कारोबार

एयरसेल-मैक्सिस डील: पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम से ईडी की पूछताछ जारी

एयरसेल-मैक्सिस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम पर शिकंजा कसता जा रहा है. शुक्रवार को ईडी की टीम ने दिल्ली के जामनगर दफ्तर में पूर्व वित्तमंत्री से पूछताछ की. ये पूछताछ अभी भी जारी है. बता दें कि इस मामले में पहले ही सीबीआई की ओर से पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति के खिलाफ चार्जशीट दायर की जा चुकी है. पटियाला हाउस कोर्ट से पहले ही दोनों को राहत मिल चुकी है. कोर्ट की ओर से दोनों की गिरफ्तारी पर 8 अक्टूबर तक रोक लगाई गई है. एयरसेल-मैक्सिस डील क्या? केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि कार्ति के पिता पी. चिदंबरम 2006 में जब वित्त मंत्री थे, तो उन्होंने (कार्ति) एयरसेल-मैक्सिस डील में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से किस प्रकार मंजूरी हासिल की थी. गौरतलब है कि कार्ति चिदंबरम द्वारा साल 2006 में एयरसेल-मैक्सिस डील के तहत विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी मिलने के मामले की जांच CBI और ED कर रहे हैं. उस समय पी चिदंबरम वित्तमंत्री थे. क्या हैं आरोप? पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर एयरसेल-मैक्सिस को एफडीआई के अनुमोदन के लिए आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी को नजरअंदाज कर दिया था. ED के मुताबिक एयरसेल-मैक्सिस डील में तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कैबिनेट कमेटी की अनुमति के बिना ही मंजूरी दी थी, जबकि ये डील 3500 करोड़ रुपये की थी.

एयरसेल-मैक्सिस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम पर शिकंजा कसता जा रहा है. शुक्रवार को ईडी की टीम ने दिल्ली के जामनगर दफ्तर में पूर्व वित्तमंत्री से पूछताछ की. ये पूछताछ अभी भी जारी है. बता दें कि इस मामले में पहले ही सीबीआई की ओर से पी. …

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राफेल पर फ्रांस की मीडिया ने भी उठाए सवाल- HAL की जगह अंबानी को कैसे मिली डील?

