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बेहद खास है यह दिन
हिंदू मान्यता के अनुसार अश्विन मास की यह पूर्णिमा का काफी महत्व है। इसे शरद पूर्णिमा के तौर पर मनाते हैं। मंगलवार को लोग दान पुण्य करेंगे और कुछ लोग व्रत भी रखते हैं। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। बताते हैं कि आसमान से अमृत वर्षा के साथ माता लक्ष्मी सेहत और संपन्नता देती हैं। इसी दिन से सर्दियों की शुरुआत होने लगती है और आपको अहसास होने लगता है। चंद्रमा की पूजा के साथ दूधिया रोशनी में लोग इस त्योहार को मनाते हैं। पश्चिम बंगाल में तो इसका बहुत महत्व है।
खीर का क्या है महत्व
लोग इस दिन खीर बनाते हैं और मां लक्ष्मी को चढ़ाते हैं। बताते हैं कि माता को खीर का भोग पसंद है। खीर को लोग खुले आसमान के नीचे रात भर रखते हैं फिर सुबह उसे प्रसाद की तरह ग्रहण करते हैं, कहते हैं कि आसमान से बरसने वाला अमृत खीर में घुल जाता है जिससे कई बीमारियां ठीक होती हैं और लोग स्वस्थ्य रहते हैं। इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क है कि दूश में लैक्टिक होता है जो अच्छे बैक्टिरिया को बढ़ाता है और पेट को ठीक करता है। चांदी के बर्तन में इस खीर को खाना और ज्यादा अच्छा होता है। हालांकि खीर को अच्छे से सूती कपड़े से ठकना चाहिए ताकि उसमें धूल या फिर जानवर हाथ न डाल पाएं।
पूजा विधि और मुहूर्त
कहते हैं मां लक्ष्मी शरद पूर्णिमा के दिन समुद्र मंथन से हुई थीं। माता पृथ्वी पर आती हैं। लोग माता का आह्वान कर उनकी पूजा करते हैं। इस दिन लोग पूजा के अंत में चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं और भोग लगाते हैं। लक्ष्मी मां का पाठ करना आवश्यक है और इष्टदेव की भी पूजा कर सकते हैं। पूजा में कुल के देव और श्रीगणेश, चंद्रमा को भी याद करना चाहिए। मंगलवार को पूजा शम 5 बजकर 27 मिनटर पर शुरू होगी और 20 अक्तूबर को रात 8 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगा। पूर्णिमा तिथि 19 अक्तूबर को शाम 7 बजे से शुरू होगी।
GB Singh