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क्यूबा की राजनीति में जुड़ा नया अध्याय-मिगेल डियाज-कैनल

क्यूबा में कास्त्रो परिवार के 6 दशक लंबे शासन का अंत होने के साथ ही लंबे समय से देश के उपराष्ट्रपति रहे मिगेल डियाज-कैनल को देश के राष्ट्रपति के रूप में पूर्व राष्ट्रपति राउल कास्त्रो द्वारा औपचारिक रूप से सत्ता की कमान सौंप दी गई हैं. माना जा रहा हैं कि यह क्यूबा देश के राजनीतिक इतिहास के एक युग का अंत हैं . 1959 की क्रांति के बाद जन्मे और देश के राष्ट्रपति बनने वाले डियाज-कैनल द्वीप के 60 साल के इतिहास में ऐसे पहले नेता होंगे जिनके नाम में 'कास्त्रो' नहीं जुड़ा है. साथ ही माना जा रहा हैं कि साल 2021 में कम्यूनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन के होने तक पार्टी के अध्यक्ष बने रहेंगे और क्यूबा की राजनीति में प्रभावशाली व्यक्ति के तौर पर भी बने रहेंगे. '1961 बे ऑफ पिग्स' की वर्षगांठ पर सुबह करीब 9 बजे देश के नेता के तौर पर मिगेल डियाज-कैनल की औपचारिक पुष्टि की जाएगी . गौतलब हैं कि '1961 बे ऑफ पिग्स' हमले में फिदेल कास्त्रो के सुरक्षा बलों ने 1,400 अमेरिका समर्थित उन विद्रोहियों को हराया था,जो कास्त्रो को उखाड़ फेंकना चाहते थे.

क्यूबा में कास्त्रो परिवार के 6 दशक लंबे शासन का अंत होने के साथ ही लंबे समय से देश के उपराष्ट्रपति रहे मिगेल डियाज-कैनल को देश के राष्ट्रपति के रूप में पूर्व राष्ट्रपति राउल कास्त्रो द्वारा औपचारिक रूप से सत्ता की कमान सौंप दी गई  हैं. माना जा रहा हैं …

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ब्रिटेन में भारत करेगा 1 अरब पाउंड का निवेश

लन्दन : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ब्रिटेन दौरे के सकारात्मक नतीजे सामने आने लगे हैं.द्विपक्षीय समझौते के तहत भारत अब ब्रिटेन में 1 अरब पाउंड से ज्यादा निवेश करेगा. इससे ब्रिटेन में भारतीयों के लिए करीब 6 हजार नौकरियों का सृजन सम्भव हो सकेगा. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ब्रिटेन दौरे में दोनों देशों ने एक प्रारूप पर दस्तखत किए हैं. यह 1 अरब पाउंड से ज्यादा का निवेश प्रौद्योगिकी, व्यापार और निवेश क्षेत्रों में किया जाएगा.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन की पीएम टेरेसा की बातचीत के बाद दोनों देशों के बीच यह समझौता हुआ. जिसकी घोषणा ब्रिटेन सरकार ने गुरुवार को नए इंडो-यूके व्यापार समझौते के तहत की. इस समझौते से दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत होंगे. गौरतलब है कि इन दिनों पीएम मोदी ब्रिटेन दौरे पर हैं. गुरुवार को वे राष्ट्रमंडल शिखर सम्मेलन में शामिल हुए.जहां उनका ब्रिटिश पीएम टेरेसा और स्कॉटलैंड के राष्ट्रमंडल महासचिव बैरोनेस पेट्रीसिया ने उनका स्वागत किया.मोदी ने राज्य के अन्य प्रमुखों के साथ विंडसर कैसल में बैठक की.इसमें 53 देशों में से 51देशों ने इस कॉमनवेल्थ समिट में भाग लिया. इसमें पाकिस्तान गैर मौजूद रहा.

