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चार धाम यात्रियों को भा रही यह टोकरियां, जानिए इसकी खासियत

चमोली जिले की उर्गम घाटी के बड़गिंडा निवासी रिंगाल उद्यमी बहादुर राम बताते हैं कि वे पीढ़ियों से रिंगाल की कंडी बनाकर परिवार का भरण-पोषण करते रहे हैं। इस बार पंचम केदार कल्पेश्वर धाम में यात्रियों की संख्या बढ़ने के चलते यात्रियों को वह रिंगाल से बनी सामग्री बेच रहे हैं। बताते हैं, उनकी तरह गांव के सात अन्य परिवार भी इस उद्योग के जरिये अपनी आर्थिकी चला रहे हैं। रिंगाल को देव कार्यों के लिए भी माना जाता है शुद्ध सीईओ (श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति) बीडी सिंह का कहना है कि रिंगाल की टोकरियों में प्रसाद सुरक्षित घर तक पहुंच रहा है। रिंगाल को देव कार्यों के लिए भी शुद्ध माना जाता है। साथ ही दैनिक कार्यों के लिए उपयोगी होने के कारण यात्री इसे यादगार के रूप में अपने साथ ले जा रहे हैं। बोले यात्री निर्भय कुमार सिंह (निवासी विष्णुपुर जमशेदपुर, झारखंड) कहा कहना है कि मैं परिवार के साथ बदरीनाथ यात्रा पर आया हूं। मैंने टंगणी में कारीगरों को टोकरियां बनाते हुए देखा। इसलिए मैं स्वयं भी इसे यादगार के रूप में ले जा रहा हूं। संदीप राठौर (निवासी सेक्टर-105, एक्सप्रेस व्यू अपार्टमेंट, नोएडा) का कहना है कि प्लास्टिक प्रतिबंधित होने के कारण प्रसाद ले जाने को ङ्क्षरगाल की टोकरी खरीदी। यात्रियों को प्रसाद परोसने के लिए यह टोकरी अनिवार्य की जानी चाहिए। ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके।

चमोली जिले में बहुतायत में पाया जाने वाला रिंगाल (बांस की एक प्रजाति) अब स्थानीय लोगों की आर्थिकी का मजबूत जरिया बन गया है। अलकनंदा घाटी में बदरीनाथ हाईवे पर पीपलकोटी, टंगणी व हेलंग के कारीगरों की रिंगाल से तैयार की गई खूबसूरत टोकरियों को यात्री हाथोंहाथ ले रहे हैं। …

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