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केजीएमयू में वार्ड से लेकर ओपीडी तक कामकाज ठप, टले सवा सौ ऑपरेशन-दांव पर हजारों की जान

केजीएमयू के जूनियर डॉक्टरों ही हड़ताल से चिकित्सकीय सेवाएं चरमरा गई। वार्डो में भर्ती हजारों मरीजों की जिंदगी दांव पर रही। वहीं ओटी में काम ठप होने से तमाम मरीजों के ऑपरेशन नहीं हो सके। यही नहीं दूर-दराज से ओपीडी में आए लोगों को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ा। केजीएमयू में चार हजार बेड हैं। वहीं वार्डो में 3500 के करीब मरीज भर्ती थे। इनमें से पांच सौ गंभीर मरीजों का इलाज ट्रॉमा सेंटर, आइसीयू, क्वीनमेरी व लॉरी इमरजेंसी में चल रहा था। इनमें जूनियर डॉक्टर ड्यूटी पर तैनात रहे। वहीं वार्डो में काम ठप कर दिया गया। ऐसे में विभिन्न विभागों में भर्ती तीन हजार मरीजों की जिंदगी दांव पर रही। यहां सुबह सीनियर डॉक्टर राउंड लेकर चले गए। मरीजों की देखभाल नर्सो के भरोसे रही। करीब 10 घंटे मरीजों की जान सांसत में रही। केजीएमयू में जूनियर डॉक्टरों से मारपीट, इमरजेंसी सेवाएं ठप-घंटो गिड़गिड़ाते रहे तीमारदार यह भी पढ़ें हालत गंभीर, फोन कर पूछा इलाज : गांधी वार्ड में कई गंभीर मरीज भर्ती थे। यहां सीनियर सुबह राउंड लेकर चले गए। इस दौरान एक बजे के करीब दो मरीजों की हालत गंभीर हो गई। जूनियर डॉक्टरों के मौके पर न होने से नर्स इलाज को लेकर दुविधा में पड़ गई। ऐसे में उन्होंने सीनियर डॉक्टर को फोन पर मरीज की हालत बताई। इसके बाद डॉक्टर की सलाह पर मरीज को दवा दी। ऐसा ही हाल न्यूरो सर्जरी, गैस्ट्रो सर्जरी, सीटीवीएस व अन्य विभागों का भी रहा। ओपीडी और वार्डो से जबरन निकाला: केजीएमयू में 54 भवन में 81 लिफ्ट, 10 में दांव पर जान यह भी पढ़ें रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (आरडीए) के पदाधिकारियों ने सुबह आठ बजे से कार्य ठप करने का एलान किया। कलाम सेंटर पहुंचे पदाधिकारियों को जूनियर डॉक्टरों की संख्या कम दिखी। ऐसे में झुंड में पहुंचे प्रदर्शनकारियों ने न्यू ओपीडी, डेंटल ओपीडी ब्लॉक व वार्डो में भ्रमण कर ड्यूटी कर रहे जूनियर डॉक्टरों को जबरन बाहर निकाला। साथ ही प्रदर्शन स्थल पर पहुंचने का निर्देश दिया। ऑपरेशन के इंतजार में घंटों रहे भूखे: केजीएमयू में करीब 54 ओटी हैं। इनमें हर रोज माइनर और मेजर मिलाकर 200 के करीब ऑपरेशन होते हैं। स्थिति यह रही कि मंगलवार को एनेस्थीसिया के सीनियर रेजीडेंट ने मरीजों को बेहोशी देने से मना कर दिया, वहीं अन्य ने ऑपरेशन के बाद मरीज को केयर करने से हाथ खड़े कर दिए। सिर्फ ट्रॉमा की इमरजेंसी ओटी पूरी तरह रन रही। वहीं जनरल सर्जरी, क्वीनमेरी, नेत्र रोग अन्य विभागों में गंभीर केस बताकर लगभग 70 से 75 मरीजों का ऑपरेशन किया गया। इसके अलावा पीडियाट्रिक सर्जरी, आर्थोपेडिक, प्लास्टिक सर्जरी, यूरोलॉजी, सीटीवीएस, डेंटल के ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल समेत विभिन्न विभागों में करीब 125 इलेक्टिव सर्जरी टाल दी गई। ऐसे में सर्जरी के इंतजार में रात से भूखे रहे मरीज बेहाल हो गए। एंजियोग्राफी व एंजियो प्लास्टी भी टली: लारी कार्डियोलॉजी में भी गंभीर मरीजों की ही एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी व पेसमेकर डाले गए। वहीं दूर-दराज से आए करीब आठ मरीजों को हड़ताल बताकर वापस कर दिया गया। यहां भी इमरजेंसी में जूनियर डॉक्टर मिले, जबकि वार्ड में इलाज नर्सो के भरोसे ही रहा। पैथोलॉजी में भी काम प्रभावित: मुख्य पैथोलॉजी में भी दिन में काम प्रभावित रहा। सैकड़ों मरीजों की रिपोर्टिग व जांचें नहीं हो सकीं। कलेक्शन सेंटर से लाए गए सैंपल पैथोलॉजी में टेक्नीशियन ने रन किया। मगर डॉक्टरों के न होने से शाम तक मरीजों को रिपोर्ट का इंतजार करना पड़ा। ओपीडी-क्वीनमेरी में हंगामा: न्यू ओपीडी ब्लॉक व क्वीनमेरी के ओपीडी में जूनियर डॉक्टरों ने काम बंद करा दिया। ऐसे में सीनियर डॉक्टर पर ही मरीजों के चेकअप व हिस्ट्री नोट करने की जिम्मेदारी आ गई। इससे वहां मरीजों की लंबी लाइनें लग गई। भीड़ ने देर होने पर जमकर हंगामा किया। क्वीनमेरी में गर्भवती महिलाओं को भटकना पड़ा। कर्मियों के मुताबिक अव्यवस्था के चलते करीब दो हजार मरीज बगैर इलाज के ओपीडी से लौट गए। दिनभर का घटनाक्रम: -08:00 बजे आरडीए के पदाधिकारी कलाम सेंटर के समक्ष पहुंचे -08:45 बजे तक भीड़ कम रही, ऐसे में वार्ड और ओपीडी कूच किया -09:00 बजे वार्डो व ओपीडी में ड्यूटी कर रहे जूनियर डॉक्टरों को जबरन बाहर निकाला गया -10:00 बजे कुलपति से वार्ता का प्रस्ताव लेकर पहुंचे सीएमएस, एमएस व एफओ को लौटाया - 10:45 बजे वाइस डीन स्टूडेंट वेलफेयर के समझाने पर कुलपति से वार्ता के लिए राजी हुए -05:00 बजे प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा से वार्ता के बाद हड़ताल समाप्त, मीडिया पर रहा प्रतिबंध -06:00 बजे जूनियर डॉक्टर वार्डो में ड्यूटी पर पहुंचे क्या कहते हैं जिम्मेदार? केजीएमयू आइटी सेल के इंचार्ज डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि जूनियर डॉक्टरों ने पीजीआइ के समान मानदेय को लेकर कार्य बहिष्कार की घोषणा की थी। सीएमएस के साथ उनके प्रतिनिधिमंडल दल ने शासन स्तर से वार्ता की। इसके बाद शाम को सभी काम पर लौट आए। इमरजेंसी सेवाएं निर्बाध तरीके से चलती रहीं, मगर कुछ विभागों में ऑपरेशन नहीं हो सके।

केजीएमयू के जूनियर डॉक्टरों ही हड़ताल से चिकित्सकीय सेवाएं चरमरा गई। वार्डो में भर्ती हजारों मरीजों की जिंदगी दांव पर रही। वहीं ओटी में काम ठप होने से तमाम मरीजों के ऑपरेशन नहीं हो सके। यही नहीं दूर-दराज से ओपीडी में आए लोगों को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ा। …

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