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ब्रिटेन दौरे के सकारात्मक नतीजे सामने आने लगे हैं.द्विपक्षीय समझौते के तहत भारत अब ब्रिटेन में 1 अरब पाउंड से ज्यादा निवेश करेगा. इससे ब्रिटेन में भारतीयों  के लिए करीब 6 हजार नौकरियों का सृजन सम्भव हो सकेगा. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ब्रिटेन …

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गर्मियों में इस जूस से प्यास बुझाते हैं आप तो हो जाइए सावधान

गर्मियों में इस जूस से प्यास बुझाते हैं आप तो हो जाइए सावधान

गर्मियां आ गई हैं। ऐसे में आपके लिए स्वास्थ्य का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। पढ़िए सीनियर फिजीशियन चंद्रा गुप्ता इसके बारे में क्या कहती हैं। गर्मी से निजात पाने के लिए अगर आप सड़क किनारे मिलने वाला गन्ने का जूस पीते हैं तो सावधान हो जाइए। इसकी हकीकत बिल्कुल …

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दुष्कर्म के मामलों पर मोदी विश्वमंच पर शर्मसार

देश में बढ़ते दुष्कर्म के मामले विश्व समुदाय के सामने भी देश को शर्मसार कर रहे है. इसी क्रम में आईएमएफ चीफ क्रिस्टीन लेगार्ड ने गुरुवार को भारत में महिलाओं के खिलाफ हो रही यौन हिंसा की घटनाओं पर चिंता जाहिर की. उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार इस मामले पर ज्यादा ध्यान देगी. बता दें कि जम्मू के कठुआ में आठ साल की बच्ची से रेप की घटना को लेकर पूरे देश में हंगामा मचा हुआ है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की अध्यक्ष क्रिस्टीन लेगार्ड ने कहा, "भारत में जो हुआ, वो घिनौना है. मैं उम्मीद करती हूं कि नरेंद्र मोदी की सरकार इसपर ज्यादा ध्यान देगी क्योंकि ये भारत की महिलाओं के लिए काफी जरूरी है.' उन्होंने कहा, "पिछली बार जब मैं दावोस में थी तो मैंने उनसे कहा कि उन्होंने अपनी स्पीच में भारतीय महिलाओं के बारे में ज्यादा नहीं कहा. यह सवाल सिर्फ उनके बारे में चर्चा करने तक सीमित नहीं था." हालांकि, क्रिस्टीन लेगार्ड ने इस टिप्पणी को निजी विचार बताया है. उन्होंने कहा कि इस बयान को बतौर अंतरराष्ट्रीय मुद्र कोष अध्यक्ष न देखा जाए. दुष्कर्म के मामलों पर ठोस कानून बनाने की मांग को लेकर आवाजें लगातार बुलंद हो रही है. वही सरकार इस पर कदम उठाना तो दूर फ़िलहाल चुप्पी साधे मौन है.

देश में बढ़ते दुष्कर्म के मामले विश्व समुदाय के सामने भी देश को शर्मसार कर रहे है. इसी क्रम में आईएमएफ चीफ क्रिस्टीन लेगार्ड ने गुरुवार को भारत में महिलाओं के खिलाफ हो रही यौन हिंसा की घटनाओं पर चिंता जाहिर की. उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी …

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3 बच्चों की जिंदगी के लिए, क्या गजब कर बैठी मां…

3 बच्चों की जिंदगी के लिए, क्या गजब कर बैठी मां...

तीन बच्चों की जिंदगी बनाने के लिए, एक मां ने देखो क्या गजब कर डाला। उसने पाकिस्तान जाकर धर्म बदल लिया और शादी कर ली। पंजाब में होशियारपुर जिले के गढ़शंकर की एक महिला सिख तीर्थयात्री ने इस्लाम धर्म अपना लिया है। यही नहीं उसने लाहौर के पाकिस्तानी नागरिक से …

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पाकिस्तान के ख़िलाफ़ अमेरिका का सख़्त कदम

