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मरने के लिए ऑस्ट्रेलिया से स्विटजरलैंड गया ये शख्स

इच्छामृत्यु पर छिड़ी बहस के बीच 104 साल के एक ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक ने अपना जीवन खत्म करने के लिए स्विट्जरलैंड तक की यात्रा की जहा एक फाउंडेशन की मदद से गुरुवार को उन्होंने अपना जीवन ख़त्म किया . आत्महत्या के बाद दुनिया को विदा कहने वाले इस 104 साल के ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक का नाम डेविड गुडॉल है जिसकी जानकर उनकी मदद करने वाली फॉउंडेशन ने दी. वे किसी बड़ी बीमारी के मरीज नहीं थे पर अब वे जीवन से ऊब चुके थे और अपने ही देश से आत्महत्या की अर्जी लगा चुके थे जिसके बाद गुडॉल मरने के लिए ऑस्ट्रेलिया से स्विटजरलैंड गए. गुडॉल का कहना था कि उनकी जिंदगी में अब कुछ जीने लायक नहीं रहा है और वह मरना चाहते हैं. लोगों से आखिरी बार मुखातिब होते हुए गुडॉल ने कहा कि पब्लिक इंट्रेस्ट ने उन्हें काफी सरप्राइज किया. रिपोर्टर्स से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, "अब मैं और नहीं जीना चाहता हूं. कोई मेरी उम्र का हो या मुझसे कम उम्र का, अगर वो मरना चाहता है तो उसे मरने की छूट मिलनी चाहिए." मरने में उनकी मदद करने वाले फाउंडेशन के फाउंडर फिलिप ने बताया कि लंदन में जन्मे वैज्ञानिक ने बसेल में 12.30 बजे शांतिपूर्वक अपने शरीर का त्याग किया. गुडॉल ने 1979 में ही अपनी फुल टाइम नौकरी छोड़ दी थी लेकिन वह अपनी फील्ड में फिर भी काम कर रहे थे. आपको बता दें कि इन दिनों इच्छा मृत्यु को लेकर कानून पर बहस चल रही है. स्विट्जरलैंड के अलावा और भी ऐसी कई जगहें हैं जहां अलग-अलग परिस्थितियों में इंसान को मरने में मदद की जाती है. इनमें नीदरलैंड्स, बेल्जियम, कोलंबिया और अमेरिका के 6 राज्य भी शामिल हैं. इसके अलावा कनाडा में भी 2016 से मरने में लोगों की मदद की जा रही है. भारत में फ़िलहाल इच्छा मृत्यु को सशर्त मंजूरी दी गई है.

इच्छामृत्यु पर छिड़ी बहस के बीच 104 साल के एक ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक ने अपना जीवन खत्म करने के लिए स्विट्जरलैंड तक की यात्रा की जहा एक फाउंडेशन की मदद से गुरुवार को उन्होंने अपना जीवन ख़त्म किया . आत्महत्या के बाद दुनिया को विदा कहने वाले इस 104 साल के …

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बिप्लब देव नहीं रुकने वाले, दिया फिर विवादित बयान

