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स्वस्थ रहने के लिए इन जगहों पर लगाएं सरसों का तेल

सरसों के तेल का इस्तेमाल सभी घरों में खाना पकाने के लिए किया जाता है. पर क्या आपको पता है कि सरसों का तेल हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. सरसों के तेल में भरपूर मात्रा में विटामिन, मिनरल्स और कई अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं. जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. अगर आप रात में सोने से पहले शरीर के कुछ हिस्सों पर सरसों का तेल लगाते हैं तो इससे आपको बहुत सारे फायदे हो सकते हैं. 1- रोज रात को सोने से पहले अपने सर में सरसों का तेल लगाकर मसाज करें. ऐसा करने से आपको आराम मिलेगा और आपका तनाव भी दूर हो जाएगा. 2- सोने से पहले नाभि में सरसों का तेल लगाने से होठ फटने की समस्या दूर हो जाती है. इसके अलावा नाभि में सरसों का तेल लगाने से पेट दर्द और पाचन संबंधी समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है. 3- अगर आप रोजाना रात में सोने से पहले अपनी नाभि पर सरसों का तेल लगाते हैं तो इससे आपको आंखों की जलन, खुजली और ड्राइनेस की समस्या से भी आराम मिलेगा. 4- रात में सोने से पहले अपने पैरों के तलवों पर सरसों का तेल लगाकर मसाज करें. ऐसा करने से आपकी आंखों की रोशनी तेज हो जाएगी और आपको एक अच्छी नींद मिलेगी.

सरसों के तेल का इस्तेमाल सभी घरों में खाना पकाने के लिए किया जाता है. पर क्या आपको पता है कि सरसों का तेल हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. सरसों के तेल में भरपूर मात्रा में विटामिन, मिनरल्स और कई अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं. जो …

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नाभि में डालें तेल की दो बूँद, होंगे अनेक फायदे

मानव शरीर में हर अंग का अहम हिस्सा है, अगर कोई अंग काम ना करे तो हमें काफी परेशानी होती है. शरीर के किसी भी हिस्से में अगर हमे कोई पीड़ा हो रही है तो हम उसके उपाय इतने करते हैं कि जल्दी से जल्दी हमे आराम मिल जाए. शरीर के हर हिस्सा का एक सेंटर पॉइंट होता है या जिसे हम एक्यू प्रेशर पॉइंट भी कहते हैं. उन जगहों पर कुछ उपाय करने से हमे शरीर की पीड़ा से छुटकारा मिल सकता है. वैसे ही आज हम बताने जा रहे हैं नाभि में तेल डालने के कुछ ऐसे उपाय जिनके बारे में आप भी नहीं जानते होंगे. तो चलिए बताते हैं नाभि में तेल डालने से क्या होता है. आपको बता दें, मनुष्य के शरीर का हर हिस्सा नाभि से ही जुड़ा होता है जिससे हम अपने शरीर के सारे कष्ट दूर कर सकते हैं. रात में सोते समय नाभि में गाय का देशी घी या नीम के तेल, सरसों के तेल, बादाम के तेल, नारियल या जैतून के तेल, किसी भी तेल की दो बूंदे डालकर सोने से चमत्कारी फायदे होते हैं. घी की दो बूंदे की नाभि में मालिश करने से आपका जोड़ों का दर्द, ज़ुखाम, जैसी बीमारी भी ठीक हो जाती है. इसके अलावा - * नाभि में घी की बूंदे डालने से स्किन में नमी बनी रहती है और चेहरा ग्लो करता है. * स्किन के सूखेपन को दूर करता है और चेहरे की चमक को बढ़ता है. * इससे बालों को झड़ने से रोक सकते हैं और बालों में मजबूती और चमक भी आती है. * आपके सभी जॉइंट पैन को दूर करता है खास कर घुटनों के दर्द को. * चेहरे से अनचाहे दाग धब्बे दूर होते हैं और पिम्पल्स खत्म होते हैं. * होठों की नमी बरक़रार रहती है जिससे होंठ नहीं फटते. * ये पेट की परेशानी को भी दूर करता है और कब्ज़ से मुक्ति दिलाता है.

