उत्तरप्रदेश

संतान को जन्म न दे सकी तो सेंट्रल स्टेशन से मासूम को चुराया

दस साल तक संतान नहीं हुई तो 17 अगस्त की दोपहर महिला सेंट्रल रेलवे स्टेशन से बच्चा चुराकर भाग निकली थी। सीसीटीवी फुटेज से पहचान के बाद जीआरपी ने महिला को पकड़कर बच्चे की बरामदगी कर ली है। फिलहाल जीआरपी मामले में जाच कर रही है कि महिला कहीं बच्चा चोर गिरोह से तो नहीं जुड़ी है। बिल्हौर के रहीमपुर करीमपुर निवासी बबलू आजाद 17 अगस्त को पत्‍‌नी व एक वर्षीय बेटे हसन के साथ बिहार जा रहे थे। सेंट्रल रेवले स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 7 पर वह ट्रेन का इंतजार कर रहा था। इस दौरान एक महिला उन्हें बातों में उलझाकर हसन को उठा ले गई। सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में महिला की पहचान कराने के बाद जीआरपी ने जाच शुरू की थी। रविवार को सीओ जीआरपी राजेश द्विवेदी ने बताया की आरोपित महिला का नाम बबीता केसरवानी पत्‍‌नी सोनू केसरवानी है, जो कि इलाहाबाद के सिराथू की रहने वाली है। दोनों रेल बाज़ार की कुमार मंडी में किराये के मकान में रहते हैं। शादी के 10 साल बाद भी बबीता के कोई संतान नहीं हुई थी। इसके चलते उसने सेंट्रल स्टेशन से बच्चे को चुराने की वारदात को अंजाम दिया। बबीता बच्चे को लेकर सिराथू चली गई थी। बताया जा रहा है कि जीआरपी ने बच्चे को सिराथू से बरामद किया है। जबकि कागजी कार्रवाई में बबीता को गोविंदपुरी रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार बताया गया है। जीआरपी ने बच्चे दंपती के सुपुर्द किया तो मां की गोद में जाते ही हसन चहकने लगा। 'दैनिक जागरण' ने इस मामले में सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा इंतजाम पर तमाम कमियों की ओर इशारा किया था। इसमें सेंट्रल स्टेशन पर अवैध वेंडरों पर भी अपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने की आशका व्यक्त की गई थी। पुलिस की जाच के बाद सामने आया है कि बबीता का पति सोनू सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर अवैध वेंडर है। पुलिस सोनू से भी पूछताछ कर रही है।

दस साल तक संतान नहीं हुई तो 17 अगस्त की दोपहर महिला सेंट्रल रेलवे स्टेशन से बच्चा चुराकर भाग निकली थी। सीसीटीवी फुटेज से पहचान के बाद जीआरपी ने महिला को पकड़कर बच्चे की बरामदगी कर ली है। फिलहाल जीआरपी मामले में जाच कर रही है कि महिला कहीं बच्चा …

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मेरठ के शूटर रवि कुमार ने भारत को जकार्ता एशियाड में दिलाया कांस्य पदक

फाइनल मुकाबले में चयनित होने के बाद 38 शॉट के बाद मुकाबला बराबरी पर चल रहा था। तीनों टीमें बराबरी पर थी। एशियन गेम्स में अभिनव संग पदक जीत चुके हैं रवि यह भी पढ़ें स्टेज वन के बाद भारत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए दूसरा स्थान हासिल किया था लेकिन आगे की प्रतियोगिता में चीनी शूटर्स ने चौथे स्थान से दूसरे स्थान तक बढ़त ले ली। इस मेडल के साथ ही शूटर रवि कुमार के घर पर बधाइयों का तांता लगना शुरू हो गया है। कॉमनवेल्थ गेम्स में पदकों के लिए पसीना बहा रहे हैं मेरठ के खिलाड़ी यह भी पढ़ें उधर शूटिंग संगठनों ने भी उनकी इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर की है। एशियन गेम्स की टीम में शामिल होने के साथ ही शूटर रवि कुमार शूटिंग विश्व चैंपियनशिप की भारतीय टीम में भी स्थान बना चुके हैं। एशियन गेम्स के तुरंत बाद कोरिया में शूटिंग विश्व चैंपियनशिप का आयोजन होगा। एशियन गेम से निकलकर भारतीय शूटिंग टीम शूटिंग विश्व चैंपियनशिप के लिए रवाना हो जाएगी।

