रोमैन के साथ शैक्षणिक शोभा यात्रा समारोह हाल में पहुंची। मां सरस्वती व महामना मदन मोहन मालवीय के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के बाद राज्यपाल की अनुमति लेकर दीक्षांत समारोह की शुभारंभ हुआ। सबसे पहले कुलपति प्रो. एसएन सिंह ने आगंतुकों का स्वागत करने के साथ विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या प्रस्तुत की फिर राज्यपाल द्वारा विद्यार्थियों को दीक्षोपदेश दिया गया। फिर शुरू हुआ उपाधि व स्वर्ण पदक वितरण का सिलसिला। गूंजती तालियों के बीच मेधावियों ने पदक और उपाधि प्राप्त की। पदक वितरण के बाद मुख्य अतिथि श्रीधरन दीक्षांत संबोधन के लिए आमंत्रित किए गए। उनके सारगर्भित 20 मिनट के संबोधन को हाल में मौजूद सभी ने पूरी गंभीरता और तल्लीनता से सुना और उसे आत्मसात करने की कोशिश की। राज्यपाल राम नाईक के प्रेरणादायी अध्यक्षीय संबोधन को लोगों ने उसी तल्लीनता से सुना। धन्यवाद ज्ञापन के बाद राज्यपाल की अनुमति लेकर कुलसचिव यूसी जायसवाल ने मंच से समारोह के समापन की घोषणा की। संचालन की जिम्मेदारी डॉ. बीके पांडेय ने निभाई। उसके बाद शुरू हुआ फोटो सेशन का दौर। हर कोई इस अद्भुत पल को तस्वीरों में कैद करते दिखा। कोई दोस्तों के साथ फोटो सेशन करा रहा तो कोई अपने अभिभावकों के साथ। एक-दूसरे के साथ खुशी बांटने और बधाई व धन्यवाद का सिलसिला काफी देर तक जारी रहा। --------- माता-पिता हुए भावुक एमएमएमयूटी महिला क्लब ने लोगों को बांटे कंबल यह भी पढ़ें दीक्षा समारोह में स्वर्ण पदक पाना किसी सपने से कम नहीं होता ऐसे में पदक प्राप्त करने वाले मेधावियों के उत्साह और उमंग की कल्पना की जा सकती है। इस उत्साह को भावुक पलों में बदल दिया अभिभावकों की मौजूदगी ने, जो अपने बच्चों को सम्मानित होने के इस गौरवमयी पल के गवाह बने। पदक पाते देख अभिभावकों के चेहरे की खुशी देखने लायक थी। ---- राज्यपाल ने पूछा, विवरणिका में श्रीधरन का भाषण है क्या? अपने संबोधन में राज्यपाल राम नाईक ने दीक्षा समारोह में मेट्रो मैन की मौजूदगी को विश्वविद्यालय के लिए महत्वपूर्ण पल बताया। संबोधन की दौरान जब वह मेट्रो मैन से अपने संबंध और उनकी खूबियों की चर्चा कर रहे थे तभी उन्हें याद आया कि समारोह की शुरुआत में संचालक ने ई. श्रीधरन की उपलब्धियों भरा जीवन वृत्त बताया था। उन्होंने संबोधन को रोककर कुलपति से पूछा कि क्या दीक्षा समारोह की विवरणिका में श्रीधरन का जीवन वृत्त और भाषण छपा है क्या। जब उन्हें इसका उत्तर हां में मिला तो विद्यार्थियों से अपील की कि वह उसका भगवद्गीता के तरह अध्ययन करें। इससे जीवन में आगे बढ़ने का रास्ता खुद-ब-खुद साफ होता जाएगा।

गर्व से दमकते चेहरों के इतराने का दिन था तो मेहनत को सलामी मिलने का भी। बेटे-बेटियों की खुशी पर माता-पिता के निहाल होने का दिन था तो भविष्य के सपने बुनने का भी। यह सबकुछ हुआ मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षा समारोह में। राज्यपाल राम नाईक …

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7 अप्रैल 2010, जब सुलग उठी थी कचहरी