मानव शरीर में हर अंग का अहम हिस्सा है, अगर कोई अंग काम ना करे तो हमें काफी परेशानी होती है. शरीर के किसी भी  हिस्से में अगर हमे कोई पीड़ा हो रही है तो हम उसके उपाय इतने करते हैं कि जल्दी से जल्दी हमे आराम मिल जाए. शरीर …

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पाचन क्रिया खराब होने पर दिखाई देते हैं ये लक्षण

पाचन तंत्र खाने को एनर्जी में बदलकर शरीर को बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाता है. इसलिए बिना अच्छे पाचन तंत्र के सेहतमंद रहना मुश्किल है. पाचन क्रिया खराब होने पर खाना पचने में परेशानी हो जाती है. इसके अलावा खराब पाचन तंत्र के कारण शरीर को संपूर्ण मात्रा में पोषण भी नहीं मिलता है. खराब पाचन तंत्र के कारण आपको मतली आना, पेट दर्द, सूजन, अपच और एसिडिटी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार पाचन क्रिया में गड़बड़ी कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है. आज हम आपको कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं जो पाचन क्रिया के खराब होने को दर्शाते हैं. 1- शरीर से विषैले तत्वों के बाहर ना निकलने पर यह पूरे शरीर में दुर्गंध पैदा करते हैं. यह दुर्गन्ध डियोड्रेंट का इस्तेमाल करने से भी नहीं जाती है. शरीर से दुर्गंध आने का कारण आपकी खराब पाचन क्रिया भी हो सकती है. 2- लगातार लंबे समय तक खराब पाचन क्रिया के कारण आपकी त्वचा को काफी नुकसान हो सकता है. खराब पाचन क्रिया के कारण आपको पिंपल्स, सोरायसिस या एक्जिमा की समस्या हो सकती है. 3- अगर आपका पाचन तंत्र खराब है तो इससे आपको सांसों से दुर्गंध आने की समस्या हो सकती है. पाचन तंत्र के खराब होने के कारण ब्रश करने के बाद भी आपकी सांसों से बदबू आती रहती है. 4- लंबे समय तक पाचन तंत्र के खराब होने के कारण नाखूनों पर भी बुरा असर पड़ता है. पाचन तंत्र के खराब होने पर शरीर से विषैले तत्व बाहर नहीं निकल पाते हैं. जिसके कारण नाखून कमजोर होकर टूटने लगते हैं.

पाचन तंत्र खाने को एनर्जी में बदलकर शरीर को बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाता है. इसलिए बिना अच्छे पाचन तंत्र के सेहतमंद रहना मुश्किल है. पाचन क्रिया खराब होने पर  खाना पचने में परेशानी हो जाती है. इसके अलावा खराब पाचन तंत्र के कारण शरीर को संपूर्ण मात्रा में …

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स्विस बैंकों में डेढ़ गुना हुआ भारतीयों का धन