इंडोनेशिया के जकार्ता में आज मेरठ के शूटर रवि कुमार ने भारत को पहला पदक दिलाया। मेरठ के शूटर रवि कुमार ने जकार्ता में 18वें एशियन गेम्स में देश का पहला पदक जीता है। रवि कुमार ने 10 मीटर एयर राइफल टीम इवेंट में अपूर्वी चंदेला के साथ देश के …

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अटल के नाम होगा अवध विवि का अतिथि गृह

डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय का अतिथि गृह अब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से जाना जाएगा। इसकी घोषणा विवि के कुलपति प्रो.मनोज दीक्षित ने की। उन्होंने कहा कि इससे विवि का सम्मान बढ़ेगा। विवि के संत कबीर सभागार में भारत रत्न व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर शोक सभा आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने कहाकि वे सदैव राष्ट्रवादी परंपरा के पोषक रहे और सूर्य के समान ही प्रकाशमान रहेंगे। इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. एसएन शुक्ल, कार्य परिषद सदस्य ओमप्रकाश ¨सह, प्रो. आरएल ¨सह, आइइटी के निदेशक प्रो. आरपी मिश्रा, कर्मचारी संघ के अध्यक्ष डॉ. राजेश ¨सह ने संबोधित किया।इसके पूर्व विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने अटल जी के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित किये। संचालन प्रो. एसएस मिश्रा ने किया।श्रद्धासुमन अर्पित करने वालों में मुख्य नियंता प्रो. आरएन राय, प्रो. अशोक शुक्ल, प्रो. आशुतोष सिन्हा,प्रो. केके वर्मा, प्रो. आरके तिवारी, प्रो. एसआर विश्वकर्मा, प्रो. सीके मिश्र, प्रो. हिमांशु शेखर ¨सह, डॉ. फारुख जमाल, डॉ. विनोद चौधरी, डॉ. शैलेंद्र वर्मा, डॉ. अनिल यादव, डॉ. सुंदरलाल त्रिपाठी सहित अन्य रहे। माध्यमिक शिक्षक संघ के मंडलीय मंत्री महाराजा इंटर कॉलेज के शारीरिक शिक्षक चंदेश्वर पांडेय की अगुवाई में शोक सभा हुई। सभी ने अटल जी को श्रद्धांजलि दी। साकेत महाविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ महामंत्री कमलेश दुबे ने अटल जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।

डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय का अतिथि गृह अब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से जाना जाएगा। इसकी घोषणा विवि के कुलपति प्रो.मनोज दीक्षित ने की। उन्होंने कहा कि इससे विवि का सम्मान बढ़ेगा। विवि के संत कबीर सभागार में भारत रत्न व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी …

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अटल बिहारी वाजपेयी पर थी गांधी और नेहरू के विचारों की छाप

