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उन्नाव गैंगरेप : चौतरफा दबाव के बाद बीजेपी विधायक हिरासत में

उन्नाव: गैंगरेप मामले में सीबीआई ने आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को हिरासत में लिया है. इस मामले की जांच कर रही सीबीआई ने शुक्रवार तड़के बीजेपी विधायक को घर से हिरासत में लिया. बता दें, केंद्र ने उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश मंजूर करते हुए गुरुवार की शाम इस केस की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी से कराने का आदेश जारी किया था. इससे पहले हाई कोर्ट की फटकार के बाद पुलिस ने आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. एफआईआर दर्ज होने के बाद पीड़ित लड़की की बहन ने आरोपी विधायक की गिरफ्तारी की मांग की थी. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि मेरे पिता को मारने वाले और इस साजिश को रचने वालों को फांसी होनी चाहिए. बता दें, चौतरफा दबाव के बाद यूपी सरकार ने इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी, जिसे केंद्र ने मंजूर कर लिया था. बता दें, गृह विभाग ने पीड़िता के पिता की मौत की जांच की सिफारिश भी सीबीआई से की है. इस मामले में उन्नाव जिला अस्पताल के 2 डॉक्टर सस्पेंड किए गए हैं. इसके अलावा जेल अस्पताल के भी तीन डॉक्टरों पर गाज गिरी है. इनपर पीड़िता के पिता के इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप है. वहीं, सीओ सफीपुर कुंवर बहादुर सिंह भी लापरवाही के आरोप में सस्पेंड किए गए हैं. बता दें, इस मामले में लापरवाही बरतने को लेकर यूपी सरकार सबके निशाने पर है. विधायक सेंगर ने कहा था कि, 'जांच रिपोर्ट में क्या है, मुझे नहीं मालूम. एसआइटी रिपोर्ट में क्या-क्या मामले आए हैं, इसका मुझे कुछ नहीं पता. यह कहा जा रहा है कि मैं भाग गया हूं, फरार हो गया हूं. इसलिए मैं यह दिखाना चाहता हूं कि मैं जनता का आदमी और जनता के बीच में हूं. इसीलिए मैं सामने आ रहा हूं.' विधायक ने कहा कि, 'मुझे रेप का आरोपी बनाया गया है. मैं ये सपने में भी नहीं सोच सकता. मेरे खिलाफ साजिश की गई है. मेरा मीडिया ट्रायल किया गया है. मैं साजिश का शिकार हुआ हूं. मैं चाहता था कि निष्पक्ष जांच हो. मैंने कभी किसी पर दबाव नहीं बनाया. अगर मैं दोषी हूं या मेरा भाई गुनहगार है तो सजा मिलेगी. कानून के तहत सबको सजा मिलनी चाहिए. मैंने कोई गलत काम नहीं किया है. मेरे खिलाफ दुष्प्रचार किया गया. जो लोग आज चैनलों पर बातें कर रहे हैं, उनका कृत्य किसी ने नहीं देखा.'

 गैंगरेप मामले में सीबीआई ने आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को हिरासत में लिया है. इस मामले की जांच कर रही सीबीआई ने शुक्रवार तड़के बीजेपी विधायक को घर से हिरासत में लिया. बता दें,  केंद्र ने उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश मंजूर करते हुए गुरुवार की शाम इस …

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डॉ. नजमा हेपतुल्ला का जन्मदिन आज

