धर्म

हर काम में सफलता दिलाएंगे मां दुर्गा के सबसे प्रिय मंत्र

गुप्तनवरात्री चल रहे हैं और ऐसे माँ भगवती की पूजा की बड़े ही जोरों शोरों तैयारी चल रही है. नवरात्रि एक ऐसा त्यौहार है जिसमें माता दुर्गा, महाकाली, महालक्ष्मी और सरस्वती की साधना की जाती है. यही नहीं बल्कि अगर आप पूरे नौं दिन तक सच्चे मन से माँ की आराधना करते हैं तो आपको जल्द ही फल की प्राप्ति होगी क्योंकि नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा विशेष फलदायी है. अगर आपके जीवन में लगातार कठिनाई आ रही हैं और आप समस्या से निकलने का नाम नहीं ले रहे हैं तो आप इस नवरात्रि में इन खास मंत्रो का जाप करें जो आपके जीवन में आई परेशानी को आसानी से दूर करेंगे. 1.सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।। 2. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। 3.या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। 4.या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।। 5. या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। 6. या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। 7.या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। 8. या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

गुप्तनवरात्री चल रहे हैं और ऐसे माँ भगवती की पूजा की बड़े ही जोरों शोरों तैयारी चल रही है. नवरात्रि एक ऐसा त्यौहार है जिसमें माता दुर्गा, महाकाली, महालक्ष्मी और सरस्वती की साधना की जाती है. यही नहीं बल्कि अगर आप पूरे नौं दिन तक सच्चे मन से माँ की …

Read More »

इसलिए किया जाता है जया-पार्वती व्रत

हिन्दू धर्म में हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को जया पार्वती व्रत किया जाता है. इस व्रत को भक्त लोग बड़ी ही श्रद्धा के साथ करते हैं. दरअसल, इसे विजया-पार्वती व्रत के नाम से भी जाना जाता है और खास तौर पर ये मालवा क्षेत्र में किया जाता है. जैसा कि नाम से ही ज्ञात हो रहा है कि ये माँ पार्वती को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. बता दें, इस साल यह व्रत 24 से 31 जुलाई के बीच मनाया जाएगा. ये व्रत भी गणगौर, हरतालिका, मंगला गौरी और सौभाग्य सुंदरी व्रत की तरह है जो महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य के लिए करती हैं और माँ पार्वती से अपने पति की लम्बी उम्र के लिए वरदान मांगती है. कथाओं के अनुसार इस व्रत के बारे में भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी को बताया था. हर क्षेत्र में इसे लग-अलग तरह से मनाया जाता है. कहीं एक दिन के लिए तो कहीं 5 दिनों तक इसे मनाया जाता है. इसमें बालू रेत का हाथी बना कर उन पर 5 प्रकार के फल, फूल और प्रसाद चढ़ाए जाते हैं. जानकारी के लिए बता दें इस व्रत में नमक का खाना मना है और गेहूं का आटा, सभी तरह की सब्जियां भी नहीं खानी चाहिए. इस व्रत को पूर्ण करने के लिए आप फल, दूध, दही, जूस, दूध से बनी मिठाई का सेवन कर सकते हैं. आखिरी दिन जब इस व्रत का पूजन कर दिया जाये तो उसके बाद इस व्रत को खोल सकते हैं और व्रत संपन्न कर सकते हैं.

हिन्दू धर्म में हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को जया पार्वती व्रत किया जाता है. इस व्रत को भक्त लोग बड़ी ही श्रद्धा के साथ करते हैं. दरअसल, इसे विजया-पार्वती व्रत के नाम से भी जाना जाता है और खास तौर पर ये मालवा क्षेत्र में किया जाता …

Read More »