पाकिस्तान: पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने एक बड़ी खबर की पुष्टि की जिसमें कहा जा रहा था कि अमेरिका अपने देश में पाकिस्तानी राजनयिकों पर प्रतिबंध लगाने जा रहा है. यह प्रतिबंध एक मई से प्रभावी होंगे. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैजल के मुताबिक, "वॉशिंगटन में पाकिस्तानी राजनयिकों पर यात्रा प्रतिबंधों के संदर्भ में हमें अमेरिका से आधिकारिक सूचना मिली है. वहां एक मई 2018 से पाकिस्तानी राजनयिकों पर प्रतिबंध लग रहा है." गौरतलब है कि अमेरिकी अंडर सेक्रेटरी ऑफ स्टेट फॉर पॉलिटिकल अफेयर्स थॉमस शैनन के 17 अप्रैल को इस बारे में बयान दिया था. इस बयान में शैनन ने कहा था कि अमेरिका वॉशिंगटन में पाकिस्तान के राजनयिकों पर ठीक उसी तरह के प्रतिबंध लगाएगा, जैसे पाकिस्तान ने अमेरिका के राजनयिकों पर इस्लामाबाद में लगाए हैं. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैजल ने इस्लामाबाद में कहा, "यह मुद्दा मुख्यतौर पर पारस्परिकता का है. दोनों पक्ष एक-दूसरे के संपर्क में हैं और हमें उम्मीद है कि इस मुद्दे को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा. हम फिलहाल इस पर कुछ नहीं कह सकते." ज्ञात हों कि कुछ दिनों पहले ही अमेरिका की ओर से पाकिस्तानी डिप्लोमेट्स के लिए नए कोड ऑफ कंडक्ट तय किए गए थे.

 पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने एक बड़ी खबर की पुष्टि की जिसमें कहा जा रहा था कि अमेरिका अपने देश में पाकिस्तानी राजनयिकों पर प्रतिबंध लगाने जा रहा है. यह प्रतिबंध एक मई से प्रभावी होंगे. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैजल के मुताबिक, “वॉशिंगटन में पाकिस्तानी राजनयिकों पर यात्रा …

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कर्नाटक में कांग्रेस ने खड़ी कि करोड़पतियों की फौज

12 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कर्नाटक में कांग्रेस की ओर से करोड़पति उम्मीदवारों की फौज खड़ी कर दी गई है और जानकारी के अनुसार कांग्रेस के द्वारा जारी 218 उम्मीदवारों की सूची में से 91 फीसदी प्रत्याशी करोड़पति है. जानिए और भी इन कर्नाटक चुनाव के बारे में - -कांग्रेस के 32 फीसदी उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. -वहीं भारतीय जनता पार्टी में 27 फीसदी उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. -कर्नाटक में किंग मेकर का तमगा हासिल कर चुकी जनता दल (सेकुलर) (जेडीएस) में ये आंकड़ा 29 फीसदी है. -बीजेपी ने 111 चेहरों पर और जेडीएस ने 58 चेहरों पर दोबारा दांव लगाया है, इन्हे पार्टी ने दोबारा टिकट दिया है. -शोध संस्थान एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) के विश्लेषण के अनुसार कांग्रेस से दोबारा चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति 28 करोड़ रुपये है -जबकि बीजेपी की तरफ से दोबारा चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति 8 करोड़ रुपये -जेडीएस के उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति 14 करोड़ रुपये है. -बीजेपी के 97 उम्मीदवार करोड़पति हैं. -जेडीएस ने 46 करोड़पति उम्मीदवारों को टिकट दिया है. -कांग्रेस की तरफ से दोबारा चुनाव लड़ रहे 148 उम्मीदवारों में से 48 उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की घोषणा की है. -भाजपा ने 111 लोगों को दोबारा टिकट दिया है. जिसमें से 30 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं. -जेडीएस की तरफ से दोबारा लड़ रहे 58 उम्मीदवारों में से 17 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. -कांग्रेस और जेडीएस, दोनों पार्टियों के 16 फीसदी उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं -बीजेपी के 17 फीसदी उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर मामले दर्ज हैं. -ये जानकारी एडीआर और कर्नाटक इलेक्शन वॉच ने इन उम्मीदवारों के नामांकन से प्राप्त जानकारी के आधार पर दी है.

12 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कर्नाटक में कांग्रेस की ओर से करोड़पति उम्मीदवारों की फौज खड़ी कर दी गई है और जानकारी के अनुसार कांग्रेस के द्वारा जारी 218 उम्मीदवारों की सूची में से 91 फीसदी प्रत्याशी करोड़पति है. जानिए और भी इन कर्नाटक चुनाव के …

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कर्नाटक चुनाव: 65 हजार बूथों पर होगी कांग्रेस के कॉल सेंटर की नज़र

