भारत और अफगानिस्तान के बीच बने एयर कार्गो कॉरिडोर के जरिए पहला विमान सोमवार को दिल्ली पहुंच गया. इस कॉरिडोर की महत्ता इसी बात से लगाया जा सकता है कि विमान के स्वागत के लिए खुद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज गई थीं. उनके साथ नागर विमानन मंत्री गणपति राजू, विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर और भारत में अफगानिस्तान के राजदूत शाईदा मोहम्मद अब्दाली भी मौजूद थें.
पाकिस्तान को मिला मुंहतोड़ जबाव
भारत अफगानिस्तान के साथ कारोबार के लिए दिल्ली-काबुल के बीच रोड कॉरिडोर बनाने की कोशिश में था. यह रास्ता पाकिस्तान से होकर गुजरता. इसलिए पाकिस्तान ने इस पर एतराज जताया. इस कॉरिडोर के बनने से भारत न केवल काबुल बल्कि अफगानिस्तान से सटे देशों से भी कारोबारी रिश्ते बेहतर कर सकता था. भले ही पाकिस्तान ने अपने देश से होकर गुजरने वाली सड़क को मंजूरी नहीं दी हो.
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लेकिन भारत भी कहां चुप बैठने वाला था. पाकिस्तान के एतराज के बाद भारत ने एक कदम आगे चलकर एयर कॉरिडोर का तरीका निकाला डाला. दोनों देशों के डेलिगेशन के बीच हार्ट ऑफ एशिया में बायलैट्रल मीट के दौरान एयर कार्गो कॉरिडोर पर चर्चा हुई. दोनों देशों के बीच सिक्युरिटी, स्टैबिलिटी के अलावा ट्रेड के लिए एयर कॉरिडोर बनाने पर बातचीत हुई. गनी भी ट्रेड के लिए एयर कॉरिडोर बनाने के लिए तैयार हो गए. जिसके बाद दोनों के बीच यह सेवा शुरू कर दी गई है.
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बता दें कि 2010 में पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच ट्रेड एग्रीमेंट हुआ है. इसके तहत अफगानिस्तान अपने ट्रक पाकिस्तान के रास्ते का इस्तेमाल करते हुए किसी दूसरे देश में नहीं भेज सकता. प्रधानमंत्री ने भी ट्वीट कर अपनी खुशी जाहिर की है. उन्होंने लिखा- काबूल से आया पहला एयर कार्गो कॉरिडोर विमान का हम स्वागत करते हैं. भारत और अफगानिस्तान के बीच इस जुड़ाव के लिए शुभकामनाएं. मैं राष्ट्रपति अशरफ गनी को हम बधाई देते हैं.
काबूल से राष्ट्रपति अशरफ गनी ने दिखाई थी हरी झंडी
काबूल से चले इस विमान को अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी ने खुद हरी झंडी दिखाई थी. उनके साथ अफगानी कैबिनेट के कुछ मंत्री और अफगानिस्तान में भारतीय दूत मनप्रीत वोहरा भी मैजूद थें. दिल्ली आए इस विमान का भार 60 टन है. जिसमें ज्यादतर हींग का आयात हुआ है. इससे पहले 18 जून को एक कार्गो विमान दिल्ली से काबूल गया था. उसमें 100 टन माल भरा था. जिसमें दवाइयां, वाटर प्यूरीफायर और स्वास्थ से जुड़ी सामान थीं.
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एयर कार्गो कॉरीडोर का उद्देश्य
इसका उद्देश्य अफगानिस्तान को भारतीय बाजार में एक वैकल्पिक व्यापार लिंक देना है. साथ ही भारतीय माल को युद्ध से तबाह हुए इस देश में पहुंचाना है. अफगानिस्तान के फल, मेवों और कालीन की भारत में काफी मांग है. माल ढुलाई गलियारे से इनके आयात को बढ़ावा मिलेगा. यह एक वाणिज्यिक उद्यम है जो दोनों सरकारों द्वारा बहुत दृढ़ता से और बहुत उद्देश्यपूर्वक समर्थित है.