डॉ. नजमा हेपतुल्ला एक राजनीतिज्ञ, लेखिका है. इनका जन्म 13 अप्रैल 1940 को मध्यप्रदेश के भोपाल के राजनिक परिवार में हुआ. डॉ. हेपतुल्ला को राजनीति विरासत में मिली है. रिश्ते में मौलाना अबुल कलाम आजाद की नातिन हेपतुल्ला ने एमएससी करने के बाद हृदय रोग विज्ञान में पीएचडी प्राप्त की पर राजनीति में दिलचस्पी के कारण वह राजनीति में आई. हेपतुल्ला एक राजनीतिज्ञ, लेखिका और नरेन्द्र मोदी सरकार के अंतर्गत अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री थी. फिलहाल वह मणिपुर राज्य की राज्यपाल है. वह मुंबई कांग्रेस कमेटी की महासचिव और उपाध्यक्ष रह चुकी हैं. वह 1985 से 1986 तथा 1988 से जुलाई 2007 तक भारतीय लोकतंत्र की उपरी प्रतिनिधि राज्यसभा की पूर्व उपसभापति रही हैं. 1980 से राज्यसभा की सदस्य है और अभी उनको दिल्ली के जमियामालिया इस्लामिया का चांसलर नियुक्त किया गया है. हेपतुल्ला के पति और प्रसिद्घ मानव संसाधन सलाहकार अकबर अली ए. हेपतुल्ला का निधन हो चुका है. उनकी 3 बेटियां हैं जो अमेरिका में काम करती हैं. हेपतुल्ला ने मुंबई प्रदेश कांग्रेस कमेटी की महासचिव से अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया, तत्पश्चात उन्होंने उपाध्यक्ष का उत्तरदायित्व भी निभाया। वे 1980 से राज्यसभा की सदस्य हैं. सदन की कार्यवाही का कुशल संचालन किया और सत्तापक्ष तथा विपक्ष में भी लोकप्रिय बनी रहीं. लेकिन श्रीमती सोनिया गाँधी से उनके रिश्तों में आई खटास के बाद वह भाजपा में शामिल हो गई. डॉ॰ हेपतुल्ला भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की अध्यक्ष भी रहीं हैं. सन 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा का दामन पकड़ लिया. वे जुलाई 2004 में दोबारा राज्यसभा के लिए भाजपा के टिकट पर चुनी गईं. वे भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी बनाई गईं. पर वर्ष 2007 में वह उपराष्ट्रपति के चुनाव में हामिद अंसारी से 233 वोटों से हार गई थीं. इन्होंने 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ ली. अल्पसंख्यक मामलों की केंद्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा था. अल्पसंख्यक मामले की केंद्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने 12 जुलाई 2016 को मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. केंद्रीय कैबिनेट में वह सबसे उम्रदराज मंत्री थीं. वह 75 साल पार कर चुके मंत्रियों में शामिल थीं. डॉ. नजमा हेपतुल्ला को 17 अगस्त 2016 को मणिपुर का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. हालांही में हेपतुल्ला को सर्वसम्मति से जामिया मिल्लिया इस्लामिया का चांसलर (अमीर-ए-जामिया) नियुक्त किया गया है.

डॉ. नजमा हेपतुल्ला एक राजनीतिज्ञ, लेखिका है. इनका जन्म 13 अप्रैल 1940 को मध्यप्रदेश के भोपाल के राजनिक परिवार में हुआ. डॉ. हेपतुल्ला को राजनीति विरासत में मिली है. रिश्ते में मौलाना अबुल कलाम आजाद की नातिन हेपतुल्ला ने एमएससी करने के बाद हृदय रोग विज्ञान में पीएचडी प्राप्त की …

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बीजेपी की मुखर महिला मंत्रियों की फौज उन्नाव-कठुआ पर मौन