भारत में कालेधन पर एक के बाद एक चोट के बीच स्विस बैंकों को पिछले साल भारतीयों ने मालामाल कर दिया है। स्विट्जरलैंड में बैंकों के नियामक स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक भारतीयों ने पिछले वर्ष स्विस बैंकों में 101 करोड़ स्विस फ्रैंक (करीब 7,000 करोड़ रुपये) जमा किए हैं, जो 2016 के मुकाबले 50.2 फीसद ज्यादा है। इसमें भारतीयों और आप्रवासी भारतीयों द्वारा दूसरे देशों की इकाइयों के रूप में जमा रकम शामिल नहीं है। वर्ष 2004 में 56 फीसद बढ़ोतरी के बाद स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा रकम में यह सबसे बड़ा इजाफा है। पिछले वर्ष से पहले लगातार तीन वर्षों तक स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा की गई रकम में गिरावट देखी गई थी। स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा की गई रकम का आंकड़ा इसलिए चौंकाने वाला है, क्योंकि भारत पिछले कुछ समय से दुनियाभर में भारतीयों द्वारा छुपाए गए कालेधन को वापस लाने की लगातार कोशिशें कर रहा है। गौरतलब है कि गोपनीयता कानूनों की आड़ में स्विस बैंक दुनियाभर के कालेधन की सुरक्षित पनाहगाह बने हुए थे। हालांकि भारत में स्विस बैंक की कुल संपत्ति लगातार दूसरे वर्ष गिरावट के साथ पिछले वर्ष के आखिर में 320 करोड़ स्विस फ्रैंक रह गई। इसमें रियल एस्टेट और इस तरह की अन्य संपत्तियां शामिल नहीं हैं। गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक 2016 में स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा की गई रकम 45 फीसद गिर गई थी, और यह सबसे बड़ी सालाना गिरावट थी। उस साल भारतीयों ने स्विस बैंक में महज 4,500 करोड़ रुपये जमा कराए थे। आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि पिछले वर्ष भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों में खुद जमा कराई रकम 6,891 करोड़ रुपये, जबकि वेल्थ मैनेजरों के जरिये जमा कराई गई रकम 112 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। पिछले वर्ष के आखिर में स्विस बैंकों में भारतीय व्यक्तिगत ग्राहकों द्वारा जमा रकम 3,200 करोड़ रुपये, अन्य बैंकों द्वारा जमा रकम 1,050 करोड़ रुपये जबकि सिक्युरिटीज और अन्य देनदारियों के मद में जमा रकम 2,640 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। हालांकि 2007 तक सिक्युरिटीज और अन्य मदों में स्विस बैंकों में जमा भारतीय रकम अरबों रुपये में हुआ करती थी। लेकिन भारतीय नियामकों की सख्ती के बाद उसमें गिरावट आनी शुरू हुई। वर्ष 2006 के अंत में भारतीयों द्वारा सभी मदों में स्विस बैंकों में जमा रकम 23,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर थी। लेकिन एक दशक बाद यह आंकड़ा महज 10वें हिस्से तक रह गया। भारत और कई अन्य देशों द्वारा घपलों-घोटालों के साक्ष्य मुहैया कराने के बाद स्विट्जरलैंड ने विदेशी ग्राहकों की जानकारी देनी पहले ही शुरू कर दी है। अब वह ऑटोमेटिक इन्फॉरमेशन एक्सचेंज संबंधी करार के बाद कालेधन के खिलाफ भारत की लड़ाई में और मदद करने को राजी हो गया है। इससे पहले स्विट्जरलैंड ने कहा था कि कालेधन पर चोट के बाद भारतीयों द्वारा सिंगापुर और हांगकांग जैसे फाइनेंशियल हब के मुकाबले स्विस बैंकों में जमा रकम का आंकड़ा बहुत कम रह गया है। रिपोर्ट में एसएनबी ने कहा है कि विदेशी ग्राहकों द्वारा स्विस बैंकों में जमा रकम का आकार पिछले वर्ष के आखिर में करीब तीन फीसद बढ़कर 100 लाख करोड़ रुपये के आसपास पहुंच गया है। पाकिस्तान फिर भी आगे हालांकि एसएनबी के मुताबिक पिछले वर्ष पाकिस्तानियों द्वारा स्विस बैंकों में किया निवेश 21 फीसद घटा है। लेकिन 7,700 करोड़ रुपये के साथ पाकिस्तान स्विस बैंकों में रकम जमा करने के मामले में भारत से आगे ही है। आंकड़ों के आईने में - 980 करोड़ स्विस फ्रैंक पर पहुंच गया स्विस बैंकों का लाभ पिछले वर्ष - 100 लाख करोड़ के आसपास पहुंच गई विदेशी ग्राहकों द्वारा जमा राशि - 56 फीसद इजाफा हुआ था भारतीय जमा में वर्ष 2004 के दौरान, उसके भारत में कालेधन पर एक के