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धाजंलि देने का सिलसिला दूसरे दिन शुक्रवार को भी जारी रहा। विपक्षी दलों ने भी वाजपेयी के व्यक्तित्व और कृतित्व की सराहना करने में तंगदिली नहीं दिखाई। कांग्रेस ने बताया कि अटलजी पर महात्मा गांधी व जवाहर लाल नेहरू के विचारों की छाप थी, तो राष्ट्रीय लोकदल ने उन्हें सर्व समाज का हितचिंतक करार दिया। वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया में अटलजी से जुड़ी तस्वीरें भी साझा की। राजधर्मों के मूल्यों को नहीं छोड़ा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अशोक सिंह ने अटलजी की सराहना करते हुए उन्हें विश्व पटल पर भारतीय छवि को नए आयाम देने वाला महान व्यक्तित्व बताया। उन्होंने कहा कि गांधीवादी विचारों से प्रभावित होने के कारण अटलजी ने कभी सत्ता की खातिर राजधर्मों के मूल्यों को नहीं छोड़ा। उनका पार्टियां तोड़ कर सरकार बनाने में विश्वास नहीं था। पंडित नेहरू के निधन पर सदन में 55 मिनट का भाषण उनकी असाधारण सोच को दर्शाता है। उन्होंने इस बात को माना कि भारत के विकास में कांग्रेस का भी योगदान रहा। अटलजी सभी धर्मों को साथ लेकर चलने की भावना रखते थे। लखनऊ से तो अटल ही रहेगा अटल बिहारी वाजपेयी का नाता यह भी पढ़ें रालोद में शोकसभा राष्ट्रीय लोकदल के मुख्यालय में शुक्रवार को शोकसभा आयोजित की गई। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद की अध्यक्षता में संपन्न शोकसभा में अटलबिहारी वाजपेयी के निधन पर दुख जताते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई। प्रदेश अध्यक्ष डा. मसूद व राष्ट्रीय सचिव शिवकरन सिंह का कहना था कि अटल जैसा व्यक्तित्व पुन: मिलना असंभव है। इस मौके पर अनिल दुबे, वसीम हैदर, सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी, युवा रालोद के प्रदेश अध्यक्ष अंबुज पटेल, अभिषेक चौहान, रमावती, प्रीति और रविंद्र पटेल व मनोज चौहान उपस्थित रहे।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धाजंलि देने का सिलसिला दूसरे दिन शुक्रवार को भी जारी रहा। विपक्षी दलों ने भी वाजपेयी के व्यक्तित्व और कृतित्व की सराहना करने में तंगदिली नहीं दिखाई। कांग्रेस ने बताया कि अटलजी पर महात्मा गांधी व जवाहर लाल नेहरू के विचारों की छाप थी, …

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गोरखपुर में बिजली के लिए त्राहिमाम, बस्ती मंडल में भी तीन प्रभावित रहेगी आपूर्ति

गोरखपुर में बिजली के लिए त्राहिमाम, बस्ती मंडल में भी तीन प्रभावित रहेगी आपूर्ति

सीएम सिटी में बिजली के लिए त्राहिमाम मची है। आए दिन फाल्ट होने से लोक परेशान हैं। शनिवार को राप्ती नदी के बीच टॉवर संख्या आठ पर जंपर कट जाने से तारामंडल, सहारा इस्टेट, खोराबार, लोहिया आदि उपकेंद्रों की आपूर्ति सुबह तकरीबन आठ बजे गुल हो गई। गड़बड़ी का पता …

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बिल्हौर में 225 मेगावॉट के सोलर पावर प्लांट स्थापना में आई तेजी

बिल्हौर में 225 मेगावॉट के सोलर पावर प्लांट स्थापना में आई तेजी

बिल्हौर तहसील के नदिहा खुर्द में पहले 1320 मेगावॉट का सुपर थर्मल पावर प्लांट स्थापित किया जाना था। दिसंबर माह में तय किया गया कि अब यहां 225 मेगावॉट का सोलर पावर प्लांट स्थापित किया जाएगा। सारी प्रक्रिया पूरी हो गई, लेकिन आज तक विद्युत विभाग से बिजली की दरों …

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UP में अब चलेगी ‘अटल भावनाओं’ की लहर, अस्थि विसर्जन का रोडमैप तैयार

