धर्म

राशिफल 18 जुलाईः कन्या राशि वालों के लिए आज लाभ का दिन

मेष: आर्थिक और व्यावसायिक दृष्टि से दिन लाभदायक है। मित्रों तथा स्वजनों की ओर से उपहार मिलेगा। उनके साथ समय आनंद में व्यतीत होगा। उनके साथ किसी समारोह या पर्यटन में जाने की संभावनाएं दिख रही हैं। परोपकार के काम करेंगे खुशी मिलेगी। वृषभ: वाणी की सौम्यता नए सम्बंध स्थापित …

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आर्थिक राशिफल 17 जुलाई: धन के मामले में आज क्या कहती है आपकी राशि…

मेष: कार्यक्षेत्र में आपकी भागदौड़ से परिस्थितियां खराब हो सकती हैं इसलिए काम धीरे-धीरे ही निपटाएं। पैसे के लेन-देन के मामले में सफलता के साथ खर्च के नए प्रस्ताव जुड़ेंगे। दूसरों की सहायता लेनी पड़ सकती है, चोर आदि से सावधानी रखें। वृषभ: आज ऑफिस में अच्छे लोगों से मेल …

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राशिफल 17 जुलाईः जानिए, किस राशि को आज मिलेगा लाभ..

मेष: आपका दिन शुभ फलदायी रहेगा। स्नेहीजन के साथ भेंट से आपका मन प्रसन्न होगा। मध्याह्न के बाद घर में शांतिपूर्ण वातावरण बना रहेगा। माता-पिता से अच्छे समाचार मिलेंगे। प्रतिस्पर्धियों पर विजय प्राप्त होगी। कार्यालय में अधिकारियों से संभलकर रहें। वृषभ: आज आप वाणी और वर्तनी पर संयम बरतें। जलाशय …

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इस कारण लकड़ी से बनी है भगवान जगन्नाथ की मूर्ति

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का सिलसिला जारी है जो जुलाई की 14 तारीख से शुरू हुआ है. सालों से चली आ रही है ये परंपरा आज भी जारी है. इस यात्रा को शुरू हुए 3 दिन बीत चुके हैं. कहा जाता है इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर जाते हैं और वहीँ कुछ दिन रुकते हैं. आज हम इस मंदिर से कुछ और रहस्य बताने जा रहे हैं जिनके बारे में आप नहीं जानते होंगे. इसके पहले बता दें, इस रथ यात्रा में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल होते हैं और रथ खींचने का सौभगाय प्राप्त करते हैं जिसके लिए ये कहा जाता है जो इस रथ को खींचता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. जानकारी के लिए बता दें, भगवान जगन्नाथ का मंदिर 1108 ई. में बनकर पूर्ण हुआ था जिसकी ऊंचाई 58 मीटर है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी की मूर्तियां हैं. कहा ये भी जाता है कि इस मंदिर में आने वाला कभी भूखा नहीं रहता क्योंकि इस मंदिर की रसोई विश्व प्रसिद्ध है, जहां निरंतर भोजन बनता रहता है. इस मंदिर में भगवान की मूर्तियां लकड़ी की बनी हुई है जिसके पीछे एक कथा प्रचलित है. राजा इंद्रद्युम्न के मन में नीलांचल पर्वत पर स्थित नीलामाधव देव के दर्शन पर्वत पर गए. वो चाहते थे वहीं उन्हें देव दर्शन हो जहां पर ये आकाशवाणी हुई कि उस राजा को लकड़ी में भगवान जगन्नाथ के दर्शन होंगे. इसी के लिए समुद्र से प्राप्त लकड़ी के एक बहुत बड़े टुकड़े से देवताओं के शिल्पकार विश्वकर्मा जी को विग्रह निर्माण के लिए नियुक्त किया गया. विश्वकर्मा जी ने ये बात रखी कि जब वो निर्माण करेंगे उस दौरान उन्हें कोई नहीं देखेगा. लेकिन राजा ही इस नियम को तोड़कर मूर्ति निर्माण को देखने चले गए. जब विश्वकर्मा जी को ये पता चला तो उन्होंने काम अधूरा छोड़ दिया और चले गए. इसी के कारण इस मंदिर की मूर्तियां अधूरी ही पूजी जाती हैं.

