हाल ही में टोक्यो ओलंपिक 8 अगस्त को खत्म हुए हैं। बता दें कि टोक्यो ओलंपिक का खुमार अभी भारत के सिर से उतरा भी नहीं है और देश में पैरा ओलंंपिक की धूम मची हुई है। टोक्यो ओलंपिक में देश को 7 मेडल मिले है जिसमें से एक गोल्ड व दो सिल्वर हैं और बाकी के सभी ब्राॅन्ज मेडल हैं। हालांकि अब पैरा ओलंपिक में भी देश को अपने खिलाड़ियों से काफी उम्मीदें हैं। तो आज हम कुछ ऐसे खिलाड़ियों के बारे में बात करने जा रहे हैं जिन्होंने हादसे में अपने शरीर का कोई अंग जरूर खोया पर अपना हौसला बटोर कर वे आगे बढ़े और अब टोक्यो ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व भी करते दिखेंगे।
14 साल की उम्र में पैर खोए
जर्मनी के मार्कस रेहम 32 साल के हैं और पैरा ओलंपिक में लाॅन्ग जंप के खिलाड़ी हैं। उन्होंने महज 14 की उम्र में ही एक दुर्घटना में अपने पांव गवां दिए थे। वे पैरा ओलंपिक 2012 व 2016 में लाॅन्ग जंप में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। वे इस बार भी अगर गोल्ड जीतते हैं तो लगातार तीसरी बार उनके नाम स्वर्ण पदक होगा और वे हैट्रिक लगा देंगे।
11 साल की उम्र में खोया था एक पांव
इंडोनेशिया की लियनी रेतरी ने 11 साल की उम्र में एक दुर्घटना के चलते अपना एक पैर गवां दिया था। हालांकि इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और बैटमिंटन खेल की विश्व चैंपियन बन गईं। बता दें कि वे तीन बार विश्व चैंपियनशिप अपने नाम कर चुकी हैं।
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रीढ़ की हड्डी नहीं पर हैं गोल्ड विजेता
शिंगों कुनिदा जब महज 9 साल के ही थे तब उनकी रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर निकला था। इस वजह से वे चल–फिर नहीं पाते थे और उन्हें व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा। हालांकि उसी व्हीलचेयर को उन्होंने अपनी ताकत बना लिया। वे 2016 के पैरा ओलंपिक में कोहनी की चोट के चलते खेल नहीं पाए थे। वहीं बीजिंग ओलंपिक में उन्होंने गोल्ड जीता था। उन्होंने यूएस ओपन का खिताब भी अपने नाम किया है। उन्होंने कुल 45 ग्रैंड स्लैम जीते हैं।
एक हाथ से फेंकते हैं भाला
बता दें कि भारत के देवेंद्र झाझरिया भी भाला फेंक प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे। देवेंद्र बिना एक हाथ के भी भला फेंकने में माहिर हैं। पैरा ओलंपिक खेलों में उनके नाम दो गोल्ड मेडल भी हैं। बता दें कि उन्होंने 2004 और 2016 के ओलंपिक खेलों में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था।
ऋषभ वर्मा