बाद एक चोट के बीच स्विस बैंकों को पिछले साल भारतीयों ने मालामाल कर दिया है। स्विट्जरलैंड में बैंकों के नियामक स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक भारतीयों ने पिछले वर्ष स्विस बैंकों में 101 करोड़ स्विस फ्रैंक (करीब 7,000 करोड़ रुपये) जमा किए हैं, जो 2016 के मुकाबले 50.2 फीसद ज्यादा है। इसमें भारतीयों और आप्रवासी भारतीयों द्वारा दूसरे देशों की इकाइयों के रूप में जमा रकम शामिल नहीं है। वर्ष 2004 में 56 फीसद बढ़ोतरी के बाद स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा रकम में यह सबसे बड़ा इजाफा है। पिछले वर्ष से पहले लगातार तीन वर्षों तक स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा की गई रकम में गिरावट देखी गई थी। स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा की गई रकम का आंकड़ा इसलिए चौंकाने वाला है, क्योंकि भारत पिछले कुछ समय से दुनियाभर में भारतीयों द्वारा छुपाए गए कालेधन को वापस लाने की लगातार कोशिशें कर रहा है। गौरतलब है कि गोपनीयता कानूनों की आड़ में स्विस बैंक दुनियाभर के कालेधन की सुरक्षित पनाहगाह बने हुए थे। हालांकि भारत में स्विस बैंक की कुल संपत्ति लगातार दूसरे वर्ष गिरावट के साथ पिछले वर्ष के आखिर में 320 करोड़ स्विस फ्रैंक रह गई। इसमें रियल एस्टेट और इस तरह की अन्य संपत्तियां शामिल नहीं हैं। गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक 2016 में स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा की गई रकम 45 फीसद गिर गई थी, और यह सबसे बड़ी सालाना गिरावट थी। उस साल भारतीयों ने स्विस बैंक में महज 4,500 करोड़ रुपये जमा कराए थे। आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि पिछले वर्ष भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों में खुद जमा कराई रकम 6,891 करोड़ रुपये, जबकि वेल्थ मैनेजरों के जरिये जमा कराई गई रकम 112 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। पिछले वर्ष के आखिर में स्विस बैंकों में भारतीय व्यक्तिगत ग्राहकों द्वारा जमा रकम 3,200 करोड़ रुपये, अन्य बैंकों द्वारा जमा रकम 1,050 करोड़ रुपये जबकि सिक्युरिटीज और अन्य देनदारियों के मद में जमा रकम 2,640 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। हालांकि 2007 तक सिक्युरिटीज और अन्य मदों में स्विस बैंकों में जमा भारतीय रकम अरबों रुपये में हुआ करती थी। लेकिन भारतीय नियामकों की सख्ती के बाद उसमें गिरावट आनी शुरू हुई। वर्ष 2006 के अंत में भारतीयों द्वारा सभी मदों में स्विस बैंकों में जमा रकम 23,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर थी। लेकिन एक दशक बाद यह आंकड़ा महज 10वें हिस्से तक रह गया। भारत और कई अन्य देशों द्वारा घपलों-घोटालों के साक्ष्य मुहैया कराने के बाद स्विट्जरलैंड ने विदेशी ग्राहकों की जानकारी देनी पहले ही शुरू कर दी है। अब वह ऑटोमेटिक इन्फॉरमेशन एक्सचेंज संबंधी करार के बाद कालेधन के खिलाफ भारत की लड़ाई में और मदद करने को राजी हो गया है। इससे पहले स्विट्जरलैंड ने कहा था कि कालेधन पर चोट के बाद भारतीयों द्वारा सिंगापुर और हांगकांग जैसे फाइनेंशियल हब के मुकाबले स्विस बैंकों में जमा रकम का आंकड़ा बहुत कम रह गया है। रिपोर्ट में एसएनबी ने कहा है कि विदेशी ग्राहकों द्वारा स्विस बैंकों में जमा रकम का आकार पिछले वर्ष के आखिर में करीब तीन फीसद बढ़कर 100 लाख करोड़ रुपये के आसपास पहुंच गया है। पाकिस्तान फिर भी आगे हालांकि एसएनबी के मुताबिक पिछले वर्ष पाकिस्तानियों द्वारा स्विस बैंकों में किया निवेश 21 फीसद घटा है। लेकिन 7,700 करोड़ रुपये के साथ पाकिस्तान स्विस बैंकों में रकम जमा करने के मामले में भारत से आगे ही है। आंकड़ों के आईने में - 980 करोड़ स्विस फ्रैंक पर पहुंच गया स्विस बैंकों का लाभ पिछले वर्ष - 100 लाख करोड़ के आसपास पहुंच गई विदेशी ग्राहकों द्वारा जमा राशि - 56 फीसद इजाफा हुआ था भारतीय जमा में वर्ष 2004 के दौरान, उसके बाद पिछले वर्ष सबसे ज्यादाद पिछले वर्ष सबसे ज्यादा

