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इस तरह बारिश की बूंदें सहेजकर धरती में उगाया सोना, लाखों की कमार्इ

इस तरह करते हैं पानी का उपयोग पुंडीर फसलों की सिंचाई के लिए बरसाती पानी तो उपयोग में लाते ही हैं, घर में उपयोग होने वाले पानी को एक अलग टैंक में संग्रहीत करते हैं। इस पानी को सिंचाई के उपयोग में लाया जाता है। रही बरसाती पानी के संचय की बात तो इसका तरीका भी बेहद सरल है। घरों की छतों के किनारे टिन की नालियां बनाकर उन्हें टैंकों से जोड़ा गया है। बारिश होने पर सारा पानी इन नालियों से टैंकों में चला जाता है, जिसे बाद में सिंचाई में उपयोग किया जाता है। उद्यान विभाग से मिला सहयोग पुंडीर को नगदी फसलें उगाने के लिए शुरुआती समय में उद्यान विभाग का सहयोग मिला। उन्होंने विभाग की ओर से आयोजित प्रशिक्षण शिविरों में नकदी फसलें उगाने की बारीकियां सीखी। साथ ही कम भूमि में अधिक उत्पादन लेने के लिए खुद भी नए-नए प्रयोग करते रहे। अब तो विभाग के लोग भी उनसे खेती के सुझाव लेते हैं। उन्हें प्रगतिशील काश्तकार का पुरस्कार भी मिल चुका है। इस तरह उगाते हैं सब्जियां पुंडीर सबसे पहले सीजन के अनुसार सब्जियों की नर्सरी तैयार करते हैं और फिर पौध के बड़ी होने पर उसे खेतों में रोप देते हैं। निराई-गुड़ाई और खाद डालने के साथ ही जरूरत के हिसाब से पौधों की सिंचाई की जाती है। पुंडीर दूसरे किसानों को भी पौध उपलब्ध कराते हैं। खास बात यह कि सब्जियों को उगाने में जैविक खाद का ही प्रयोग करते हैं। इन नकदी फसलों को उगा रहे पुंडीर पुंडीर करीब 80 नाली भूमि पर नकदी फसलें उगा रहे हैं। इनमें आलू, मटर, बीन, शिमला मिर्च, कद्दू, राई, मूली, गोभी, टमाटर, चचिंडा, तोरी, बैंगन, खीरा आदि प्रमुख हैं। घर में ही बिक जाता है माल इन दिनों पुंडीर के खेतों में कद्दू की फसल तैयार हो रही है। अब तक वे 30 हजार रुपये से अधिक के कद्दू बेच चुके हैं। सब्जियां बेचने में उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं होती। कुछ माल घर पर ही बिक जाता है और कुछ नजदीकी बाजार में। सीख ले रहे गांव के दूसरे लोग सिलकोटी गांव में करीब 150 परिवार रहते हैं। सभी की भूमि असंचित हैं। साथ ही गांव में पीने के पानी का भी संकट है। दूर के स्रोत से लोग जलापूर्ति करते हैं। लेकिन, पुंडीर से सीख लेकर गांव के आधे से अधिक परिवार उनकी तरह ही नकदी फसलें उगा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने भी टैंक बनाए हुए हैं।

असंचित जमीन में पानी की एक-एक बूंद का सदुपयोग कर किस तरह नकदी फसलें उगानी हैं, यह प्रगतिशील काश्तकार विजय सिंह पुंडीर से सीखा जा सकता है। 58 वर्षीय पुंडीर बरसाती पानी का संचय कर उसे फसलों की सिंचाई के लिए उपयोग में ला रहे हैं और हर साल लाखों …

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