दिल्ली : बीजेपी के राज में बढ़ते गैंगरेप और महिलाओं और बच्चियों पर अत्याचार के पर पीएम नरेंद्र मोदी, बीजेपी और यहाँ तक की बीजेपी की वे महिला नेता जो हर मौके पर बयानबाजी और बीजेपी की तरफदारी करते नहीं थकती है, इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है. सु-शासन का ढिंढोरा पीटने वाली केंद्र सरकार और उसकी महिला नेता गैंगरेप की दो बड़ी घटनाओं पर मौन है. इन वारदातों ने सरकार के झूठे वादों को फिर एक बार बेनकाब किया है. यूपी के उन्नाव में तो बीजेपी का विधायक ही रेप और फिर पीड़ित के पिता की हत्या का मुख्य आरोपी है. वहीं, जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ गैंगरेप के बाद हत्या की जघन्य घटना पर बॉलीवुड समेत पूरा देश आक्रोश जता रहा है. यूपी में जहां बीजेपी की खुद की सरकार है, वहीं जम्मू और कश्मीर में पीडीपी के साथ बीजेपी की गठबंधन सरकार है. हैरानी की बात है कि महिला सुरक्षा के मुद्दे पर हमेशा मुखर रहने वालीं बीजेपी की कई महिला मंत्री भी उन्नाव और कठुआ की घटनाओं को लेकर गुरुवार को बैकफुट पर नजर आईं. केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी को बीजेपी में मुखर और ओजस्वी वक्ताओं में माना जाता है. स्मृति दिल्ली के हनुमान मंदिर में बीजेपी के उपवास के लिए आईं थीं. ये उपवास कांग्रेस की ओर से संसद नहीं चलने देने के विरोध में बीजेपी ने रखा था. मगर कठुआ और उन्नाव में गैंगरेप की घटनाओं पर जब स्मृति ईरानी की प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने मौन रहना ही बेहतर समझा. बार-बार सवाल पूछे जाने पर भी स्मृति ईरानी ने इन घटनाओं पर एक शब्द नहीं बोला और कार में बैठकर रवाना हो गईं. कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में बीजेपी के शासन को ‘रावणराज’ तक का नाम दे डाला है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट में सवाल किया है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महिलाओं पर अत्याचार और बीजेपी शासित राज्यों में कानून और व्यवस्था की खराब स्थिति के विरोध में उपवास रखेंगे. मोदी सरकार की एक और मंत्री उमा भारती, केंद्रीय महिला और बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज महिलाओं से जुड़े इस मुद्दे पर मौन क्यों है समझ से परे है. वही बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी को विपक्ष के इस मुद्दे पर बोलने से भी एतराज है और खुद अभी भी सरकार की तरफदारी करती नज़र आ रही है.

 बीजेपी के राज में बढ़ते गैंगरेप और महिलाओं और बच्चियों पर अत्याचार के पर पीएम नरेंद्र मोदी, बीजेपी और यहाँ तक की बीजेपी की वे महिला नेता जो हर मौके पर बयानबाजी और बीजेपी की तरफदारी करते नहीं थकती है, इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है. सु-शासन का ढिंढोरा …

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कर्नाटक विधानसभा की मौजूदा सूरत

नई दिल्ली : यूँ तो चुनाव से पहले हर पार्टी आपराधिक छवि के लोगों को टिकट नहीं देने की बात करती है , लेकिन जब नामांकन भरने का समय आता है तो उस बात को भूलकर दागी लोगों को टिकट दे दिया जाता है. यही हाल कर्नाटक राज्य का है. चूँकि कर्नाटक की 224 सीटों के लिए विधानसभा चुनाव आगामी 12 मई को मतदान होगा. नतीजे 15 मई को आएँगे. फिलहाल कर्नाटक विधानसभा चुनाव की शक्ल कैसी है इस पर नज़र डालते हैं. आपको बता दें कि राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस के पास फिलहाल 122 विधायक हैं, जबकि मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा 40 विधायकों के साथ दूसरे और जेडीएस 35 सीटें लेकर तीसरे नंबर पर है.चुनाव सुधार करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट पर भरोसा करें, तो 224 में से 207 विधायकों के हलफनामों के विश्लेषण से पता चला है कि अपराधीकरण को लेकर सभी पार्टियां बड़ी-बड़ी बातें जरूर करती हैं, लेकिन वे इसके प्रति गंभीर नहीं है . यह बात रिकार्ड खुद बता रहा है. 68 विधायक के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.जबकि 35 विधायकों ने अपने शपथ पत्र में बताया है कि उनके खिलाफ गंभीर प्रवृत्ति के अपराध के मामले दर्ज हैं.गंभीर प्रवृत्ति के अपराध वे होते हैं, जिनमें 5 साल या उससे ज्यादा की सजा का प्रावधान है.इनमें गैर-जमानती अपराध, चुनाव संबंधी अपराध, हत्या, अपहरण, बलात्कार और भ्रष्टाचार शामिल हैं. उल्लेखनीय है कि यदि पार्टी अनुसार बताएं तो 114 में से 36 कांग्रेस विधायक पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जबकि भाजपा के 40 में से 13 विधायकों पर ऐसे मामले दर्ज हैं. जनता दल के 11 यानी पर आपराधिक मामले चल रहे हैं.गंभीर श्रेणी के अपराधों में 17 ऐसे विधायक कांग्रेस के हैं.जबकि गंभीर प्रवृत्ति के अपराधिक रिकॉर्ड वाले 8 विधायक भाजपा और जेडीएस के 5 विधायक हैं. यह तो हुई बाहुबल की बात . अब जानिए धनबल की बात. 207 में से 193 विधायक करोड़पति हैं. सबसे ज्यादा 109 करोड़पति विधायक सत्तारूढ़ कांग्रेस में हैं. मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा में 36 और जेडीएस में 33 विधायक करोड़पति हैं. अन्य पार्टियों और निर्दलीयों में भी करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या कम नहीं है.108 विधायकों की संपत्ति 5 करोड़ से ज्यादा है. कुल 52 की संपत्ति 2 से 5 करोड़ के बीच और 45 की संपत्ति 50 लाख से 2 करोड़ के बीच है.कर्नाटक विधानसभा में गरीब विधायक तो कोई नहीं है , लेकिन कांग्रेस के एचपी राजेश 7 लाख की संपत्ति के साथ सबसे कम संपत्ति वाले विधायक हैं. कांग्रेस विधायक प्रियाकृष्णा 910 करोड़ की संपत्ति के साथ शीर्ष पर हैं.

