धर्म

16 अप्रैल 2018, राशिफल : आज इन राशि वाले को फील्ड और ऑफिस में संभलकर करना होगा काम

16 अप्रैल 2018, राशिफल : आज इन राशि वाले को फील्ड और ऑफिस में संभलकर करना होगा काम

मेष – आज आपको कोई अच्छी खबर भी मिल सकती है. आगे बढ़ने के अच्छे मौके भी मिल सकते हैं. लव पार्टनर से सहयोग और प्रेम मिलेगा. आपका मूड अच्छा हो जाएगा. आज किया गया निवेश आने वाले दिनों में आपको फायदा दे सकता है. किस्मत का साथ मिल सकता है. …

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तीर्थयात्रा पर जाने से पहले जान लीजिए…

18 अप्रैल को अक्षय तृतीय के साथ ही चारधाम तीर्थयात्रा का क्रम शुरू हो जाएगा। हरिद्वार से लेकर चार धाम की ओर श्रद्धालुओं के कदम बढ़ने लगेंगे। लेकिन क्या चार धाम घूमकर आ जाने से तीर्थयात्रा पूरी हो जाएगी, क्या तीर्थयात्रा का फल श्रद्धालुओं को मिल जाएगा। दरअसल यात्रा से पहले यह …

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इसलिए झाड़ू को पैरों से स्पर्श करना ख़राब माना जाता है

• झाड़ू को लक्ष्मी के सदृश माना गया है। झाड़ू का पैरों से स्पर्श वर्जित है, अन्यथा लक्ष्मी मुंह मोड़ लेती हैं और उनकी बहन अलक्ष्मी अभाव और दुर्भाग्य को लेकर गृह में स्थायी आवास बना लेती हैं, ऐसा वास्तु से जुड़ी पारंपरिक अवधारणाएं कहती हैं।  ये भी जानें  लालकिताब …

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आज 15 अप्रैल 2018 का राशिफल: इन राशि वालों को मिलेगा धन लाभ

मेष – आज आपको आर्थिक लाभ मिल सकता है। सेहत में सुधार होगा। महिला मित्रों का सहयोग मिलेगा। खान-पान में संयम रखना पड़ेगा। नेगेटिव विचारों से बचें। वाणी में मिठास रहेगी। संतान पक्ष से खुशखबरी मिल सकती है। वृषभ- आज धन अधिक खर्च होगा। सहयोगियों के साथ विवाद हो सकता है। शैक्षिक …

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डाॅलर माता मंदिर के नाम से विख्यात है यह मंदिर

भारत एक ऐसा देश है, जहां पर एक साथ कई जाति व धर्म के लोग रहते हैं, इसलिए भारत को धर्म प्रधान देश कहा जाता है। आज हम आपसे भारत की इसी महत्ता के बारे में बात करने वाले हैं। वैसे तो जब धर्म कि बात आती है, तो हिन्दू-मुस्लिम अलग-अलग हो जाते हैं। लेकिन भारत में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां पर एक मुस्लिम महिला कि पूजा कि जाती हैं। जी हां जानकर तो आपको भी यकीन नहीं होता होगा लेकिन यह जानकारी एक दम सच है। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में कुछ विस्तार से.... दरअसल, गुजरात के अहमदाबाद से करीब 40 किमी. दूर एक 'झूलासन' गांव है, जहां हिंदू और मुस्लिम एकता के रूप मे मुस्लिम महिला की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि सैकड़ों साल पहले डोला नाम की एक मुस्लिम महिला ने उपद्रवियों से अपने गांव को बचाने के लिए बड़ी साहस से उनसे लड़ाई की। अपने गांव की रक्षा करते करते डोला ने अपनी जान दे दी। कहा जाता है कि मरने के बाद डोला का शरीर एक फूल मे बदल गया था और बलिदान के चलते लोगो ने फूल के ऊपर ही मंदिर बनवा दिया। गांव के लोग आज भी मानते हैं कि डोला आज भी न सिर्फ उनके गांव की रक्षा कर रही है बल्कि लोगों के दुख और दर्द को भी दूर करती है। इस मंदिर को डाॅलर माता मंदिर के नाम से भी जानते है, कयोकि इस गांव मे 1500 से अधिक लोग अमेरिकी है। आपको बता दें कि सुनीता विलियम्स जब अंतरिक्ष यात्रा पर गई थी, तब इस मंदिर मे एक अखंड ज्योति जलाई थी, जो लगातार 4 महीने तक जलती रही थी।

