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चीन जरूरी भी, मजबूरी भी: 42 दिन में मोदी-जिनपिंग की दो मुलाकातों से क्या बदला?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के क्विंगदाओ शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में हिस्सा लेकर स्वदेश लौट आए हैं. पिछले 42 दिन में ये चीन का उनका दूसरा दौरा था. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल के आखिरी हफ्ते में चीन का दौरा किया था जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वुहान शहर में मोदी की मेजबानी की थी और अनौपचारिक बातचीत में पर्सनल केमिस्ट्री पर खास जोर दिया गया था. वुहान में दोनों देशों की कोशिश ये थी कि तनाव के मुद्दों की वजह से रिश्ते खराब न हो पाएं, दुनिया ने क्विंगदाओ में इस कोशिश को और आगे बढ़ते देखा. पहली बार एससीओ का पूर्ण सदस्य भारत इस बार पीएम मोदी ने चीन का दौरा एससीओ सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए किया जिसमें पहली बार भारत पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुआ. रूस-चीन, ईरान के अलावा पाकिस्तान भी एससीओ का सदस्य है. सुरक्षा से ज्यादा इस संगठन का जोर आर्थिक सहयोग पर है. ये दोनों मुलाकातें काफी अहम हैं, खासकर डोकलाम तनाव के बाद दोनों देशों के रिश्तों में आई तल्खी के मद्देनजर. डोकलाम से आगे निकले रिश्ते पिछले साल डोकलाम में सड़क निर्माण से उपजे तनाव ने युद्ध जैसे हालात उत्पन्न कर दिए थे. एशिया के दो सबसे बड़े और परमाणु संपन्न देशों के सैनिक 73 दिन तक आमने-सामने डटे रहे थे. परमाणु युद्ध तक की धमकियां दी जा रही थीं. पर्सनल केमिस्ट्री से बदले हालात डोकलाम तनाव को कम करने के लिए मोदी और जिनपिंग ने कूटनीति का सहारा लिया. साथ ही दोनों नेताओं की पर्सनल केमिस्ट्री भी काफी मददगार साबित हुई. पिछले चार साल में दोनों नेता 14 बार मिल चुके हैं. इस साल कम से कम 4 और सम्मेलनों में मुलाकातें होंगी. साथ ही जिनपिंग ने अगले साल भारत दौरे का न्योता भी स्वीकार किया है. इससे पहले सितंबर 2014 में जिनपिंग भारत आए थे. पीएम मोदी ने अहमदाबाद में उनकी अगवानी की थी. वुहान में बनी बुनियाद अप्रैल में वुहान शहर में दुनिया की दो सबसे बड़ी अभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं ने अनौपचारिक बैठक कर तनाव को दूर करने की कोशिश का ऐलान किया. आज हालात पिछले कुछ महीनों पहले की स्थिति से काफी भिन्न दिखाई दे रहे हैं. क्या बदलाव दिखा है इन 42 दिनों में भारत-चीन के रिश्तों में, सरहद पर और कूटनीति में.. -ब्रह्मपुत्र नदी का डेटा शेयर करेगा चीन शनिवार को शी जिनपिंग और पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात के बाद ब्रह्मपुत्र से जुड़े हाइड्रोलॉजिकल डेटा को साझा करने को लेकर अहम समझौता हुआ. पूर्वोत्तर में ब्रह्मपुत्र नदी भारत की लाइफलाइन है और वहां रहने वाले लोगों के लिए इस नदी के जल बहाव के बारे में सटीक जानकारी रखना जरूरी है. डोकलाम तनाव के बाद चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी का डेटा शेयर करना बंद कर दिया था. इससे असम समेत कई पूर्वोत्तर राज्यों में बाढ़ के पानी पर नियंत्रण और प्रबंधन में दिक्कतें आ रही थी. -व्यापार घाटा कम करने पर सहमति भारत-चीन के संबंध आर्थिक ज्यादा हैं. चीन ने जहां भारत में 160 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, वहीं चीन के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार है. भारत-चीन ने 2020 तक आपसी व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है. इसमें भारत की चिंता 51 अरब डॉलर के व्यापार घाटे को लेकर थी. इसके मद्देनजर चीन ने भारत से अनाज, चीनी, अन्य कृषि उत्पादों के आयात को बढ़ावा देने का फैसला किया है. इसे व्यापार असंतुलन की भारत की चिंता के मद्देनजर बड़ा कदम माना जा रहा है. -सीमा पर तनाव कम करने के लिए मैकेनिज्म भारत और चीन के बीच 