UP में अब चलेगी 'अटल भावनाओं' की लहर, अस्थि विसर्जन का रोडमैप तैयार

भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति में मेरठ में छह माह का रोडमैप तैयार कर भाजपा अपना चुनावी रथ आगे बढ़ाने की तैयारी में थी लेकिन, 16 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन ने कार्यकर्ताओं को हिला कर रख दिया। इसके बाद तो सभी कार्यक्रम स्थगित कर …

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भाजपा के पितृ पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी ने मंदिर आंदोलन से बनाए रखी निश्चित दूरी

जहां उनके डिप्टी लालकृष्ण आडवाणी पूरी पार्टी के साथ मंदिर आंदोलन का शंखनाद कर रहे थे, वहीं भाजपा के पितृ पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी ने इस आंदोलन से निश्चित दूरी बनाए रखी। ऐसा नहीं है कि अयोध्या उनके लिए अपरिचित थी या वह रामलला के अनुरागी नहीं थे। वह 1957 में बलरामपुर से चुनावी संपर्क के साथ ही अयोध्या के संपर्क में आए। दिल्ली अथवा लखनऊ से बलरामपुर आते-जाते प्राय: अयोध्या से गुजरते और कुछ बार रुकते थे पर 1984 से मंदिर आंदोलन शुरू होने तक उनकी राह बदल चुकी थी। इसके बाद अटल जी का अव्वल तो अयोध्या आने का नियमित क्रम बंद हो गया। इसके बाद वह जब अयोध्या आए, तब भी राम मंदिर मकसद नहीं था। 1989 के विस चुनाव में वह पार्टी प्रत्याशी लल्लू सिंह के समर्थन में चुनावी सभा को खिताब करने आए। हालांकि तब तक मंदिर आंदोलन उभार की ओर था।इसके बावजूद अटल ने मंदिर-मस्जिद के विषय से दूरी बनाए रखी। स्थानीय गुलाबबाड़ी के मैदान में आधा घंटा से अधिक का उनका भाषण सधा, काव्यात्मक एवं राजनीतिक मूल्यों के इर्द-गिर्द था। 89 में शिलान्यास और 90 की कारसेवा से छह दिसंबर 92 तक मंदिर मुद्दा उभार पर था पर अटल जी इसके स्पर्श से बचे रहे। 90 में वे नवनिर्मित रामकी पैड़ी की पुलिया टूट जाने के मामले की समीक्षा करने आयी पार्टी की उच्च स्तरीय समिति का नेतृत्व किया। मंदिर आंदोलन से दूरी पर अयोध्या से गहन नाता यह भी पढ़ें 1996 में प्रधानमंत्री बनने से पूर्व भी अटल अयोध्या आए और मंदिर आंदोलन के पर्याय रहे रामचंद्रदास परमहंस से भेंट की। मौका चुनाव का था और परमहंस को अटल गोरखपुर चुनावी सभा में ले जाना चाहते थे। प्रधानमंत्री रहते उन्होंने दो बार रामनगरी की यात्रा की। 2003 में रामचंद्रदास परमहंस के साकेतवास पर और अगले वर्ष वह प्रधानमंत्री के तौर पर पुन: अयोध्या में थे। इस बार उन्होंने रेलवे पुल का उद्घाटन किया और बताया कि अयोध्या मंदिर ही नहीं विकास की दृष्टि से भी अहम है।

जहां उनके डिप्टी लालकृष्ण आडवाणी पूरी पार्टी के साथ मंदिर आंदोलन का शंखनाद कर रहे थे, वहीं भाजपा के पितृ पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी ने इस आंदोलन से निश्चित दूरी बनाए रखी। ऐसा नहीं है कि अयोध्या उनके लिए अपरिचित थी या वह रामलला के अनुरागी नहीं थे। वह 1957 …

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बस्ती ओरवब्रिज हादसा : जांच टीम ने गुणवत्ता पर संदेह जताया, कहा-ठोकर से पुल क्रैक होता, गिरता नहीं