नए नवेले त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब अपने काम से ज्यादा उलजुलूल बयानबाजियों के चलते सुर्खियों में रहना सिख गए है और एक बार फिर अपने ही बयान को लेकर चर्चा में हैं. नोबेल पुरस्कार से सम्मानित रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर बिप्लब ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. इस मौके पर उन्होंने कहा कि टैगोर ने अंग्रेजों के खिलाफ अपना नोबेल पुरस्कार लौटा दिया था. उन्होंने आगे कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर ने जलियावाला बाग नरसंहार के विरोध में ब्रिटिश राज द्वारा दिए गए नाइटहुड के खिताब को भी लौटा दिया था. जबकि इतिहास में झांक कर देखें तो पाएंगे कि नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कवि, उपन्‍यासकार, नाटककार, चित्रकार, और दार्शनिक रवींद्रनाथ टैगोर ने जलियावाला बाग हत्याकांड के विरोध में नाइटहुट की उपाधि को तो लौटाया था, लेकिन स्वीडिश अकादमी द्वारा दिए गए नोबल पुरस्कार को नहीं लौटाया था. इससे पहले भी बिप्लब देब मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं. जिसके बाद उन्हें आलाकमान ने दिल्ली तक तालाब किया था. बिप्लब के बोलवचन एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान गुवाहाटी में कहा, ''भारत युगों से इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहा है. महाभारत में संजय ने नेत्रहीन होते हुए भी धृतराष्ट्र को युद्ध के मैदान का हाल सुनाया था. जो इंटरनेट और टेक्नोलॉजी की वजह से ही हुआ.'' भारत को डिजिटल की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए पीएम मोदी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने यह भी दावा किया कि महाभारत युग में सैटलाइट भी मौजूद थे. डायना हेडन को 1997 में मिस वर्ल्ड खिताब जीतने पर देब ने कहा था, ‘‘जिसने भी अंतरराष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया, वो जीतकर लौटा. लगातार पांच वर्षों तक हमने मिस वर्ल्ड/मिस यूनिवर्स के ताज जीते. डायना हेडन भी जीत गईं. क्या आपको लगता है कि उन्हें ताज जीतना चाहिए था?’’ इसके उलट उन्होंने ऐश्वर्या की तारीफ करते हुए कहा था,''हम महिला को देवी लक्ष्मी और सरस्वती के रूप में देखते हैं. ऐश्वर्या मिस वर्ल्‍ड बनीं तो ठीक है. वो सही मायने में भारतीय महिलाओं की नुमाइंदगी करती हैं, लेकिन मैं डायना हेडेन की खूबसूरती नहीं समझ पा रहा हूं.'' इस पर उनकी जमकर निंदा हुई. डायना हेडेन ने भी बिप्लब पर पलटवार किया. बिप्लब देब ने अगरतला में नौजवानों को कहा, ''नौजवान सरकारी नौकरी पाने के लिए सालों तक पार्टियों के पीछे भागते रहते हैं और अपने जीवन का कीमती वक्त खराब करते हैं. अगर यही युवा पार्टियों के पीछे भागने के बजाय अपनी पान की दुकान शुरू करता, तो उसके खाते में पांच लाख रुपये जमा हो चुके होते.'' इस पर उनकी जमकर आलोचना हुई. त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में 'पशु चिकित्सा पेशे की जीवन सुधार में भूमिका' विषय पर आधारित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ''हर घर में एक गाय होनी चाहिए. यहां दूध 50 रुपये लीटर है. कोई ग्रेजुएट है और नौकरी के लिए 10 साल से घूम रहा है. अगर वह गाय पाल लेता, तो अपने आप उसके बैंक अकाउंट में 10 लाख रुपये जमा हो गए होते.'' उन्होंने यह भी कहा कि यह धारणा है कि ग्रेजुएट खेती-किसानी नहीं कर सकते, मुर्गी पालन नहीं कर सकते या सुअर पालन नहीं करते, क्योंकि इससे उनका रुतबा गिर जाएगा. हालांकि गाय पाल सकते हैं. बीजेपी नेता बिप्लब कुमार देब ने सिविल सर्विस की तैयारी करने वालों को कहा, ‘‘मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले लोगों को सिविल सर्विसेज का चयन नहीं करना चाहिए. मैकेनिकल के बजाय सिविल इंजिनियरों को सिविल सर्विसेज ज्वाइन करनी चाहिए, क्योंकि उनके पास प्रबंधन निर्माण और समाज से जुड़ी ज्यादा जानकारी और अनुभव होता है. उन्होंने कहा कि पहले कला स्नातक करने वाले ही सिविल सर्विसेज की परीक्षा में बैठते थे और अब मेडिकल और इंजीनियरिंग करने वाले भी सिविल सर्विस में आ रहे हैं. इस बयान को लेकर उनकी जमकर खिंचाई हुई थी. त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देब ने ममता बनर्जी को कहा था 'ममता बनर्जी को पहले मंदिर जाना चाहिए. फिर किसी अस्पताल में दिमाग की जांच करानी चाहिए.' बिप्लब देब एक मंच से कहा, ''मेरी सरकार में ऐसा नहीं होना चाहिए कि कोई उसमें अंगुली मार दे, नाखून लगा दे. जिन्होंने नाखून लगाया, उसका नाखून काट लेना चाहिए.'' इस बयान को लेकर भी उनकी तीखी आलोचना हो रही है. बिप्लब देब ने कहा कि गौतम बुद्ध ने भारत, बर्मा, जापान, तिब्बत और अन्य देशों की पैदल यात्रा की थी. उन्होंने कहा, ''यहां हम बुद्ध जयंती मना रहे हैं. गौतम बुद्ध ने शांति और एकता का संदेश दिया. इसके लिए उन्होंने पूरे भारत, बर्मा (म्यांमार), जापान, तिब्बत और अन्य देशों की पैदल यात्रा की. भारत भूमि ही ऐसी है, जहां एक राजा बौद्ध भिक्षु बन जाता है और पूरी दुनिया को शांति का संदेश देता है.'' वहीं, इतिहासकारों ने बिप्लब कुमार देब के बयान से असहमति जताई है. साथ ही आशंका जाहिर की है कि जितना बिप्लब देब बता रहे हैं, उतनी गौतम बुद्ध ने यात्रा की भी है या नहीं?