3,488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) है. आए दिन तनाव के मुद्दों को सुलझाने के लिए दोनों देश जल्द ही हॉटलाइन संपर्क शुरू करने जा रहे हैं. साथ ही वुहान में दोनों नेताओं के बीच अपनी-अपनी सेनाओं को स्ट्रैटेजिक गाइडेंस जारी करने और शांति बनाए रखने के लिए जरूरी स्ट्रैटेजिक मेकेनिज्म मजबूत करने पर सहमति बनी थी. एससीओ बैठक से इतर हुई मोदी-जिनपिंग मुलाकात के बाद विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि दोनों नेता सभी मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से दूर करने पर सहमत हुए हैं. सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि वार्ता करेंगे. -वित्तीय संबंध बढ़ाने पर जोर विदेश सचिव ने बताया कि भारत ने चीन के सरकारी बैंक ‘बैंक ऑफ चाइना’ को मुंबई में शाखा खोलने की अनुमति दे दी है. जिनपिंग ने दोनों देशों के बीच वित्तीय क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का सुझाव दिया था. इसके जवाब में मोदी ने कहा कि भारत बैंक ऑफ चाइना को मुंबई में शाखा खोलने की अनुमति देने को तैयार है. -कृषि उत्पादों का भारत करेगा चीन को निर्यात कृषि संबंधी समझौते के तहत अब भारत चीन को बासमती के साथ-साथ अन्य तरह के चावल, चीनी, औषधियों का निर्यात करेगा. भारत पहली बार चीन को चीनी निर्यात करने जा रहा है. पीएम मोदी ने अप्रैल की अपनी चीन यात्रा के दौरान इसका वादा किया था. भारत चीन को 10 से 15 लाख टन चीनी निर्यात की तैयारी कर रहा है. यह सौदा करीब 50 करोड़ डॉलर का हो सकता है. -पीपुल टु पीपुल कॉन्टैक्ट का नया तंत्र भारत और चीन ने विवादित मुद्दों पर बातचीत से इतर आपसी संपर्कों और व्यापारिक संबंधों के जरिए संबंध मजबूत करने का नया मंत्र अपनाया है. द्विपक्षीय रिश्तों में गति लाने के लिए भारत और चीन ने लोगों से लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए नया तंत्र गठित करने का फैसला किया है. इस तंत्र में दोनों देशों के विदेश मंत्री नेतृत्व करेंगे. लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए फिल्म, संस्कृति, योग, पारंपरिक भारतीय दवाएं, कला और संग्रहालय जैसे माध्यमों पर जोर दिया गया है. इस तंत्र की पहली बैठक इसी साल होगी. चीन में भारतीय फिल्मों के प्रति बढ़ती लोकप्रियता का भी इसमें जिक्र किया गया. जिनपिंग ने भारतीय फिल्म दंगल, बाहुबली और हिंदी मीडियम का खासतौर पर उल्लेख किया. भारत से जुड़ाव के लिए हाल के वर्षों में चीन ने हिन्दी पढ़ने पर ज़ोर दिया है. चीन की 15 यूनिवर्सिटीज में हिन्दी पढ़ाई जा रही है. भारत का योग भी चीन में खासा लोकप्रिय है. चीन में लगभग 1500 योग गुरु हैं जिनमें से अधिकांश भारतीय हैं. दोनों देशों की साझा ताकत दुनिया के लिए अहम चीन और भारत का साथ आना पूरी दुनिया के लिए अहम है. दोनों देशों की आबादी 2 अरब 60 करोड़ से अधिक है. दोनों दुनिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं. दोनों की सीमाएं आपस में मिलती हैं और सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार भी हैं. दुनिया की जीडीपी में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं. इसीलिए दोनों देशों को दुनिया का भविष्य कहा जाता है. भारत-चीन का सहयोग दुनिया की नीतियों को प्रभावित कर सकता है, इस लिहाज से आपसी विश्वास के लिए उठाए गए ये कदम न सिर्फ भारत और चीन के लिए बल्कि पूरी दुनिया खासकर तीसरी दुनिया के लिए देशों के लिए काफी अहम हैं. चीन की ओबीओआर परियोजना के खिलाफ भारत टिका हुआ है, इस दौरे में भी पीएम मोदी ने चीन की इस परियोजना को भारत की संप्रभुता के खिलाफ करार देकर ठुकरा दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के क्विंगदाओ शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में हिस्सा लेकर स्वदेश लौट आए हैं. पिछले 42 दिन में ये चीन का उनका दूसरा दौरा था. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल के आखिरी हफ्ते में चीन का दौरा किया था जिसमें चीनी …

