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अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से भी खुद को अलग किया

हेली ने परिषद पर आरोप लगाया कि UNHRC का इजरायल के प्रति भेदभाव वाला रवैया रहा है. माइक पोम्पियो ने आरोप लगाया कि आज UNHRC दुनिया के तमाम देशों में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन की अनदेखी कर रहा है.वहीं संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के अध्यक्ष जेद बिन राद अल हुसैन ने अमेरिका के इस फैसले पर हैरानी जताते हुए कहा कि उन्हें मानवाधिकार की रक्षा करनी चाहिए. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की स्थापना 2006 में हुई थी.47 देश इसके सदस्य है.

विश्व समुदाय के कई संघठनो से लगातार बाहर होने का सिलसिला जारी रखते हुए अब अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) से बाहर होने का फैसला भी कर लिया है. इसका एलान करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत निक्की हेली ने इजरायल …

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गाजा विवाद बढ़ा, इजरायल ने मार गिराईं 25 मिसाइलें

अरब जगत में अनेक लोगों के लिए यह इस्लाम से संबंधित सबसे पवित्र स्थलों में से एक है. शहर में यहूदियों और ईसाइयों के भी धार्मिक स्थल हैं. मुद्दा इतना विवादास्पद है कि अंतरराष्ट्रीय वार्ताकारों ने शांति समझौतों के अंतिम चरणों में यरूशलम से जुड़े प्रश्न को छोड़ दिया था. सयुंक्त राष्ट्र ने भी की निंदा संयुक्त राष्ट्र महासचिव एतोनियो गुतारेस ने भी प्रदर्शन के दौरान इस्राइल की गोलीबारी में बड़ी संख्या में फलस्तीनियों की मौत पर दुख जताते हुए चेतावनी दी थी कि गाजा युद्ध की कगार पर खड़ा है. गुतारेस ने कहा कि 30 मार्च को शुरू हुए प्रदर्शन के बाद से हताहत हुए फिलस्तिनियों की संख्या से वो काफी स्तब्ध हैं. जिसमें अब तक 132 फिलस्तीनी मारे जा चुके हैं और रेड क्रॉस के आंकड़ों के अनुसार 13,000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. आपको बता दें कि अभी कुछ ही दिनों पहले गाजा पट्टी के पास लाखों फिलिस्तीनी प्रदर्शन करने उतरे थे. इस दौरान उनपर गोलीबारी की गई थी. जिसके विश्वस्तर पर काफी निंदा हुई थी.

गाजा पट्टी पर चल रही हिंसा अब बड़ा रूप लेती जा रही है. मंगलवार देर शाम को गाजा की तरफ से करीब 30 मिसाइलें इजरायल की तरफ दागी गईं थीं. बुधवार सुबह इजरायली सेना ने बयान जारी कर कहा कि 30 में से 25 टारगेट को मार गिराया गया है. …

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ट्रंप ने कनाडा पर लगाया अमेरिकी जूतों की तस्करी का आरोप

ट्रंप ने बताया बेईमान ट्रंप ने अपने ट्वीट में लिखा कि पीएम जस्टिन ट्रूडो ने जी-7 सम्मेलन के दौरान बहुत की हल्का व्यवहार किया और कहा कि अमेरिका ने जो टैरिफ लगाए हैं वो अपमानजनक हैं. ट्रंप ने आगे उन्हें बेईमान और कमजोर लिखते हुए कहा कि हमारे टैरिफ डेयरी पर उनके (ट्रूडो) 270% के बदले हैं.ट्रंप ने बताया बेईमान ट्रंप ने अपने ट्वीट में लिखा कि पीएम जस्टिन ट्रूडो ने जी-7 सम्मेलन के दौरान बहुत की हल्का व्यवहार किया और कहा कि अमेरिका ने जो टैरिफ लगाए हैं वो अपमानजनक हैं. ट्रंप ने आगे उन्हें बेईमान और कमजोर लिखते हुए कहा कि हमारे टैरिफ डेयरी पर उनके (ट्रूडो) 270% के बदले हैं.