दूसरा दिन : मौसी के घर जा रहे हैं भगवान जगन्नाथ ऐसे होगा आदर सत्कार

जैसा कि आप जानते हैं जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा शुरू हो चुकी है जिसका लाभ सैकड़ों लोग ले रहे हैं. ये यात्रा हर साल निकाली जाती है जो आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से शुरू की जाती है और आज इस यात्रा का दूसरा दिन है. इस रथ यात्रा में भगवान श्री कृष्णा, भाई बलराम और बहन सुभद्रा का रथ होता है जो जगन्नाथ मंदिर से रथ में बैठकर गुंडिचा मंदिर जाते हैं. बता दें, गुंडिचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है यानी भगवान अपनी मौसी के घर जाते हैं. रथ के दौरान आगे चलने वाले लोग झाड़ू से मार्ग को साफ़ करते जाते हैं और पीछे आने वाले लोग रथ को अपने हाथों से खींचते हैं और इसका लाभ लेते हैं. इस यात्रा में सबसे पहले भाई बलराम का रथ चलता है उसके बाद बहन सुभद्रा का और आखिरी में भगवान श्री कृष्ण का रथ खींचा जाता है. ये हर साल ऐसे ही क्रम में होता है जो अब एक परम्परा बन चुका है. कहा जाता है जो भी इस रथ को खींचता है उसके सभी दिख दूर होते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. नगर भ्रमण करते हुए शाम को ये तीनों रथ गुंडिचा मंदिर पहुंच जाते हैं. इसके बाद भगवान रथ से उतरकर मंदिर में प्रवेश करते हैं और साथ दिन वहीं रहते हैं. भगवान अपनी मौसी के यहां करीब 7 दिनों तक रहते हैं जहां उनका खूब आदर सत्कार किया जाता है और उन्‍हें कई प्रकार के स्‍वादिष्‍ट पकवानों और फल-फूलों का भोग लगाया जाता है. इतने पकवान खाकर भगवान बीमार हो जाते हैं उसके बाद पथ्‍य का भोग लगाया जाता है जिससे वह जल्दी ठीक भी हो जाते हैं. पूरे नौ दिन होने के बाद भगवान जगन्नाथ अपने घर यानी जगन्नाथ मंदिर वापस चले जाते हैं.

जैसा कि आप जानते हैं जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा शुरू हो चुकी है जिसका लाभ सैकड़ों लोग ले रहे हैं. ये यात्रा हर साल निकाली जाती है जो आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से शुरू की जाती है और आज इस यात्रा का दूसरा दिन है. इस रथ यात्रा में भगवान श्री …

Read More »

JAGANNATH RATH YATRA : सबसे पहले पकता है ऊपर के बर्तन का प्रसाद

जगन्नाथ रथ यात्रा कल से शुरू होने वाली है। दुनिया भर में यह रथ यात्रा प्रसिद्ध है। इसे देखने के लिए भक्त ओडिसा के पुरी पहुंच चुके हैं और भगवान की इस महायात्रा में भागीदारी करने के लिए तैयार हैं। इस रथ यात्रा के कुछ ऐसे तथ्य हैं, जिनके कारण आज तक रहस्य ही रहे हैं। इन तथ्यों के बारे में हम आपको पहले बता चुके हैं। आज हम आपको रथ यात्रा में बनने वाले प्रसाद के बारे में बताएंगे, जिसे बनाने का तरीका बिल्कुल अलग है। रथयात्रा के इस प्रसाद को 'महाप्रसाद' कहा जाता है। ऐसे बनता है प्रसाद— प्रसाद बनाने के लिए लकड़ी के चूल्हों का इस्तेमाल होता है। इस प्रसाद को 500 रसोइये और उनके 300 साथी मिलकर बनाते हैं। यह पूरा प्रसाद लकड़ी के घड़ों में बनता है। एक के ऊपर एक सात घड़े रखे जाते हैं और सातों में प्रसाद सामग्री रखी जाती है। सबसे पहले ऊपर के खड़े का प्रसाद तैयार होता है और सबसे अंत में नीचे के घड़े का। ऐसा होने के पीछे क्या रहस्य है यह किसी को नहीं पता, क्योंकि आमतौर पर नीचे के बर्तन का खाना पहले पकता है और सबसे ऊपर के बर्तन का अंत में, लेकिन यहां उलटा होता है। दुनिया की सबसे बड़ा रसाई घर— जगन्नाथ भगवान का प्रसाद जहां बनता है, वह दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है। कहा जाता है कि चाहे ​जितने भी भक्त आ जाएं, प्रसाद कभी भी कम नहीं पड़ता और इसीलिए इसे महाप्रसाद कहा जाता है। त्योहारों के समय पर यहां पर करीब 50 हजार लोगों के लिए प्रसाद बनाया जाता है, लेकिन इससे भी ज्यादा लोग आ जाएं, तो भी प्रसाद कम नहीं पड़ता।