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का सिलसिला जारी है जो जुलाई की 14 तारीख से शुरू हुआ है. सालों से चली आ रही है ये परंपरा आज भी जारी है. इस यात्रा को शुरू हुए 3 दिन बीत चुके हैं. कहा जाता है इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के …

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हर काम में सफलता दिलाएंगे मां दुर्गा के सबसे प्रिय मंत्र

गुप्तनवरात्री चल रहे हैं और ऐसे माँ भगवती की पूजा की बड़े ही जोरों शोरों तैयारी चल रही है. नवरात्रि एक ऐसा त्यौहार है जिसमें माता दुर्गा, महाकाली, महालक्ष्मी और सरस्वती की साधना की जाती है. यही नहीं बल्कि अगर आप पूरे नौं दिन तक सच्चे मन से माँ की आराधना करते हैं तो आपको जल्द ही फल की प्राप्ति होगी क्योंकि नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा विशेष फलदायी है. अगर आपके जीवन में लगातार कठिनाई आ रही हैं और आप समस्या से निकलने का नाम नहीं ले रहे हैं तो आप इस नवरात्रि में इन खास मंत्रो का जाप करें जो आपके जीवन में आई परेशानी को आसानी से दूर करेंगे. 1.सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।। 2. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। 3.या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। 4.या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।। 5. या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। 6. या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। 7.या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। 8. या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

गुप्तनवरात्री चल रहे हैं और ऐसे माँ भगवती की पूजा की बड़े ही जोरों शोरों तैयारी चल रही है. नवरात्रि एक ऐसा त्यौहार है जिसमें माता दुर्गा, महाकाली, महालक्ष्मी और सरस्वती की साधना की जाती है. यही नहीं बल्कि अगर आप पूरे नौं दिन तक सच्चे मन से माँ की …

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इसलिए किया जाता है जया-पार्वती व्रत

हिन्दू धर्म में हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को जया पार्वती व्रत किया जाता है. इस व्रत को भक्त लोग बड़ी ही श्रद्धा के साथ करते हैं. दरअसल, इसे विजया-पार्वती व्रत के नाम से भी जाना जाता है और खास तौर पर ये मालवा क्षेत्र में किया जाता है. जैसा कि नाम से ही ज्ञात हो रहा है कि ये माँ पार्वती को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. बता दें, इस साल यह व्रत 24 से 31 जुलाई के बीच मनाया जाएगा. ये व्रत भी गणगौर, हरतालिका, मंगला गौरी और सौभाग्य सुंदरी व्रत की तरह है जो महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य के लिए करती हैं और माँ पार्वती से अपने पति की लम्बी उम्र के लिए वरदान मांगती है. कथाओं के अनुसार इस व्रत के बारे में भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी को बताया था. हर क्षेत्र में इसे लग-अलग तरह से मनाया जाता है. कहीं एक दिन के लिए तो कहीं 5 दिनों तक इसे मनाया जाता है. इसमें बालू रेत का हाथी बना कर उन पर 5 प्रकार के फल, फूल और प्रसाद चढ़ाए जाते हैं. जानकारी के लिए बता दें इस व्रत में नमक का खाना मना है और गेहूं का आटा, सभी तरह की सब्जियां भी नहीं खानी चाहिए. इस व्रत को पूर्ण करने के लिए आप फल, दूध, दही, जूस, दूध से बनी मिठाई का सेवन कर सकते हैं. आखिरी दिन जब इस व्रत का पूजन कर दिया जाये तो उसके बाद इस व्रत को खोल सकते हैं और व्रत संपन्न कर सकते हैं.