नए नवेले त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब अपने काम से ज्यादा उलजुलूल बयानबाजियों के चलते सुर्खियों में रहना सिख गए है और एक बार फिर अपने ही बयान को लेकर चर्चा में हैं. नोबेल पुरस्कार से सम्मानित रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर बिप्लब ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. इस …

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कर्नाटक के बड़े मठ और उनका वर्चस्व

कर्नाटक में कल यानी 12 मई को मतदान किया जाना है. कर्नाटक की राजनीति नेताओं और मुद्दों से ज्यादा यहाँ के मठो से प्रभावित रहती है. हर मठ को जाती विशेष के लोग मानते है और मठाधीशो का उन पर इतना प्रभाव है कि वे पूरे समुदाय के वोटों को प्रभावित करने का माद्दा रखते है. मठो में धार्मिक, शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, अनाथालय और सामाजिक जीवन के कई और क्रियाकलाप होते है इस लिए इनका कर्नाटक के जन जीवन पर बहुत प्रभाव है. मठ ये दावा करते हैं कि वे राजनीति से दूर रहते हैं मगर असलियत तो यह है कि इनकी दखल अंदाजी घरो से लेकर पंचायत और दिल्ली तक है. संसदीय चुनावों में इनका वर्चस्व चरम पर है. विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और बीजेपी चीफ अमित शाह लगातार मठों में जाते रहे. कर्नाटक के बड़े मठ - -सिद्धगंगा मठ, तुमकुर जो लिंगायत समुदाय का मठ है, प्रदेश में लिंगायतों के की आबादी का 17-19% है. -दूसरे बड़े लिंगायत मठ में शामिल है श्रृंगेरी मठ, जिसका पूरे जिले में प्रभाव है. मुरुघा मठ चित्रदुर्ग जिले में स्थित है -मदारा गुरु पीठ, चित्रदुर्ग के ज्यादातर अनुयायी दलितों के वंचित तबके मदीसा से ताल्लुक रखते हैं. 1.5 करोड़ मदीसा आबादी इसके अनुयायी है -आचंचनगिरी मठ, मंड्या जो वोक्कालिगा समुदाय के लिए महत्वपूर्ण, जो कर्नाटक की दूसरी सबसे बड़ी जाति की 12-15% आबादी का नेतृत्व करता है. -श्री कृष्ण मठ, उडुपी जिसे BJP के समर्थन में माना जाता है -कनक गुरु पीठ, कागीनेल कुरुबा समुदाय तीसरी सबसे बड़ी जाति और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी ताल्लुक रखते हैं गौरतलब है कि मठो के वर्चस्व से कर्नाटक राजनीती कभी अछूती नहीं रही है और इस बार भी इनका असर 15 मई को आने वाले चुनाव परिणामों पर साफ देखने को मिलेगा .

कर्नाटक में कल यानी 12 मई को मतदान किया जाना है. कर्नाटक की राजनीति नेताओं और मुद्दों से ज्यादा यहाँ के मठो से प्रभावित रहती है.  हर मठ को जाती विशेष के लोग मानते है और मठाधीशो का उन पर इतना प्रभाव है कि वे पूरे समुदाय के वोटों को प्रभावित …

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योगी के राजभर ने फिर छेड़ा बगावती स्वर

