धर्म

जगन्नाथ रथ यात्रा : विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा की तिथियां और कार्यक्रम

आप 'जगन्नाथ रथ यात्रा' से तो वाकिफ होंगे ही हर बार की तरह इस बार भी इस भव्य यात्रा की तैयारी बढ़ी जोरों शोरों से चल रही है. ऐसा कहा जाता है कि करीब पिछले 500 सालों से भगवान 'जगन्नाथ जी' की रथयात्रा निकाले जाने की परंपरा रही है. यही नहीं बल्कि हर बार इस यात्रा को जोश और उल्लास के साथ मनाया जाता है. जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि जगन्नाथपुरी की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा का उत्सव आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. यात्रा के दौरान विशाल रथों की साज सज्जा की जाती है और उसमें भगवान जगन्नाथ विराजमान होते हैं और भगवान जगन्नाथ को रथ पर बिठाकर पूरे नगर में भ्रमण कराया जाता है. यात्रा के समय चली आ रही परंपरा के अनुसार इन विशाल रथों को सैकड़ों लोग मोटे-मोटे रस्सों की मदद से खींचते हैं और नगरवासियों को भगवान जगन्नाथ के दर्शन कराये जाते हैं. इसके पीछे का रहस्य बताया जाता है कि जो लोग रथ खींचने में सहयोग करते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि रथ यात्रा के दौरान सैकड़ो लोग इस यात्रा का हिस्सा बनना चाहते हैं. कहा जा रहा है कि इस साल यह भव्य यात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया यानि 14 जुलाई 2018 (शनिवार) को शुरू होने जा रही है. यह त्यौहार पूरे 9 दिन तक बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. बता दें कि जगन्नाथपुरी की यह रथयात्रा विश्व भर में प्रसिद्ध है.

आप ‘जगन्नाथ रथ यात्रा’ से तो वाकिफ होंगे ही हर बार की तरह इस बार भी इस भव्य यात्रा की तैयारी बढ़ी जोरों शोरों से चल रही है. ऐसा कहा जाता है कि करीब पिछले 500 सालों से भगवान ‘जगन्नाथ जी’ की रथयात्रा निकाले जाने की परंपरा रही है. यही …

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यात्रा से पहले बीमार हुए भगवान जगन्नाथ

ऐसा कहा जाता है अगर सच्चे मन से भगवान की आराधना की जाए तो वह अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं. यही नहीं बल्कि मन में एक सच्चा विश्वास ही आपको भगवान से मिला सकता है. आज हम आपको एक ऐसा सच्चा विश्वास और प्रभु के प्रति अटूट प्रेम के बारे में बताने जा रहे हैं जहां भक्‍त अपने प्रभु को बीमार मानकर उनकी एक नन्हें बच्चे की तरह देखभाल करते हैं. यही नहीं बल्कि इस दौरान उन्हें खाने-पीने की ऐसी किसी चीज का भोग नहीं लगाया जाता है जिनसे उनकी सेहत खराब हो जाए. जी हाँ आप यह जानकार हैरान हो सकते हैं लेकिन उड़ीसा स्थित जगन्नाथ पुरी में मौजूद भगवन जगन्नाथ के दरबार में ऐसा किया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं तो इस दौरान उन्हें देसी वस्‍तुओं से बना काढ़ा पिलाया जाता है. लगभग 15 दिन के उपचार के बाद भगवान जगन्‍नाथ स्‍वस्‍थ होते हैं तब तक उनकी हर रोज इसी तरह सेवा की जाती है. इसके अलावा बताया जाता है कि जब भगवान जगन्नाथ बीमार होते हैं तो इस दौरान मंदिर के पट भी बंद रहते हैं. दरअसल इसके पीछे का गहरा रहस्य यह है, पुराणों में बताया गया है कि जब राजा इंद्रदुयम्‍न अपने राज्य में भगवान की प्रतिमा का निर्माण करवा रहे थे तब शिल्‍पकार भगवान की अधूरी प्रतिमा छोड़कर चले गए थे. इस दौरान राजा इंद्रदुयम्‍न बेहद दुखी हुए थे तब भगवान ने उन्हें दर्शन देकर कहा कि वे चिंता न करें बालरूप में इसी आकार में पृथ्‍वीलोक पर विराजेंगे. इसके बाद भगवान ने राजा को ओदश दिया कि 108 घट के जल से उनका अभिषेक किया जाए और इस दौरान ज्‍येष्‍ठ मास की पूर्णिमा थी. ख़ास बात यह है कि तब से लेकर आज भी यह अभिषेक ज्‍येष्‍ठ मास की पूर्णिमा के दौरान किया जाता है. जाहिर से बात है कि अगर किसी नन्हें बालक को यदि कुंए के ठंडे जल से स्‍नान कराया जाएगा तो बीमार पड़ ही जायेगा. यही वजह है कि प्रभु को बीमार मानकर ज्‍येष्‍ठ मास की पूर्णिमा से अमावस्‍या तक उनकी एक नन्हें बालक की तरह देखभाल की जाती है. जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि इस साल ज्‍येष्‍ठ मास की पूर्णिमा 27 जून को थी और तब से लेकर उनका इलाज चल रहा है. 14 जुलाई को यानिकि रथ यात्रा से ए‍क दिन पहले वह स्‍वस्‍थ होते हैं और इस दौरान बड़े ही धूम धाम से भव्य यात्रा निकाली जाती है.