आगामी 12 मई को कर्नाटक मे विधान सभा चुनावों के लिए वोटिंग की जाना है. कांग्रेस कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर कोई चांस नहीं लेना चाहती है और इस के लिए नई रणनीति के तहत राज्य के 65,000 बूथों पर दो कॉल सेंटर के जरिये नज़र रखने की योजना बना चूकि है. बैंगलोर और मैसूर में स्थापित किए गए ये साल सेंटर हैं, यह पहली बार है, जब अपने नए अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं, प्रतिनिधियों, बूथ कार्यकर्ताओं और जिला नेताओं से नियमित रूप से संपर्क में रहने के लिए कॉल सेंटर स्थापित किए हैं. कर्नाटक कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने कहा, 'हमने प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में बेहतर व्यवस्था के लिए इन कॉल सेंटर्स को स्थापित किया है. इसके माध्यम से हम अपने कार्यकर्ताओं के साथ सीधे तौर पर संपर्क में रहेंगे. खास तौर पर बूथ स्तर पर, सीधे और वास्तविक प्रतिक्रिया प्राप्त कर सकें.' कांग्रेस के 100 सदस्य हर कॉल सेंटर पर मौजूद रहेंगे. ये सदस्य पार्टी बूथ कार्यकर्ताओं, बूथ प्रतिनिधियों और अन्य कार्यकर्ताओं से संपर्क में रहेंगे और हर क्षेत्र की स्थिति पर नजर रखेंगे. दोनों कॉल सेंटर्स से मिलने वाली जानकारी और आंकड़ें पार्टी को अपने अभियान के साथ-साथ बूथ प्रबंधन को लेकर रणनीति बनाने में मदद करेंगे. गुंडू राव ने बताया, 'कॉल सेंटर्स के माध्यम से जानकारी का दो-तरफा प्रवाह रहेगा. इससे हमें बूथ स्तर की सभी जानकारी प्राप्त होगी और हम अपने कर्मचारियों को भी अपनी बात कह सकेंगे. साथ ही अगर हमारे कर्मचारियों को कोई समस्या होगी, तो उसका भी हल निकाला जा सकेगा. 12 मई ये वो तारीख है जब कर्नाटक विधानसभा चुनावों मे मतदाता राज्य के भाग्य का फैसला करेंगे. कर्नाटक चुनाव दोनों बड़े सियासी दलों के लिए अति महत्वपूर्ण है. बीजेपी जहा देश मे हर कही एक तरफ़ा जीत से ओत प्रोत हो कर एक और राज्य को भगुआ रंग मे रंगने को आतुर है साथ ही विजय रथ को आगे बढ़ाते हुए 2019 लोकसभा का शंखनाद भी अपने अंदाज मे ही करना चाहती है, तो दूसरी ओर कांग्रेस के लिए ये अस्तित्व को बचाने और पुनः उठ खड़े होने का मौका है. लगातार हार, भीतर घात, अकुशल नेतृत्व, मजबूत विपक्ष जैसे कई फैक्टर है जिन्होंने कांग्रेस को हाशिये पर ला खड़ा किया है. ऐसे मे कर्नाटक चुनाव कांग्रेस के लिए संजीवनी है. इस सूबे को जीत कर कांग्रेस सिर्फ एक राज्य नहीं जीतेगी अपितु फिर से पुनः गठन की ओर अपना पहला कदम भी बढ़ाएगी. देश की सियासत की दशा और दिशा के निर्धारण मे भी कर्नाटक चुनाव का अहम योगदान होगा. बीजेपी देश को भगुआ करने मे कोई कसर नहीं छोड़ेगी और बेहतरीन रणनीति, हवा का रुख और मोदी फेक्टर बीजेपी के लिए लगातार फायदे मंद साबित हो रहा है. ऐसे मे घमासान पक्का है. हालांकि कर्नाटक बीजेपी के लिए हमेशा से दूर की कौड़ी ही रहा है. इन सब सवालों के जवाब 15 मई को आने वाले परिणामों के साथ मिलेगा .