अमेरिका और कनाडा के संबंध लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए कनाडाई धातुओं पर शुल्क लगाने के बाद अब डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका के उत्तरी पड़ोसी पर फिर से निशाना साधा है और दावा किया कि कनाडाई नागरिक सीमा पार जूतों की तस्करी कर …

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इमरान खान का नामांकन रद्द

तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख और पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. जहा एक ओर हर रोज एक नया विवाद उनके दामन से चिपक रहा है वही अब पाकिस्तान चुनाव आयोग ने मंगलवार को इमरान खान का नामांकन पत्र खारिज कर दिया. पाकिस्तान में अगले महीने होने वाले चुनावों के लिए सरगर्मिया तेज हो गई है. आयोग ने इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएल एन नेता शाहिद खाकान अब्बासी और पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का नामांकन पत्र भी खारिज कर दिए है. 25 जुलाई को पाक में आम चुनाव होने हैं और फिलहाल वहां कार्यवाहक सरकार देश को चला रही है. पाकिस्तान में कुल 10.5 करोड़ मतदाता है जिनमे करीब 6 करोड़ पुरुष और 4.6 करोड़ महिला वोटर्स है. निर्वाचन अधिकारी ने इस्लामाबाद के एनए-53 के लिए अब्बासी और उनके वैकल्पिक उम्मीदवार सरदार महताब के नामांकन पत्र खारिज कर देने के बाद अब इमरान को भी झटका दिया है. ये खबर पाकिस्तान के मुख्य अख़बार डॉन के मुताबिक मिली है. दोनों उम्मीदवार आयोग के सामने जरूरी हलफनामा और टैक्स रिटर्न की जानकारी मुहैया नहीं करवा पाए .इमरान खान इन दिनों लगातार विवादों में है. उनकी पूर्व पत्नी रेहम खान की एक किताब ने उनकी जिंदगी में भूचाल लाया हुआ है. वही वे खुद नारीवाद पर विवादित बयान दे कर फ़स चुके है. तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख और पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. जहा एक ओर हर रोज एक नया विवाद उनके दामन से चिपक रहा है वही अब पाकिस्तान चुनाव आयोग ने मंगलवार को इमरान खान का नामांकन पत्र खारिज कर दिया. पाकिस्तान में अगले महीने होने वाले चुनावों के लिए सरगर्मिया तेज हो गई है. आयोग ने इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएल एन नेता शाहिद खाकान अब्बासी और पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का नामांकन पत्र भी खारिज कर दिए है. 25 जुलाई को पाक में आम चुनाव होने हैं और फिलहाल वहां कार्यवाहक सरकार देश को चला रही है. पाकिस्तान में कुल 10.5 करोड़ मतदाता है जिनमे करीब 6 करोड़ पुरुष और 4.6 करोड़ महिला वोटर्स है. निर्वाचन अधिकारी ने इस्लामाबाद के एनए-53 के लिए अब्बासी और उनके वैकल्पिक उम्मीदवार सरदार महताब के नामांकन पत्र खारिज कर देने के बाद अब इमरान को भी झटका दिया है. ये खबर पाकिस्तान के मुख्य अख़बार डॉन के मुताबिक मिली है. दोनों उम्मीदवार आयोग के सामने जरूरी हलफनामा और टैक्स रिटर्न की जानकारी मुहैया नहीं करवा पाए .इमरान खान इन दिनों लगातार विवादों में है. उनकी पूर्व पत्नी रेहम खान की एक किताब ने उनकी जिंदगी में भूचाल लाया हुआ है. वही वे खुद नारीवाद पर विवादित बयान दे कर फ़स चुके है.

तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख और पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. जहा एक ओर हर रोज एक नया विवाद उनके दामन से चिपक रहा है वही अब पाकिस्तान चुनाव आयोग ने मंगलवार को इमरान खान का नामांकन पत्र खारिज कर दिया. …

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LIVE: जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन, 12.30 बजे बैठक करेंगे एनएन वोहरा

बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के बाद केंद्र नया राज्यपाल नियुक्त कर सकती है. बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा है कि ये गठबंधन होना ही नहीं चाहिए था, क्योंकि पीडीपी और बीजेपी दोनों की विचारधारा अलग है. लेकिन अगर गठबंधन हो गया तो इसे बहुत पहले ही अलग हो जाना चाहिए था. केजरीवाल ने कहा है कि बर्बाद करने के बाद बीजेपी कश्मीर में गठबंधन से बाहर हो गई. क्या बीजेपी ने हमसे यह नहीं कहा था कि नोटबंदी से कश्मीर में आतंकवाद की कमर टूट गयी ? तब क्या हुआ ? जम्मू कश्मीर में सरकार गिरने पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि पीडीपी ने खुद अपने लिए यह राजनीतिक आपदा खड़ी की है. मुझे लगता है कि पीडीपी के लिए अभी कोई स्थान नहीं है, यह पीडीपी के लिए एक सबक है और नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए भी. राज्य में कोई पार्टी सरकार बनाने के लिए तैयार नहीं जम्मू कश्मीर विधानसभा में कांग्रेस की 12 सीटें हैं. पार्टी ने कहा है कि पीडीपी के साथ गठबंधन करने का सवाल ही नहीं है. राज्य में एक अन्य प्रमुख दल नेशनल कांफ्रेंस के 15 विधायक हैं. उमर अब्दुल्ला ने भी राज्यपाल शासन लगाए जाने की बात कही है. उमर ने राज्यपाल से मुलाकात की और कहा कि उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात कर कहा कि हमें 2014 में मैंडेट मिला और न ही हमारे पास मैंडेट है. न तो किसी ने हमें अप्रोच किया और न ही हमने किसी को अप्रोच किया है. ऐसे में अब ब कोई सरकार बनाने को तैयार नहीं है. साल 2015 के चुनाव में बीजेपी को मिली थीं 25 सीटें राज्य में 87 सदस्यीय विधानसभा के लिए 2015 में हुए चुनाव में बीजेपी को 25, पीडीपी को 28, नेशनल कांफ्रेंस को 15, कांग्रेस को 12 और अन्य को सात सीटें मिली थीं. गठबंधन के एजेंडा के साथ बीजेपी और पीडीपी ने सरकार बनाने के लिए एक दूसरे से हाथ मिलाया था.

जम्मू-कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी की तीन साल तक चली सरकार गिर चुकी है. राज्य में अब राज्यपाल शासन लालू हो गया है. बीजेपी ने कहा है कि राज्य में बढ़ते कट्टरपंथ और आतंकवाद के चलते सरकार में बने रहना मुश्किल हो गया था. राज्य में 1977 के बाद से …

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जम्मू-कश्मीर में क्यों टूटा बीजेपी-पीडीपी गठबंधन? ये है बड़ी वजह