भारत एक ऐसा देश है, जहां पर एक साथ कई जाति व धर्म के लोग रहते हैं, इसलिए भारत को धर्म प्रधान देश कहा जाता है। आज हम आपसे भारत की इसी महत्ता के बारे में बात करने वाले हैं। वैसे तो जब धर्म कि बात आती है, तो हिन्दू-मुस्लिम …

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तो इसलिए भगवान विष्णु को हरि नाम से भी जाना जाता है

भगवान विष्णु का दिन गुरूवार माना जाता है, इस दिन अगर आप भगवान विष्णु जी कि पूजा-अर्चना करते है, तो इसका फल आपको जरूर मिलेगा। लेकिन यहां पर आज हम आपसे गुरूवार को की जाने वाली पूजा के बारे में नहीं बल्कि भगवान विष्णु से जुड़ी कुछ ऐसी बातों के बारे में चर्चा करने वाले हैं, जिसके बारे में शायद आप भी नहीं जानते होगें। दअरसल हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु को हरि के नाम से भी जाना जाता है, इतना ही नहीं इन्हे हरि नाराण के नाम से भी पुकारा जाता है। तो क्या कभी आपने इस बात पर गौर किया है कि भगवान विष्णु को हरि क्यों कहा जाता है? अगर आप भी इस बात से अंजान हैं, तो यहां पर आज हम इसी विषय से जुड़ी एक पौराणिक कथा के बारे में बताने जा रहे है, जिससे हमे इस बात का पता चलेगा कि भगवान विष्णु कैसे हरि बन गये? पालनहार भगवान विष्णु के सबसे बड़े भक्त नारद मुनि उन्हें नारायण कहकर ही बुलाते हैं। तीनों लोकों में नारद मुनि भगवान को नारायाण-नारायण कह कर पुकारते हैं। भगवान विष्णु का निवास क्षीर सागर में है। वो शेषनाग के ऊपर शयन करते हैं। उनके चार हाथ है। जिसमें वह अपने नीचे वाले बाएं हाथ में कमल, अपने नीचे वाले दाहिने हाथ में कौमोदकी,ऊपर वाले बाएं हाथ में शंख, और अपने ऊपर वाले दाहिने हाथ में चक्रधारण करते हैं। भगवान विष्णु के भक्त उन्हें कई नामों से बुलाते हैं। कोई उन्हें कहता है अनन्तनरायण, तो कोई लक्ष्मीनारायण। कोई शेषनारायण से उन्हें पुकारता है। नारायण बनने की कथा इन सभी नामों में नारायण जुड़ा रहता है। प्राचीन पौराणिक कथा के अनुसार जल भगवान विष्णु के पैरों से प्रकट हुआ था। भगवान विष्णु के पैर से बाहर आई गंगा नदी को विष्णुपदोदकी के नाम से जाना जाता है। जल को नीर या नर नाम से जाना जाता है। भगवान विष्णु भी पानी में रहते हैं इसलिए नर से उनका नाम नारायण बना। पानी के अंदर रहने वाले भगवान। भगवान विष्णु को हरि नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू पुराणों की माने तो हरि का मतलब हरने वाला या चुराने वाला होता है। हरि हरति पापणि इसका मतलब है, हरि वो भगवान हैं, जो जीवन से पाप और समस्याओं को समाप्त करते हैं।

भगवान विष्णु का दिन गुरूवार माना जाता है, इस दिन अगर आप भगवान विष्णु जी कि पूजा-अर्चना करते है, तो इसका फल आपको जरूर मिलेगा। लेकिन यहां पर आज हम आपसे गुरूवार को की जाने वाली पूजा के बारे में नहीं बल्कि भगवान विष्णु से जुड़ी कुछ ऐसी बातों के बारे …

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भगवान हनुमान लेकर आये थे इस देवी को श्रीलंका से श्रीनगर

भारत देश में अनन्त मंदिर देखे जा सकते हैं और इसलिए इसे देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है। खास बात तो यह है कि भारत की धरती पर मौजूद हर छोटे से छोटे मंदिर के पीछे एक पौराणिक कथा विद्यमान है, जिसके अनुसार उस मंदिर के महत्व …

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Big Protest: गांधी मैदान में जमा होंगे लाखों मुसलमान, जानिए क्यों?