जगन्नाथ रथ यात्रा कल से शुरू होने वाली है। दुनिया भर में यह रथ यात्रा प्रसिद्ध है। इसे देखने के लिए भक्त ओडिसा के पुरी पहुंच चुके हैं और भगवान की इस  महायात्रा में भागीदारी करने के लिए  तैयार हैं। इस रथ यात्रा के कुछ ऐसे तथ्य हैं, जिनके कारण …

Read More »

हर शाम बदला जाता है जगन्नाथ मंदिर का ध्वज

हर साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा होती है और इस यात्रा के पीछे कई रहस्य और तथ्य भी हैं जिन्हें आप सभी जानते ही होंगे. इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा 14 जुलाई से शुरू होने वाली है जिसका बहुत महत्व होता है और इस यात्रा में दूर-दूर से लोग आ कर सम्मिलित होते हैं. भगवान जगन्नाथ और उनके मंदिर से जुडी कई बातें हैं जिनका अपने आप में एक महत्व है लेकिन उनके अलावा कई और चीज़ें हैं जो इस रथ यात्रा से ताल्लुक रखती हैं. इसके अलावा एक और ऐसा काम है जो हर शाम को किया जाता है. आपको बता दें मंदिर के गुंबद पर लगा ध्वज हर शाम को बदला जाता है. इसके पीछे का भी कारण है जिसे हम बता देते हैं. जानकारी के अनुसार, इस ध्वज से जुड़ी एक रहस्यमय बात यह भी है कि यह हवा के विपरीत दिशा में उड़ता है. जिस दिशा में हवा चलती उसकी उलटी दिशा में ये झंडा लहराता है. यह झंडा 20 फीट का तिकोने आकार का होता है जिसे बदलने का जिम्मा एक चोला परिवार पर है. ये जानकर आपको हैरानी होगी कि ये परम्परा 800 सालों से चली आ रही है. इस पर ये कहा जा रहा है कि अगर झंडा रोज़ ना बदला जाए तो मंदिर 18 सालों के लिए अपने आप बंद हो जायेगा. आप देख सकते हैं मंदिर के शिकार पर एक सुदर्शन चक्र भी है जो दूर से ही दिखाई देता है. इस चक्र की खास बात ये है कि इसे जहां से भी देखो वो आपको अपनी ओर ही दिखाई देगा. इस मंदिर के झंडे को बदलने के लिए एक पुजारी मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर जंजीरों के सहारे चढ़ता है. उससे पहले वह नीचे अग्नि जलाता है और धीरे-धीरे मंदिर के गुंबद तक पहुंच कर पुराने ध्वज को हटाकर नए ध्वज को लगा देता है. चाहे जैसा भी मौसम हो इस झंडे को बदलने का रिवाज है जिसे हर रज बदलना होता है.हर साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा होती है और इस यात्रा के पीछे कई रहस्य और तथ्य भी हैं जिन्हें आप सभी जानते ही होंगे. इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा 14 जुलाई से शुरू होने वाली है जिसका बहुत महत्व होता है और इस यात्रा में दूर-दूर से लोग आ कर सम्मिलित होते हैं. भगवान जगन्नाथ और उनके मंदिर से जुडी कई बातें हैं जिनका अपने आप में एक महत्व है लेकिन उनके अलावा कई और चीज़ें हैं जो इस रथ यात्रा से ताल्लुक रखती हैं. इसके अलावा एक और ऐसा काम है जो हर शाम को किया जाता है. आपको बता दें मंदिर के गुंबद पर लगा ध्वज हर शाम को बदला जाता है. इसके पीछे का भी कारण है जिसे हम बता देते हैं. जानकारी के अनुसार, इस ध्वज से जुड़ी एक रहस्यमय बात यह भी है कि यह हवा के विपरीत दिशा में उड़ता है. जिस दिशा में हवा चलती उसकी उलटी दिशा में ये झंडा लहराता है. यह झंडा 20 फीट का तिकोने आकार का होता है जिसे बदलने का जिम्मा एक चोला परिवार पर है. ये जानकर आपको हैरानी होगी कि ये परम्परा 800 सालों से चली आ रही है. इस पर ये कहा जा रहा है कि अगर झंडा रोज़ ना बदला जाए तो मंदिर 18 सालों के लिए अपने आप बंद हो जायेगा. आप देख सकते हैं मंदिर के शिकार पर एक सुदर्शन चक्र भी है जो दूर से ही दिखाई देता है. इस चक्र की खास बात ये है कि इसे जहां से भी देखो वो आपको अपनी ओर ही दिखाई देगा. इस मंदिर के झंडे को बदलने के लिए एक पुजारी मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर जंजीरों के सहारे चढ़ता है. उससे पहले वह नीचे अग्नि जलाता है और धीरे-धीरे मंदिर के गुंबद तक पहुंच कर पुराने ध्वज को हटाकर नए ध्वज को लगा देता है. चाहे जैसा भी मौसम हो इस झंडे को बदलने का रिवाज है जिसे हर रज बदलना होता है.

