ऋषि-मुनियों का जीवन इतना सात्विक होता था कि बड़े-बड़े राजा-महाराजा और धनिक लोग शिक्षा के लिए अपने बच्चों को गुरुकुल में भेजते थे। ऐसा वह इसलिए करते थे ताकि उनके बच्चे बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए समय की कीमत और ज्ञान को अर्जित करें। ऋषि-मुनि सात्विक तरह से जीवन यापन …
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