फ्रांस मीडिया ने भारत में चल रहे राफेल 'घोटाला' विवाद की तुलना 1980 के दशक में बोफोर्स घोटाले से करते हुए सवाल खड़ा किया है. फ्रांस के प्रमुख अखबार फ्रांस 24 ने कहा है कि आखिर कैसे 2007 में शुरू हुई डील से 2015 में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को बाहर करते हुए निजी क्षेत्र की रिलायंस डिफेंस को शामिल किया गया? फ्रांस 24 ने लिखा है कि राफेल डील की शुरुआत 2007 में तब हुई जब भारतीय रक्षा मंत्रालय ने 2007 में अपना सबसे बड़ा टेंडर जारी करते हुए 126 मल्टी रोल लड़ाकू विमान खरीदने की पहल की. रक्षा मंत्रालय की ये खरीदारी इसलिए जरूरी हो गई क्योंकि उस वक्त देश में इस्तेमाल हो रहे रूसी विमानों पुराने हो चुके थे और रक्षा चुनौतियों को पूरा करने में सक्षम नहीं थे. मनमोहन सिंह की डील इसी क्रम में 5 साल तक चली बातचीत के बाद मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने ऐलान किया कि फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट रक्षा मंत्रालय के टेंडर में विजयी हुआ है. दसॉल्ट राफेल की मैन्यूफैक्चरिंग करता है और 2012 के इस समझौते के मुताबिक रक्षा मंत्रालय सेवा में तुरंत तैनात करने के लिए 18 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद फ्रांसीसी कंपनी से करेगा. वहीं बचे हुए 108 लड़ाकू विमानों की असेंब्ली दसॉल्ट भारत सरकार की कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ मिलकर भारत में करेगा. इसे पढ़ें: राफेल पर कौन कर रहा है गुमराह? राहुल, मैक्रों, निर्मला में गलत कौन? फ्रांस 24 के मुताबिक इस डील के वक्त भारत का मानना था कि इस डील से भारत सरकार की एरोस्पेस और डिफेंस कंपनी एचएएल की आधुनिक उत्पादन क्षमता में इजाफा होगा और वह देश के लिए लड़ाकू विमान बनाने के लिए तैयार हो जाएगी. फ्रांस 24 के मुताबिक कांग्रेस सरकार की यह डील कीमत और क्षमता पर विवाद के चलते अगले तीन साल तक अटकी रही. जहां शुरुआत में यह डील महज 12 बिलियन डॉलर की थी वह बढ़कर 20 बिलियन डॉलर पर पहुंच गई. कीमत में इजाफा इस आधार पर हुआ कि भारत सरकार की कोशिश कुछ लड़ाकू विमानों को भारत में ही निर्मित कराने की थी. नरेन्द्र मोदी की डील और डील में ट्विस्ट भारत में मई 2014 में सत्ता परिवर्तन हुआ और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार बनी. अपने कार्यकाल के पहले वर्ष के अंत में प्रधानमंत्री मोदी फ्रांस के दौरे पर गए और फ्रांसीसी कंपनियों को मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत के साथ करार करने का निमंत्रण दिया. मोदी ने यह निमंत्रण सिविल न्यूक्लियर एनर्जी, डिफेंस और फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र की फ्रांसीसी कंपनियों को दिया. अपने इसी दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस से डील का ऐलान किया. हालांकि नई डील के मुताबिक अब भारत को महज 36 लड़ाकू विमान खरीदने थे. लिहाजा पूरी डील पर सरकार को सिर्फ 8.7 बिलियन डॉलर खर्च करने थे. खासबात यह थी कि सभी के सभी 36 लड़ाकू विमानों को फ्रांस में ही निर्मित किया जाएगा और तैयार विमान भारत को सौंपे जाएंगे. नई डील का विवादित पक्ष इस डील के साथ ही भारत और फ्रांस की सरकार के बीच समझौता किया गया कि इस डील से दसॉल्ट को हुई कुल कमाई का आधा हिस्सा कंपनी को एक निश्चित तरीके से वापस भारत में निवेश करना होगा. डील के इस पक्ष को ऑफसेट क्लॉज कहा गया. लिहाजा, डील के तहत दसॉल्ट को यह सुनिश्चित करना था कि वह 8.7 बिलियन डॉलर की आधी रकम को वापस भारत के रक्षा क्षेत्र में निवेश करे. एचएएल बाहर और अंबानी अंदर फ्रांस 24 अपनी रिपोर्ट ने कहती है कि डील में हुआ एक अहम बदलाव सबको आश्चर्यचकित करने वाला था. भारत में एचएएल के पास रक्षा क्षेत्र में मैन्यूफैक्चरिंग का 78 साल का तजुर्बा था और वह इस ऑफसेट क्लॉज में एक मात्र कंपनी थी जिसके पक्ष में फैसला किया जाता. लेकिन दसॉल्ट ने एचएएल से करार तोड़ते हुए अनिल अंबानी की रिलायंस ग्रुप से करार कर लिया. खासबात यह है कि इस वक्त तक रिलायंस के पास रक्षा क्षेत्र की मैन्यूफैक्चरिंग तो दूर उसे एविएशन सेक्टर का भी कोई तजुर्बा नहीं था. इसे पढ़ें: EXCLUSIVE: इंडिया टुडे ने खोज निकाला नीरव मोदी का लंदन का ठिकाना वहीं फ्रांस 24 रिलायंस समूह के प्रमुख अनिल अंबानी के लिए लिखता है कि उनका इतिहास विवादों से भरा है. जहां पारिवारिक संपत्ति के बराबर के बंटवारे के बाद अनिल अंबनी के बड़े भाई ग्लोबल फोर्ब्स सिल्ट में सबसे अमीर भारतीय बने वहीं खुद अनिल अंबानी इस सूची में 45 वें नबंर पर पहुंच गए. इसके अलावा अनिल अंबानी का टेलिकॉम सेक्टर में वेंचर घाटे में चला गया और उनकी कंपनी हजारों करोड़ के कर्ज में दब गई जिसे उबारने के लिए अपना टेलिकॉम कारोबार उन्हें बड़े भाई मुकेश अंबानी को बेचना पड़ा. वहीं टेलिकॉम स्पेक्ट्रम घोटाले में भी अनिल अंबनी की भूमिका संदिग्ध रही. डील से 15 दिन पहले बनी कंपनी? फ्रांस 24 ने दावा किया कि भारत में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक अन्य फ्रांसीसी अखबार को दिए इंटरव्यू में सवाल खड़ा किया कि आखिर किस आधार पर इस डील से एक अनुभवी कंपनी को बाहर करते हुए एक ऐसी कंपनी को जगह दी गई जिसने इस क्षेत्र में कभी काम नहीं किया. इसके साथ ही फ्रांस 24 ने दावा किया कि दसॉल्ट ने जिस भारतीय कंपनी को एचएएल की अपेक्षा तरजीह दी उस कंपनी को इस डील से महज 15 दिन पहले ही स्थापित किया गया. खासबात यह है कि कंपनी को स्थापित करने की यह तारीख प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फ्रांस दौरे से महज 13 दिन पहले की है. वहीं फ्रांस 24 ने यह भी मुद्दा उठाया है कि प्रधानमंत्री की इस यात्रा में शामिल कारोबारियों ने अनिल अंबानी भी मौजूद थे. फ्रांस 24 ने लिखा है कि मौजूदा परिस्थिति में साफ है कि राफेल डील भारत के आगामी आम चुनावों में ठीक वही भूमिका अदा कर सकता है जो 1980 के दशक में बोफोर्स डील ने किया था. गौरतलब है कि बोफोर्स डील पर विवाद के चलते राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को सत्ता से बाहर जाना पड़ा था वहीं इस बार निशाने पर बीजेपी सरकार है