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ट्रंप ने ट्वीट कर यूरोप को धोखा दिया, G-7 के बाद जर्मनी का बयान

जर्मन विदेश मंत्री मेको मास ने कहा कि आप महज एक ट्वीट कर बहुत तेजी से विश्वास खो देते हैं. यह बयान तब आया जब ट्रंप ने G-7 के दौरान आमराय वाले एक बयान के शब्दों को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था, 'एकजुट यूरोप अमेरिका फर्स्ट का जवाब है.' बता दें, मास के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने G-7 सम्मेलन के बाद एक संयुक्त बयान से पीछे हट कर यूरोप के साथ विश्वसनीय संबंध को तार-तार कर दिया. G-7 समिट के बाद 'ट्विटर बम' फोड़ते सिंगापुर पहुंचे ट्रंप ट्रंप के इस कदम की आज जर्मनी के राजनीतिक गलियारों में व्यापक निंदा की गई. अमेरिका ने लगाया कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूदो पर आरोप इस बीच, वाशिंगटन से प्राप्त खबर के मुताबिक व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार लैरी कुदलोव ने आज कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूदो ने जी-7 सम्मेलन में हमारी पीठ में छुरा घोंपा. सिंगापुर पहुंचे दो सबसे बड़े दुश्मन, मुलाकात में खर्च होंगे 100 करोड़ रुपये कुदलोव ने कहा कि अमेरिका को जस्टिन द्वारा संवाददाता सम्मेलन में दिए बयान पर ऐतराज है. उन्होंने कहा कि हम सद्भावना के साथ बयान में शामिल हुए थे. हालांकि, इसके बाद ट्रंप ने ट्वीट किया कि उन्होंने अमेरिकी प्रतिनिधियों को बयान को मंजूरी नहीं देने का निर्देश दिया है.

जर्मन विदेश मंत्री मेको मास ने कहा कि आप महज एक ट्वीट कर बहुत तेजी से विश्वास खो देते हैं. यह बयान तब आया जब ट्रंप ने  G-7 के दौरान आमराय वाले एक बयान के शब्दों को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था, ‘एकजुट यूरोप अमेरिका फर्स्ट का …

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मुलाकात से पहले ट्रंप का ट्वीट धमाका

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के किम जोंग उन कि मुलाकात का वक़्त नजदीक आ रहा है दोनों नेता सिंगापूर पहुंच चुके है. सिंगापूर पहुंचने के ठीक पहले ट्रंप ने कहा- ‘मुझे लगता है कि किम जोंग उन अपने लोगों के लिए अच्छा करना चाहते हैं और …

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नीरव मोदी ने लगाई ब्रिटैन से राजनीतिक शरण की गुहार