भारत में कालेधन पर एक के बाद एक चोट के बीच स्विस बैंकों को पिछले साल भारतीयों ने मालामाल कर दिया है। स्विट्जरलैंड में बैंकों के नियामक स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक भारतीयों ने पिछले वर्ष स्विस बैंकों में 101 करोड़ स्विस फ्रैंक (करीब …

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अमेरिका में अखबार के दफ्तर पर गोलीबारी में 5 की मौत, हमलावर का था अखबार से विवाद

अमेरिका के मैरीलैंड शहर में गोलीबार की सूचना है। जानकारी के मुताबिक, एक बंदूकधारी ने स्थानीय अखबार के ऑफिस पर हमला कर दिया। अब तक पांच लोगों के मारे जाने की सूचना है। कुछ लोग घायल हैं। पुलिस और सेना की टीम मौके पर पहुंच गई है। अधिकारियों के अनुसार, एक संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है। उसकी उम्र 40 साल के करीब है और वो मैरीलैंड का रहने वाला है। हमला कैपिटल गजट नामक लोकल अखबार पर हुआ है। हमले के समय वहां कई लोग मौजूद थे। आरोपी से पूछताछ की जा रही है। जिस बिल्डिंग पर हमला हुआ, वहां अन्य ऑफिस भी हैंं। करीब 170 कर्मचारियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। 38 वर्षीय हमलावर का नाम जरॉड रामॉस बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि आरोपी का लंबे वक्त से कैपिटल गैजेट के साथ विवाद चल रहा था। आरोपी जरॉड ने साल 2012 में कैपिटल गैजेट के खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी दायर कराया था। जानकारी के मुताबिक, रामोस कैपिटल गैजेट में अपने खिलाफ खबर छापने से नाराज था। रामोस ने जान से मारने की बात लिखी थी - 2012 में रामोस ने कैपिटल गैजेट में कॉलम लिखने वाले एरिक हार्टले पर मानहानि का केस दायर किया था। दरअसल, हार्टले ने अखबार में लिखा था कि रामोस ने एक महिला को फेसबुक पर अश्लील नामों से बुलाया और जान से मारने की धमकी दी। इस मामले में रामोस को आपराधिक शोषण का दोषी पाया गया। 2015 में मेरीलैंड की अदालत ने कैपिटल गैजेट और एक पूर्व रिपोर्टर के पक्ष में फैसला सुनाया। जिसके बाद से वे लगातार धमकियां दे रहा था। पांच की मौत, संदिग्ध गिरफ्तार - अमेरिका में मेरीलैंड राज्य के एनापोलिस में एक अखबार के दफ्तर पर अंधाधुंध गोलीबारी में पांच लोगों की मौत हो गई है। ये दफ्तर कैपिटल गैजेट अखबार का है। पुलिस ने एक संदिग्ध को भी गिरफ्तार कर लिया है। इस बीच मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि अखबार के दफ्तर में एक अज्ञात बंदूकधारी घुसा और उसने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। बता दें कि एनापोलिस शहर वॉशिंगटन से एक घंटे की दूरी पर है। आतंकी हमला नहीं - इस बीच कानून प्रवर्तन अधिकारी ने इसे आतंकी हमला मानने से इन्कार कर दिया है। उन्हें कहा ये आतंकी हमला नहीं बल्कि स्थानीय घटना है। वहीं, फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) की टीम मौके पर पहुंचकर जांच कर रही है। अंधाधुंध फायरिंग की वजह साफ नहीं - पुलिस ने हमलावर को हिरासत में ले लिया है। जांच अधिकारियों ने बताया है, 'हमें जानकारी मिली थी कि एक बंदूकधारी दफ्तर के अंदर गोलियां चला रहा है। हम तुरंत मौके पर पहुंचे और बंदूकधारी को हिरासत में लिया। वहीं, घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया।' ट्रंप ने जताया दुख - वहीं, इस घटना को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी दुख जताया है। ट्रंप ने ट्वीट कर कहा, 'मुझे एनापोलिस में कैपिटल अखबार के दफ्तर में गोलीबारी के बारे में बताया गया। पीड़ित और उनके परिवार के साथ मेरी संवेदनाएं हैं।' गौरतलब है कि अमेरिका में अंधाधुंध फायरिंग का ये कोई पहला मामला नहीं है। इसी साल फरवरी में फ्लोरिडा के हाइस्कूल में भी अंधाधुंध गोलीबारी की गई। इस दर्दनाक हादसे में 17 लोगों की जान चली गई। वहीं, मई में टेक्सास के एक स्कूल में हुई गोलीबारी में 10 लोग मारे गए थे।