हर साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा होती है और इस यात्रा के पीछे कई रहस्य और तथ्य भी हैं जिन्हें आप सभी जानते ही होंगे. इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा 14 जुलाई से शुरू होने वाली है जिसका बहुत महत्व होता है और इस यात्रा में दूर-दूर से लोग …

Read More »

गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन माँ को चढ़ाये यह फूल

आज गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन है और इस दिन माता तारा देवी की पूजा की जाती है. 9 दिन तक चलने वाले नवरात्रि में हर दिन माँ के नौ रूपों की पूजा की जाती है. माता तारा देवी को अमृतमयी दूध की शक्ति और महाविद्या की देवी माना गया है. अगर आप चाहते हैं कि माँ तारा देवी की आप पर हमेशा कृपा दृष्टि बनी रहे तो इसके लिए आपका एक जरा सा काम आपका हर कार्य सिद्ध कर सकता हैं. ऐसा बताया गया है कि माँ को चांदी के चीजें चढ़ाना अधिक शुभ माना गया है. अगर आप ऐसा करते हैं तो जल्द ही आपकी मुराद पूरी हो जाएगी. हालांकि माँ अपने भक्तों द्वारा चढ़ाई गई हर चीज से खुश रहती है, इसलिए अगर आप जो भी चढ़ाये उसे सच्चे मन से श्रद्धा के साथ चढ़ाये. जो उनको अच्छा लगे उन्हें उसी चीज का भोग लगाए. माता जी के लिए कोई भी उपहार आपकी किस्मत बदल सकता है. अगर आपके घर में आर्थिक समस्या आ रही है और आप बहुत परेशान हो चुके हैं तो इसके लिए आप तारा देवी की पूजनोपरांत लाल पुष्प चढाएं और उसके बाद इस फूल को तिजोरी में लाल कपड़े में करके रख लें. अगर आप ऐसा करते हैं तो आपके घर में कभी पैसों को कमी नहीं आएगी. इसके अलावा यह भी बताया गया है रात्रि में, तारों की पूजा करना भी श्रेष्ठ रहेगा. ध्यान रहे है कि रात के दस बजे के बाद पूजा नहीं की जाती है.

आज गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन है और इस दिन माता तारा देवी की पूजा की जाती है. 9 दिन तक चलने वाले नवरात्रि में हर दिन माँ के नौ रूपों की पूजा की जाती है. माता तारा देवी को अमृतमयी दूध की शक्ति और महाविद्या की देवी माना गया है. …

Read More »

