12 अप्रैल 17….”कल मैं आपसे कह रही थी न कि मनुष्य सबके बीच में ही अनुशासित, संयमित रहता है पर कभी – कभी इसका उल्टा भी होता है…”। मुझे तैश में भरा देख, श्रीगुरुजी बोले,” क्या हुआ ? कल महात्मा के लक्षण गिना कर ,नाक लाल कर ली थी, आज …
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