बस्ती फुटहिया चौराहे पर ध्वस्त हुए फोरलेन के निर्माणाधीन ओवरब्रिज की जांच के लिए चार सदस्यीय केंद्रीय टीम बस्ती पहुंची। तीन वाहनों से अधिकारी दोपहर बाद तीन बजे घटनास्थल पर पहुंचे। यहां केंद्रीय राज्य सड़क मंत्रालय लखनऊ रीजन के जिम्मेदार अफसर और निर्माण कंपनी के अधिकारी मौजूद रहे। टीम ने पहले दूर खड़े होकर ध्वस्त ब्रिज का जायजा लिया। इसके बाद मलबे के नजदीक आकर बारीकी से मुआयना किया। टीम के लोग ध्वस्त ब्रिज का चारों तरफ से फोटोग्राफी भी करते रहे। एक-एक ¨बदु पर निर्माण कंपनी और मंत्रालय के स्थानीय अधिकारियों से सवाल किया। ज्यादा पूछताछ ब्रिज के मैटेरियल और लोहे के बनाए गए सांचे पर हुई। निर्माण कंपनी की ओर से किसी भारी वाहन द्वारा ठोकर मारने की बात कही गई। बस्ती ओवरब्रिज हादसा : जांच टीम आने तक नहीं हटेगा मलबा यह भी पढ़ें टीम में शामिल तकनीकी विशेषज्ञ इस तर्क को सिरे से खारिज करते रहे। कहा कि ठोकर लगने से ब्रिज हिल सकता था, क्रेक हो सकता था, लेकिन गिरने की गुंजाइश नहीं बनती है। टीम को सामग्रियों की गुणवत्ता पर बार-बार संदेह हुआ। कंक्रीट के दो टुकड़े सैंपल में लिए गए। इसके अलावा निर्माण कंपनी से ब्रिज का डिजाइन और ड्राइंग भी लिया गया। करीब डेढ़ घंटे तक विभिन्न ¨बदुओं पर टीम जांच करती रही। ब्रिज में प्रयुक्त सरिया का मापन भी कराया गया। ब्रिज के ऊपर चढ़कर विशेषज्ञों ने बारीकी से मुआयना किया। इसके बाद टीम जिलाधिकारी डा. राजशेखर से मिलने पहुंची। उनसे बातचीत करके गोरखपुर के लिए रवाना हो गई। टीम में डायरेक्टर जनरल आरडी एंड एसएस एनके सिन्हा, रिटायर्ड चीफ इंजीनियर एमओआरटीएच बीके सिन्हा, सीनियर ¨प्रसिपल साइंटिस्ट इंजीनिय¨रग एंड स्ट्रक्चर्स डिवीजन सीआरआरआइ जीके साहू, चीफ इंजीनियर एनएच डिवीजन यूपी पीडब्ल्यूडी आरआर ¨सह शामिल हैं। मौके पर एमओआरटीएच के चीफ इंजीनियर दिग्विजय मिश्र, अधिशासी अभियंता आशीष शुक्ल, एसडीएम सदर श्री प्रकाश शुक्ल, सीओ अर¨वद वर्मा, थानाध्यक्ष राम आशीष यादव भी मौजूद रहे।

बस्ती फुटहिया चौराहे पर ध्वस्त हुए फोरलेन के निर्माणाधीन ओवरब्रिज की जांच के लिए चार सदस्यीय केंद्रीय टीम बस्ती पहुंची। तीन वाहनों से अधिकारी दोपहर बाद तीन बजे घटनास्थल पर पहुंचे। यहां केंद्रीय राज्य सड़क मंत्रालय लखनऊ रीजन के जिम्मेदार अफसर और निर्माण कंपनी के अधिकारी मौजूद रहे। टीम ने …

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भिक्षावृत्ति की बेड़ियां तोड़ ख्वाब संजोने लगी हैं ये लड़कियां

