वैसे तो हिंदू धर्म में पेड़ों का बहुत महत्व है। कुछ पेड़ों को देव तुल्य माना गया है जिनकी पूजा होती है। माना जाता है कि हिंदू इन पेड़ों को कभी खुद नहीं काट सकते हैं। इनमें पीपल, बरगद, नीम, अशोक जैसे पेड़ शामिल है। हमारे यहां पीपल के पेड़ का काफी महत्व है। लोग अपने दोष निवारण के लिए पीपल के वृक्ष की पूजा करते हैं। इसके अलावा बरगद की पूजा वट सावित्री व्रत में करते हैं। आइए जानते हैं कि पीपल के पेड़ की पूजा के नियम क्या हैं और यह कैसे दोष निवारण में सहायक हो सकता है।
जीवन में आती है समृद्धि
पीपल के पेड़ की पूजा करने से जीवन में समृद्धि आती है। जिस प्रकार से हर प्रकार के वृक्षों और पौधों की पूजा होती है उसी प्रकार पीपल के वृक्ष की पूजा भी करना शुभ माना जाता है। कुछ लोग मानते हैं कि पीपल के वृक्ष में ब्रह्मा का वास होता है। उसकी शीतल छाया और पत्ते हमेशा प्रफुल्लित करते हैं। ग्रह को शांत करने के लिए भी पीपल की पूजा करते हैं और दीपक जलाते हैं। न केवल जड़ में ब्रह्मा बल्कि तने में भगवान विष्णु और सबसे ऊपरी भाग में शिवजी का वास पीपल के पेड़ में होता है। शनिवार के दिन माता लक्ष्मी का वास भी पीपल के पेड़ में होता है। इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा जरूर करनी चाहिए और गुरुवार को जल चढ़ाना चाहिए।
दोष भी होते हैं दूर
शनि में दोष होने पर पीपल के पेड़ की पूजा करना अच्छा माना जाता है। इसके लिए काफी बताया गया है। पीपल के पेड़ के नीचे शनिवार को सरसो के तेल का दीपक जलाने से यह दोष मिटने की संभावना होती है। पेड़ की सात बार परिक्रमा करने से भी दोष मिटते हैं। हालांकि कुछ सावधानी भी जरूरी है। कहते हैं कि रविवार को पीपल में जल नहीं चढ़ाना चाहिए। इससे आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। पीपल के पेड़ को काटना भी अशुभ है। पीपल का पेड़ अच्छा जरूर माना जाता है लेकिन इसे घर में नहीं लगाना चाहिए। हमेशा किसी खुले जगह, मंदिर या मैदान में लगाएं।
GB Singh