रातनीति में यह तय है की कुछ भी तय नहीं है. करीब तीन साल पहले राजनीतिक विचारधारा को दरकिनार कर सत्ता के लिए एकजुट हुई भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने कल एक-दूसरे से नाता तोड़ लिया. सूबे में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया है. यानि केंद्र अप्रत्यक्ष रूप से राज्य में शासन चलाएगी. गठबंधन टूटने के पीछे दोनों पार्टी एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रही है. बीजेपी कल तक सरकार में रहने के बावजूद आरोप लगा रही है कि महबूबा मुफ्ती आतंकवाद को रोकने में नाकामयाब रही. वहीं पीडीपी का कहना है कि घाटी में जोर-जबरदस्ती की नीति कारगर नहीं होगी. गठबंधन टूटने की ये वो वजहें हैं जो आधिकारिक प्रेस कांफ्रेंस में गिनाई गई. लेकिन असल कारण केवल यही नहीं है. दरअसल, फरवरी 2015 में जब बीजेपी-पीडीपी ने गठबंधन का रास्ता चुना तभी से यह सवाल उठने लगा था कि यह गठबंधन कितने दिनों तक खींचेगी? तब मुफ्ती मोहम्मद सईद (दिवंगत) ने कहा था कि यह नॉर्थ पोल और साउथ पोल का गठबंधन है. हालांकि दोनों दलों ने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का फॉर्मूला तैयार किया और सरकार चलती रही. लेकिन बीजपी और पीडीपी के बीच वैचारिक मतभेद कभी कम नहीं हुई. अफस्पा, अनुच्छेद 35ए, अलगाववादियों की गिरफ्तारी, पाकिस्तान से बातचीत, कठुआ गैंगरेप जांच को लेकर बीजेपी-पीडीपी में मतभेद ही नहीं मनभेद भी रहे. BJP के समर्थन खींचने के बाद जम्मू-कश्मीर में गिरी महबूबा सरकार, राज्यपाल शासन लागू अनुच्छेद 370: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कश्मीर को लेकर पूरे देश में प्रचारित करती रही है कि वह अनुच्छेद 370 को लेकर उसका रुख साफ है और वह खत्म करेगी. वहीं पीडीपी किसी भी कीमत पर इसके लिए न तैयार थी और न ही होगी. यही वजह थी की कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में अनुच्छेद 370 को अलग रखा गया था. कल ही पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हमें संविधान के अनुच्छेद 370 और राज्य के विशेष दर्जे के बारे में आशंका थी. हमने अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए की रक्षा की है. क्या है धारा 370? साल 1954 में राष्ट्रपति के एक आदेश के बाद संविधान में यह अनुच्छेद जोड़ा गया था, जो जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार प्रदान करता है, और राज्य विधानसभा को कोई भी कानून बनाने का अधिकार देता है, जिसकी वैधता को चुनौती नहीं दी जा सकती. यह अनुच्छेद जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को छोड़कर बाकी भारतीय नागरिकों को राज्य में अचल संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी पाने और राज्य सरकार की छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ लेने से रोकता है. सुरक्षाबलों को मिली बड़ी कामयाबी, त्राल में जैश के ऑपरेशन कमांडर सहित तीन ढेर अनुच्छेद 35 ए: अनुच्छेद 35 ए अनुच्छेद 370 का ही हिस्सा है. इसपर बीजेपी और पीडीपी में शुरुआत से ही मतभेद रहा है. अनुच्छेद 35 ए के तहत जम्मू-कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार और सुरक्षा हासिल है. पीडीपी इस अनुच्छेद को सुरक्षित रखना चाहती है और बीजेपी देश के सभी नागरिकों के लिए समान विशेषाधिकार चाहती है. इस धारा को एनजीओ वी द सिटिजन्स ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर केंद्र सरकार ने कहा है कि इस धारा को असंवैधानिक घोषित करने के लिए इस मुद्दे पर पर्याप्त बहस करने की जरूरत है. अफस्पा: जम्मू-कश्मीर में अफ्सपा यानि (आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट) लागू है. केंद्र इसे हटाने पर सहमत नहीं है वहीं पीडीपी इसे हटाने के पक्ष में रही है. सेना का आतंकियों के खिलाफ बड़े स्तर पर राज्य में ऑपरेशन जारी है. ऐसे समय में केंद्र सरकार झुके यह संभव नहीं था. अफस्पा सेना को 'डिस्टर्ब्ड एरिया' में कानून व्यवस्था बनाए रखने की ताकत देता है. इसके तहत सेना पांच या इससे ज्यादा लोगों को एक जगह इक्ट्ठा होने से रोक सकती है. इसके तहत सेना को वॉर्निंग देकर गोली मारने का भी अधिकार है. ये कानून सेना को बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने की ताकत देता है. इसके तहत सेना किसी के घर में बिना वारंट के घुसकर तलाशी ले सकती है. जम्मू कश्मीर: आखिर महबूबा मुफ्ती से चूक कहां हो गई? पाकिस्तान से बातचीत: कश्मीर में आतंकियों को भेजने की फैक्ट्री पाकिस्तान को लेकर पीडीपी और बीजेपी में विवाद रहा. सीमा पर पाकिस्तान की तरफ से लगातार गोलीबारी और आतंकियों की घुसपैठ के बावजूद पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती पाकिस्तान से बातचीत का राग अलापती रही. वहीं केंद्र की बीजेपी सरकार ने साफ कर दिया की वह तब तक बातचीत नहीं करेगी जबतक कि पाकिस्तान सीमा पर शांति बहाल नहीं करता है. रमजान सीजफायर: रमजान के मौके पर जम्मू-कश्मीर में सीजफायर लागू करने के लिए महबूबा मुफ्ती ने दबाव बनाया था. जिसके बाद केंद्र ने 16 मई को सीजफायर की घोषणा की. जिसकी वजह से आतंकी वारदातों में बढ़ोतरी हुई. केंद्र सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. पिछले दिनों केंद्र ने फिर से सीजफायर खत्म कर दिया. अलगाववादियों की गिरफ्तारी: केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद अलगाववादियों के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई शुरू हुई. टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में शब्बीर शाह समेत कम से कम 11 अलगाववादी नेताओं को केंद्रीय जांच एजेंसियों ने गिरफ्तार किया. पीडीपी का कहना था कि गिरफ्तारी से राज्य की स्थिति और खराब हो सकती है. इन कारणों से बीजेपी ने छोड़ा महबूबा मुफ्ती का 'साथ' पत्थरबाजी: जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों के खिलाफ पत्थरबाजी आम है. पीडीपी हमेशा पत्‍थरबाजों पर रहम की मांग करती रही है. जब पत्थरबाजों से बचने के लिए मेजर लीतुल गोगोई ने एक शख्स को मानव ढाल बनाया तो जम्मू-कश्मीर सरकार उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से भी नहीं चूकी. वहीं बीजेपी की इस मामले में बिल्कुल अलग राय है. वह पत्थरबाजों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का दावा करती रही है. कठुआ गैंगरेप: जम्मू-कस्मीर में नाबालिग लड़की से गैंगरेप के मामले की जांच को लेकर राज्य बीजेपी के कई नेता और मंत्री सवाल उठाते रहे. बीजेपी के दो मंत्रियों ने आरोपियों के पक्ष में रैलियां निकाली. दोनों मंत्रियों को काफी आलोचनाओं के बाद इस्तीफा देना पड़ा.