बिहार; तीन तलाक जैसी प्रथा पर रोक लग जाने के बाद नाराज मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने केंद्र सरकार के खिलाफ मौर्चा खोलने की तैयारी कर ली है। इस्लाम समुदाय के बड़े संगठनों ने पटना में बड़ी रैली के आयोजन का फैसला लिया हैए जिसमें करीब तीन लाख मुस्लिमों के इक_े होने …

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इस दिन रावण ने लगाई थी हनुमान जी की पूंछ में आग

रामायण की अगर बात करें, तो भगवान राम और बजरंगबलि का ही गुणगान अधिक देखने को मिलता है। रामायण का महत्व ही इस संसार से बुराई का नाश करने के लिए बताया गया है। जिस प्रकार बजरंगबलि और प्रभु श्रीराम द्वारा रावण का विनाश किया गया था। उसी प्रकार इस संसार से बुराई का भी विनाश हो। इसके अलावा अगर बजरंगबलि की बात करें, तो इन्हे संकट हरने वाला माना गया है। जो भी भक्त सच्चे मन से मंगलवार के दिन बजरंगबलि की आराधना करता है, उसे समस्त परेशानीयो से मुक्ति मिलती है। आज हम यहां पर इसी खास दिन के महत्व के बारे में चर्चा करने वाले है। यहां पर हम जानेंगे कि आखिर मंगलवार का ही दिन हनुमान जी के लिए प्रिय क्यों माना गया है? दरअसल भाद्रपद माह के अंतिम मंगलवार को बुढ़वा मंगल मनाया जाता है। इस द‍िन भगवान शिव के अवतार माने जाने वाले हनुमान जी के दर्शन करना शुभ माना जाता है। बुढ़वा मंगल पर हनुमान जी की व‍िध‍िवत पूजा करने से सारे कष्ट म‍िट जाते हैं। ब‍िगड़े हुए काम बन जाते हैं। इसके अलावा बजरंगबली, पवनपुत्र, अंजनी पुत्र जी के दर्शन मात्र से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। कहते हैं कि‍ आज के द‍िन बजरंग बली को स‍िंदूर चढ़ाना और उनके सामने बुढ़वानल स्त्रोत का पाठ करना लाभकारी होता है।

रामायण की अगर बात करें, तो भगवान राम और बजरंगबलि का ही गुणगान अधिक देखने को मिलता है। रामायण का महत्व ही इस संसार से बुराई का नाश करने के लिए बताया गया है। जिस प्रकार बजरंगबलि और प्रभु श्रीराम द्वारा रावण का विनाश किया गया था। उसी प्रकार इस …

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आखिर क्यों भगवान शिव के सिर पर हमेशा चन्द्रमा सुशोभित रहता है?

भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों की समस्त पीड़ा का अंत होता है। इनकी पूजा करने का विषेश दिन सोमवार का माना गया है। जब कभी भगवान शिवशंकर की बात होती है या फिर उनका स्मरण किया जाता है, तो शिव जी की वेशभूष के रूप में उनके सिर पर चन्द्रमा सुशोभित नजर आता है। क्या कभी आपने सोचा है, आखिर भगवान शिव शंकर के सिर पर चन्द्रमा होेने का राज क्या हो सकता है? अगर आप भी अब तक इस रहस्य से अंजान हैं, तो यहां पर आज हम इसी विषय पर चर्चा करने वाले हैं, यहां पर हम जानेंगे कि आखिर कैसे भगवान शिव के सर पर चन्द्रमा स्थापित हुआ? शिवपुराण में वर्णित पहली पौराणिक कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन किया गया था, तो उसमें से विष निकला था और पूरी सृष्टि की रक्षा के लिए स्वयं भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले उस विष को ग्रहण किया था। विष पीने के बाद भगवान शिव का शरीर विष के प्रभाव के कारण अत्यधिक गर्म होन लगा। ये देखकर चंद्रमा ने विनम्र स्वर में प्रार्थना की, कि उन्हें माथे पर धारण करके अपने शरीर को शीतलता दें, ताकि विष का प्रभाव कुछ कम हो सके। पहले तो शिव ने चंद्रमा के इस आग्रह को स्वीकार नहीं किया, क्योंकि चंद्रमा श्वेत और शीतल होने के कारण इस विष की असहनीय तीव्रता को सहन नहीं कर पाते। लेकिन अन्य देवतागणों के निवेदन के बाद शिव ने निवेदन स्वीकार कर लिया। माना जाता है कि विष की तीव्रता के कारण चांद के श्वेत रंग में नीला रंग घुल गया, जिस कारण से पूर्णिमा की रात चांद का रंग थोड़ा-थोड़ा नीला भी प्रतीत होता है।

भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों की समस्त पीड़ा का अंत होता है। इनकी पूजा करने का विषेश दिन सोमवार का माना गया है। जब कभी भगवान शिवशंकर की बात होती है या फिर उनका स्मरण किया जाता है, तो शिव जी की वेशभूष के रूप में उनके सिर …

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