13 अप्रैल 17…आज बिना किसी पृष्ठभूमि के मैंने सीधे कुर्सी खींची और श्रीगुरुजी के सामने बैठ कर बोली ,” सत्य अमृत ही नहीं , विष भी है–इसको ज़रा detail में समझाएंगे? “ श्रीगुरुजी बोले,” यूं तो देखिए मनुष्य को सत्यभाषी ही होना चाहिए और जहां तक हो सके झूठ से …
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