Nigerian Fraud: नाइजीरियन हैकरों ने उत्तर प्रदेश कोआपरेटिक बैंक को लगाया था लाखों का चूना!

लखनऊ: जिला सहकारी बैंक मुरादाबाद के सर्वर को हैक कर उसकी फर्जी आईडी बनाकर उत्तर प्रदेश कोआपरेटिक बैंक की शाखा से 47 लाख रुपये की ठगी करने वाले एक जालसाज को साइबर क्राइम सेल की टीम ने गिरफ्तार किया है। पकड़े गये आरोपी ने बताया कि इस धोखाधड़ी का खेल नाइजीरियन गैंग ने रचा था।


एसएसपी दीपक कुमार ने बताया कि कुछ माह पहले कैसरबाग थानाक्षेत्र के विधानसभा स्थित उत्तर प्रदेश कोआपरेटिक बैंक की तरफ से कैसरबाग कोतवाली में 47 लाख रुपये की धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज करायी गयी थी। हुआ यूं था कि उत्तर प्रदेश कोआपरेटिक बैंक को कुछ माह पहले जिला सहकारी बैंक मुरादाबाद से एक ई-मेल आया था।

इस ई-मेल में एक खाते में 47 लाख रुपये ट्रांसफर करने की बात लिखी थी। उत्तर प्रदेश कोआपरेटिक बैंक के लोगों ने इसके बाद ई-मेल में दिये गये खाते में आरटीजीएस के माध्यम से 47 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिये। बाद में जिला सहकारी बैंक मुरादाबाद ने कुछ दिन के बाद उत्तर प्रदेश कोआपरेटिक बैंक से सम्पर्क कर बताया कि उसके फर्जी ई-मेल आईडी का प्रयोग कर रुपये ट्रांसफर कराये गये थे।

इसके ेबाद उत्तर प्रदेश कोआपरेटिक बैंक ने जब छानबीन की तो पता चला कि 47 लाख रुपये मुम्बई के पंजाब एण्ड महाराष्ट्रा कोआरपेटिक बैंक में जार्डन ट्रेवल नाम की कम्पनी के खाते में ट्रांसफर हुए थे। बैंक ने फौरन खाते को फ्रिज कराया पर तब तक जालसाल खाते से 6 लाख रुपये निकाल चुके थे। इस संबंध में उत्तर प्रदेश कोआपरेटिक बैंक की तरफ से कैसरबाग कोतवाली में धोखाधड़ी व आईडी एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज करायी गयी थी।

छानबीन के लिए कैसरबाग पुलिस ने साइबर क्राइम सेल की मदद ली। छानबीन में साइबर क्राइम सेल को इस बात की जानकारी मिली कि बैंक के साथ की गयी धोखाधड़ी नाइजीरियन जालसाजों ने की थी। इस छानबीन के दौरान साइबर क्राइम सेल को पता चला कि जार्डन ट्रेवल नाम की कम्पनी का बैंक खाता मुम्बई निवासी मेलविन राबिन ऐमन के नाम है। इस बात का पता चलने के बाद सोमवार को साइबर क्राइम सेल ने इस मामले में आरोपी मेलविन को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी के पास दो मोबाइल फोन और 9 अलग-अलग बैंकों के एटीएम कार्ड मिले।

कई महीनों से नाइजीरियन जालसाजों के लिए कर रहा है काम
पूछताछ में पकड़े गये आरोपी मेलविन ने बताया कि वह बीते वर्ष अक्टूबर माह से नाइजीरियन जालसाजों के साथ मिलकर ठगी का काम कर रहा है। उसने बताया कि वह भारत में मौजूद लोगों को रुपये की लालच देकर उनके नाम व पते से फर्जी खाता खुलवाता था। इसके बाद खाते की जानकारी साइबर जालसाजों को दे देता था। साइबर जालसाज ठगी की रकम को उक्त खाते में ट्रांसफर कर लेते थे। इसके बाद आरोपी जालसाज उस खाते से रुपये निकाल कर विदेश में बैठे जालसाजों के खाते में भेज दिया करता था।

इस तरह की पूरी ठगी का अंजाम दिया गया था
एसपी पूर्वी ने बताया कि जिला सहकारी बैंक मुरादाबाद का एक खाता उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक कैसरबाग शाखा में है। जनवरी माह में जिला सहकारी बैंक ने 47 लाख रुपये डिमांड के संबंध में एक ई-मेल उत्तर प्रदेश कोआरपेटिक बैंक को रेडिफ मेल के माध्यम से भेजा था। इसी ई-मेल को नाइजीरियन जालसाजों ने हैंक कर उसमें बदलाव कर जार्डन ट्रेवल के खाते मेें रुपये ट्रांसफर करने की बात लिखकर ई-मेल को कोआपरेटिक बैंक को भेजा था।

पांच कम्पिनयों के नाम पर ठगी की बात कुबूली
पकड़े गये आरोपी मेलविन ने बताया कि नाइजीरियन जालसाजों ने सिर्फ उत्तर प्रदेश कोआपरेटिक बैंक को ही नहीं बल्कि अन्य कई कम्पनियों को भी चूना लगाया है। उसने बताया कि नौकरी डाटकॉम, आदित्य इंफ्राटेक, अनमोल एंटीआक्सीटेंड कम्पनी और चेन्नई की पुल्ला लक्ष्मीपति नाडू कम्पनी के नाम पर जालसाजों ने लाखों की ठगी का अंजाम दिया है।

कमीशन काटकर रुपये जालसाजों को भेजता था
एसपी पूर्वी सर्वेश कुमार मिश्र ने बताया कि आरोपी का काम सिर्फ जालसाजों के रुपये उनके असली खाते तक पहुंचाने का और फर्जी नाम व पते से खाते खोलने का होता था। हर काम के बदले उसको एक मोटी रकम बतौर कमीशन मिलती थी। आरोपी जालसाजों के खाते में रुपये भेजने से पहले अपना कमीशन काट लिया करता था।

चेन्नई और नाइजीरियन दो जालसाजों के नाम सामने आये
साइबर क्राइम सेल से जुड़े लोगों ने बताया कि इस धोखाधड़ी की छानबीन के दौरान इस बात का पता चला है कि करोड़ों रुपये की ठगी को अंजाम दे चुके गैंग के नेटवर्क में चेन्नई का एक जालसाज और नाइजीरिया के दो साइबर ठग शामिल हैं। बताया जाता है कि खाते खुलवाना, ई-मेल हैक करना, एटीएम की मदद से ठगी की रकम निकालना और ठगी की रकम को जालसाजों के असली खाते में ट्रांसफर करने का काम गैंग के अलग-अलग लोग करते हैं।

बैंक की लापरवाही भी निकल कर सामने आयी
साइबर क्राइम सेल से जुड़े इंस्पेक्टर विजयवीर सिंह सिरोही ने बताया कि इस मामले में जिला सहकारी बैंक मुरादाबाद की लापरवाही भी नज़र आ रही है। उन्होंने हैक होने वाले रेडिफ मेल का प्रयोग किया। बैंक को चाहिए था कि वह डिमांड और अन्य सेवाओं के लिए एनआईसी के सर्वर का प्रयोग करता। एनआईसी का सर्वर हैक करना जालसाजों के लिए लगभग नामुमिकन है।

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