ऐसा कहा जाता है अगर सच्चे मन से भगवान की आराधना की जाए तो वह अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं. यही नहीं बल्कि मन में एक सच्चा विश्वास ही आपको भगवान से मिला सकता है. आज हम आपको एक ऐसा सच्चा विश्वास और प्रभु के प्रति अटूट …

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गुप्त नवरात्री में करें इन मंत्रों का जाप, माँ काली की होगी कृपा

आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्री शुरू होने वाली है जिसके लिए आप भी सभी तरह की तैयारी में लगे हुए होंगे. जानकारी ना हो तो बता दें, गुप्त नवरात्री 13 जुलाई से शुरू हो रही है. हिन्दू धर्म में गुप्त नवरात्री का काफी महत्व है. इसमें माँ दुर्गा के गुप्त रूप की आराधना की जाती है यानि माँ दुर्गा का काली रूप जिससे सभी भयभीत होते हैं. हालाँकि यही हैं जो आपके बिगड़े काम बना सकती हैं. इन दिनों आप माँ दुर्गा की आराधना करके सभी परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं और मनोकामना पूरी कर सकते हैं. जब भी आप माँ दुर्गा का पाठ करने बैठें तो कुछ मंत्रों को जाप जरूर करें जिससे आपका जीवन सफल बनेगा. माना जाता है गुप्त नवरात्री में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से सारे कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और सुख समृद्धि आती है. दुर्गा सप्तशती में 700 श्लोक हैं जिन्हें आप पढ़ सकते हैं, लेकिन अगर आप इसका पथ नहीं कर पाते हैं तो हम आपको कुछ ऐसे मंत्र बताने जा रहे हैं जिनके करने से आपकी मोकामना पूरी ही जाएगी. आइये जानते हैं उन मन्त्रों को जो आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे. * सर्वकल्याण के लिए- सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥ * आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए- देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥ * बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्रादि प्राप्ति के लिए- सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः। मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥ * सुलक्षणा पत्नी प्राप्ति के ‍‍‍लिए- पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्। तारिणीं दुर्ग संसारसागस्य कुलोद्‍भवाम्।। * दरिद्रता नाश के लिए- दुर्गेस्मृता हरसि भतिमशेशजन्तो: स्वस्थैं: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। दरिद्रयदुखभयहारिणी कात्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता।। * ऐश्वर्य प्राप्ति एवं भय मुक्ति मंत्र- ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः। शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥ * विपत्तिनाशक मंत्र- शरणागतर्दिनार्त परित्राण पारायणे। सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥ * शत्रु नाश के लिए- ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्‍टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वाम् कीलय बुद्धिम्विनाशाय ह्रीं ॐ स्वाहा।। * स्वप्न में कार्य-सिद्धि के लिए- दुर्गे देवी नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके। मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।। * सर्वविघ्ननाशक मंत्र- सर्वबाधा प्रशमनं त्रेलोक्यस्यखिलेशवरी। एवमेय त्वया कार्य मस्माद्वैरि विनाशनम्‌॥

आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्री शुरू होने वाली है जिसके लिए आप भी सभी तरह की तैयारी में लगे हुए होंगे. जानकारी ना हो तो बता दें, गुप्त नवरात्री 13 जुलाई से शुरू हो रही है. हिन्दू धर्म में गुप्त नवरात्री का काफी महत्व है. इसमें माँ दुर्गा के गुप्त …

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गुप्त नवरात्री में करें माँ दुर्गा के गुप्त रूप की पूजा, मिलेगा विशेष फल