फ्रांस मीडिया ने भारत में चल रहे राफेल ‘घोटाला’ विवाद की तुलना 1980 के दशक में बोफोर्स घोटाले से करते हुए सवाल खड़ा किया है. फ्रांस के प्रमुख अखबार फ्रांस 24 ने कहा है कि आखिर कैसे 2007 में शुरू हुई डील से 2015 में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को बाहर करते हुए निजी …

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नीरव मोदी पर कसा शिकंजा, भाई और मैनेजर के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू

पंजाब नेशनल बैंक घोटाले (PNB SCAM) के मुख्य आरोपी हीरा कारोबारी नीरव मोदी के अच्छे दिन अब लद गए हैं. सुरक्षा एजेसियों ने नीरव मोदी के साथ-साथ उसके रिश्तेदारों पर भी गिरफ्त कसना शुरू कर दिया है. नीरव मोदी के भाई नीशल मोदी और उसके करीबी सुभाष परब के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. नीशल मोदी के लिए बेल्जियम सरकार को प्रत्यर्पण की अर्जी दे दी गई है, जबकि सुभाष परब को मिस्र से लाने की तैयारी हो रही है. दोनों के खिलाफ पहले ही रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया गया है. बता दें कि सुभाष परब नीरव मोदी की उसी फायरस्टार इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड का मैनेजर था, जिसके जरिए फर्जी LoU लिए गए थे. वहीं, नीरव मोदी का भाई नीशल बेल्जियम का नागरिक है. उसने ही इस तरह के फर्जी कारनामे करने में अपने भाई की मदद की थी. अभी भी जारी है नीरव मोदी का गोरखधंधा... आपको बता दें कि अभी हाल ही में इंडिया टुडे ने नीरव मोदी के बड़े गोरखधंधे का खुलासा किया था. न्यूयॉर्क के बैंकरप्सी कोर्ट में दाखिल अमेरिकी जांच रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि नीरव मोदी की विभिन्न कंपनियों के बीच ही एक हीरे को कम से कम चार बार खरीदा-बेचा गया. इससे 1.88 लाख डॉलर के हीरे की कीमत देखते ही देखते 36 लाख डॉलर तक बढ़ा दी गई. यानी मूल कीमत से करीब 20 गुणा ज्यादा. ऐसा इसलिए किया गया कि जिससे ऐसा दिखाया जा सके कि इन कंपनियों में काफी कारोबार होता है. गौरतलब है कि अगस्त के मध्य में भारतीय एजेंसियों ने इंग्लैंड की एजेंसियों को अगाह कर दिया था कि नीरव मोदी को लंदन में देखा गया है. इसके बाद भारत की तरफ से सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के दस्तावेज इंग्लैंड सरकार को सौंप दिए थे. नीरव मोदी भारत में 13,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक घोटाले का प्रमुख आरोपी है, वहीं मामले में नीरव के कुछ करीबी और रिश्तदार मेहुल चोकसी ने फर्जी तरीके से बैंकिंग साधनों का इस्तेमाल करते हुए पंजाब नेशनल बैंक को नुकसान पहुंचाने का काम किया.

