पांच राज्यों में चुनाव निपटने के बाद अंदाजा लगाया जा रहा था कि केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी कर सकती है, लेकिन उसने हर एक इंसान को चोट देने की बजाय नौकरीपेशा लोगों को दर्द दे दिया है। सरकार की ओर से भविष्य की निधि पर चोट करते हुए पीएफ में मिलने वाले ब्याज पर कटौती कर दी गई है। नौकरीपेशा लोगों की जमापूंजी पर कटौती होने से उन्हें भविष्य में मिलने वाले फायदे पर अच्छा खासा नुकसान होने वाला है। क्योंकि यह कटौती 40 साल में सबसे ज्यादा की गई है। आइए जानते हैं इसका गणित।
कितना होगा नुकसान
ईपीएफओ यानी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की ओर से हर नौकरी करने वाले का कुछ अंशदान इसमें जमा होता है। यह जमा पैसे पर सरकार की ओर से ब्याज दिया जाता है। यही पैसा कर्मचारियों को उनके रिटायरमेंट के बाद एक सहारे का काम करता है। इस पर जितना ब्याज बढ़ेगा कर्मचारियों को उतना फायदा होगा और जितना घटेगा उतना ही नुकसान होगा। इस बार वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 8.1 फीसद ब्याज दर की घोषणा की गई है। यह पहले 8.5 फीसद था। जबकि लोगों को महंगाई के समय में थोड़ा ब्याज दर बढ़ने की उम्मीद थी। बता रहे हैं कि यह 1977-78 के बाद सबसे कम ब्याज दर है। जबकि उस समय पर 8 फीसद ब्याज दर थी। इससे कर्मचारियों को सीधे .4 फीसद का सीधे-सीधे नुकसान हुआ है।
पहले से थी तैयारी
बता रहे हैं कि सरकार काफी समय से भविष्य निधि में ब्याज को लेकर मंत्रणा कर रही थी। सूत्रों से यह भी पता चल रहा है कि ब्याज दर को लेकर काफी सवाल भी उठाए जा चुके थे। हालांकि ब्याज दर पर हर साल बैठक होती है ऐसे में यह देखा जा सकता है कि आगे वित्त वर्ष में यह बढ़ाया जाता है या फिर कम किया जाएगा। वैसे यह फैसला गुवाहाटी में केद्रीय न्यासी बोर्ड की बैठक में लिया गया है जो ईपीएफओ के बड़े निर्णय लेने वाली संस्था है। इस पर वित्त मंत्रालय अपनी सहमति देगा जिसके बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं हुआ है बल्कि कुछ सालों से यह लगातार घट रही है। पहले यह 8.65 थी जो 2018-19 में 8.5 फीसद कर दी गई है। इससे पहले 2017-18 में 8.55, 2017-18 में 8.65, 2015-16 में 8.8, 2013-14 में 8.75, 2012-13 में 8.5 फीसद ब्याज दर रही थी।
GB Singh