आज से शुरू हुई भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

आज से यानी 14 जुलाई से जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू हो रही है जिसमें शामिल होने दूर-दूर से लोग आते हैं और इस पल का लाभ लेते हैं. पुरी की ये यात्रा बहुत ही बड़ी यात्रा होती है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के साथ विराजते हैं. बता दें, आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से ये यात्रा शुरू होती है. रथयात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुण्डिच्चा मंदिर तक पहुंचती है और काफी बड़ी संख्या में श्रद्धालु इसमें शामिल होते हैं. इस यात्रा का काफी महत्व है और इसके पीछे कई सारे रहस्य भी जुड़े हुए हैं. रथ यात्रा के रूप में ये परम्परा काफी समय से चली आ रही है जिसके पीछे कुछ कथा भी है. कथा ये कहती है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ का जन्मदिन होता है जिस दिन उन्हें 108 कलशों से शाही स्नान करवाया जाता है जिसके बाद वो बीमार हो जाते हैं. स्वास्थ्य में सुधार पाने हेतु भगवान कई दिनों के लिए अपने कक्ष में चले जाते हैं जहां पर उनके निजी सेवक के अलावा कोई नहीं होता. कई दिनों के पश्चात् जब भगवान का स्वास्थ्य ठीक हो जाता है तब उन्हें नगर भ्रमण के लिए ले जाया जाता है. करीब 15 दिन बाद भगवान स्वस्थ होकर कक्ष से बाहर निकलते हैं और भक्तों को दर्शन देते हैं, जिसे नव यौवन नैत्र उत्सव भी कहते हैं. इसमें लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं और रथ को खींचने का काम करते हैं. कहा जाता है रथ को खींचने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी भक्त इसका भरपूर आनंद लेते हैं. तीनों भगवान के रथ को सजा कर उनमें भगवान की मूर्ति स्थापित करके उन्हें यात्रा पर ले जाया जाता है जो करीब 9 दिनों तक चलती है.

आज से यानी 14 जुलाई से जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू हो रही है जिसमें शामिल होने दूर-दूर से लोग आते हैं और इस पल का लाभ लेते हैं. पुरी की ये यात्रा बहुत ही बड़ी यात्रा होती है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के साथ …

Read More »

आखिर क्यों शेषनाग पर लेटे रहते हैं भगवान विष्णु?

आपने भगवान विष्णु की कई ऐसी तस्वीरें और मूर्ति देखी होगी जिसमे वह शेष शैय्या पर लेटे हुए रहते हैं और माँ लक्ष्मी भगवान विष्णु के पैर दबाती दिखाई देती हैं. लेकिन क्या आप इसके पीछे का रहस्य जानते हैं अगर नहीं तो आज हम आपको बताएँगे कि भगवान विष्णु अक्सर शेष शैय्या पर क्यों लेटे रहते हैं. इस पूरी सृष्टि की रचना ब्रह्मा ने की लेकिन इसका संचालन करने की जिम्मेदारी भगवान विष्णु की मिली हैं. इसलिए भगवान विष्णु हमारे जीवन की जरूरत को पूरा करते हैं और धर्म की स्थापना भी करते हैं. भगवान विष्णु का शेषनाग की शैय्या पर लेटे रहने के पीछे का रहस्य हमारे जीवनकाल से जुड़ा हुआ है. शेषनाग के कई फनों की छाया में भगवान विष्णु का चेहरा अक्सर मुस्कुराता हुआ दिखाई देता हैं. इसका यह मतलब है कि घर के मुखिया पर कई जिम्मेदारियां होती है, लेकिन वह फिर भी उन सभी का दायित्व निभाते हुए मुस्कुराता रहता है. भगवान विष्णु का यह स्वरूप इस बात का संकेत देता है कि हमारे घर में कितनी भी परेशानी आ जाए लेकिन घर के मुखिया के चेहरे पर कभी उदासी नहीं आती है वह हमेशा ही आपने दुखों को छिपाकर अपने घर की जिम्मेदारी संभालते है जैसे भगवान विष्णु पूरी सृष्टि की जिम्मेदारी संभालते हैं. भगवान विष्णु के पैर दबाती माँ लक्ष्मी इस बात का संदेश देती हैं जो व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों का संचालन कुशलता पूर्वक करता है उसके परिवार में हमेशा खुशहाली रहती है. माँ लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता हैं और अगर घर की स्त्री भी अपने पति के हर रोज पैर दबाती है तो उनके घर में धन की कभी कमी नहीं होती है.