पंजाब नेशनल बैंक घोटाले (PNB SCAM) के मुख्य आरोपी हीरा कारोबारी नीरव मोदी के अच्छे दिन अब लद गए हैं. सुरक्षा एजेसियों ने नीरव मोदी के साथ-साथ उसके रिश्तेदारों पर भी गिरफ्त कसना शुरू कर दिया है. नीरव मोदी के भाई नीशल मोदी और उसके करीबी सुभाष परब के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू कर …

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वायदा बाजार में सोना चमका, अक्टूबर महीने की डिलीवरी के लिए रहा इतने का भाव

वायदा बाजार में सोना चमका, अक्टूबर महीने की डिलीवरी के लिए रहा इतने का भाव

वैश्विक बाजारों में सकारात्मक रुख के बीच सटोरियों की लिवाली से वायदा बाजार में सोने का भाव शुक्रवार को 111 रुपये की बढ़त के साथ 30,281 रुपये प्रति 10 ग्राम रहा. मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में अक्टूबर महीने की डिलीवरी के लिए सोने का मूल्य 111 रुपये या 0.37 प्रतिशत की तेजी के …

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जल्द बढ़ सकते हैं Petrol व Diesel के दाम, जानिए क्यों?

नई दिल्ली: कच्चे तेल में आई तेजी के बाद से Petrol व Diesel की कीमतों में बढ़ोतरी का सिलसिला जारी है। इस सप्ताह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल करीब चार डॉलर महंगा हो गया है। हालांकि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार जंग गहराने की आशंका से वैश्विक बाजार में शुक्रवार …

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FM: वित्त मंत्री का दावा अगले साल ब्रिटेन को पछ़ाड देगा भारत!

नयी दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को एक बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि भारत अगले साल ब्रिटेन को पछ़ाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। उन्होंने कहा कि देश में बढ़ती खपत और मजबूत आर्थिक गतिविधियों की वजह से हम ब्रिटेन से आगे …