अब नीरव मोदी लंदन में है. पीएनबी बैंक में महाघोटाला करने के बाद देश से भागे हिरा कारोबारी ने अब ब्रिटैन से राजनीतिक शरण की भीख मांगी है. ब्रिटेन के गृह विभाग ने इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. भारत के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक ने नीरव मोदी व मेहुल चोकसी 13,400 करोड़ का घोटाला करके विदेश भाग गए है. भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा, "हमारी कोशिश है कि प्रत्यर्पण के बजाय लॉ इन्फोर्समेंट एजेंसियों के द्वारा ही नीरव मोदी तक पहुंच बनाई जाए. भारतीय जांच एजेंसिया नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के आलावा एक और अन्य भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को भी देश में लाने की कोशिशों में जुटी है. भारत में बैंको के साथ घोटाला करने के बाद ये विदेश भाग गए है और आराम का जीवन जी रहे है. वही सरकार अभी तक इन में से किसी के भी गिरेबान तक नहीं पहुंच सकी है. जब भी कभी जांच एजेंसिया इन तक पहुंचने की जुगत में कामयाबी हासिल करने वाली होती है ये एक देश से दूसरे देश पहुंच जाते है और ये लुका छुपी फ़िलहाल जारी है. विदेश की प्रत्यर्पण निति भारत की राह का सबसे बड़ा रोड़ा बन रही है और इन भगोड़ो का सबसे बड़ा हथियार.

अब नीरव मोदी लंदन में है. पीएनबी बैंक में महाघोटाला करने के बाद देश से भागे हिरा कारोबारी ने अब ब्रिटैन से राजनीतिक शरण की भीख मांगी है. ब्रिटेन के गृह विभाग ने इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. भारत के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब …

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हार्दिक पटेल को हुई सनी लियोनी के सम्मान की फ़िक्र

अक्सर राजनीतिक भाषण में विपक्षियों की खिंचाई करते रहने वाले गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने एक अजोबो गरीब बात कह दी है. उन्होंने पॉर्न स्टार से बॉलीवुड अभिनेत्री बनी सनी लियोनी की तरफदारी करते हुए सनी को फिल्मी पर्दे पर उसी नजरिये से देखने की सिफारिश की जो न​र्गिस, श्रीदेवी और माधुरी दीक्षित जैसी मशहूर अभिनेत्रियों के लिए रिज़र्व है. पटेल ने संवाददाताओं से कहा, "अगर हम सनी लियोनी को फिल्मी पर्दे पर उसी नजरिये से देखें, जिस तरह हम न​र्गिस, श्रीदेवी और माधुरी दीक्षित को देखते हैं, तो इसमें भला दिक्कत क्या है? हमें सनी लियोनी को फिल्मी पर्दे पर गलत नजर से क्यों देखना चाहिए?" उन्होंने कहा, "अगर हमारी सोच ऐसी है कि हम अब भी सनी लियोनी को उनकी पुरानी छवि से ही देखना चाहते हैं, तो यह देश कभी नहीं बदल सकता" 24 वर्षीय हार्दिक पटेल ने कहा कि बॉलीवुड में कदम रख चुकीं पूर्व पॉर्न स्टार भी चाहती हैं कि बतौर फिल्म अभिनेत्री उन्हें पूरा सम्मान मिले. भाजपा को "सत्ता की लालची पार्टी" करार देते हुए पटेल ने यह आशंका भी जाहिर की कि अगर नरेंद्र मोदी वर्ष 2019 के आम चुनावों में दोबारा प्रधानमंत्री बनते हैं, तो इसके बाद देश में चुनाव कभी नहीं होंगे. हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि इस आशंका के पीछे क्या आधार है, तो उन्होंने जवाब दिया, "जिस तरह कर्नाटक विधानसभा चुनावों के बाद राज्यपाल ने कांग्रेस और जेडीएस के बहुमत वाले गठबंधन से पहले बीजेपी विधायक दल के नेता बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का मौका दिया, इससे लगता है कि देश में संविधान खत्म करने की तैयारी की जा रही है.’’