हिन्दू धर्म में हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को जया पार्वती व्रत किया जाता है. इस व्रत को भक्त लोग बड़ी ही श्रद्धा के साथ करते हैं. दरअसल, इसे विजया-पार्वती व्रत के नाम से भी जाना जाता है और खास तौर पर ये मालवा क्षेत्र में किया जाता …

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दूसरा दिन : मौसी के घर जा रहे हैं भगवान जगन्नाथ ऐसे होगा आदर सत्कार

जैसा कि आप जानते हैं जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा शुरू हो चुकी है जिसका लाभ सैकड़ों लोग ले रहे हैं. ये यात्रा हर साल निकाली जाती है जो आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से शुरू की जाती है और आज इस यात्रा का दूसरा दिन है. इस रथ यात्रा में भगवान श्री कृष्णा, भाई बलराम और बहन सुभद्रा का रथ होता है जो जगन्नाथ मंदिर से रथ में बैठकर गुंडिचा मंदिर जाते हैं. बता दें, गुंडिचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है यानी भगवान अपनी मौसी के घर जाते हैं. रथ के दौरान आगे चलने वाले लोग झाड़ू से मार्ग को साफ़ करते जाते हैं और पीछे आने वाले लोग रथ को अपने हाथों से खींचते हैं और इसका लाभ लेते हैं. इस यात्रा में सबसे पहले भाई बलराम का रथ चलता है उसके बाद बहन सुभद्रा का और आखिरी में भगवान श्री कृष्ण का रथ खींचा जाता है. ये हर साल ऐसे ही क्रम में होता है जो अब एक परम्परा बन चुका है. कहा जाता है जो भी इस रथ को खींचता है उसके सभी दिख दूर होते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. नगर भ्रमण करते हुए शाम को ये तीनों रथ गुंडिचा मंदिर पहुंच जाते हैं. इसके बाद भगवान रथ से उतरकर मंदिर में प्रवेश करते हैं और साथ दिन वहीं रहते हैं. भगवान अपनी मौसी के यहां करीब 7 दिनों तक रहते हैं जहां उनका खूब आदर सत्कार किया जाता है और उन्‍हें कई प्रकार के स्‍वादिष्‍ट पकवानों और फल-फूलों का भोग लगाया जाता है. इतने पकवान खाकर भगवान बीमार हो जाते हैं उसके बाद पथ्‍य का भोग लगाया जाता है जिससे वह जल्दी ठीक भी हो जाते हैं. पूरे नौ दिन होने के बाद भगवान जगन्नाथ अपने घर यानी जगन्नाथ मंदिर वापस चले जाते हैं.

जैसा कि आप जानते हैं जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा शुरू हो चुकी है जिसका लाभ सैकड़ों लोग ले रहे हैं. ये यात्रा हर साल निकाली जाती है जो आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से शुरू की जाती है और आज इस यात्रा का दूसरा दिन है. इस रथ यात्रा में भगवान श्री …

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JAGANNATH RATH YATRA : सबसे पहले पकता है ऊपर के बर्तन का प्रसाद

जगन्नाथ रथ यात्रा कल से शुरू होने वाली है। दुनिया भर में यह रथ यात्रा प्रसिद्ध है। इसे देखने के लिए भक्त ओडिसा के पुरी पहुंच चुके हैं और भगवान की इस महायात्रा में भागीदारी करने के लिए तैयार हैं। इस रथ यात्रा के कुछ ऐसे तथ्य हैं, जिनके कारण आज तक रहस्य ही रहे हैं। इन तथ्यों के बारे में हम आपको पहले बता चुके हैं। आज हम आपको रथ यात्रा में बनने वाले प्रसाद के बारे में बताएंगे, जिसे बनाने का तरीका बिल्कुल अलग है। रथयात्रा के इस प्रसाद को 'महाप्रसाद' कहा जाता है। ऐसे बनता है प्रसाद— प्रसाद बनाने के लिए लकड़ी के चूल्हों का इस्तेमाल होता है। इस प्रसाद को 500 रसोइये और उनके 300 साथी मिलकर बनाते हैं। यह पूरा प्रसाद लकड़ी के घड़ों में बनता है। एक के ऊपर एक सात घड़े रखे जाते हैं और सातों में प्रसाद सामग्री रखी जाती है। सबसे पहले ऊपर के खड़े का प्रसाद तैयार होता है और सबसे अंत में नीचे के घड़े का। ऐसा होने के पीछे क्या रहस्य है यह किसी को नहीं पता, क्योंकि आमतौर पर नीचे के बर्तन का खाना पहले पकता है और सबसे ऊपर के बर्तन का अंत में, लेकिन यहां उलटा होता है। दुनिया की सबसे बड़ा रसाई घर— जगन्नाथ भगवान का प्रसाद जहां बनता है, वह दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है। कहा जाता है कि चाहे ​जितने भी भक्त आ जाएं, प्रसाद कभी भी कम नहीं पड़ता और इसीलिए इसे महाप्रसाद कहा जाता है। त्योहारों के समय पर यहां पर करीब 50 हजार लोगों के लिए प्रसाद बनाया जाता है, लेकिन इससे भी ज्यादा लोग आ जाएं, तो भी प्रसाद कम नहीं पड़ता।