अमेरिका के मैरीलैंड शहर में गोलीबार की सूचना है। जानकारी के मुताबिक, एक बंदूकधारी ने स्थानीय अखबार के ऑफिस पर हमला कर दिया। अब तक पांच लोगों के मारे जाने की सूचना है। कुछ लोग घायल हैं। पुलिस और सेना की टीम मौके पर पहुंच गई है। अधिकारियों के अनुसार, …

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सात दशक बाद दक्षिण कोरिया की राजधानी से अमेरिका ने हटाई सेना

अमेरिका सात दशक बाद दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में अपनी सैन्य मौजूदगी औपचारिक तौर पर खत्म कर रहा है. अमेरिकी सेना शुक्रवार को दक्षिण सियोल में अपने नए मुख्यालय का उद्घाटन कर रही है. भले ही अमेरिका के इस ऐतिहासिक कदम को उत्तर कोरिया के साथ बढ़ती नजदीकी तौर पर देखा जा रहा हो, लेकिन इसकी वजह कुछ और है. इसे पढ़ें: नॉर्थ कोरिया की वजह से टली भारत-अमेरिका टू प्लस टू वार्ता! दरअसल अमेरिकी सेना का मुख्यालय सियोल के प्रमुख रियल स्टेट क्षेत्र पर काबिज था. अमेरिका की इस सैन्य मौजूदगी को लेकर दक्षिण कोरिया के लागों में लंबे समय से असंतोष था. जिसे लेकर अमेरिका और सियोल के बीच दशकों से चर्चा चल रही थी. लिहाजा अमेरिका ने राजधानी सियोल से 70 किलोमीटर दूर कैम्प हम्फ्रे में अपना नया सैन्य मुख्यालय बनाया है. अमेरिका का ये सैन्य मुख्यालय कोरियाई प्रायद्वीप के तनाव वाले क्षेत्र से दूर भी है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान को सबक सिखाने लिए सियोल में अमेरिकी सेना का मुख्यालय बनाया गया था. आपको बता दे कि दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में अमेरिकी सेना 1945 से मौजूद है. सियोल में अमेरिकी सेना की मौजूदगी उत्तर कोरिया के आक्रमणकारी रवैये के निवारण के तौर पर देखा जाता रहा है. दक्षिण कोरिया में अमेरिका के 28,500 सैनिक तैनात हैं.गुरुवार को अमेरिका के रक्षा मंत्री मैटिस ने दक्षिण कोरिया के मंत्री सोंग यंग-मू से मुलाकात की.नों नेताओं के बीच हुई मुलाकात के दौरान मैटिस ने कहा कि दक्षिण कोरिया के प्रति अमेरिकी प्रतिबद्धता में कोई कमी नहीं आएगी.