अक्सर राजनीतिक भाषण में विपक्षियों की खिंचाई करते रहने वाले गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने एक अजोबो गरीब बात कह दी है. उन्होंने पॉर्न स्टार से बॉलीवुड अभिनेत्री बनी सनी लियोनी की तरफदारी करते हुए सनी को फिल्मी पर्दे पर उसी नजरिये से देखने की सिफारिश की जो …

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बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने तोगड़िया को बताया घमंडी

उत्तर प्रदेश के उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज ने विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया को लेकर दिया बड़ा बयान. साक्षी महाराज ने कहा तोगड़िया घमंडी है. तोगड़िया अभी मध्यप्रदेश के दौरे पर है. वहीं कुछ आने वाले कुछ ही दिनों में तोगड़िया अपनी नई पार्टी का ऐलान करने वाले है. बता दें, हाल ही नरेंद्र मोदी का विरोध करने के कारण विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय पद से हटाए गए, प्रवीण तोगड़िया को लेकर साक्षी महाराज ने कहा कि "वो घमंडी है, जब अहम टकराता तो ऐसी स्थितियां पैदा होती है." साक्षी महाराज का यह बयान उस वक़्त आया है, जब प्रवीण तोगड़िया ने हाल ही में , मध्यप्रदेश के मंदसौर में बागियों के साथ मंच साझा किया था. वहीं रतलाम पहुंचने के बाद तोगड़िया ने कहा था कि वो 24 जून के बाद दिल्ली में अपनी नई पार्टी का ऐलान करने वाले है, इसके साथ ही तोगड़िया ने कहा है कि अगर वो प्रधानमंत्री बन जाते है तो एक महीने के अंदर के अयोध्या में श्रीराम का भव्य मंदिर बनवा देंगे. बता दें, हाल ही में तोगड़िया ने मोदी सरकार से खुद को जान का खतरा बताया था साथ ही उन्होंने कहा था कि सरकार उनके पीछे पड़ी हुई है.

उत्तर प्रदेश के उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज ने विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया को लेकर दिया बड़ा बयान. साक्षी महाराज ने कहा तोगड़िया घमंडी है. तोगड़िया अभी मध्यप्रदेश के दौरे पर है. वहीं कुछ आने वाले कुछ ही दिनों में तोगड़िया अपनी नई पार्टी का ऐलान …

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गोरखपुर का गुंडा:अलका लाम्बा

कल रात गोरखपुर में डॉक्टर कफ़ील के छोटे भाई काशिफ के ऊपर हुए जानलेवा हमले के बाद आम आदमी पार्टी की चांदनी चौक से विधायक अलका लाम्बा ने एक ट्वीट कर मुख्यमंत्री योगी पर इशारों ही इशारों में हमला बोला है. अपने ट्वीट में उन्होंने हैश टैग कर गोरखपुर का गुंडा लिखा है. बता दें, कल रात को ही गोरखपुर में डॉक्टर कफ़ील के भाई पर जानलेवा हमला हुआ था. अपने ट्वीट में इस हमले के बाद इशारों ही इशारों में अलका लाम्बा ने योगी पर हमला करते हुए कहा है कि "अभी तो उसने बस अपने गुंडों से गोली चलवाई है, चाहता तो अपनी पुलिस से कह कर फ़र्जी मुकदमें में फसा कर फेक एनकाउंटर करवा कर जान से मरवा भी सकता था. #गोरखपुर_का_गुंडा" बता दें कि, हाल ही में गोरखपुर में हॉस्पिटल में बच्चों की ऑक्सीजन खत्म होने के बाद हुई मौत के मामले में सजा काट रहे, डॉक्टर कफ़ील के भाई पर कल रात को गोरखपुर के दुर्गाबाड़ी में आत्मघाती हमला हुआ था, जिसमें उनको गोली लगी थी. हालाँकि गोली लगने के बाद भी उनकी जान अभी खतरे से बाहर है.

