प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल ‘मेक इन इंडिया’ द्वारा भारत के रक्षा मंत्रालय ने एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की बचत की है। यह पैसा पिछले दो सालों में छह एयर डिफेंस और एंटी टैंक मिसाइल प्रोजेक्ट को किसी विदेशी कंपनी से पूरा ना करवाने की जगह स्वदेशी डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) द्वारा पूरा करने की वजह से बच पाए हैं। कुछ प्रोजेक्ट्स ऐसे भी हैं जिसपर फिलहाल काम किया जा रहा है।
रक्षा क्षेत्र से जुड़े सीनियर अधिकारियों का मानना है कि ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट की वजह से जो पैसा मिसाइल बनाने के लिए विदेशी कंपनियों को दिया जाता था अब उनका इस्तेमाल स्वदेशी रक्षा क्षेत्र में किया जा रहा जिससे उनका भी विकास हो रहा है।
इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, सीनियर अधिकारियों ने कहा कि पिछले तीन सालों में उन्होंने तीन रक्षा मंत्री देखे जिसमें अरुण जेटली, मनोहर पर्रिकर और निर्मला सीतारमण शामिल हैं और तीनों ने ही स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देने पर जोर दिया। अधिकारियों के मुताबिक, तीनों ने सभी स्वदेशी प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने में पूरा समर्थन दिया है।
सरकार ने विदेशी कंपनियों की बजाय जिन प्रोजेक्ट्स के लिए डीआरडीओ पर भरोसा किया उसमें आर्मी और नेवी के लिए जमीन से आसमान में मार सकने वाली छोटी रेंज की मिसाइल (SR-SAMs), आर्मी के लिए जमीन से आसमान में मार सकने वाली और जल्दी एक्शन लेने वाली (QRSAM), आर्मी के लिए एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM), हेलिकॉप्टर से लॉन्च की जाने वाली एंटी टैंक मिसाइल आदि शामिल हैं।
इसके अलावा भारत ने फैसला किया है कि यूरोप से बड़ी संख्या में मिसाइल खरीदने की जगह उनको भी भारत में ही बनाया जाएगा। यानी साफ है कि रक्षा मंत्रालाय आने वाले वक्त में रक्षा सौदों को सीमित करने वाला है।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features