अमेरिका सात दशक बाद दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में अपनी सैन्य मौजूदगी औपचारिक तौर पर खत्म कर रहा है. अमेरिकी सेना शुक्रवार को दक्षिण सियोल में अपने नए मुख्यालय का उद्घाटन कर रही है. भले ही अमेरिका के इस ऐतिहासिक कदम को उत्तर कोरिया के साथ बढ़ती नजदीकी तौर …

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मैक्सिको: नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार तक 133 नेताओं की हत्या

मैक्सिको में इस रविवार चुनाव होने वाले हैं, लेकिन मतदान से पहले ही एक रिपोर्ट से पूरे देश में भूचाल मचा है. रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव से पहले ही कुल 133 नेताओं की हत्या की जा चुकी है. परामर्श देने वाली एटलेक्ट संस्था के एक अध्ययन में यह दावा किया गया. संस्था के मुताबिक देश में बढ़ रही हिंसा ने रिकॉर्ड स्तर पर राजनीति को भी अपनी चपेट में ले लिया है. हत्या के इन अपराधों को सितंबर में उम्मीदवारों के पंजीकरण से शुरू होने और चुनाव प्रचार खत्म होने तक दर्ज दिया गया है. हाल ही में पश्चिमी राज्य मिकोआकैन में एक अंतरिम मेयर की हत्या कर दी गई थी. ज्यादातर हत्याएं स्थानीय स्तर के नेताओं की गई जो अक्सर मैक्सिको के ताकतवर मादक पदार्थ माफिया के निशाने पर रहते हैं. चुनाव संबंधी हिंसा का अध्ययन करने वाली संस्था एटलेक्ट ने बताया कि मृतकों में 48 उम्मीदवार वो थे जो चुनाव में खड़े हुए थे जिनमें से 28 की हत्या प्रारंभिक प्रचार के दौरान की गई और 20 की आम चुनाव प्रचार के दौरान. संस्था के निदेशक रूबेन सालाजर ने कहा , “ यह हिंसा स्थानीय स्तर पर केंद्रित है. इनमें से कम से कम 71 प्रतिशत हमले निर्वाचित अधिकारियों और स्थानीय स्तर पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के खिलाफ किए गए. संस्था ने कहा यह मैक्सिको में हुआ अब तक सबसे हिंसक चुनाव है. मैक्सिको सरकार के 2006 में मादक पदार्थ तस्करी से लड़ने के लिए सेना की तैनाती किए जाने के बाद यहां हिंसा बहुत बढ़ गई है.

मैक्सिको में इस रविवार चुनाव होने वाले हैं, लेकिन मतदान से पहले ही एक रिपोर्ट से पूरे देश में भूचाल मचा है. रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव से पहले ही कुल 133 नेताओं की हत्या की जा चुकी है. परामर्श देने वाली एटलेक्ट संस्था के एक अध्ययन में यह दावा किया …

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पाक में चुनाव: कोई नया ही होगा इस बार गद्दी पर !

