सोमवार को अमरकंटक में नर्मदा सेवा यात्रा के समापन कार्यक्रम में जाना था, लेकिन वो अमरकंटक हेलीकॉप्टर से नहीं पहुंचे।
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पीएम मोदी दिल्ली से जबलपुर हेलीकॉप्टर से गए और फिर जबलपुर से हेलीकॉप्टर से अमरकंटक के लिए निकले, लेकिन पीएम का हेलीकॉप्टर अमरकंटक से 8 किलोमीटर दूर एक गांव में ही उतार दिया गया। पीएम यहां से कार के जरिए फिर अमरकंटक पहुंचे।
दरअसल अमरकंटक से एक कहानी जुड़ी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि जब भी कोई वीआईपी हवाई रास्ते के जरिए अमरकंटक पहुंचा है उसे या तो अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी है या फिर किसी न किसी अनहोनी से होकर गुजरना पड़ा है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि पीएम मोदी भी इसी डर की वजह से अमरकंटक हेलीकॉप्टर से नहीं बल्कि कार के जरिए नर्मदा समेत तीन नदियों के उद्गम अमरकंटक पहुंचे।
क्या है अमरकंटक से जुड़ी कहानियां?
1982 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हेलीकॉप्टर से अमरकंटक पहुंची थीं। अमरकंटक की यात्रा के 2 साल बाद ही 1984 में उनकी हत्या कर दी गई। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने बाबरी विध्वंस से पहले दिसंबर 1992 में अमरकंटक का दौरा किया था। जिसके कुछ वक्त बाद भी उन्हें अपना पद गंवाना पड़ा था।
अर्जुन सिंह ने 1980 से 1985 के बीच मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के पर कार्य किया। अमरकंटक जाना उनके लिए भी नुकसानदेह साबित हुआ। उन्हें भी इस यात्रा के बाद अपनी कुर्सी खोनी पड़ी। फिलहाल केंद्र में मंत्री और 2004 में मध्य प्रदेश के सीएम के तौर पर अमरकंटक का दौरा करने वाली उमा के लिए भी ये यात्रा रास नहीं आई। उन्हें भी कुछ वक्त बात अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी।
इसी तरह से ज्यादातर वो लोग जिन्होंने हेलीकॉप्टर के जरिए अमरकंटक का दौरा किया उन्हें अपना पद हमेशा गंवाना पड़ा है। इस वजह से अब नेता इस तरह की यात्राओं को दरकिनार कर अमरकंटक जाने के लिए सड़क परिवहन का ही सहारा लेते हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी हेलीकॉप्टर से अमरकंटक नहीं जाते हैं।