साल में तीन नवरात्री होती है जिनमें एक गुप्त नवरात्री भी मानी जाती है. गुप्त नवरात्री आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकम तिथि से शुरू होती है. इस साल ये नवरात्री 13 जुलाई से शुरू हो रही है जिसमें पुष्य नक्षत्र के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. नवरात्री की अंतिम तिथि 21 जुलाई को सर्वार्थ सिद्धि योग, रवियोग व अमृत सिद्धि योग बन रहा है और इसी में नवरात्री का समापन हो जायेगा. तो चलिए आगे आपको बता देते हैं नवरात्री के शुभ मुहूर्त. हिन्दू शास्त्र के अनुसार इस बार नवरात्री में सभी शुभ योग बन रहे हैं और इस दौरान विशेष पूजा पाठ करने से आपको विशेष फल की प्राप्ति हो सकती है. आपको बता दें गुप्त नवरात्री में माँ भगवती के गुप्त रूप यानी काली माता की पूजा की जाती है जिन्हें पूजने से आपकी मनोकामना पूरी होती है. अगर आप भी कर रहे हैं गुप्त नवरात्री में गुप्त आराधना तो बता देते हैं कौनसा समय पूजा के लिए सही रहेगा. हर दिन आप इसी शुभ समय में माँ भगवती की आराधना कर सकते हैं. सुबह 7.49 से 10.01 बजे तक दिन 2.27 से 4.44 बजे तक रात 8.36 से 10.09 बजे तक गुप्त नवरारत्रि में पूरे नौ दिन अगर आप दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं तो आपकी हर मनोकामना पूरी होती है. आपके जीवन में सुख समृद्धि आती है और निरोगी जीवन बनता है. अगर आपसे पाठ ना हो तो आप दुर्गा सप्तशती के श्लोक भी पढ़ सकते हैं. इन नौ दिनों तक आपको सांसारिक मोह माया से दूर रहना होगा और माँ दुर्गा की आराधना करनी होगी और दान पुण्य कर लाभ कमाएं.

साल में तीन नवरात्री होती है जिनमें एक गुप्त नवरात्री भी मानी जाती है. गुप्त नवरात्री आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकम तिथि से शुरू होती है. इस साल ये नवरात्री 13 जुलाई से शुरू हो रही है जिसमें पुष्य नक्षत्र के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. …

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योगिनी एकादशी करने का ये है खास महत्व

हर महीने की एकादशी कुछ ना कुछ खास लेकर आती है. एकादशी के व्रत को कई लोग महत्वपूर्ण मानते हैं और इस दिन व्रत कर के अपनी मनोकामना पूरी करते हैं. वैसे ही इस महीने की एकादशी है योगिनी एकादशी जो 9 जुलाई 2018 की है. हिन्दू पंचांग की बात करें तो योगिनी एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को आती है जिसका महत्व पद्मपुराण में बताया गया है. आइये जानते हैं क्या महत्व है इस एकादशी का और कैसे करते हैं इसका पूजन. दरअसल, योगिनी एकादशी की देव शयनी एकादशी भी कहते हैं जिसमें भगवान विष्णु 4 माह के लिए विश्राम पर चले जाते हैं. इस बीच कोई भी शुभ कार्य नहीं किये जाते और 4 माह के लिए टाल दिए जाते हैं. इसी के साथ आपको बता देते हैं इस एकादशी का क्या महत्व होता है. अगर आप इस एकादशी का व्रत करते हैं तो ये आपको 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल देता है. इसे करने से आपके पाप मिटते हैं और अंत में आप स्वर्ग को जाते हैं. इस व्रत को करने से आपकी सभी परेशानी दूर होंगी और पितरों की ओर से आशीर्वाद मिलेगा. इसलिए ये व्रत बहुत खास होता है जो आपके लिए बहुत फायेमंद हो सकता है. इसके बाद बता देते हैं इस व्रत को करने की विधि क्या है. एकादशी के दिन सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लेते हैं. स्नान करते समय अगर आप मिट्टी का उपयोग करते हैं तो ये शुभ माना जाता है. घर को शुद्ध कर आप कुम्भ बना कर उस पर भगवान विष्णु की फोटो रखें और पूजन करें. इसके बाद दिनभर आप भगवान विष्णु का नाम ले सकते हैं और उनकी आराधना कर सकते हैं. रात्रि के समय जागरण भी किया जाता है. दशमी की रात्रि से ही आपको नामक का त्याग कर देना चाहिए और द्वादशी तक इसका सेवन नहीं करना चाहिए. तभी ये व्रत आपको फल प्रदान करेगा.

