साध्वी रेप केस में जेल में कैद राम रहीम का इलाज करने से पीजीआई की नर्सों ने इनकार कर दिया है, वहीं बाबा के स्वास्थ्य को लेकर परेशानी में कानून बहुत कुछ कर रहा है। दरअसल शनिवार को दिनभर राम रहीम को पीजीआई लाने की चर्चाएं चलती रहीं। यह बात जैसे ही पीजीआई स्टाफ तक पहुंची तो फीमेल नर्सों ने डेरामुखी का उपचार करने से इनकार कर दिया है।43 साल बाद आर्मी चीफ ने पहनी अपने स्कूल की यूनिफार्म, फिर गुनगुनाया स्कूल सांग….
इस इनकार के बाद पीजीआई प्रशासन ने मेल नर्स को अलर्ट किया है। साथ ही डेरामुखी का उपचार करने के लिए स्पेशल डॉक्टरों की टीम बनाई है। पीजीआई सूत्रों के अनुसार संस्थान में अफवाहें गर्म थीं कि सुनारिया जेल से डेरामुखी गुरमीत राम रहीम को उपचार के लिए लाया जा सकता है। इसके लिए बाकायदा शुक्रवार देर रात नर्सिंग स्टाफ चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को अलर्ट कर रहा था कि कहीं कोई खामी नहीं रहनी चाहिए।
यदि उनके यहां डेरामुखी उपचार के लिए आता है तो वार्ड पर सरकार, अधिकारी, वीवीआईपी और मीडिया की सीधी नजर रहेगी। शनिवार को दिन भर चली मॉक ड्रिल ने इस डर को काफी समय तक लोगों में भ्रम की स्थिति बनाए रखी। उधर, सूत्रों की मानें तो कुछ फीमेल नर्सिंग स्टाफ ने डेरामुखी को नर्सिंग सेवाएं देने से भी इनकार कर दिया। प्रशासन ने इसके बाद संस्थान में मौजूद मेल नर्सिंग स्टाफ को अलर्ट रहने को कहा है।
गौरतलब है कि पीजीआई में 40 के करीब मेल नर्स हैं और इनकी ड्यूटी जरूरत पड़ने पर शिफ्ट के हिसाब से लगाई जा सकती है।
डेरामुखी को उपचार देने के लिए डॉक्टरों की टीम का चेयरमैन चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अशोक चौहान को नियुक्त किया गया है। फोरेंसिक विभाग से डॉ. एसके धत्तरवार, सर्जरी विभाग से डॉ. आरके कडवासरा, अस्थि रोग विभाग से डॉ. रूप सिंह, मेडिसन विभाग से डॉ. वीके कत्याल को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। पूरे मामले की जिम्मेदारी डीएमएस आपातकालीन विभाग के डॉ. संदीप को दी गई है। डॉ. संदीप को प्रशासन ने नोडल अधिकारी बनाया है, उनकी एंबुलेंस से लेकर प्रबंधन तक की जिम्मेदारी है।
गुरमीत को नहीं है कोई सीरियस समस्या
सूत्रों की मानें तो सुनारिया जेल में सजा काट रहे डेरामुखी को स्वास्थ्य संबंधी कोई सीरियस समस्या नहीं है। वह बीमारी का बहाना बनाकर जेल से पीजीआई आना चाहता है। उन्हें लोअर बैक पेन के साथ कुछ मामूली समस्याएं हैं। उनका बीपी, शुगर और हाइपरटेंशन का उपचार 10 साल से ही चल रहा है। फिलहाल एक्सपर्ट की मानें तो उन्हें किसी बडे़ ट्रीटमेंट की जरूरत भी नहीं है।
कोई नर्स चाहे मेल हो या फीमेल वह अपने कार्य से इनकार नहीं कर सकते। जो ड्यूटी पर होगा उसे अपना कार्य जिम्मेदारी से करना होगा।
गुरमीत राम रहीम का स्वास्थ्य बिगड़ने की स्थिति में यदि जेल के डॉक्टर उसे पीजीआई रेफर करते हैं तो उसे उपचार के लिए महज 12 से 15 मिनट में प्रशासन संस्थान में ला सकता है। इसका अभ्यास शनिवार को प्रैक्टिकल करके देखा गया। इसमें कई गाड़ियों के काफिले के बीच एक आम आदमी को राम रहीम का डमी बना कर एंबुलेंस में लाया गया। काला कपड़ा ढके व्यक्ति को वार्ड 24 के पिछले गेट पर उतारा गया और उसे सीधा वार्ड 24 के कमरा नंबर 105 में ले जाया गया।
हालांकि अधिकारी इसे महज एक सामान्य प्रक्रिया बता रहे हैं, लेकिन यह पूरा कार्यक्रम राम रहीम के लिए किया गया। पीजीआई के डायरेक्टर डॉ. राकेश गुप्ता एवं पुलिस विभाग का कहना है कि इस तरह के मॉक ड्रिल वह समय समय पर करते रहते हैं। इसमें देखा जाता है कि जरूरत पड़ने पर कैदियों को जेल से अस्पताल तक कितनी देर में और कितना सुरक्षित लाया जा सकता है।
गुरमीत को जेल से लाने के लिए किए गए मॉक ड्रिल में उसकी एंबुलेंस के आगे दो पुलिस के वाहन थे और पीछे आठ वाहनों का काफिला था। इसमें पीजीआई एसएचओ के अलावा शिवाजी कॉलोनी एसएचओ और डीएसपी ताहिर हुसैन एवं डॉक्टरों की एक गाड़ी भी काफिले में मौजूद रही। इसके साथ ही एक निजी वाहन भी काफिले में मौजूद था।
छावनी में तब्दील संस्थान
जाट आरक्षण आंदोलन की हिंसा में भी पीजीआई कैंपस की शांति भंग नहीं हुई, लेकिन शनिवार को मॉक ड्रिल से तकरीबन तीन घंटे पहले ही पूरे संस्थान को छावनी में तब्दील कर दिया गया। सबसे पहले फोर्स को सीआरएस ओपीडी में लगाया गया। इसके बाद लाला श्याम लाल भवन और बाद में वार्ड 24 तथा आसपास के एरिया को सुरक्षा चक्र में ले लिया गया। वहीं, दिल्ली रोड से आने वाले वाहनों को डायवर्ट कर दिया गया था। सेक्टर-1 की पुलिया से भी वाहनों को सेक्टरों के रास्ते से निकाला गया। दुकानों के बाहर रखे सामान को भी अंदर करा दिया गया।
यह रूटीन का मॉक ड्रिल था। यह गुरमीत के लिए था या नहीं। यह मुझे नहीं पता। यह आम कैदी और बंदी के लिए भी हो सकता है। मॉक ड्रिल हम समय समय पर करते रहते हैं। जरूरी नहीं है कि गुरमीत के लिए मॉक ड्रिल किया जाए। यह थर्ड पर्सन के लिए भी हो सकता है।
– ताहिर हुसैन, डीएसपी, रोहतक
हमारे लिए सभी मरीज बराबर हैं। जो संस्थान में आएगा, उसे उपचार दिया जाएगा। शनिवार को मॉक ड्रिल के दौरान व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया है और इसके साथ ही सुरक्षा के लिहाज से भी हर स्थिति को देखा गया है। यदि स्वास्थ्य सेवाओं के लिए गुरमीत संस्थान में आता है तो उसे वार्ड 24 में रखा जाएगा। इससे अन्य मरीजों को परेशानी नहीं होगी, क्योंकि यह सबसे अलग स्थान पर है और इसके लिए अलग से गेट है।