वो दिन उसके खेलने के थे। जिंदगी की दुश्वारियां और उसके अर्थ को समझने की समझ भी उसमें नहीं थी। बस इतना मालूम था, 'अंकल भूख लगी है पैसे दे दो' कहने से कुछ पैसे मिल जाते हैं। जिससे वह टॉफी, बिस्कुट के साथ कुछ खाना खरीद लेगी। कुछ इसी तरह दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर तीन वर्ष की उम्र से भीख मांगकर जिंदगी काट रही थी पूजा। सख्ती हुई तो नानी संग कानपुर सेंट्रल आ गई। यहां भी वही क्रम शुरू हुआ। सुबह इस उम्मीद से शुरू होती, कि आज कुछ ज्यादा मिलेगा और रात इस जद्दोजहद में गुजरती कि कल न जाने किस्मत में क्या लिखा है। सेंट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म, आती जाती ट्रेनों और रोज बदलते चेहरों के बीच छह वर्ष कब गुजर गए, पता ही नहीं चला। पूजा नौ वर्ष की हो गई थी। इसी बीच रेलवे चाइल्ड लाइन के कार्यकर्ताओं ने उसे देखा और काउंसिलिंग की। उन्होंने पूजा को पढ़ने के लिए कहा, तो वह तुरंत तैयार हो गई। उसे सुभाष चिल्ड्रेन होम में रखा गया। कुछ माह रहने के बाद नौबस्ता के राजीव विहार स्थित एक स्कूल में उसका दाखिला कराया गया। पूजा बहुत खुश है। स्कूल जाते हुए उसे दो माह हुए हैं और वह अपनी कक्षा की मानीटर बन गई है। एक संस्था की नृत्य कक्षा में वह नियमित जा रही है। पूजा ने बताया कि वह भी दूसरे बच्चों की तरह पढ़ना लिखना चाहती है। क्या बनना चाहती हो के सवाल पर वह बोली, अपनी जैसी लड़कियों की मदद करूंगी। इस जवाब ने साफ कर दिया कि छोटी सी उम्र में उसके इरादे बड़े हैं। फिलहाल पूजा के जैसी कई और बेटियां हैं जिन्होंने इस दंश को झेला, महसूस किया। पूजा की तरह छह वर्षीय शिफा व आसिका, आठ वर्षीय रूबिया और 12 वर्षीय खुशबू की जिंदगी बदल चुकी है। इन बेटियों की भिक्षावृत्ति की बेड़ियां टूटीं और अब वह अपने ख्वाब संजोने को पूरी तरह आजाद हैं। कानपुर में कागजों पर पढ़ाई कर रहे थे 48 हजार बच्चे यह भी पढ़ें (सभी नाम बदले हुए हैं) अपना नाम करना है, कुछ बड़ा काम करना है इन बेटियों से दैनिक जागरण ने बातचीत की तो सभी ने कहा, पढ़ लिखकर अपना नाम करना है। कुछ बड़ा काम करना है। घर जाने का सवाल पूछा तो बोलीं, यहां सब लोग हैं। अब हमें घर नहीं जाना। बता दें ये बेटियां नृत्य, पेंटिंग, गाना गाने जैसे हुनर भी रखती हैं। सुभाष चिल्ड्रेन सोसाइटी के निदेशक कमलकांत तिवारी बताते हैं कि बेटियों का बेहतर भविष्य बनाना ही हमारा लक्ष्य है। कुछ के पतों की जानकारी हुई है लेकिन यह घर नहीं जाना चाहती। ऐसे में हम दबाव नहीं डालते।

वो दिन उसके खेलने के थे। जिंदगी की दुश्वारियां और उसके अर्थ को समझने की समझ भी उसमें नहीं थी। बस इतना मालूम था, ‘अंकल भूख लगी है पैसे दे दो’ कहने से कुछ पैसे मिल जाते हैं। जिससे वह टॉफी, बिस्कुट के साथ कुछ खाना खरीद लेगी। कुछ इसी …

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