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अगले साल ब्रिटेन को पछाड़ 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है भारत: अरुण जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि भारत अगले साल ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है. उन्होंने यहां कहा, ‘‘इस साल आकार के लिहाज से हमने फ्रांस को पीछे छोड़ा है. अगले साल हम ब्रिटेन को पीछे छोड़ देंगे. इस तरह हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे.’’ वित्त मंत्री ने कहा कि दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि की रफ्तार धीमी है. उन्होंने कहा कि भारत में अगले 10 से 20 साल में दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में आने की क्षमता है. इससे पहले जुलाई में जारी हुई वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अब दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. उसने इस मामले में फ्रांस को पीछे छोड़कर यह मुकाम हासिल किया है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, भारत की GDP (सकल घरेलू उत्पाद) पिछले साल के आखिर में 2.597 ट्रिलियन डॉलर (178 लाख करोड़ रुपए) रही, जबकि फ्रांस की 2.582 ट्रिलियन डॉलर (177 लाख करोड़ रुपए) रही. कई तिमाहियों की मंदी के बाद भारत की अर्थव्यवस्था जुलाई 2017 से फिर से मजबूत होने लगी. 2017 जुलाई से मजबूत हुई अर्थव्यवस्था आपको बता दें कि भारत की आबादी इस समय 1.34 अरब यानी 134 करोड़ है और यह दुनिया का सबसे आबादी वाला मुल्क बनने की दिशा में अग्रसर है. उधर, फ्रांस की आबादी 6.7 करोड़ है. वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, फ्रांस की प्रति व्यक्ति जीडीपी भारत से 20 गुना ज्यादा है. मोदी सरकार के इस काम की World Bank ने भी की तारीफ, कहा ‘बहुत अच्छा’ काम किया तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है भारत वर्ल्ड बैंक ग्लोबल इकोनॉमिक्स प्रॉस्पेक्टस रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी और जीएसटी के बाद आई मंदी से भारत की अर्थव्यवस्था उबर रही है. नोटबंदी और जीएसटी (माल एवं सेवा कर) के कारण दिखे ठहराव के बाद पिछले साल मैन्युफैक्चरिंग और उपभोक्ता खर्च भारतीय अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के प्रमुख कारक रहे. एक दशक में भारत ने अपनी जीडीपी को दोगुना कर दिया है और संभावना जताई जा रही है कि चीन की रफ्तार धीमी पड़ सकती है और एशिया में भारत प्रमुख आर्थिक ताकत के तौर पर उभर सकता है. उम्मीद जताई गई है कि भारत 2032 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है. कौन सा देश किस पायदान पर देश जीडीपी अमेरिका $19.390 ट्रिलियन (1,379 लाख करोड़) चीन $12.237 ट्रिलियन (963 लाख करोड़) जापान $4.872 ट्रिलियन (351 लाख करोड़) जर्मनी $3.677 ट्रिलियन (289 लाख करोड़) यूके $2.622 ट्रिलियन (202 लाख करोड़) भारत $2.597 ट्रिलियन (178 लाख करोड़) फ्रांस $2.582 ट्रिलियन (177 लाख करोड़) IMF भी है भारत पर पॉजिटिव अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार इस साल भारत की ग्रोथ 7.4 फीसदी रह सकती है और कर सुधार व घरेलू खर्चे के चलते 2019 में भारत की विकास दर 7.8 फीसदी पहुंच सकती है. वहीं, दुनिया की औसत विकास दर 3.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि भारत अगले साल ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है. उन्होंने यहां कहा, ‘‘इस साल आकार के लिहाज से हमने फ्रांस को पीछे छोड़ा है. अगले साल हम ब्रिटेन को पीछे छोड़ देंगे. इस तरह हम दुनिया …

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जॉनसन एंड जॉनसन के हिप रिप्‍लेसमेंट में निकली घटिया सामग्री? 20 लाख मुआवजे दे : समिति

