नई दिल्ली : मोदी सरकार नैशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के चीफ शरद कुमार की सेवाएं अभी कुछ दिन और लेगी।
केंद्र ने इस सीनियर आईपीएस अफसर को एक साल का दूसरा एक्सटेंशन देने का फैसला किया है। कैबिनेट की अपॉइंटमेंट्स कमिटी ने कुमार को डीजी के पोस्ट पर दोबारा से नियुक्त करने के फैसले पर गुरुवार को मुहर लगा दी। केंद्र सरकार ने यह फैसला ऐसे वक्त में लिया है, जब आरोप लगे हैं कि एनआईए हिंदू संगठनों से जुड़े आतंकवाद के मामलों को हल्का करने की कोशिश कर रहा है।
दिग्विजय ने उठाए सवाल
फैसले से नाखुश कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। दिग्विजय ने कहा, ‘इससे साबित होता है कि केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि मालेगांव, मोडासा, हैदराबाद मक्का मस्जिद, समझौता एक्सप्रेस, अजमेर धमाके जैसे मामलों में शामिल आरएसएस कार्यकर्ताओं के खिलाफ केस हल्के कर दिए जाएं। हम इस फैसले की कड़ी निंदा करते हैं। क्या एनआईए की अगुआई करने के लिए हमारे पास पर्याप्त काबिल अफसर नहीं हैं?’
शरद कुमार का बचाव
हालांकि, सूत्रों ने शरद कुमार का कार्यकाल बढ़ाने के फैसले का बचाव किया है। उनका दावा है कि कुमार के रहने से पठानकोट अटैक, उड़ी हमले, बर्द्धमान धमाके, समझौता ब्लास्ट और हाल ही में भारतीयों के इस्लामिक स्टेट से जुड़ने जैसे मामलों की जांच में मदद मिलेगी।
शरद कुमार 1979 बैच के हरियाणा कैडर के आईपीएस हैं। वह 30 जुलाई 2013 को एनआईए प्रमुख नियुक्त किए गए थे। अक्टूबर 2015 में रिटायरमेंट के बाद सरकार ने उन्हें एक साल का एक्सटेंशन दिया था। अब वह इस एजेंसी के सबसे लंबे वक्त तक सेवा देने वाले चीफ बन गए हैं। एनआईए का गठन मुंबई पर हुए 26/11 के हमलों के बाद हुआ था।