सहसा देवव्रत चौंके!… यह सब क्या चल रहा है उनके मन में- पितृद्रोह? क्या वे अपनी इच्छा से किए गए अपने निर्णय से असंतुष्ट हैं? क्या उन्हें पश्चात्ताप हो रहा है?… और देवव्रत ने जीवन में पहली बार अपना रूप पहचाना… उनके चिन्तन और कर्म के धरातल अलग-अलग हैं। गुरुकुलों …
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