कल रात गोरखपुर में डॉक्टर कफ़ील के छोटे भाई काशिफ के ऊपर हुए जानलेवा हमले के बाद आम आदमी पार्टी की चांदनी चौक से विधायक अलका लाम्बा ने एक ट्वीट कर मुख्यमंत्री योगी पर इशारों ही इशारों में हमला बोला है. अपने ट्वीट में उन्होंने हैश टैग कर गोरखपुर का …

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मोहल्ला क्लिनिक की सीबीआई जांच पर केजरीवाल का केंद्र सरकार पर हमला

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केरजरीवाल एक बार फिर से अपने पुराने रंग में आ गया है. मोहल्ला क्लिनिक की सीबीआई जांच को लेकर अरविन्द केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा है कि "पहले पुराने मामले में मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को जेल भेज के दिखाइए, फिर नए मामले शुरू कीजियेगा." अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अब सीबीआई ने अब मोहल्ला क्लीनिक की जांच शुरू कर दी है, ये लोग तीन लाख पेज लेकर गए थे, सभी सीडीएमओ, 2 अडिशनल डायरेंक्टर, अडिशनल सेक्रेटरी, ओसएडी सहित तमाम लोगों को समन किया गया, लेकिन आजतक कुछ नहीं हुआ. केजरीवाल ने कहा कि मोदी जी दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक बंद करवाने के बजाए पूरे देश में मोहल्ला क्लीनिक खोलिए. सीबीआई सीधे अमित शाह को रिपोर्ट करती है, मैं अमित शाह से पूछना चाहता हूं कि उन तमाम मामलों में क्या हुआ जिसमे सीबीआई ने सिसोदिया और जैन के खिलाफ जांच की थी, पहले उसे पूरा करिए फिर नई जांच शुरू करिए. वहीं इस मामले में शिला दीक्षित ने अरविन्द केजरीवाल निशाना साधा है, "शिला दीक्षित ने कहा है कि हमारी सरकार के 15 सालों में कभी केंद्र सरकार से टकराव नहीं हुआ था." उसी के जवाब में केजरीवाल ने कहा कि "आपकी सरकार में जनता महंगी बिजली, पानी और शिक्षा से परेशान थी, ये सब कुछ हमने ठीक किया. आपके कार्यकाल में केंद्र में आपकी सरकार थी." वहीं अरविन्द केजरीवाल ने शिला दीक्षित को चेलेंज करते हुए कहा है कि "मोदी राज में एक साल भी दिल्ली को चला के दिखा दीजिये."

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केरजरीवाल एक बार फिर से अपने पुराने रंग में आ गया है. मोहल्ला क्लिनिक की सीबीआई जांच को लेकर अरविन्द केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा है कि “पहले पुराने मामले में मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र …

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केजरीवाल की शीला दीक्षित को खुली चुनौती

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने शिला दीक्षित को चुनौती देते हुए कहा कि "कहा कि आप मोदी राज में एक साल भी दिल्ली की सरकार को चला कर दिखा दीजिये." बता दें, दिल्ली की सरकार ने LG और केंद्र सरकार पर दिल्ली में काम न करने का अड़ंगा लगाया है. इसी बात को लेकर शिला दीक्षित ने अरविदं केजरीवाल से कहा है कि यह काम न करने के बहाने है. इस बारे में अरविन्द केजरीवाल ने शिला दीक्षित को ट्वीट के माध्यम से चुनौती दी है. उन्होंने लिखा कि "शीला जी, आपके टाइम जनता पानी और बिजली बिलो से रो दी थी। सरकारी स्कूलों अस्पतालों का बुरा हाल था। प्राइवट स्कूल मनमानी फ़ीस बढ़ाते थे। हमने ये सब ठीक किया। आपके समय 10 साल केंद्र में आपकी अपनी सरकार,अपने LG थे। मैं चैलेंज करता हूँ एक साल मोदी राज में दिल्ली चला के दिखा दो." बता दें, एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए शिला दीक्षित ने कहा था कि दिल्ली केंद्र द्वारा आंशिक रूप से शासित होने वाला एक केंद्र शासित क्षेत्र है. दिल्ली की सरकार को हमेशा केंद्र के साथ मिलकर काम करना होता है. खुद के बारे में बताते हुए शिला दीक्षित कहती है कि उन्होंने खुद 15 साल केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम किया, इस मामले में अरविन्द केजरीवाल ने उन्हें चुनौती दी है.