खुद की सरकार से बगावत के कारण यूपी सरकार का सिरदर्द बन चुके कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्‍यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने एक बार फिर अपना बगावती तेवर दिखाया है. राजभर ने फिर अपनी ही सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि नीची जाति का होने के कारण उन्हें अधिकारी भी महत्व नहीं दे रहे हैं. अपने प्रोटोकॉल में किसी अधिकारी के नहीं होने पर भड़के राजभर ने आपत्तिजनक बयान देते हुए कहा कि अगर वह ऊंची जाति के होते तो प्रशासनिक अधिकारी उनके भी आगे-पीछे दुम हिलाते. राजभर जब बहराइच दौरे पर पहुंचे तो कैबिनेट मंत्री के प्रोटोकॉल में गुरुवार को अधिकारी नदारद थे जिस पर राजभर भड़क गए गए और उनके निशाने पर सीधे सीधे योगी सरकार आ गई. राजभर ने कहा, 'योगी सरकार में जातिवाद हावी है. सभी बड़े नेताओं के रिश्तेदार प्रदेश में ऊंचे पदों पर तैनात हैं. मैं ऊंची जाति का होता तो मेरे भी आगे-पीछे प्रशासनिक अधिकारी दुम हिलाते. लेकिन मैं नीची जाति का हूं इसलिए मुझे गार्ड ऑफ ऑनर तक नहीं मिला.' एक दिन पहले बुधवार को ही राजभर ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए पार्टी में जातिवाद और परिवारवाद हावी होने का आरोप लगाया था. राजभर ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि बीजेपी भी जाति देखकर टिकट देती है और मंत्री बनाती है. साथ ही राजभर ने बीजेपी के बड़े नेताओं के रिश्‍तेदारों को माध्‍यमिक शिक्षा चयन बोर्ड में शामिल किए जाने का आरोप भी लगाया था. राजभर के बगावती स्वर के किस्से नए नहीं है. योगी पर आरोप लगाते हुए कैबिनेट मंत्री ने कहा था, 'पांच-छह बड़े अधिकारी सीएम को जो समझा रहे हैं, वह उसी को मान रहे हैं. पर, जब कोई जनप्रतिनिधि जनता का दर्द बताता है तो वह सुन नहीं रहे हैं.' वहीं शराबबंदी के मुद्दे पर राजभर ने कहा था, 'मैं सदन में अब तक 16 बार शराबबंदी को लेकर आवाज उठा चुका हूं मगर योगी सरकार नहीं सुनती. सूबे में शराबबंदी की मांग को अनसुना करने के कारण मुख्यमंत्री से वैचारिक लड़ाई का ऐलान करता हूं.

खुद की सरकार से बगावत के कारण यूपी सरकार का सिरदर्द बन चुके कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्‍यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने एक बार फिर अपना बगावती तेवर दिखाया है. राजभर ने फिर अपनी ही सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि नीची …

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बिहार की बदहाली के लिए भाजपा एवं नीतीश को जिम्मेदार बताया

आंध्रा के बाद अब बिहार में भी विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग बलवती हो रही है जिसे लेकर नेता प्रतिपक्ष लगातार नीतीश सरकार पर हमलावर है. अब इसी मांग को लेकर एवं किसानों का कर्ज माफ करने के मुद्दे के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को रैली निकाल कर धरना प्रदर्शन किया. प्रदेश कार्यालय के समीप धरना स्थल पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद तारिक अनवर ने कहा कि बिहार की बदहाली के लिए भाजपा एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिम्मेदार हैं. उन्‍होंने कहा कि नीतीश कुमार केंद्र से बिहार को विशेष राज्‍य का दर्जा दिलाएं. उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 में बिहार के विभाजन के समय केंद्र में एनडीए की सरकार थी. नीतीश कुमार केंद्र में वरिष्ठ मंत्री थे. विभाजन के बाद बिहार विधानसभा ने एक सर्वदलीय संकल्प पारित करते हुए बिहार के लिए 1.40 लाख करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति की मांग की थी, जिसे दिलवाने में नीतीश विफल रहे. उन्‍होंने कहा, 2006 में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की गई. उसके बाद से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विशेष राज्य का दर्जा की मांग को लेकर केंद्र की यूपीए सरकार पर दबाव बनाते रहे. केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद भी इस सवाल को उठाते रहे. 2015 में बिहार में महागठबंधन बनने पर विशेष राज्य देने की मांग करते रहे, लेकिन भाजपा के साथ मिलकर एनडीए की सरकार बनाने के बाद मांग को ठंडे बस्ते में डाल दिया. उन्‍होंने कहा कि आज केंद्र एवं बिहार में एनडीए की सरकारें हैं. फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं दिया जा रहा है। कहा कि अगर नीतीश कुमार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा के लिए प्रतिबद्ध हैं, तो केंद्र पर दवाब बनाए और बिहार को उसका हक दिलाएं. या फिर भाजपा से नाता तोड़ बिहार के हक की लड़ाई में शामिल हों. गौरतलब है कि इसी क्रम में नेता प्रतिपक्ष कि और से तेजस्वी यादव भी लगातार हमला जारी रखेह हुए है और उनोने अपने एक ट्वीट के जरिये नीतीश कुमार को कहा है कि मिया बीवी और काजी सब राजी फिर भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिलवाना नूराकुश्ती जैसा है जनता सब समझती है. यहाँ तेजस्वी बिहार सरकार और केंद्र सरकार पर साँझा तंज कर रहे थे.

