ज़िन्दगी का फलसफा भी कितना अजीब है, शामें कटती नहीं, और साल गुज़रते चले जा रहे है… ” ज़रूरी तो नहीं के शायरी वो ही करे जो इश्क में हो, ज़िन्दगी भी कुछ ज़ख्म बेमिसाल दिया करती है। अकेले ही गुज़रती है ज़िन्दगी… लोग तसल्लियां तो देते हैं , पर …
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