लखनऊ, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उत्तर प्रदेश के ताबड़तोड़ दौरे के क्रम में बलरामपुर में शनिवार को दिन में करीब एक बजे सरयू-राप्ती मुख्य नहर परियोजना का शुभारंभ करेंगे। गोरखपुर में सात दिसंबर को देश को बड़ा खाद का कारखाना व एम्स गोरखपुर समर्पित करने के चार दिन बाद पीएम मोदी पांच नदियों तथा नौ जनपदों को जोडऩे वाली इस राष्ट्रीय परियोजना का शुभांरभ करेंगे। जिसका काम 1971 में किया गया था, लेकिन इसको अंजाम तक लाने का काम उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने किया है।
प्रदेश में करीब चार दशक से लंबित पड़ी इस परियोजना को प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने चार वर्ष में पूरा किया है। राष्ट्रीय महत्व की लम्बे समय से लम्बित परियोजनाओं और किसान कल्याण व सशक्तिकरण के प्रति पीएम मोदी की प्रतिबद्धता से ही किसानों की प्राथमिकता वाली इस परियोजना को पूरा किया गया है। इस परियोजना से 14 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि की सिंचाई के लिए सुनिश्चित पानी मिलेगा। जिससे पूर्वी उत्तर प्रदेश के 6200 से अधिक गांवों के लगभग 29 लाख किसान लाभान्वित होंगे। इससे किसान अब क्षेत्र की कृषि क्षमता को भी बढऩे में सक्षम होंगे। पीएम मोदी ने भगीरथ बनकर पूर्वांचल के नौ जिलों के 30 लाख किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाया है।
परियोजना की कुल लागत 9800 करोड़ रुपए
सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना की कुल लागत 9800 करोड़ रुपए है, जिसमें से पिछले चार वर्ष में 4600 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया गया। इस परियोजना में क्षेत्र के जल संसाधनों का श्रेष्ठत्म उपयोग सुनिश्चित करने के लिए पांच नदियों घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिणी को आपस में जोड़ा गया है। इससे पूर्वी उत्तर प्रदेश के नौ जिले बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संत कबीर नगर, गोरखपुर और महाराजगंज के किसान लाभान्वित होंगे। इस परियोजना के विलंबित होने से सर्वाधिक पीडि़त किसानों को बड़ा लाभ मिलेगा। उन्नत सिंचाई क्षमता से अत्यधिक लाभान्वित होंगे। इसके साथ अब बड़े पैमाने पर फसल उगाने और क्षेत्र की कृषि क्षमता को अधिकतम करने में सक्षम होंगे।
1978 में शुरू हुआ काम
सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना पर काम 1978 में शुरू हुआ लेकिन प्रदेश में शासन करने वाली सरकारों की प्राथमिकता बदलने के साथ बजटीय समर्थन की निरंतरता, अंतरविभागीय समन्वय और पर्याप्त निगरानी के अभाव में इसमें देरी हुई और लगभग चार दशकों के बाद भी पूरा नहीं हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विजन और राष्ट्रीय महत्व की लंबे समय से लम्बित परियोजनाओं को प्राथमिकता देने की उनकी प्रतिबद्धता ने परियोजना पर बहुत आवश्यक ध्यान केंद्रित किया। किसान कल्याण और सशक्तिकरण के लिए इस परियोजना को 2016 में समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लक्ष्य के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि सिंचाई योजना को शीर्ष वरीयता पर रखा। प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ ने शपथ लेने के बाद इस प्रोजेक्ट पर ध्यान दिया।
इस परियोजना में नई नहरों के निर्माण के साथ भूमि अधिग्रहण से संबंधित लंबित मुकदमे को वरीयता पर हल किया गया। इस परियोजना पर उत्तर प्रदेश सरकार के नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने के परिणामस्वरूप परियोजना केवल चार वर्षों में पूरी हो गई है।