यमलोक की गंगा जिसे महाभारत महाकाव्य में महाकवि वेद व्यास जी ने गंगा का रौद्र स्वरुप बताया है. हिन्दू धर्मग्रन्थ में गरुण पुराण में इस नदी का विस्तार सौ योजन अर्थात 120 किलोमीटर बताया गया है ,जीव के मरने के बाद जीवात्मा को यमदुतो द्वारा यहाँ तक लाया जाता है. …
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