जगन्नाथ रथ यात्रा कल से शुरू होने वाली है। दुनिया भर में यह रथ यात्रा प्रसिद्ध है। इसे देखने के लिए भक्त ओडिसा के पुरी पहुंच चुके हैं और भगवान की इस  महायात्रा में भागीदारी करने के लिए  तैयार हैं। इस रथ यात्रा के कुछ ऐसे तथ्य हैं, जिनके कारण …

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हर शाम बदला जाता है जगन्नाथ मंदिर का ध्वज

हर साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा होती है और इस यात्रा के पीछे कई रहस्य और तथ्य भी हैं जिन्हें आप सभी जानते ही होंगे. इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा 14 जुलाई से शुरू होने वाली है जिसका बहुत महत्व होता है और इस यात्रा में दूर-दूर से लोग आ कर सम्मिलित होते हैं. भगवान जगन्नाथ और उनके मंदिर से जुडी कई बातें हैं जिनका अपने आप में एक महत्व है लेकिन उनके अलावा कई और चीज़ें हैं जो इस रथ यात्रा से ताल्लुक रखती हैं. इसके अलावा एक और ऐसा काम है जो हर शाम को किया जाता है. आपको बता दें मंदिर के गुंबद पर लगा ध्वज हर शाम को बदला जाता है. इसके पीछे का भी कारण है जिसे हम बता देते हैं. जानकारी के अनुसार, इस ध्वज से जुड़ी एक रहस्यमय बात यह भी है कि यह हवा के विपरीत दिशा में उड़ता है. जिस दिशा में हवा चलती उसकी उलटी दिशा में ये झंडा लहराता है. यह झंडा 20 फीट का तिकोने आकार का होता है जिसे बदलने का जिम्मा एक चोला परिवार पर है. ये जानकर आपको हैरानी होगी कि ये परम्परा 800 सालों से चली आ रही है. इस पर ये कहा जा रहा है कि अगर झंडा रोज़ ना बदला जाए तो मंदिर 18 सालों के लिए अपने आप बंद हो जायेगा. आप देख सकते हैं मंदिर के शिकार पर एक सुदर्शन चक्र भी है जो दूर से ही दिखाई देता है. इस चक्र की खास बात ये है कि इसे जहां से भी देखो वो आपको अपनी ओर ही दिखाई देगा. इस मंदिर के झंडे को बदलने के लिए एक पुजारी मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर जंजीरों के सहारे चढ़ता है. उससे पहले वह नीचे अग्नि जलाता है और धीरे-धीरे मंदिर के गुंबद तक पहुंच कर पुराने ध्वज को हटाकर नए ध्वज को लगा देता है. चाहे जैसा भी मौसम हो इस झंडे को बदलने का रिवाज है जिसे हर रज बदलना होता है.हर साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा होती है और इस यात्रा के पीछे कई रहस्य और तथ्य भी हैं जिन्हें आप सभी जानते ही होंगे. इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा 14 जुलाई से शुरू होने वाली है जिसका बहुत महत्व होता है और इस यात्रा में दूर-दूर से लोग आ कर सम्मिलित होते हैं. भगवान जगन्नाथ और उनके मंदिर से जुडी कई बातें हैं जिनका अपने आप में एक महत्व है लेकिन उनके अलावा कई और चीज़ें हैं जो इस रथ यात्रा से ताल्लुक रखती हैं. इसके अलावा एक और ऐसा काम है जो हर शाम को किया जाता है. आपको बता दें मंदिर के गुंबद पर लगा ध्वज हर शाम को बदला जाता है. इसके पीछे का भी कारण है जिसे हम बता देते हैं. जानकारी के अनुसार, इस ध्वज से जुड़ी एक रहस्यमय बात यह भी है कि यह हवा के विपरीत दिशा में उड़ता है. जिस दिशा में हवा चलती उसकी उलटी दिशा में ये झंडा लहराता है. यह झंडा 20 फीट का तिकोने आकार का होता है जिसे बदलने का जिम्मा एक चोला परिवार पर है. ये जानकर आपको हैरानी होगी कि ये परम्परा 800 सालों से चली आ रही है. इस पर ये कहा जा रहा है कि अगर झंडा रोज़ ना बदला जाए तो मंदिर 18 सालों के लिए अपने आप बंद हो जायेगा. आप देख सकते हैं मंदिर के शिकार पर एक सुदर्शन चक्र भी है जो दूर से ही दिखाई देता है. इस चक्र की खास बात ये है कि इसे जहां से भी देखो वो आपको अपनी ओर ही दिखाई देगा. इस मंदिर के झंडे को बदलने के लिए एक पुजारी मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर जंजीरों के सहारे चढ़ता है. उससे पहले वह नीचे अग्नि जलाता है और धीरे-धीरे मंदिर के गुंबद तक पहुंच कर पुराने ध्वज को हटाकर नए ध्वज को लगा देता है. चाहे जैसा भी मौसम हो इस झंडे को बदलने का रिवाज है जिसे हर रज बदलना होता है.

