यूक्रेन में फंसे भारतीयों के लिए शुरू किया गया ऑपरेशन गंगा पौलेंड में अब लगभग समाप्त हो गया है. सोमवार को भारतीय वायुसेना का सी-17 एयरक्राफ्ट 201 भारतीयों के दल को लेकर राजधानी दिल्ली के करीब हिंडन एयर बेस लौटा. इसी फ्लाइट में यूक्रेन में गोली लगने से घायल हुए हरजोत सिंह और सड़क परिवहन मंत्री जनरल वी के सिंह (रिटायर) भी मौजूद थे.

हिंडन एयर बेस पर यूक्रेन से भागकर पौलेंड पहुंचे भारतीयों के दल को लेकर जब वायुसेना का आखिरी सी-17 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट पहुंचा, तो वहां पहले से आगवानी के लिए रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट और भारत में पौलेंड के राजदूत, एडम बुराकोवस्की भी मौजूद थे. साथ ही एक एंबुलेंस भी मौजूद थी. ग्लोबमास्टर के हिंडन बेस पर पहुंचते ही सबसे पहले घायल हरजोत सिंह को एंबुलेंस में शिफ्ट किया गया. हरजोत सिंह की यूक्रेन में लड़ाई में फंस जाने के कारण गोली लग गई थी. यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने हरजोत को गाड़ी के जरिए किसी तरह पौलेंड पहुंचाया था.
हिंडन एयरबेस पर मीडिया से बातचीत करते हुए पूर्व थलसेनाध्यक्ष और सड़क परिवहन राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह (रिटायर) ने बताया कि हरजोत की स्थिति अब स्थिर है, लेकिन बेहतर इलाज के लिए उन्हें दिल्ली स्थित मिलिट्री हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. वी के सिंह ने बताया कि पौलेंड से आई ये आखिरी फ्लाइट है. अबतक करीब 3000 भारतीयों को पौलेंड से लाया जा चुका है. उन्होने बताया कि अब कोई भारतीय पौलेंड में नहीं है. अगर अभी भी कोई भारतीय यूक्रेन से पौलेंड आता है तो उसको भी लाने का इंतजाम किया जाएगा.
पौलेंड के राजदूत एडम बुराकोवस्की ने रूस के यूक्रेन पर हमले की निंदा करते हुए बताया कि अबतक करीब 50 लाख शरणार्थी यूक्रेन से पौलेंड के बॉर्डर पर पहुंच गए हैं. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जामनगर (गुजरात) के महाराजा दिग्विजय सिंह को याद करते हुए उन्होनें कहा कि यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश पहुंचाने का उन्हें सुखद एहसास है.
पौलेंड सरकार और दिल्ली स्थित पौलेंड दूतावास ने सभी भारतीयों को स्वदेश लौटने में अहम भूमिका निभाई है. यहां तक यूक्रेन से भागे भारतीय छात्रों को पौलेंड ने बिना वीजा अपने देश में दाखिल होने की इजाजत दे दी थी. द्वितीय युद्ध-विश्व के दौरान जामनगर के महाराजा ने पौलैंड से भागे शरणार्थियों को अपने राज्य में शरण दी थी. यही वजह है कि पौलेंड में आज भी जामनगर के महाराजा को बेहद आदर से देखा जाता है. उन्हें पौलेंड के लोग गुड-महाराजा के नाम से जानते हैं. राजधानी वारसा में उनकी मूर्ति तक एक अहम चौराहे पर लगी हुई है.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, अबतक 17 हजार से ज्यादा भारतीयों को यूक्रेन से निकालकर स्वदेश लाया गया है. पौलेंड के अलावा हंगरी और रोमानिया में भी ऑपेरशन गंगा अपने आखिरी चरण में है. इन तीनों ही देशों की सीमाएं यूक्रेन से सटी हुई हैं. यूक्रेन पर रुस के आक्रमण के बाद से यूक्रेन से भागे भारतीय इन तीनों देशों के अलावा स्लोवाकिया भी पहुंच गए थे.
पौलेंड, रोमानिया, हंगरी और स्लोवाकिया में भारतीयों को स्वदेश लाने के लिए भारत सरकार ने चार बड़े मंत्रियों को इन चारों देशों में विशेष दूत के तौर पर भेजा था. इनमें वीके सिंह को पौलेंड, हरदीप पुरी को हंगरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया को रोमानिया और किरिन रिजिजू को स्लोवाकिया भेजा गया था. सोमवार को रूस ने युद्धविराम की घोषणा कर यूक्रेन के सूमी में फंसे भारतीय और दूसरे आम नागरिकों को दो मानवीय-गलियारों के जरिए बाहर निकलने की अनुमित दे दी थी.
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