हर महीने की एकादशी कुछ ना कुछ खास लेकर आती है. एकादशी के व्रत को कई लोग महत्वपूर्ण मानते हैं और इस दिन व्रत कर के अपनी मनोकामना पूरी करते हैं. वैसे ही इस महीने की एकादशी है योगिनी एकादशी जो 9 जुलाई 2018 की है. हिन्दू पंचांग की बात …

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जगन्नाथ रथ यात्रा : विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा की तिथियां और कार्यक्रम

आप 'जगन्नाथ रथ यात्रा' से तो वाकिफ होंगे ही हर बार की तरह इस बार भी इस भव्य यात्रा की तैयारी बढ़ी जोरों शोरों से चल रही है. ऐसा कहा जाता है कि करीब पिछले 500 सालों से भगवान 'जगन्नाथ जी' की रथयात्रा निकाले जाने की परंपरा रही है. यही नहीं बल्कि हर बार इस यात्रा को जोश और उल्लास के साथ मनाया जाता है. जानकारी के लिए बताना चाहेंगे कि जगन्नाथपुरी की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा का उत्सव आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. यात्रा के दौरान विशाल रथों की साज सज्जा की जाती है और उसमें भगवान जगन्नाथ विराजमान होते हैं और भगवान जगन्नाथ को रथ पर बिठाकर पूरे नगर में भ्रमण कराया जाता है. यात्रा के समय चली आ रही परंपरा के अनुसार इन विशाल रथों को सैकड़ों लोग मोटे-मोटे रस्सों की मदद से खींचते हैं और नगरवासियों को भगवान जगन्नाथ के दर्शन कराये जाते हैं. इसके पीछे का रहस्य बताया जाता है कि जो लोग रथ खींचने में सहयोग करते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि रथ यात्रा के दौरान सैकड़ो लोग इस यात्रा का हिस्सा बनना चाहते हैं. कहा जा रहा है कि इस साल यह भव्य यात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया यानि 14 जुलाई 2018 (शनिवार) को शुरू होने जा रही है. यह त्यौहार पूरे 9 दिन तक बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. बता दें कि जगन्नाथपुरी की यह रथयात्रा विश्व भर में प्रसिद्ध है.

आप ‘जगन्नाथ रथ यात्रा’ से तो वाकिफ होंगे ही हर बार की तरह इस बार भी इस भव्य यात्रा की तैयारी बढ़ी जोरों शोरों से चल रही है. ऐसा कहा जाता है कि करीब पिछले 500 सालों से भगवान ‘जगन्नाथ जी’ की रथयात्रा निकाले जाने की परंपरा रही है. यही …

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जाने कौन से हैं अमरनाथ यात्रा के पांच प्रमुख पड़ाव

कहते हैं भगवान भोलेनाथ ने अपनी सवारी नंदी को पहलगाम पर छोड़ दिया। पौराणिक कथाआें के अनुसार जब भगवान शिव अमरनाथ गुफा जा रहे थे तो उन्होंने अपनी सभी प्रिय चीजों और गणों का त्याग कर दिया था। इसमें उन्होंने सबसे पहले अपने प्रिय वाहन नंदी बैल का त्याग किया। …

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9 जुलाई 2018 का राशिफल: जानिए आपका सप्ताह का पहला दिन कैसा गुजरेगा

9 जुलाई 2018 का राशिफल: जानिए आपका सप्ताह का पहला दिन कैसा गुजरेगा

मेष: शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य अच्छा बना रहेगा। पारिवारिक वातावरण आनंदप्रद रहेगा। मित्रों, स्नेहीजनों के साथ मेल-मिलाप होगा, परंतु शाम से स्वास्थ्य थोड़ा नरम रह सकता है। खान-पान में संयम रखने की आवश्यकता है। बातचीत करते समय किसी के साथ उग्रतापूर्ण भाषा का प्रयोग न हो जाए, इसके लिए जिह्वा …

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एक मात्र ऐसा मंदिर जंहा नही की जाती भगवान की पूजा

हिन्दू धर्म के अनुसार हर घर में मंदिर होता है और कोई व्यक्ति भगवन की ख़ास तरीके से पूजा पाठ करते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जंहा पर भगवान की पूजा नहीं की जाती. जी हाँ आप यह जानकर हैरान जरूर हुए होंगे लेकिन पुरी में मौजूद भगवान जगन्नाथ की पूजा नहीं की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु जब चारों धामों पर बसे अपने धामों की यात्रा पर गए थे तब उन्होंने हिमालय की ऊंची चोटियों पर बने अपने धाम बद्रीनाथ में स्नान किया था. इसके बाद पश्चिम में गुजरात के द्वारिका में वस्त्र धारण किये थे फिर वह पुरी में निवास करने लगे और बन गए जग के नाथ अर्थात जगन्नाथ और उन्हें जगन्नाथ के रूप में आज भी माना जाता है. जगन्नाथ धाम चार धामों में से एक है, इस स्थान पर जगन्नाथ के बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान है. भगवान कृष्ण ही जगन्नाथ का रूप है. पूरी में जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र (बलराम) और बहन सुभद्रा की मूर्तियां काष्ठ की बनी हुई हैं जिसके चलते यहां प्रत्येक 12 साल में सिर्फ एक बार प्रतिमा का नया कलेवर किया जाता है. इन मूर्तियों का निर्माण किया जाता है लेकिन उनका अकार और रूप वैसा का वैसा ही होता है. ऐसा कहा गया है कि इन मूर्तियों की पूजा नहीं होती केवल यंहा मूर्तियां दर्शन के लिए रखी गई हैं.