आंध्रा के बाद अब बिहार में भी विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग बलवती हो रही है जिसे लेकर नेता प्रतिपक्ष लगातार नीतीश सरकार पर हमलावर है. अब इसी मांग को लेकर एवं किसानों का कर्ज माफ करने के मुद्दे के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को रैली …

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फर्जी वोटर आईडी मामला : कांग्रेस विधायक के खिलाफ मामला दर्ज

कर्नाटक के बहुचर्चित फर्जी वोटर आईडी मामले में बेंगलुरु पुलिस ने कांग्रेस के राज राजेश्वरी नगर विधानसभा के कांग्रेस विधायक मुनीरत्ना के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.बता दें कि बीजेपी ने ये फ्लैट कांग्रेस के एक विधायक का होने का आरोप लगाया था. बता दें कि मंगलवार को चुनाव आयोग …

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लालू के साथ जो भी हो रहा है बीजेपी नेता के दिमाग की उपज- शिवानंद तिवारी

लालू को पांच की बजाय तीन दिन की पैरोल दिए जाने पर आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने गुरुवार को आरोप लगाया कि उनके पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को ‘हाथ-पैर बांध कर’ परोल पर छोड़ा गया है. तिवारी ने कहा कि परोल की शर्त और शर्तों के अनुपालन की निगरानी के लिए सुरक्षा के नाम पर झारखंड पुलिस की तैनाती ‘बिहार बीजेपी के एक नेता’ के दिमाग की उपज है. आरजेडी प्रमुख ने अपने बड़े बेटे की शादी के समारोह में हिस्सा लेने के लिए पांच दिन की परोल मांगी थी लेकिन उन्हें तीन दिन की ही परोल मिली. उन्होंने कहा कि लालू किसी नेता-कार्यकर्त्ता से नहीं मिलेंगे. इस बीच बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि चारा घोटाला के चार मामलों में दोषी लालू प्रसाद रेलवे के 2 होटलों के बदले जमीन लेने के मामले में भी आरोपी हैं. इस सबके बावजूद लालू की पार्टी ने उनसे संबंधित हर फैसले को लेकर न्यायपालिका पर संदेह प्रकट किया. उन्होंने कहा कि सजा कितनी हो, इलाज कहां हो, एम्स में कब तक रखा जाए, परोल कितने दिनों की दी जाए, इन सब पर आरजेडी नेताओं ने गैरजिम्मेदाराना बयान दिए. राजद प्रमुख लालू प्रसाद अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के शादी समारोह में भाग लेने के लिए तीन दिन की पैरोल पर गुरुवार शाम पटना पहुंचे. चारा घोटाला मामले में सजा सुनाए जाने के बाद से पिछले वर्ष दिसंबर से न्यायिक हिरासत में चल रहे लालू के पटना हवाई अड्डे पर पहुंचने पर हजारों की संख्या में उनके समर्थकों ने फूलमालाओं से उनका स्वागत किया.

लालू को पांच की बजाय तीन दिन की पैरोल दिए जाने पर आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने गुरुवार को आरोप लगाया कि उनके पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को ‘हाथ-पैर बांध कर’ परोल पर छोड़ा गया है. तिवारी ने कहा कि परोल की शर्त और शर्तों के अनुपालन …

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LIVE: जनकपुर के जानकी मंदिर में पीएम मोदी ने की विशेष पूजा, कहा- यहां आना सौभाग्य

