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कांग्रेसी गढ़ में भी होती रही है अटल गर्जना, अप्रिय शब्दों में झलकती मधुरता

चिलचिलाती धूप, जेठ का महीना और उड़ती धूल के बीच पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का हेलीकाप्टर जब अमेठी के आसमान में दिखा तो उन्हें सुनने वालों का सैलाब चारों ओर से उमड़ पड़ा। मंच पर आते ही अपनी शैली के मुताबिक बाजपेयी ने पहले हाथ जोड़कर लोगों का अभिवादन स्वीकार किया और उसके बाद सीधे माइक पर आ गए। उन्होंने अमेठी की आवाम को संबोधित करते हुए कहा कि आप बहुत प्यारे हैं, जो हमें कांग्रेस के गढ़ में चिलचिलाती धूप में सुनने आए हैं। मैं आपकी जगह होता तो किसी नेता को सुनने न जाता। गांधी-नेहरू परिवार के परंपरागत संसदीय क्षेत्र में आए अटल ने गांधी-नेहरू परिवार पर हमला बोलने से गुरेज नहीं किया, लेकिन उनकी भाषा कुछ ऐसी थी कि लोग सुनने के बाद ठहाके लगा उठे। अटल ने कहा था कि आपकी भीड़ को देखकर ऐसा लगता है कि मैं कोई स्टार हूं। मैं गांधी-नेहरू परिवार का नहीं हूं फिर भी आप हमें सुनने आये वह भी इतनी गर्मी में। इसलिए आप हमें बहुत प्यारे लग रहे हैं। हमारे प्रत्याशी मदन मोहन में न मद है और न ही मोह। इस लिए मेरी आप से अपील है कि आप इन्हें जिताएं। लखनऊ में अटल जी के स्वास्थ्य को लेकर प्रार्थना व दुआ, जगह-जगह किए जा रहे दीर्घायु यज्ञ यह भी पढ़ें दो बार सभाओं किया था संबोधित : कांग्रेस की सबसे मजबूत सियासी रणभूमि समझी जाने वाली अमेठी में वर्ष 1991 में हुए उप चुनाव में कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा के मुकाबले मदन मोहन भाजपा के प्रत्याशी थे। वहीं, 1996 में हुए आम चुनाव में भी राजा मोहन सिंह के पक्ष अटल ने अमेठी में चुनावी सभा को संबोधित किया था। अटल की चुनावी सभा के अगले दिन गौरीगंज के जवाहर नवोदय विद्यालय में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव की चुनावी सभा थी। अटल मंच से अपनी बात कहने के बाद जाते-जाते यह भी कह गए कि कल नवोदय में नरसिम्हाराव जी आ रहे हैं। वे विद्वान हैं। उन्हें सुनने जरूर जाना। कुछ न कुछ हासिल जरूर होगा। वहीं, 1999 के आम चुनाव में सोनिया गांधी के मुकाबले चुनावी रण में भाजपा से उतरे पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. संजय सिंह के पक्ष में अटल बिहारी बाजपेयी की चुनावी सभा गौरीगंज के सम्राट फैक्ट्री के मैदान में आयोजित थी। इसका संचालन वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे थे। भीड़ अटल को सुनने के लिए लाखों में जमा थी। अचानक मौसम बदला और मूसलाधार वर्षा होने लगी। इसके चलते आसमान पर अटल का हेलीकाप्टर चक्कर लगाता रहा, लेकिन उतर नहीं पाया। राजनीति में अब वह बात नहीं : लखनऊ से 'अटल' है वाजपेयी का रिश्ता, पहली बार बलरामपुर से बने सांसद यह भी पढ़ें भाजपा के पूर्व विधायक वयोवृद्ध नेता तेजभान सिंह कहते हैं कि राजनीति में अब वह बात कहां है। अटल जी संत राजनेता हैं। वरिष्ठ भाजपा नेता रामप्रसाद ने अमेठी में कहा था कि दल नहीं सिद्धांत का समर्थक होना चाहिए। जिस दल में सिद्धांत रहेगा उसका भविष्य उज्जवल रहेगा। जायस में किया था भोजन : बात 1962 की है। अटल बिहारी बाजपेयी संघ के नानाजी देशमुख के साथ रायबरेली संसदीय सीट से जनसंघ का टिकट तय करने के लिए स्थानीय नेताओं से मिलने आए थे। तब वह जायस नगर में मीटिंग करने आए थे। हरि प्रसाद महेश्वरी व द्वारिका प्रसाद महेश्वरी के निवेदन पर अटल जी व नानदेशमुख के साथ उनके घर दोपहर का भोजन करने के लिए आए थे। द्वारिका प्रसाद महेश्वरी के पुत्र घनश्याम महेश्वरी कहते हैं कि उस समय मै पांच साल का था।

चिलचिलाती धूप, जेठ का महीना और उड़ती धूल के बीच पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का हेलीकाप्टर जब अमेठी के आसमान में दिखा तो उन्हें सुनने वालों का सैलाब चारों ओर से उमड़ पड़ा। मंच पर आते ही अपनी शैली के मुताबिक बाजपेयी ने पहले हाथ जोड़कर लोगों का अभिवादन …

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