वैसे तो प्रकृति ने स्त्री के भीतर कोमलता, सौम्यता और ममत्व के भाव कूट-कूटकर भरे हैं, ये सब भावनाएं हर महिला में समान रूप से देखी भी जाती हैं लेकिन जिस तरह हाथों की पांचों अंगुलियां बराबर नहीं होतीं, उसी तरह हर स्त्री ममता की भी मूर्ति हो यह भी …
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