इस प्रेम कहानी में, राजा ने नहीं बल्कि रानी ने अपने राजा की याद में एक स्मारक का निर्माण कराया था। इतिहास इसे लक्ष्मण मंदिर के नाम से जानता है। पति प्रेम की इस निशानी को 635-640 ईसवीं में राजा हर्षगुप्त की निशानी में रानी वासटादेवी ने इसे बनवाया था। …
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