रातनीति में यह तय है की कुछ भी तय नहीं है. करीब तीन साल पहले राजनीतिक विचारधारा को दरकिनार कर सत्ता के लिए एकजुट हुई भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने कल एक-दूसरे से नाता तोड़ लिया. सूबे में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया है. …

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सेना ने बनाई आतंकियों की हिटलिस्ट, टॉप 10 में शामिल हैं ये दहशतगर्द

6. समीर अहमद सेह- समीर पढ़ा-लिखा और काफी टेक्नो सेवी आतंकी है. समीर कोड वर्ड में वकास भाई के नाम से मशहूर है. समीर शोपियां का रहने वाला है. 7. जुबेर टाइगर- जुबेर दक्षिण कश्मीर का रहने वाला है. कुछ समय पहले ही ये हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ है. 8. कासिम लश्करी- कासिम विदेशी आतंकी है जो कि इस्लामाबाद का रहने वाला है. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक कासिम का मुख्य टारगेट 16 से 20 साल के वो युवा होते हैं जो स्कूल और कॉलेज के ड्रॉप आउट होते हैं. कासिम a++ कैटेगरी का आतंकी है. 9. लियाकत हिजबी- लियाकत पुलवामा का रहने वाला है और कई बार कासिम लश्करी के साथ कई बार देखा गया है. 10. मनास वानी और आदिल नोमान- ये दोनों आतंकी कश्मीर में एक ही गांव के हैं और अक्सर साथ ही देखे गए हैं.

करीब एक महीने के सीजफायर के बाद सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खिलाफ एक बार फिर कमर कस ली है. 17 जून को गृह मंत्रालय के आदेश के बाद से ही सेना और सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी नयी हिटलिस्ट तैयार कर ली है. इस लिस्ट में राइफलमैन औरंगजेब की हत्या की …

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…जब पीएम से बात करने कड़कनाथ मुर्गे के साथ पहुंची महिला किसान

कड़कनाथ प्रजाति का मुर्गा सदियों से आदिवासी बहुल्य राज्यों में ही उपलब्ध और संरक्षित रहा है. वास्तव में यह एक जंगली मुर्गा है, जो पूरी तरह से प्राकृतिक वातावरण में रहने से सामान्य मुर्गों की तुलना में भारी भरकम और आक्रामक होता है. आमतौर पर यह जेट ब्लैक और काले में हल्का लाल रंग के पंखों वाला दो कलर में मिलता है. काले खून और स्वादिष्ट मांस के लिए जाना जाता है कड़कनाथ इसका खून का रंग भी सामान्यतः काले रंग का होता है, जबकि आम मुर्गे के खून का रंग लाल पाया जाता है. इसका मांस काफी कड़ा होता है. सामान्य मुर्गों के पकने की तुलना में कड़कनाथ का मांस दुगना समय लेता है. इसका स्वाद भी लाजवाब होता है. लोगों के बीच प्रचलन है कि कड़कनाथ के मांस का सेवन करने से सेक्सुअल पावर बढ़ता है और यह शक्तिवर्धक दवाइयों से ज्यादा कारगर होता है. इसके चलते कड़कनाथ का जमकर शिकार हुआ. इनके अलावा भी प्रधानमंत्री ने कई किसानों से बात की. इसी दौरान छत्तीसगढ़ की एक महिला ने बताया कि किसान योजना के तहत उन्हें खेती करने के लिए लोन मिला. इसके साथ उन्होंने सीताफल की खेती की और साथ में घर पर ही आइसक्रीम भी बनाना शुरू किया. जिससे उनकी आय काफी हद तक बढ़ गई. इस दौरान महिला ने कहा कि अगर आप उनके सामने होते तो वह जरूर उन्हें आइसक्रीम खिलातीं. बता दें कि इस दौरान उन्होंने कृषि क्षेत्र की बेहतरी के लिये सरकार द्वारा की गई पहलों के बारे में भी बताया. प्रधानमंत्री ने कहा कि किसान हमारे अन्नदाता हैं, वो हमें भोजन देते हैं. देश की अर्थव्यवस्था को बदलने का पूरा श्रेय सिर्फ किसानों को ही जाता है. PM मोदी ने कहा कि देश के विकास के लिए किसानों ने खून-पसीना एक कर दिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम आय दोगुनी करने की बात करते हैं तो लोग हमारा मज़ाक उड़ाते हैं. किसान आज रिस्क लेने को तैयार है, परिणाम देने को भी तैयार है और उसने अभी तक ऐसा ही किया है. चार बिंदुओं पर ध्यान दे किसानों की आय दोगुनी की जा सकती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नमो ऐप के जरिए देश भर के किसानों से बात की. इस दौरान पीएम ने अपनी सरकार की योजनाओं और किसानों की आय दोगुनी करने के बारे में बात की. कई किसानों ने अपने अनुभव प्रधानमंत्री से बात भी की. इसी दौरान मध्य प्रदेश …

