नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करने का आदेश सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि कोई शख्स एक बार मुख्यमंत्री का पद छोड़ देने के बाद आम आदमी के बराबर हो जाता है।
शीर्ष अदालत के इस फैसले को यूपी सरकार के लिए झटका माना जा रहा है।शीर्ष अदालत ने सोमवार को लोक प्रहरी संस्था की याचिका पर यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने यूपी मिनिस्टर सैलरी अलाउंट ऐंड मिसलेनियस प्रॉविजन एक्ट के उन प्रावधानों को रद्द कर दिया है जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले में रहने का आधिकार दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद जिन पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपने बंगले खाली करने होंगे उनमें मुलायम सिंह यादव, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, बीएसपी प्रमुख मायावती, राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह, पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी और अखिलेश यादव शामिल हैं। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहाए कि एक बार सीएम अपना पद छोड़ दे तो वह आम आदमी के बराबर है।
अदालत ने कहा कि यूपी सरकार ने कानून में संशोधन कर जो नई व्यवस्था दी थी वह असंवैधानिक है। मामले में अपना पक्ष रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार का कहना था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को कुछ विशेषाधिकार होने चाहिए क्योंकि वो ऊंचे संवैधानिक पद पर होते हैं।
उत्तर प्रदेश ने एमिकस क्यूरी और वरिष्ठ एडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम की दलील का विरोध करते हुए कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी बंगले के हकदार हैं। सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने अपने लिखित जवाब में जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने कहा था कि संशोधित नियम के तहत पूर्व मुख्यमंत्री को इस तरह का लाभ देना ठीक है क्योंकि उनका एक खास वर्ग होता है। पूर्व मुख्यमंत्री हमेशा ही विशिष्ट व्यक्ति होता है और इसलिए उसे विशेष लाभ पाने का अधिकार है।