कितना खू़बसूरत था वो दौर जब हमें अपने दोस्तों से रोज़ मिलने का मौका मिलता था. हम उनके साथ अपना टिफ़िन शेयर करते थे, होमवर्क पूरा करते थे, साथ खेलते थे और साथ में ही पनिशमेंट भी पाते थे. दोस्ती में कोई उसूल नहीं होता. तभी तो बचपन में एक-दूसरे …
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