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नोटबंदी से इन 10 फायदों की थी उम्मीद, हो गए ये 5 नुकसान

7. बढ़ेगा टैक्स बेस देश में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने का सबसे बड़ा फायदा होगा कि बड़े से बड़े और छोटे से छोटे ट्रांजैक्शन बैंकों के पास दर्ज होंगे. इन ट्रांजैक्शन पर इनकम टैक्स विभाग की भी लगातार नजर रहेगी. जब देश में ब्लैक इकोनॉमी का आधार नहीं रहेगा तो जाहिर है ज्यादा से ज्यादा लोग टैक्स का भुगतान करने के बाद ही अपनी खरीद-फरोख्त को पूरा कर पाएंगे. लिहाजा, नोटबंदी से उम्मीद थी कि केन्द्र और राज्य सरकारों का रेवेन्यू तेजी से बढ़ेगा, उसका वित्तीय घाटा कम होगा और देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के लिए उसके पास पर्याप्त संसाधन रहेंगे. 8. फाइनेंशियल सेविंग में होगा इजाफा नोटबंदी के पहले तक देश में लोग अपनी सेविंग को प्रॉपर्टी, सोना और ज्वैलरी में निवेश करते थे. जरूरत पड़ने पर लोग इसे ब्लैकमार्केट में बेचकर एक बार फिर करेंसी में बदल लेते थे. नोटबंदी से पहले तक देश के 50 फीसदी से अधिक परिवार अपनी सेविंग्स को इन्हीं तरीकों से बचाकर रखते थे. यहां निवेश हुआ अधिकांश पैसा संभावित ब्लैकमनी भी थी. लिहाजा उम्मीद थी कि नोटबंदी के बाद रियल एस्टेट और सोना अपेक्षा के मुताबिक रिटर्न नहीं दें पाएंगे और आम आदमी इन माध्यमों में निवेश करने की जगह अपनी सेविंग्स को रखने के लिए एक बार फिर बैंकों का रुख करेंगे. उम्मीद थी कि लोग सेविंग बैंक, डिमांड ड्राफ्ट और म्यूचुअल फंड जैसे विकल्पों का अधिक सहारा लेंगे और यहां इन्हें सबसे सुरक्षित रिटर्न भी मिलेगा. 9. बढ़ेगी बैंकों की कमाई नोटबंदी से कालेधन पर लगाम के साथ-साथ तेजी से बढ़ते डिजिटल पेमेंट से नोटबंदी के बाद बैंकों की कमाई में बड़ा इजाफा देखने की उम्मीद बंधी थी. माना जा रहा था कि इस इजाफे के सहारे बैंक अपना विस्तार करेंगे और ग्राहकों को लुभाने के लिए आसान और सस्ती बैंकिंग का रास्ता साफ करेंगे. इसके साथ ही यह भी उम्मीद लगाई गई कि नोटबंदी से बैंकों के पास एकत्रित हुई दौलत उन्हें उनका घाटा पाटने में भी मदद करेगी. 10 सस्ता होगा कर्ज नोटबंदी के बाद से बैंको को रहे फायदे का सीधा असर देश में ब्याज दरों पर पड़ना तय है. उम्मीद थी कि वित्तीय जगत में पारदर्शिता के साथ-साथ बैंक अपना कारोबार फैलाने के लिए ज्यादा से ज्यादा कर्ज देने की कोशिश करेंगे. वहीं ग्राहकों को लुभाने के लिए वह कर्ज पर लगने वाले ब्याज दरों में बड़ी कटौती का ऐलान कर सकते हैं. इससे देश में घर खरीदने, कार या स्कूटर खरीदने अथवा कारोबार के लिए कर्ज सस्ते दरों में मिलना शुरू हो जाएंगे

देश में नोटबंदी लागू हुए 1 साल 9 महीने का समय बीत चुका है यानी आर्थिक वर्ष के मुताबिक 7 तिमाहियां. इन सात तिमाहियों के दौरान केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के 8 नवंबर 2016 को लिए गए नोटबंदी के फैसले पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आई. जहां केन्द्र सरकार अपने दावे कि नोटबंदी …

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