मिस्त्री के बेटे ने एक हाथ न होते हुए भी रचा इतिहास, जानें कहानी

इन दिनों देश में हर तरफ पैराओलंपिक के ही चर्चे हैं। अब निषाद कुमार नाम के एक खिलाड़ी का कारनामा सामने आ रहा है। उन्होंने देश के लिए पैराओलंपिक में पदक जीता है और देशवासियों को अपने इस कृत्य से गौर्वान्वित भी किया है। खास बात ये है कि वे किसी समृद्ध परिवार से ताल्लुक नहीं रखते हैं बल्कि वे एक मिस्त्री के बेटे हैं। उनकी मां और बहनों सहित उनके पिता ने उन्हें इस काबिल बनाया कि वे देश के काम आ सकें। तो चलिए जानते हैं निषाद कुमार के स्ट्रगल की स्टोरी और यहां तक पहुंचने के सफर के बारे में।

पुरुषों की हाई जंप में जीता सिल्वर

टोक्यो पैराओलंपिक में भारत के खाते में एक और मेडल पुरषों की हाई जंप 47 किलो कैटेगरी से आया है। इस कैटेगरी में निषाद कुमार ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए देश के नाम एक मेडल किया है। बता दें कि निषाद हिमाचल के रहने वाले हैं। उन्होंने पुरुषों की हाई जंप में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए सिल्वर मेडल जीता है। उन्होंने न सिर्फ अपने जिले हिमाचल का नाम रोशन किया है बल्कि उन्होंने देश का नाम भी रोशन किया है। वे हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं। खास बात ये है कि उनके पिता मिस्त्री का काम करते हैं। उनके पिता का नाम रशपाल राज है। उनकी माता पुष्पा देवी घर संभालती हैं। वहीं बड़ी बहन रमा देवी ने बी काॅम किया है।

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बचपन से था ओलंपियन बनने का सपना

निषाद कुमार भले ही  हैंडीकैप्ड थे पर बचपन से ही उनका खेलों के प्रति रुझान रहा है। वे जब पांचवीं कक्षा में पढ़ते थे तबसे उन्होंने हाई जंप की प्रैक्टिस  करना शुरू कर दिया था। उन्हें तभी से हाई जंप को अपने करियर के रूप में चुन लिया था। उसका ही परिणाम है कि आज निषाद ओलंपिक में भारत को सिल्वर मेडल जीता दिए हैं। वहीं निषाद की शिक्षा की बात करें तो उन्होंने सरस्वती विद्या निकेतन से अपनी पढ़ाई पूरी की है। उन्होंने दसवीं तक ही पढ़ाई की है। 

ऋषभ वर्मा

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