 यूँ तो चुनाव से पहले हर पार्टी आपराधिक छवि के लोगों को टिकट नहीं देने की बात करती है , लेकिन जब नामांकन भरने का समय आता है तो उस बात को भूलकर दागी लोगों को टिकट दे दिया जाता है. यही हाल कर्नाटक राज्य का है. चूँकि कर्नाटक की …

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव में होंगे कांग्रेस के 35 मेनिफेस्टो

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस जो मेनिफेस्टो (चुनाव घोषणापत्र) जारी करने जा रही है. मेनिफेस्टो को ड्राफ्ट करने वाली कमेटी के प्रमुख वीरप्पा मोइली ने बताया कि मेनिफेस्टो में जो वादे किए जाएंगे, जिन नीतियों का उल्लेख होगा, उनकी झलक 2019 आम चुनाव के दौरान भी दिखाई देगी. राजनीतिक जानकार पहले से ही कर्नाटक चुनाव को कांग्रेस और बीजेपी के बीच सेमीफाइनल मान रहे हैं. मोइली ने कहा कि कर्नाटक ना सिर्फ राज्य में कांग्रेस के लगातार दूसरी बार सत्ता में आने का आधार तैयार करेगा बल्कि ये राहुल गांधी के लिए प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर सॉफ्ट लॉन्चपैड भी बनेगा. ये बहुत अहम चुनाव है. हम ऐसी नीतियों/विचारों को मेनिफेस्टो में ले रहे हैं जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रोजेक्ट किया जाएगा. कांग्रेस कर्नाटक चुनाव के लिए कुल मिलाकर 35 मेनिफेस्टो लाने जा रही है. कर्नाटक के 30 जिलों के लिए जहां जहां अलग मेनिफेस्टो होंगे. वहीं चार क्षेत्रों के लिए चार मेनिफेस्टो और पूरे राज्य के लिए भी एक मेनिफेस्टो होगा. पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली के मुताबिक हमारा मेनिफेस्टो कई मायनों में खास होगा. राज्य में तीन स्तर पर मेनिफेस्टो लाने से पहले इस पूरी प्रक्रिया पर काफ़ी माथापच्ची की गई. ये तय किया गया कि राज्य आधारित मुद्दे, क्षेत्र आधारित मुद्दे और जिलावार आधारित मुद्दे, तीनों पर अलग अलग मेनिफेस्टो लाया जाए. मोइली का कहना है कि सभी चीजों पर काम कर लिया गया है. अब मेनिफेस्टो को निर्णायक रूप दिया जा रहा है. अब किसी भी दिन, जब पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी समय देंगे, मेनिफेस्टो लॉन्च कर दिया जाएगा. मोइली के मुताबिक राहुल गांधी ने महीनों पहले ही इस विजन डॉक्यूमेंट का आधार तैयार कर दिया था. राहुल ने तब ड्राफ्टिंग कमेटी से कहा था कि पार्टी इस चुनाव के लिए कांग्रेस मेनिफेस्टो नहीं बल्कि कर्नाटक मेनिफेस्टो चाहती है. जब मोइली से मेनिफेस्टो की सबसे अहम बात के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये बदलावों से जुड़ा है. कैसे पार्टी लोगों की जिंदगी को बदलने जा रही है? और कैसे हम कर्नाटक के लैंडस्केप को बदलने जा रहे हैं?

