23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में भगत सिंह और उनके साथी हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर चढ़ गए. आपको बता दें, फांसी से पहले भगत सिंह किताब ही पढ़ रहे थे. भगत सिंह को पढ़ना बहुत पसंद था. वह एक ऐसे क्रांतिकारी थे जिसके पीछे पूरी अंग्रेज हुकूमत पड़ी …
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