आइए आपको दहशत के उन हालात से रूबरू कराते हैं जब आठ वर्ष पहले कचहरी सुलग उठी थी। जगह-जगह जलते टूटे वाहनों के बीच लाठियां-बंदूकें लेकर दौड़ती पुलिस और लहूलुहान भागते वकीलों की चीख-पुकार से दंगे जैसे हालात हो गए थे। मामला महज एक वकील और दारोगा के बीच वाद विवाद का था लेकिन उसने ऐसा रौद्र रूप लिया कि पुलिस की बर्बरता से वकीलों की जान पर बन आई थी। दो दिनों तक वकील जान बचाते छिपते फिर रहे थे। मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद वकीलों को जख्मों पर मरहम की आस जगी है। एक मामले में कार्रवाई को लेकर दारोगा राघवेंद्र सिंह से अधिवक्ता आशीष सचान का विवाद चल रहा था। 7 अप्रैल 2010 दोपहर करीब 12.30 बजे दारोगा एक मामले में पेशी पर कोर्ट पहुंचा। प्रथम तल पर वह जीने से नीचे उतर रहा था तभी उसका वकील से आमना-सामना हो गया था। दरोगा को देखते ही आशीष भड़क गया और दोनों के बीच गाली-गलौज होने लगी थी। आसपास वकील जुटे तो बात धक्का मुक्की से मारपीट तक पहुंच गई थी। इससे पहले वकील उग्र होते दारोगा ने उन पर रिवाल्वर तान दी थी। वकील जान बचाने को भागे तो दारोगा भी जान बचाने के लिए भागकर एडीजे प्रथम कोर्ट में चला गया था। दारोगा ने आलाधिकारियों को फोन पर सूचना दी तो तत्कालीन एडीएम सिटी शकुंतला गौतम, एसपी रवि कुमार छवि और भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे थे। दारोगा वकील विवाद की सूचना कचहरी में आग की तरह फैली तो सैकड़ों वकील भी नारेबाजी करते हुए कोर्ट के बाहर इकट्ठा हो गए थे। बार एसोसिएशन के पदाधिकारी और प्रशासन के आलाधिकारी मामला शांत करा रहे थे तो बाहर वकीलों को गुस्सा बढ़ता जा रहा था। वकील दारोगा को बाहर निकालने की मांग कर रहे थे। पुलिस के लिए वकीलों की उस भीड़ से दारोगा को बचाना मुमकिन नहीं था। कोर्ट पुलिस और वकीलों से खचाखच भर गई थी। इसी बीच धक्का-मुक्की में एडीएम सिटी गिर गई थीं। बस फिर क्या था, पुलिस वकीलों पर टूट पड़ी थी। पुलिस ने ताबड़तोड़ लाठियां चलाना शुरू कर दिया था। इससे वहां भगदड़ मच गई थी। आधा दर्जन से ज्यादा वकीलों के सिर फट गए तो कई वकील और वादकारी भगदड़ में गिरकर घायल हो गए थे। उस वक्त पुलिस को जो मिला उसे गिरा-गिराकर पीटा गया, जिसके बाद दारोगा राघवेंद्र को निकालकर पुलिस ले गई थी। - - - - - - - - - - - - - - निर्दोष का सम्मान बचाएगी अग्रिम जमानत, फायदा मिलेगा तो नुकसान की भी संभावनाएं बढ़ेंगी यह भी पढ़ें अगले दिन एक-दूसरे पर रहे हमलावर इस घटना के ठीक दूसरे दिन 8 अप्रैल को वकील शताब्दी प्रवेश द्वार पर एकत्र होकर पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने लगे थे तो दूसरी ओर एसएसपी कार्यालय में भी भारी पुलिस और पीएसी बल तैनात था। अदालत के काम से जो पुलिसकर्मी कचहरी के भीतर पहुंचे उनके साथ मारपीट और वर्दी फाड़ने की सूचना बाहर तैनात पुलिस कर्मियों को मिली तो वह भी उग्र हो गए थे। दिन भर इसी तरह गोरिल्ला युद्ध होता रहा था। दोपहर करीब तीन बजे दोनों ओर से पत्थर चलने लगे थे। वकीलों के चौपहिया और दोपहिया वाहनों के शीशे तोड़े जाने लगे थे। जिसका जवाब वकीलों ने भी दिया और पुलिस के वाहन तोड़ने शुरू कर दिए थे। जवाबी कार्यवाही में पुलिस कर्मियों ने वकीलों के चौपहिया वाहन तोड़े, डेढ़ दर्जन से ज्यादा दोपहिया वाहनों को गिराकर आग लगा दी। जमकर पत्थरबाजी और फाय¨रग हुई थी। पुलिस ने वकीलों को दौड़ाया, जो वकील मिले उन पर चारों ओर से लाठियां बरसीं थीं। इसके बाद पुलिस और पीएसी रजिस्ट्री कार्यालय की ओर से कचहरी में घुसी और जो वकील जहां मिला उसे पीट दिया गया था। चेंबरों में भी तोड़फोड़ की गई थी और कचहरी पर पुलिस ने कब्जा कर एक-एक चेंबर से वकीलों को निकालकर पीटा था। आलम यह था कि अधिकतर वकील बिना चेंबरों को ताला लगाए भागने को मजबूर हो गए थे। युवा बुजुर्ग जो मिला वह पुलिसिया कहर का शिकार हुआ था। मुकदमे की फाइलें तक नहीं छोड़ी गई। बार एसोसिएशन तत्कालीन महामंत्री नरेश चंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय कमेटी ने जांच रिपोर्ट तैयार की थी लेकिन वह आज तक नहीं खुल सकी है। जांच रिपोर्ट खुली तो इसकी आंच कई अफसरों तक पहुंचेगी। - - - - - - - - - - - - - - इटावा चली गई थी कचहरी 27 साल बाद मिला 27 वर्गमीटर का मकान यह भी पढ़ें घटना के बाद से ही वकील हड़ताल पर थे। वादकारियों को हो रहे नुकसान और जेल में बढ़ती संख्या को देखते हुए 15 दिन बाद ही कचहरी इटावा स्थानांतरित कर दी गई थी। कचहरी का पूरा स्टाफ बस से इटावा जाता था। इसके बाद वकीलों ने उच्च न्यायालय का घेराव किया था और लोकसभा में भी मामला गूंजा था। चीफ जस्टिस और कानून मंत्री से मुलाकात के बाद करीब ढाई माह बाद कचहरी वापस आई थी।

आइए आपको दहशत के उन हालात से रूबरू कराते हैं जब आठ वर्ष पहले कचहरी सुलग उठी थी। जगह-जगह जलते टूटे वाहनों के बीच लाठियां-बंदूकें लेकर दौड़ती पुलिस और लहूलुहान भागते वकीलों की चीख-पुकार से दंगे जैसे हालात हो गए थे। मामला महज एक वकील और दारोगा के बीच वाद …

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