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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस : आखिर क्यों 21 जून को ही मनाया जाता है योग दिवस ?

प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी अंतर्राष्ट्र्रीय योग दिवस काफी शानदार रुप में मनाए जाने की तैयारियां चल रही हैं. भारत की देन योग आज विश्व भर में मशहूर हैं. हर बार की तरह इस बार भी कल यानी 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा. अंतर्राष्ट्र्रीय योग दिवस मनाने का पूरा श्रेय हमारे देश भारत को दिया जाता हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ठीक तीन साल पहले इसकी शुरुआत की थी. पहली बार साल 2015 में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया था. आखिर 21 जून को ही क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस ? आज से करीब साढ़े तीन साल पहले 27 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में इसका जिक्र किया था. इससे पहले 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र में 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को 'अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस' को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली थी. जहां पीएम मोदी के इस प्रस्ताव को तीन माह की अवधि में पूर्ण बहुमत से पारित किया गया. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके बाद अगले वर्ष यानी साल 2015 में 21 जून को करीब 36000 लोगों के साथ मिलकर राजधानी दिल्ली में 35 मिनट तक 21 योग आसन का प्रदर्शन किया. इस समारोह का आयोजन राजपथ पर हुआ था. इस समारोह ने गिनीज रिकॉर्ड्स भी बनाए.

प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी अंतर्राष्ट्र्रीय योग दिवस काफी शानदार रुप में मनाए जाने की तैयारियां चल रही हैं. भारत की देन योग आज विश्व भर में मशहूर हैं. हर बार की तरह इस बार भी कल यानी 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा. अंतर्राष्ट्र्रीय योग दिवस …

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नमो ऐप पर प्रधानमंत्री किसानों के साथ

उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि किसानों को खेती की पूरी प्रक्रिया में हर कदम पर मदद मिले, यानि बुआई से पहले, बुआई के बाद और फसल कटाई के बाद. उन्होंने कहा कि सीधे तौर पर कहें तो फसलों के तैयार होने से लेकर बाजार में उसकी बिक्री तक, यानि ‘बीज से बाजार तक’ फैसले लिए जा रहे हैं. किसान कल्याण के लिए एक पूरी व्यवस्था बने, उस दिशा में हम बढ़ रहे हैं. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में कई किसानों से बात की. किसानो के लिए पीएम के फंडे - #किसान की लागत कम हो #पैदावार की सही कीमत मिले #पैदावार बर्बाद ना हो #खेती के अलावा भी वैकल्पिक काम तैयार हो

नमो ऐप पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बुधवार को किसानों से मुखातिब हुए. प्रधानमंत्री ने किसानो से कहा कि किसान हमारे अन्नदाता हैं, वो हमें भोजन देते हैं. देश की अर्थव्यवस्था को बदलने का पूरा श्रेय सिर्फ किसानों को ही जाता है. PM मोदी ने कहा कि देश के विकास …

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