आगामी 12 मई को कर्नाटक मे विधान सभा चुनावों के लिए वोटिंग की जाना है. कांग्रेस कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर कोई चांस नहीं लेना चाहती है और इस के लिए नई रणनीति के तहत राज्य के 65,000 बूथों पर दो कॉल सेंटर के जरिये नज़र रखने की योजना बना …

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कर्नाटक में पीएम मोदी की नौ दिन में 15 रैलियां

बेंगलुरु : कर्नाटक का चुनाव जीतना भाजपा के लिए करो या मरो का मामला बन गया है.इसीलिए भाजपा यहां अपनी पूरी ताकत झोंकना चाहती है. इसीलिए कर्नाटक में पीएम मोदी का नौ दिवसीय प्रचार कार्यक्रम तय किया गया है.पीएम मोदी एक मई से नौ मई तक पूरे प्रदेश में 15 रैलियां करेंगे.अंतिम पड़ाव के इस प्रचार के साथ ही चुनाव की असली जंग शुरू होगी. उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में 12 मई को मतदान होगा.मुख्य टक्कर सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा के बीच है.एक और राहुल गाँधी पिछले पांच छह महीनों में कर्नाटक में कई रैलियों को सम्बोधित कर चुके हैं, लेकिन कांग्रेस यह जानती है कि राहुल भीड़ को ज्यादा रोक नहीं पाते, इसलिए फिर माइक सीएम सिद्धारमैया को संभालना पड़ता है, जिनमें वे अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाने और भाजपा पर आरोप लगाने में ही बीत जाता है. जबकि दूसरी ओर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जीत के लिए ज़मीन तैयार कर दी है . कार्यकर्ता भी सक्रिय हैं .लेकिन पार्टी को चिंता उन दस फीसदी वोटों की है जो असमंजस में हैं. वे एक ओर बेंगलूरू से मैसूर, मंगलोर और ओल्ड मैसूर तक के मतदाता सिद्धरमैया से निराश हैं, तो दूसरी ओर येदुरप्पा की सीएम दावेदारी से उत्साहित भी नहीं है.इन्हें साधने के लिए ही पीएम मोदी के सघन दौरे आयोजित किये गए हैं.इसके अलावा प्रधानमंत्री की चुनावी अभियान से पहले ही भाजपा का विजन डाक्यूमेंट जारी होगा, जिसमें किसान, छात्र, व्यवसायी व जातीय स्तर पर बंटे पेशेवरों को संदेश देने का प्रयास किया जाएगा.

 कर्नाटक का चुनाव जीतना भाजपा के लिए करो या मरो का मामला बन गया है.इसीलिए भाजपा यहां अपनी पूरी ताकत झोंकना चाहती है. इसीलिए कर्नाटक में पीएम मोदी का नौ दिवसीय प्रचार कार्यक्रम तय किया गया है.पीएम मोदी एक मई से नौ मई तक पूरे प्रदेश में 15 रैलियां करेंगे.अंतिम …

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मप्र: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के एलान के बाद सांसद ने किया बवाल

मंडला: मध्यप्रदेश में हाल ही में जबलपुर सांसद राकेश सिंह को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है जिसके कारण बीजेपी में अंतरकलह शुरू हो गया है. पार्टी के इस फैसले से नाखुश मंडला जिले से बीजेपी सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते ने मंडला विधानसभा से चुनाव लड़ने का मन बना लिया है जिसके बाद मप्र बीजेपी में उथल पुथल शुरू हो गई है. फग्गन सिंह कुलस्ते का यह बयान तब सामने आया है जब. बता दें कि कुलस्ते लंबे समय से प्रदेश अध्यक्ष की दावेदारी करते आ रहे हैं लेकिन हर बार उन्हें निराशा हाथ लगी है. फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि मंडला लोकसभा के अंतर्गत मंडला, डिंडौरी, सिवनी और नरसिंहपुर जिले की 8 विधानसभाएं आते हैं जिसमें उन्होंने मंडला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है. फग्गन सिंह कुलस्ते ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पार्टी को प्रस्ताव भेज दिया है और पार्टी जो निर्णय लेगी उस आधार पर काम करने की बात कर रहे हैं. गौरतलब है कि फग्गन सिंह कुलस्ते पांच बार मंडला लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं. फग्गन सिंह कुलस्ते बीजेपी के कद्दावर नेता और आदिवासियों के राष्ट्रीय नेता के चेहरे के रूप में जाने जाते है, मगर पार्टी द्वारा लगातार उनकी की गई उपेक्षा से वे नाराज चल रहे है.

मध्यप्रदेश में हाल ही में जबलपुर सांसद राकेश सिंह को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है जिसके कारण बीजेपी में अंतरकलह शुरू हो गया है. पार्टी के इस फैसले से नाखुश मंडला जिले से बीजेपी सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते ने मंडला विधानसभा से चुनाव लड़ने का मन बना लिया है …

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