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने शिला दीक्षित को चुनौती देते हुए कहा कि “कहा कि आप मोदी राज में एक साल भी दिल्ली की सरकार को चला कर दिखा दीजिये.” बता दें, दिल्ली की सरकार ने LG और केंद्र सरकार पर दिल्ली में …

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गठबंधन के लिए अपने नेताओं के हितों का बलिदान नहीं : कांग्रेस

जैसे-जैसे 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा विरोधी गठबंधन की कड़ियां जुड़ने लगी हैं, कांग्रेस ने अपना नफा-नुकसान तौलते हुए अपने हितों से कोई समझौता न करने का फरमान सुना दिया है। कांग्रेस ने कहा है कि वह क्षेत्रीय दलों से समझौता करने में राज्य के अपने नेताओं के हितों से समझौता नहीं करेगी। कांग्रेस के मीडिया प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन की नीति पर कायम है। लेकिन इसके लिए वह अपनी पार्टी के राज्य स्तरीय नेताओं के हितों पर कुठाराघात नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि राज्यवार इन मुद्दों पर आदर्श संतुलन कायम रखा जाएगा। भारतीय नेशनल कांग्रेस कभी भी अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के हितों का बलिदान नहीं करेगी। सुरजेवाला ने उन क्षेत्रीय दलों के लिए पार्टी की मंशा साफ कर दी जो "राष्ट्रीय हितों" की खातिर बड़े गठबंधन की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समान विचारधारा वाले दलों के साथ काम करने की कांग्रेस की नीति समय-समय पर आजमाई गई और सुविचारित नीति है। उन्होंने कहा कि पूर्व मंत्री एके एंटनी के नेतृत्व में गठित एक कमेटी राज्यों के नेताओं और राज्य प्रभारियों से बातचीत करने के बाद ही गठबंधन पर अंतिम निर्णय लेगी। सुरजेवाला ने कहा कि कुछ-एक राज्यों में कांग्रेस ने तभी बढ़-चढ़कर फैसले लिए हैं जब कांग्रेस केरल में विद्रोहियों का सामना कर रही थी। तभी उसने राज्य से अपनी अकेली राज्यसभा सीट सहयोगी दल केरल कांग्रेस (मणि) को दे दी थी। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में अपने नेतृत्व की राय तृणमूल कांग्रेस या वाम दलों से गठबंधन बनाने से पहले माननी होगी। इसीतरह पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस की राज्य इकाइयां आम आदमी पार्टी से गठबंधन के सुझावों को नकार रही हैं। दिल्ली कांग्रेस के प्रमुख अजय माकन ने कहा है कि पार्टी को राज्य में किसी भी सहयोगी दल की जरूरत नहीं है। वहीं, पंजाब में एआइसीसी प्रभारी आशा कुमारी ने आप से गठजोड़ की संभावनाओं को दरकिनार किया है। राजस्थान में भी राज्य कांग्रेस प्रमुख सचिन पायलट ने भी बसपा से गठबंधन के सुझावों को काटते हुए कहा है कि राज्य में पार्टी अकेले बेहतर प्रदर्शन करेगी। दूसरी ओर, चुनावी राज्य मध्यप्रदेश में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ बसपा से बातचीत कर रहे हैं। लेकिन अभी यह देखना बाकी है कि बसपा सुप्रीमो मायावती की मांगी सीटों पर वह सहमत हैं या नहीं। उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस को रालोद, बसपा और सपा से सीटों के बंटवारे में कठिनाई हो रही है।

जैसे-जैसे 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा विरोधी गठबंधन की कड़ियां जुड़ने लगी हैं, कांग्रेस ने अपना नफा-नुकसान तौलते हुए अपने हितों से कोई समझौता न करने का फरमान सुना दिया है। कांग्रेस ने कहा है कि वह क्षेत्रीय दलों से समझौता करने में राज्य के अपने नेताओं के हितों …

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