दिल्‍ली: जॉनसन एंड जॉनसन की सहायक इकाई ने देश में 3600 घटिया हिप रिप्‍लेसमेंट सिस्‍टम बेचे थे. इसका खुलासा केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की सरकारी समिति की रिपोर्ट में हुआ है. समिति ने कंपनी के खिलाफ सख्‍त कार्रवाई की सिफारिश की है और जिन मरीजों के यह सिस्‍टम लगा है उन्‍हें 20-20 लाख रुपए मुआवजा दिलवाने की सिफारिश केंद्र सरकार से की है. समिति ने कहा है कि सरकार को कंपनी से मुआवजा दिलाने के लिए एक हाईलेवल कमेटी बनानी चाहिए. इन घटिया हिप रिप्‍लेसमेंट सिस्‍टम से मरीजों की जान खतरे में है. समिति ने कहा है कि सिस्‍टम में बेहत घटिया सामग्री का इस्‍तेमाल हुआ है. हिप ज्‍वाइंट में बॉल और सॉकेट है, जो कार्टिलेज से कवर्ड है और लुब्रिकेटिंग मेम्‍ब्रेन से ढका हुआ है तो यह सुरक्षित रहे. पूरे हिप रिप्‍लेसमेंट में सभी उपकरणों को प्रोस्‍थेटिक कंपोनेंट से बदला जाता है जबकि मेटल स्‍टेल को थाई बोन के हॉलो सेंटर में लगाया गया है. प्रोस्‍थेटिक बॉल, सॉकेट और कार्टिलेज मजबूत प्‍लास्टिक, मेटल या सिरामिक के बने हैं. सामान्‍यत: जो हिप इम्‍प्‍लांट बाजार में मौजूद है वह मेटल ऑन पॉलीथीन, सिरेमिक ऑन पॉलीथीन पर होते हैं. क्‍यों खड़ा हुआ विवाद? इंडियन एक्‍सप्रेस की खबर के मुताबिक ये इम्‍प्‍लांट मेटल ऑन मेटल है. इसमें कोबाल्‍ट, क्रोमियम और मोलिबडेनम मुख्‍य अवयव हैं. एएसआर (आर्टिकुलेट सर्फेस रिप्‍लेसमेंट) एक्‍स एल एसीटाबुलर सिस्‍टम और एएसआर हिप रीसर्फेसिंग सिस्‍टम की मैन्‍युफैक्‍चरिंग जॉनसन एंड जॉनसन की सहायक कंपनी डिप्‍टी इंटरनेशनल लिमिटेड करती है. वह ही इसकी बिक्री भी करती है. क्‍या खड़ी हुई समस्‍या? जब प्रोस्‍थेटिक बॉल और सॉकेट आपस में रगड़ते थे तो यह खराब होने लगते थे. अगर इम्‍पलांट मेटल ऑन मेटल है तो इससे धातु निकलकर रक्‍त में मिल जाती है. इससे दिक्‍कत खड़ी हो जाती है और कई बार रिविजन सर्जरी की जरूरत पड़ती है. दुनिया में 93000 रोगियों को यह इम्‍प्‍लांट लगा है. कई को इससे काफी तकलीफ हुई है. उनकी दोबारा सर्जरी करनी पड़ी है. कई के एएसआर इम्‍प्‍लांट बदले गए हैं. इस कारण कंपनी ने 2010 में इन्‍हें खुद ही वापस मंगा लिया था. भारत में कितने मरीजों में लगा यह इम्‍प्‍लांट भारत में कंपनी को 2006 में इसे इम्‍पोर्ट करने का लाइसेंस मिला. तब तक दुनिया में इसे रिकॉल किया जा रहा था. अनुमान के तौर पर 4700 एएसआर इम्‍प्‍लांट भारत में लगे हैं. जब दुनिया में इस इम्‍प्‍लांट को लेकर बखेड़ा खड़ा हुआ तो केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने 2017 में इसकी जांच कराई और सारी सच्‍चाई सामने आ गई. समिति ने ये सिफारिश की 1- कंपनी हरेक प्रभावित मरीज को 20 लाख रुपए मुआवजा दे 2- अगस्‍त 2025 तक सभी मरीजों के खराब सिस्‍टम बदले 3- उन लोगों के नाम जाहिर किए जाएं जिनके यह सिस्‍टम लगा है 4- हरेक मरीज का हर साल चेकअप हो, यह प्रक्रिया 2025 तक चलेगी 5- मंत्रालय इसके लिए एक एक्‍सपर्ट टीम बनाए, जो मरीजों के दावे का निस्‍तारण कराए

जॉनसन एंड जॉनसन की सहायक इकाई ने देश में 3600 घटिया हिप रिप्‍लेसमेंट सिस्‍टम बेचे थे. इसका खुलासा केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की सरकारी समिति की रिपोर्ट में हुआ है. समिति ने कंपनी के खिलाफ सख्‍त कार्रवाई की सिफारिश की है और जिन मरीजों के यह सिस्‍टम लगा है उन्‍हें 20-20 लाख रुपए मुआवजा …

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शेयर बाजार में गिरावट, निफ्टी 24 और सेंसेक्स 70 अंक गिरा