इसके पहले पूर्व भारतीय राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी, ज्ञानी जैल सिंह तथा प्रणब मुखर्जी भी यह विशेष पूजा कर चुके हैं। प्रधानमंत्री रामायण सर्किट का भी उद्घाटन करेंगे, जो भारत के "स्वदेश दर्शन स्कीम" के तहत 13 पर्यटक सर्किट में से एक है। इसके अलावा प्रधानमंत्री जनकपुर-अयोध्या बस सेवा की भी शुरुआत करेंगे। जनकपुर से मुस्तांग जाएंगे, जहां वह मुक्तिनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी काठमांडू पहुंचेंगे। हालांकि नेपाल के गृह मंत्री राम बहादुर थापा ने कहा है कि भारतीय नेता का यह दौरा धार्मिक और सांस्कृतिक होगा। इस दौरान कोई राजनीतिक समझौता नहीं होगा। नेपाल रवाना होने से एक दिन पहले गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- "बतौर प्रधानमंत्री यह मेरी तीसरी नेपाल यात्रा होगी। यह दर्शाता है कि भारत तथा मैं व्यक्तिगत तौर पर भी युगों पुरानी नजदीकियां तथा दोस्ताना रिश्ते को उच्च प्राथमिकता देता हूं।"मालूम हो कि नेपाल में फरवरी में प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद ओली भी अपनी पहली विदेश यात्रा पर पिछले महीने ही भारत आए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में कहा कि यह उच्च स्तरीय तथा नियमित बातचीत उनकी सरकार की "पड़ोसी प्रथम" की नीति को दर्शाता है, जो हमारा ध्येय "सबका साथ, सबका विकास" के अनुरूप है। दोनों देशों ने पिछले कुछ वर्षों में कई द्विपक्षीय संपर्क और परियोजनाओं को पूरा किया है और दोनों देशों के लोगों हित में परिवर्तनकारी पहल की है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि पिछले महीने नई दिल्ली में उनके और ओली के बीच हुई परस्पर हितों की बातचीत को इस यात्रा में आगे बढ़ाने का मौका मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह इस यात्रा के दौरान जनकपुर तथा मुक्तिनाथ भी जाएंगे। उन्होंने कहा कि इन दोनों स्थलों पर हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, जो भारत और नेपाल के लोगों के बीच प्राचीन और मजबूत सांस्कृतिक संबंधों के जीवंत साक्ष्य हैं। मोदी ने कहा कि नेपाल ने लोकतंत्र के लाभप्रद नए युग में प्रवेश किया है और तेजी से आर्थिक वृद्धि और विकास कर रहा है तथा भारत "समृद्ध नेपाल, सुखी नेपाल" के अपने नजरिए को लागू करने में दृढ़ साझेदार बना रहेगा। उन्होंने कहा कि वहां राजनेताओं और मित्रों से मिलने को लेकर उत्सुक हैं और उन्हें विश्वास है कि यह दौरा नेपाल के साथ परस्पर हितों के लिए लोक केंद्रित साझीदारी, सद्भावना तथा समझदारी को और मजबूत करेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार सुबह अपने दो दिवसीय दौरे के लिए नेपाल पहुंचे। पीएम के दौरे की शुरुआत जनकपुर से हुई जहां एयरपोर्ट पर स्वागत के बाद वो राम जानकी मंदिर पहुंचे जहां नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने उनका स्वागत किया। इसके बाद पीएम ने मंदिर में विशेष …

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AMU में जिन्ना विवाद पर अब भी माहौल गर्म, यूनिवर्सिटी के बाह धरना जारी