अगले महीने पाकिस्‍तान में आम चुनाव है और बड़े सियासतदारों के नामो के निस्तेनाबूत होने और नकारे जाने का सिलसिला जारी है. ऐसे में पाक की कमान किसी नए चेहरे के हाथ में आने से इंकार नहीं किया जा सकता. बड़े चेहरे कही न कही उलझे हुए है. पाकिस्‍तान के पूर्व प्रधानमंत्री खाकन अब्‍बासी पर चुनाव न्यायाधिकरण ने रावलपिंडी से भी चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ का नामांकन खारिज हुआ. नवाज शरीफ का जिक्र करना तो अब बेमानी ही होगी. इमरान खान का दूसरा परिचय अब पाकिस्तान में विवाद ही है. हर दिन एक नए मामले के साथ वे अखबारों में है. इस्लामाबाद से पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान का नामांकन स्वीकार है पर मुश्किलें सिर्फ नामांकन भरने तक नहीं रहती. पहले निर्वाचन अधिकारी ने उनका नामांकन खारिज भी कर दिया था, और रही सही कसर उनकी पूर्व पत्‍नी रेहम खान की पुस्तक रिलीज से पहले ही कर चुकी है. शाहबाज शरीफ जो पंजाब के मुख्यमंत्री रहे से भी उम्‍मीद काफी कम है.उनके ऊपर भी कई तरह के आरोप हैं. इन सब बातो से इस बात का यकीं किया जाना इतना मुश्किल नहीं है कि पाक में इस बार नई बयार देखी जा रही है और पाक का नया मुस्तकबिल कोई नया चेहरा ही होगा. साथ ही ये भी देखना दिलचस्प होगा कि उसके सेना से कैसे संबंध है या होंगे.

अगले महीने पाकिस्‍तान में आम चुनाव है और बड़े सियासतदारों के नामो के निस्तेनाबूत होने और नकारे जाने का सिलसिला जारी है. ऐसे में पाक की कमान किसी नए चेहरे के हाथ में आने से इंकार नहीं किया जा सकता. बड़े चेहरे कही न कही उलझे हुए है. पाकिस्‍तान के …

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अमेरिका: अखबार के दफ्तर पर हमले में पांच जाने गई

अमेरिका: अखबार के दफ्तर पर हमले में पांच जाने गई

अमेरिका में एक अखबार के दफ्तर पर हुए हमले में गोलीबारी में 5 लोग मारे गए हैं. घटना मेरीलैंड स्थित एनापोलिस शहर में हुई जिसमे कई लोग घायल भी हो गए. घटना की सुचना मिलते ही पुलिस ने मोर्चा सँभालते हुए एक संदिग्ध को हिरासत में लिया और आसपास के …

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गुजरात सरकार पर संकट के बादल, विधायकों की नाराजगी बनी मुश्किल

मौजूदा गुजरात सरकार में फ़िलहाल सब कुछ ठीक नही चल रहा हैं. ख़बरों की माने तो गुजरात के वड़ोदरा से तीन भाजपा विधायक अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ हो गए हैं. तीन भाजपा विधायक रूपानी सरकार से नाराज चल रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि अधिकारियों द्वारा उनकी अनदेखी की गई हैं. साथ ही पार्टी आलाकमान से शिकायत करने की बात सामने आई है. अपनी ही सरकार से नाराज चल रहे तीनों भाजपा विधायकों ने यह भी दावा किया है कि पार्टी के करीब 1 दर्जन से अधिक विधायक उनके साथ हैं. विधायकों के इस बयान ने सरकार की मुश्किलों में और इजाफ कर दिया हैं. यह मामला ऐसे समय में प्रकाश में आया है जब मुख्यमंत्री विजय रूपाणी अपने 6 दिन के इजरायल दौरे पर गए हुए हैं. सरकार से नाराज चल रहे विधायक मधु श्रीवास्तव, योगेश पटेल और केतन इनामदार हैं. उनका कहना है कि राज्य के कुछ मंत्री उनकी बात नहीं सुन रहे है और उनको अनदेखा किया जा रहा है. वहीं इस पर गुजरात के उपमुख्यमंत्री नीतिन पटेल ने कहा कि तीनों विधायक पार्टी से नाराज नहीं हैं और उन्हें मिलने के लिए बुलाया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि जो भी अधिकारी इन जनप्रतिनिधियों की अवहेलना करने के दोषी होंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

मौजूदा गुजरात सरकार में फ़िलहाल सब कुछ ठीक नही चल रहा हैं. ख़बरों की माने तो गुजरात के वड़ोदरा से तीन भाजपा विधायक अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ हो गए हैं. तीन भाजपा विधायक रूपानी सरकार से नाराज चल रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि अधिकारियों द्वारा …

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