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस जो मेनिफेस्टो (चुनाव घोषणापत्र) जारी करने जा रही है. मेनिफेस्टो को ड्राफ्ट करने वाली कमेटी के प्रमुख वीरप्पा मोइली ने बताया कि मेनिफेस्टो में जो वादे किए जाएंगे, जिन नीतियों का उल्लेख होगा, उनकी झलक 2019 आम चुनाव के दौरान भी दिखाई देगी. राजनीतिक जानकार पहले …

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इस बार इस सीट से चुनाव लड़ेंगे मोदी – अमित शाह

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आज यहां दलितों के उत्थान के लिये ताउम्र संघर्ष करने वाले ज्योतिबा फूले को समतामूलक चौक पहुँच कर श्रद्धांजलि अर्पित की. इस मौके पर आपके साथ ख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री डॉ0 दिनेश शर्मा और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पांडेय ने भी दलित नेता को श्रद्धांजलि दी. आपको जानकारी दे दें इस अवसर पर अमित शाह ने यह राज़ खोला कि पीएम नरेंद्र मोदी 2019 के आम चुनाव में भी वाराणसी से ही चुनाव लडेंग़े. किसी अन्य सीट से चुनाव लड़ने से उन्होंने इंकार किया.एसपी-बीएसपी गठबंधन के सवाल पर शाह ने आश्वस्त होकर कहा कि यूपी कुछ नहीं होने वाला है. बीजेपी फिर प्रचंड बहुमत से जीतेगी. उन्होंने कहा हमने लोकसभा में 73 और फिर विधानसभा में 325 सीटें यूपी में जीती थी तब लोग कह रहे थे, कि ऐसा नहीं हो सकता. हम 2019 में भी प्रचंड बहुमत पाएंगे. एक सवाल के जवाब में उन्होंने यूपी से 70 से 80 सीटें जीतने का दावा किया. उल्लेखनीय है कि शाह ने सपा - बसपा गठबंधन पर कहा कि उपचुनाव योगी सरकार के खिलाफ जनादेश नहीं है.योगी लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं .कांग्रेस को घेरते हुए शाह ने कहा कि कांग्रेस हाल के जिन चुनावों से खुश है, वहां उनकी स्थिति क्या है? फूलपुर और गोरखपुर में उनकी जमानत जब्त हो गई है. 2014 में देश के लोग तय कर चुके हैं कि कौन 'पांडव' हैं. हालाँकि शाह का जीत के प्रति यह दावा कितना सही बैठता है ,यह तो समय ही बताएगा.

 उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आज यहां दलितों के उत्थान के लिये ताउम्र संघर्ष करने वाले ज्योतिबा फूले को समतामूलक चौक पहुँच कर श्रद्धांजलि अर्पित की. इस मौके पर आपके साथ ख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री डॉ0 दिनेश शर्मा और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र …

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ओवैसी ने मोदी की तुलना जादूगर पीसी सरकार से की

हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना मशहूर जादूगर पीसी सरकार से की है. असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी के 10 अप्रैल को बिहार के चंपारण में दिए भाषण को लेकर उन्हें निशाना बनाया. मोदी ने यहां पर कहा था कि बिहार में एक हफ्ते में 8.5 लाख टॉयलेट बनकर तैयार हो गए. इस पर ओवैसी ने कहा, 'पीएम जानेमाने जादूगर पीसी सरकार को तगड़ी चुनौती दे रहे हैं. बहुत जल्दी वह टीवी पर आकर अपनी टोपी में से खरगोश निकालते दिखाई देंगे. उनके जादू के शो को टीवी पर बहुत टीआरपी मिलेगी.' पीएम के इस दावे को लेकर सोशल मीडिया पर भी सवाल उठाए गए थे. ओवैसी ने जम्मू-कश्मीर में कठुआ गैंगरेप की घटना को लेकर भी बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टी पीडीपी की आलोचना की. कठुआ में आठ साल की बच्ची का गैंगरेप और मर्डर हो गया था. उन्होंने कहा, 'मंदिर के अंदर इतनी वीभत्स घटना हुई. इस मामले में सारे सबूत मौजूद हैं. लेकिन बीजेपी के सहयोग से बनी पीडीपी सरकार इस मामले में उचित कदम नहीं उठा रही है.' उन्होंने कहा कि पीएम मोदी बेटियों को बचाने की बात करते हैं, लेकिन इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं. राज्य की सीएम महबूबा मुफ्ती क्या कर रही हैं? यह साफ तौर पर मोदी सरकार का दोगलापन है. एआईएमआईएम प्रमुख ने उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार को भी अपने निशाने पर लिया और कहा कि इस राज्य में बेगुनाहों को एनकाउंटर के नाम पर मारा जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार असली अपराधियों को बचाने का काम कर रही है. ओवैसी ने कहा कि यूपी के सीएम को इन एनकाउंटर पर गर्व है, जबकि ये सोच समझकर की गई हत्याएं हैं. उन्होंने यूपी के उन्नाव में हुए गैंगरेप में घिरे बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के बारे में सवाल किया कि क्या यूपी के सीएम अपनी ही पार्टी के नेताओं के खिलाफ एक्शन लेंगे?

हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना मशहूर जादूगर पीसी सरकार से की है. असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी के 10 अप्रैल को बिहार के चंपारण में दिए भाषण को लेकर उन्हें निशाना बनाया. मोदी ने यहां पर कहा था कि बिहार में …

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CBI पूछताछ से बौखलाए तेजस्वी यादव- मोदी

पटना: बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को कहा कि आरोपपत्र दाखिल करने की चुनौती देने वाले पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सीबीआई की पूछताछ के बाद तिलमिला गये हैं. सुशील मोदी ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद के रेल मंत्री रहते निविदा आवंटन मामले में मंगलवार को सीबीआई द्वारा लालू के छोटे पुत्र एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव से पूछताछ किये जाने पर कहा कि आरोपपत्र दाखिल करने की चुनौती देने वाले तेजस्वी सीबीआई की पूछताछ के बाद बौखला गये हैं. सुशील मोदी ने कहा कि सीबीआई से पहले अगर बिहार की जनता को उन्होंने केवल एक सवाल का जवाब दे दिया होता कि 28 साल की उम्र में बिना किसी नौकरी-व्यवसाय के पटना की तीन एकड़ जमीन, जिस पर 750 करोड़ का उनका मॉल बन रहा था, के मालिक कैसे बन गए, तो उन्हें उपमुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं गंवानी पड़ती. उन्होंने आरोप लगाया कि तेजस्वी यादव, उनकी मां एवं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी बिहार की जनता को केवल इतना ही बता दें कि मात्र 64 लाख रुपये की पूंजी लगाकर पटना की 3 एकड़ जमीन जिसका बाजार मूल्य 94 करोड़ रुपये से अधिक है, के मालिक कैसे बन गये ? इसके बाद सुशिल मोदी ने ट्वीट कर कहा कि राबड़ी देवी से सीबीआई की ताजा पूछताछ की खीझ उतारने के लिए सुरक्षा मुद्दे का राजनीतिकरण कर सहानुभूति कार्ड खेला जा रहा है. जिन लोगों से बिहार डरता है और जिनके घर में प्रधानमंत्री की खाल उधेड़ने की धमकी देने वाले रहते हैं, उनको किससे जान का खतरा हो सकता है. गौरतलब है कि चारा घोटाले के मुख्य आरोपी लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी को दी गई सरकारी सुरक्षा हटा दी गई है, जिसके बाद राबड़ी देवी ने जान को खतरा बताकर फिर से सुरक्षा मुहैया करने की मांग की है.

 बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को कहा कि आरोपपत्र दाखिल करने की चुनौती देने वाले पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सीबीआई की पूछताछ के बाद तिलमिला गये हैं. सुशील मोदी ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद के रेल मंत्री रहते निविदा आवंटन मामले में मंगलवार को सीबीआई द्वारा लालू …

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राजनीतिक झूठ पर मनमोहन ने तोड़ी चुप्पी

दिल्ली : प्रोफेसर ए.बी. रंगनेकर मेमोरियल लेक्चर को संबोधित करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि देश में राजनीतिक संवाद में खतरनाक और झूठ का एक मिश्रण उभर रहा है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए एक खतरा हो सकता है. प्रोफेसर ए.बी. रंगनेकर मेमोरियल लेक्चर को संबोधित करते हुए पंजाब विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और कांग्रेस नेता ने कहा कि हमारे लिए यह समय खुद से सवाल पूछने का है कि आजादी के 70 साल बाद क्या हम लोकतंत्र के साथ धैर्य खो रहे हैं. पूर्व पीएम ने छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करने के दौरान कहा, 'हमें खुद से पूछने की जरूरत है कि क्या हम लोकतंत्र के साथ धैर्य खो रहे हैं और अधिक तानाशाही विकल्प चुन रहे हैं, जिससे कुछ वक्त के लिए बेहतर रिज़ल्ट मिल सकते हैं, लेकिन लम्बे वक्त में यह हमारे देश और पिछले 70 साल की उपलब्धियों को नष्ट कर देगा.' उन्होंने कहा, 'शासन जटिल प्रक्रिया है. यह अस्त व्यस्त है और धीमा है. इसके लाभ दीर्घकालीन हैं. इसके लिए काफी धैर्य की जरूरत होती है. इन सबसे ऊपर लोकतंत्र एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें लोगों के पास बिना किसी विशेषाधिकार के शासन में एक निर्णायक आवाज होती है, अगर यह खो जाती है तो लोकतंत्र अर्थहीन बन जाता है.' मनमोहन सिंह राजनीतिकों की बयानबाजी और भाषाशैली के साथ झूठे वादों पर बोल रहे थे.

प्रोफेसर ए.बी. रंगनेकर मेमोरियल लेक्चर को संबोधित करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि देश में राजनीतिक संवाद में खतरनाक और झूठ का एक मिश्रण उभर रहा है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए एक खतरा हो सकता है. प्रोफेसर ए.बी. रंगनेकर मेमोरियल लेक्चर को संबोधित करते हुए पंजाब …

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बीएसपी को मिला सपा का एक सीट पर समर्थन

यूपी : लगता है यूपी में सपा और बसपा का गठबंधन सिर्फ लोक सभा उप चुनाव तक ही सीमित नहीं था. इस दोस्ती को और आगे बढ़ाने के लिए सपा ने आगामी विधान परिषद् चुनाव में बीएसपी को एक सीट पर समर्थन देने का फैसला किया है.इस फैसले से सपा -बसपा की दोस्ती और मजबूत होगी. इस बारे में एसपी के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी ने बताया कि पार्टी विधान परिषद चुनाव में दो सीटों के बजाय एक ही सीट पर अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी और दूसरी सीट पर बीएसपी का समर्थन करेगी. सपा के इस त्याग को लेकर चर्चा यह है कि गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव में जीत दिलाने के फलस्वरूप यह एक सीट बसपा को दी जा रही है.कहा तो यह भी जा रहा है कि राज्यसभा चुनाव में बीजेपी की चालबाज़ी से बसपा का प्रत्याशी राज्य सभा का चुनाव नहीं जीत सका था. इसलिए सपा चाहती है कि बसपा का एक प्रत्याशी विधान परिषद तो पहुंचे. आपको जानकारी दे दें कि प्रदेश विधानमण्डल के उच्च सदन की 13 सीटों पर आगामी 26 अप्रैल को चुनाव होंगे. नतीजे भी उसी दिन घोषित किए जाएंगे. एक प्रत्याशी को जिताने के लिए प्रथम वरीयता के 29 मतों की जरूरत होगी.जिसमें सपा, बसपा के उम्मीदवार को जीत दिलाने का प्रयास करेगी.

 लगता है यूपी में सपा और बसपा का गठबंधन सिर्फ लोक सभा उप चुनाव तक ही सीमित नहीं था. इस दोस्ती को और आगे बढ़ाने के लिए सपा ने आगामी विधान परिषद् चुनाव में बीएसपी को एक सीट पर समर्थन देने का फैसला किया है.इस फैसले से सपा -बसपा की …

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