हर साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा होती है और इस यात्रा के पीछे कई रहस्य और तथ्य भी हैं जिन्हें आप सभी जानते ही होंगे. इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा 14 जुलाई से शुरू होने वाली है जिसका बहुत महत्व होता है और इस यात्रा में दूर-दूर से लोग …

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गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन माँ को चढ़ाये यह फूल

आज गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन है और इस दिन माता तारा देवी की पूजा की जाती है. 9 दिन तक चलने वाले नवरात्रि में हर दिन माँ के नौ रूपों की पूजा की जाती है. माता तारा देवी को अमृतमयी दूध की शक्ति और महाविद्या की देवी माना गया है. अगर आप चाहते हैं कि माँ तारा देवी की आप पर हमेशा कृपा दृष्टि बनी रहे तो इसके लिए आपका एक जरा सा काम आपका हर कार्य सिद्ध कर सकता हैं. ऐसा बताया गया है कि माँ को चांदी के चीजें चढ़ाना अधिक शुभ माना गया है. अगर आप ऐसा करते हैं तो जल्द ही आपकी मुराद पूरी हो जाएगी. हालांकि माँ अपने भक्तों द्वारा चढ़ाई गई हर चीज से खुश रहती है, इसलिए अगर आप जो भी चढ़ाये उसे सच्चे मन से श्रद्धा के साथ चढ़ाये. जो उनको अच्छा लगे उन्हें उसी चीज का भोग लगाए. माता जी के लिए कोई भी उपहार आपकी किस्मत बदल सकता है. अगर आपके घर में आर्थिक समस्या आ रही है और आप बहुत परेशान हो चुके हैं तो इसके लिए आप तारा देवी की पूजनोपरांत लाल पुष्प चढाएं और उसके बाद इस फूल को तिजोरी में लाल कपड़े में करके रख लें. अगर आप ऐसा करते हैं तो आपके घर में कभी पैसों को कमी नहीं आएगी. इसके अलावा यह भी बताया गया है रात्रि में, तारों की पूजा करना भी श्रेष्ठ रहेगा. ध्यान रहे है कि रात के दस बजे के बाद पूजा नहीं की जाती है.

आज गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन है और इस दिन माता तारा देवी की पूजा की जाती है. 9 दिन तक चलने वाले नवरात्रि में हर दिन माँ के नौ रूपों की पूजा की जाती है. माता तारा देवी को अमृतमयी दूध की शक्ति और महाविद्या की देवी माना गया है. …

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