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर पर विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है। यूनिवर्सिटी के बॉबे सैयद गेट पर छात्रों का धरना जारी है वहीं जुम्मे की नमाज को देखते हुए इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात नहीं किया गया है, थाना स्तर पर ही सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी दी गई है। छात्रों के धरने का आज दसवां दिन है। हालांकि, शहर के किसी भी जिन्ना को लेकर एएमयू में चल रहे घटनाक्रम के मद्देनजर प्रशासनिक स्तर से कोई कोताही नहीं बरती जा रही है। एएमयू सर्किल से अतिरिक्त बल भले ही हटा लिया गया हो, मगर वहां की हर गतिविधि पर पुलिस व खुफिया तंत्र की नजर है। जुमे की नमाज को लेकर भी प्रशासन सतर्क है। पिछले शुक्रवार को ऊपरकोट पर नमाज के बाद एएमयू प्रकरण में ज्ञापन सौंपा गया था। इधर, बाबे सैयद पर एएमयू छात्रों ने एकजुट होकर नमाज अदा की थी। सुरक्षा के लिहाज से दोनों स्थानों पर कड़ा पहरा लगाया गया था। इस बार कड़ी सुरक्षा व्यवस्था तो नहीं है, मगर सतर्कता जरूर बरती जा रही है। छात्र दोषी हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं और उनके साथ आए पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इसके चलते दो मई से धरना शुरू कर दिया गया था। इसे खत्म कराने के इंतजामिया ने अब तक प्रयास सफल नहीं हो सके हैं। आंदोलनरत एएमयू छात्रों ने गुरुवार को आरोपित पुलिसकर्मियों को ही संतरे और केले खिलाए। शरबत भी पिलाया। उमड़ते प्रेम के बीच अफसरों ने भी छात्र नेताओं को फल खिलाए। फलाहार का आनंद लेने वालों में आरोपित सीओ संजीव दीक्षित व इंस्पेक्टर सिविल लाइंस जावेद खां भी हैं, जिनके निलंबन की मांग छात्रसंघ ने मुख्य रूप से उठाई है। इंस्पेक्टर पर आरोप था कि हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं को वही बॉबे सैयद तक नारेबाजी कराते लाए थे। गौर करने की बात यह भी है कि पुलिस ने खुद छात्र संघ अध्यक्ष समेत इन्हीं 300 छात्रों के खिलाफ हत्या के प्रयास की रिपोर्ट दर्ज करा रखी है। यूनिवर्सिटी जरूरी या आरएसएस की शाखा? एएमयू छात्रसंघ ने पीएम-सीएम और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को संविधान की कॉपी भेजते हुए सवाल किया है कि यूनिवर्सिटी में आरएसएस की शाखा जरूरी है या संस्थान का स्थायित्व? दरअसल, आरएसएस से जुड़े आमिर रशीद ने एएमयू में संघ की शाखा खोलने की मांग की थी। इसके जवाब में एएमयू छात्रों ने यह सवाल किया है। संविधान की कॉपी इसलिए भेजी है, ताकि इसे ठीक से पढ़ लें। छात्रों ने जवाब लिखने के लिए एक खाली कॉपी और पेन भी भेजा है।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर पर विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है। यूनिवर्सिटी के बॉबे सैयद गेट पर छात्रों का धरना जारी है वहीं जुम्मे की नमाज को देखते हुए इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात नहीं किया गया है, थाना स्तर पर ही सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी …

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LoC पर शादी समारोह में PAK स्नाइपर ने की फायरिंग, 1 शख्स की मौत

सीमा पर पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आने का नाम नहीं ले रहा है. गुरुवार रात को पाकिस्तान ने एलओसी पर एक गांव में शादी समारोह के दौरान फायरिंग की. इस फायरिंग में एक गांव वाले की मौत भी हो गई है. पाकिस्तान का इस तरह भारतीय नागरिकों को निशाने पर लेना उसकी कायरता को दर्शाता है. गुरुवार को LoC पर मालती गांव में शादी समारोह के दौरान पाकिस्तानी सेना ने स्नाइपर से गोलियां दागी. इसमें मोहम्मद इकलाख़ नाम के शख्स की मौत हो गई है. आपको बता दें कि मालती गांव पुंछ जिले में है. पिछले हफ्ते ही कुपवाड़ा जिले के केरन सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से सीज़फायर उल्लंघन किया गया था, जिसमें एक महिला काफी गंभीर रूप से घायल हो गई थी. साथ ही रिहायशी इलाकों के कई लोग फायरिंग की चपेट में आ गए थे. गौरतलब है कि पाकिस्तान की ओर से पिछले कुछ समय से सीमा पर सीज़फायर उल्लंघन में काफी बढ़ोतरी हुई है. 2017 में सीमा पार से कुल 860, 2016 में 271 और 2015 में कुल 387 बार पाकिस्तान ने सीजफायर उल्लंघन किया था. पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर और एलओसी पर लगातार गोलियां बरसा रहा है. इस साल भी केवल जनवरी महीने में पाकिस्तान ने करीब 150 बार सीजफायर उल्लंघन किया था.

सीमा पर पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आने का नाम नहीं ले रहा है. गुरुवार रात को पाकिस्तान ने एलओसी पर एक गांव में शादी समारोह के दौरान फायरिंग की. इस फायरिंग में एक गांव वाले की मौत भी हो गई है. पाकिस्तान का इस तरह भारतीय नागरिकों को निशाने …

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