इस कारोबारी हफ्ते के चौथे दिन की सपाट शुरुआत करने के बाद शेयर बाजार में गिरावट शुरू हो गई है. गुरुवार को निफ्टी ने हल्की गिरावट के साथ शुरुआत की. यह 1.40 अंक गिरकर 11,690.50 के स्तर पर कारोबार शुरू करने में कामयाब रहा. सेंसेक्स की बात करें तो इसने हल्की बढ़त के साथ शुरुआत की. यह 1.83 अंक बढ़कर 38,724.76 के स्तर पर खुलने में कामयाब रहा. हालांकि शुरुआती कारोबार में बाजार में गिरावट बढ़ गई है. फिलहाल (10.23AM) निफ्टी 26.95 अंकों की बढ़ोत्तरी के साथ 11,664.95 के स्तर पर कारोबार कर रहा है. सेंसेक्स में भी गिरावट है. यह 53.25 अंक गिर कर 38,669.68 के स्तर पर फिलहाल कारोबार कर रहा है. शुरुआती कारोबार में निफ्टी-50 पर भारती एयरटेल, आईटीसी, पावरग्र‍िड, यूपीएल और गेल के शेयरों में बढ़त देखने को मिल रही है. दूसरी तरफ, यस बैंक, एक्स‍िस बैंक समेत रिलायंस के शेयरों में गिरावट नजर आ रही है. रुपये में रिकॉर्ड गिरावट: रुपये में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है. गुरुवार को रुपये ने गिरावट के साथ कारोबार की शुरुआत की है. इस कारोबारी हफ्ते के चौथे दिन यह एक डॉलर के मुकाबले 70.81 के स्तर पर पहुंच गया है. यह पहली बार है, जब रुपया इस स्तर पर पहुंचा है. रुपये ने आज शुरुआत 70.63 के स्तर पर की थी. लेकिन शुरुआती कारोबार में इसमें लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. इसकी वजह से यह पहली बार 70.81 के स्तर पर पहुंचा है.

इस कारोबारी हफ्ते के चौथे दिन की सपाट शुरुआत करने के बाद शेयर बाजार में गिरावट शुरू हो गई है. गुरुवार को निफ्टी ने हल्की गिरावट के साथ शुरुआत की. यह 1.40 अंक गिरकर 11,690.50 के स्तर पर कारोबार शुरू करने में कामयाब रहा. सेंसेक्स की बात करें तो इसने हल्की बढ़त के साथ शुरुआत की. …

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नोटबंदी के बाद भी कैशलेस नहीं देश, बचत योजनाओं में पहले से ज्यादा नकदी जमा

नोटबंदी के पक्ष में सरकार द्वारा सबसे बड़ा तर्क यही दिया गया था कि इससे भारत एक कैशलेस अर्थव्यवस्था बन जाएगा. लेकिन रिजर्व बैंक के आंकड़े कुछ और ही कहानी कहते हैं. आंकड़ों से पता चलता है कि नोटबंदी के बाद बचत योजनाओं में नकद जमा का अनुपात रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ा है. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, नोटबंदी के बाद साल 2017-18 में नकद में बचत बढ़कर ग्रॉस नेशनल डिस्पोजबल इनकम (GNDI) का 2.8 फीसदी तक पहुंच गया, जो कि पिछले सात साल में सबसे ज्यादा है. आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2014-15 में नकद बचत जीएनडीआई का एक फीसदी और 2015-16 में इसमें 1.4 फीसदी की बढ़त हुई है. साल 2016-17 में इसमें 2 फीसदी की गिरावट आई थी. बचत भी ज्यादा और करेंसी भी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक करेंसी में सकल बचत बढ़ने के बावजूद जनता के पास मौजूद करेंसी भी नोटबंदी के पहले के स्तर से ज्यादा देखी गई. 28 अक्टूबर, 2016 (नोटबंदी से पहले) को जनता के पास कुल नकदी 17.01 लाख करोड़ रुपये थी, जबकि 3 अगस्त, 2018 को यह 18.46 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई. पिछले सात साल के आंकड़ों को देखें तो इस दौरान बैंकों में जमा नकदी में गिरावट आई है, जबकि शेयरों और डिबेंचर में निवेश बढ़ा है. जानकारों का कहना है कि ब्याज दरों में गिरावट की वजह से बैंक जमा में कमी आई है. पिछले वर्षों में शेयर बाजारों में आई मजबूती की वजह से लोग शेयरों में ज्यादा निवेश करने लगे हैं.

नोटबंदी के पक्ष में सरकार द्वारा सबसे बड़ा तर्क यही दिया गया था कि इससे भारत एक कैशलेस अर्थव्यवस्था बन जाएगा. लेकिन रिजर्व बैंक के आंकड़े कुछ और ही कहानी कहते हैं. आंकड़ों से पता चलता है कि नोटबंदी के बाद बचत योजनाओं में नकद जमाका अनुपात रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ा है. रिजर्व बैंक के …

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