Tag Archives: देश की राजनीति में चाय और पकौड़े के बाद अब गरमा-गरम छोले भटूरे

देश की राजनीति में चाय और पकौड़े के बाद अब गरमा-गरम छोले भटूरे

दरअसल, सियासत के मौजूदा दौर में किसी मुद्दे को हवा उसके समाधान की मंशा से कम, बल्कि उसके जरिये राजनीतिक लाभ उठाने के मकसद से ज्यादा दी जाती है। इन दिनों अचानक से गरमा रहा दलितों का मुद्दा भी अपवाद नहीं है। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बड़े मसले तलाशे जारहे हैं। इस क्रम में फिलवक्त दलितों का मुद्दा सबसे ऊपर आ गया है। असहिष्णुता, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, नोटबंदी, जीएसटी जैसे मसले पाश्र्व में चले गए हैं और दलितों का दमन तेज होता दिखाई देने लगा है। चूंकि मकसद राजनीतिक है, लिहाजा उपक्रम भी सियासी हो चला है। वरना कोई कारण नहीं कि दलित उत्पीड़न जैसे गंभीर मसले के लिए सवेरे के नाश्ते तक का मोह न छोड़ पाए। छोले-भटूरे खाना कहीं से गलत नहीं, लेकिन दिल्ली की यह बेहद लोकप्रिय डिश अभी इसलिए बेस्वाद हो गई है, क्योंकि इसे सियासत की कढ़ाई में तला-छाना गया। कई बार कुछ शब्द किसी नेता, दल या संस्था के लिए अप्रिय या मजाकिया से बन जाते हैं। फिलहाल कांग्रेस के लिए छोले-भटूरे को भी इस जमात में शामिल किया जा सकता है। शायद यही कारण है कि भाजपा प्रवक्ता संबित पात्र सोमवार को पूरे दिन टीवी पर कांग्रेस को चिढ़ाने के अंदाज में बार-बार छोले-भटूरे का जिक्र करते रहे।

 ऐसे तो आमतौर पर रसोई या खान-पान का सियासत से कोई सीधा वास्ता नहीं है, लेकिन इधर कुछ सालों से कोई न कोई डिश या जायका मीडिया की सुर्खियां बटोरता रहा है। 2014 के आम चुनाव के आसपास मोदी की चाय सुर्खियों का सरताज बनी तो इधर कुछ महीने पहले …

Read More »
English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com