हिन्दू धर्म के अनुसार हर घर में मंदिर होता है और कोई व्यक्ति भगवन की ख़ास तरीके से पूजा पाठ करते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जंहा पर भगवान की पूजा नहीं की जाती. जी हाँ आप यह जानकर हैरान जरूर …

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भगवद्गीता सिखाती है हमे ये 8 महत्वपूर्ण बातें

हिन्दू धर्म में श्रीमद् भगवद्गीता का बहुत महत्व है. श्रीमद् भगवद्गीता वह है जिसका महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के समय अपने मित्र अर्जुन को बताया था. इसमें बताये गये महत्व को हर व्यक्ति याद रखता है और अपने जीवन में भी अपनाता है. इसमें कही गई हर बात से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता है. आपने भी श्रीमद् भगवद्गीता के कई श्लोक सुने होंगे जिनका आपके जीवन में काफी महत्व भी होगा. इसके अलावा हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि श्रीमद् भगवद्गीता से आपको और क्या सीख मिलती है. आइये जाने हैं इसकी 8 बातें- 1. मनुष्य विश्वास से बनता है, विश्वस जैसा होगा वैसे ही आप होंगे - इसका अर्थ है आप जैसा सोचते हैं वैसा ही होता. अगर आप खुश हैं तो कुछ भी आपको दुखी नहीं कर सकता है और अगर आप दुखी हैं तो हर अच्छी बात भी आपको दुखी करेगी. 2. कर्म करो, फल की चिंता नहीं - इस बात को सभी जानते हैं और ये बहुत ही महत्व भी रखती है. भगवद्गीता में यही कहा गया है आप किसी से कोई अपेक्षा ना रखो. आप सिर्फ अपना काम करो उसका फल आपको जरूर मिलेगा. 3. ज़िन्दगी एक यात्रा है - भगवद्गीता में कहा गया है ज़िन्दगी एक यात्रा है ना कि कोई मंज़िल. यात्रा करने से ही आपको ख़ुशी मिलेगी ना कि अच्छी मंज़िल पा लेने से. 4. संदेह - कभी व्यर्थ संदेह ना करें. इससे आपको पूरे जीवन में कभी ख़ुशी नहीं मिलेगी ना इस लोक में ना ही परलोक में. संदेह हमे डरपोक बनाता है और मेहनती होते हुए भी हमें आपकी मंज़िल तक नहीं पहुंचता. 5. विचार - मनुष्य के विचार ही उसे ऊपर भी उठाते हैं और उसे नीचे भी गिराते हैं. इसी के कारण मनुष्य अपना ही शत्रु भी है और मित्र भी है. 6. सबसे अच्छा मित्र - खुद पर आपको यकीन रखना होगा, क्योंकि आप ही खुद के सबसे अच्छे मित्र हैं ना कि कोई और. आपकी परेशानी का हल आपके ही पास होता है. इसलिए कभी भी अपनी परेशानी किसी के सामने ना रखें. 7. आत्मा न जन्म लेती है और न मरती है - भगवद्गीता में इस पंक्ति का बहुत महत्व है. भगवान श्री कृष्णा ने कहा है आत्मा अजर है, अमर है. ये ना तो मरती है ना ही जन्म लेती है मरता है तो सिर्फ शरीर. 8. भय और चिंता दो शत्रु हैं - डर से मनुष्य कभी आगे नहीं बढ़ सकता. साथ ही भय और चिंता आपके आज को कभी खत्म कर देती है. जितना हो इन सब से दूर रहा जाए जो आपके सुख शांति का भी शत्रु है.

हिन्दू धर्म में श्रीमद् भगवद्गीता का बहुत महत्व है. श्रीमद् भगवद्गीता वह है जिसका महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के समय अपने मित्र अर्जुन को बताया था. इसमें बताये गये महत्व को हर व्यक्ति याद रखता है और अपने जीवन में भी अपनाता है. इसमें कही गई हर बात से …

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