आपने भगवान विष्णु की कई ऐसी तस्वीरें और मूर्ति देखी होगी जिसमे वह शेष शैय्या पर लेटे हुए रहते हैं और माँ लक्ष्मी भगवान विष्णु के पैर दबाती दिखाई देती हैं. लेकिन क्या आप इसके पीछे का रहस्य जानते हैं अगर नहीं तो आज हम आपको बताएँगे कि भगवान विष्णु …

Read More »

इसलिए सुनी जाती है सत्‍यनारायण व्रत कथा

हिन्दू धर्म के अनुसार सभी घरों में किसी भी शुभ काम को करने से पहले भगवान सत्यनारायण की कथा कराई जाती है. लेकिन कभी अपने ये सोचा कि ऐसा क्यों होता है. अगर नहीं तो आज हम आपको बताएंगे सत्यनारायण की कथा से जुडी कुछ ख़ास बातें और इस कथा का महत्व. शास्त्रों के मुताबिक ऐसा माना गया है कि जो भी इस कथा को सुनता है और व्यक्ति अगर व्रत रखता है तो उसके जीवन में आये सारे दुखों को श्री हरि विष्णु खुद हर लेते हैं और उसके जीवन को खुशहाल बना देते है. स्कन्द पुराण के मुताबिक भगवान सत्यनारायण श्री को भगवान् विष्णु का दूसरा रूप माना गया है. ऐसा कहा जाता है कि इसी कथा को भगवान विष्णु ने देवर्षि नारद को अपने मुख से बताया था. खास बात यह है कि इस कथा को सुनने का सबसे शुभ दिन पूर्णिमा का दिन बताया गया है. ऐसा भी बताया गया है कि जो इस कथा को सुन नहीं पाते है वह पूर्णिमा को भगवान सत्यनारायण का मन में ध्यान कर लें. ऐसा करने से आपको हर काम में सफलता मिलेगी. पुराणों में ऐसा भी बताया गया है कि जिस स्थान पर भी श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा होती है उस घर में गौरी-गणेश, नवग्रह, समस्त भगवान प्रवेश करते है और उस घर के सभी सदस्यों को परेशानी से दूर रखते है. सत्यनारायण की कथा कराने का उत्तम स्थान केले के पेड़ के नीचे अथवा घर के ब्रह्म स्थान पर बताया गया है.

हिन्दू धर्म के अनुसार सभी घरों में किसी भी शुभ काम को करने से पहले भगवान सत्यनारायण की कथा कराई जाती है. लेकिन कभी अपने ये सोचा कि ऐसा क्यों होता है. अगर नहीं तो आज हम आपको बताएंगे सत्यनारायण की कथा से जुडी कुछ ख़ास बातें और इस कथा …

Read More »

गुप्त नवरात्री में करें इन मंत्रों का जाप, माँ काली की होगी कृपा

सर्वकल्याण के लिए- सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥ * आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए- देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥ * बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्रादि प्राप्ति के लिए- सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः। मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥ * सुलक्षणा पत्नी प्राप्ति के ‍‍‍लिए- पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्। तारिणीं दुर्ग संसारसागस्य कुलोद्‍भवाम्।। * दरिद्रता नाश के लिए- दुर्गेस्मृता हरसि भतिमशेशजन्तो: स्वस्थैं: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। दरिद्रयदुखभयहारिणी कात्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता।। * ऐश्वर्य प्राप्ति एवं भय मुक्ति मंत्र- ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः। शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥ * विपत्तिनाशक मंत्र- शरणागतर्दिनार्त परित्राण पारायणे। सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥ * शत्रु नाश के लिए- ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्‍टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वाम् कीलय बुद्धिम्विनाशाय ह्रीं ॐ स्वाहा।। * स्वप्न में कार्य-सिद्धि के लिए- दुर्गे देवी नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके। मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।। * सर्वविघ्ननाशक मंत्र- सर्वबाधा प्रशमनं त्रेलोक्यस्यखिलेशवरी। एवमेय त्वया कार्य मस्माद्वैरि विनाशनम्‌॥

आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्री शुरू होने वाली है जिसके लिए आप भी सभी तरह की तैयारी में लगे हुए होंगे. जानकारी ना हो तो बता दें, गुप्त नवरात्री 13 जुलाई से शुरू हो रही है. हिन्दू धर्म में गुप्त नवरात्री का काफी महत्व है. इसमें माँ दुर्गा के गुप्त …

Read More »
English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com