14 अप्रैल 17….’ सत्य अमृत ही नहीं, विष भी…’इस पर मैंने बात आगे बढ़ाते हुए कहा,” यह तो समझ में आ गया कि सत्य ही बोलना चाहिए और यदि आवश्यकता पड़े तो सत्य-असत्य के प्रयोग का निर्णय विवेकानुसार लेना चाहिए….पर क्या कोई और ऐसा अवसर है जहां सत्य विष बन …
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