बीजेपी सरकार ने पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत की सियासी घेराबंदी शुरू कर दी है। एक बार फिर से उत्तराखंड भवन एवं कर्मकार कल्याण बोर्ड का ऑडिट शुरू हो गया है। सामान खरीद से लेकर बंटवारे तक में विवाद है।
उत्तराखंड भवन एवं कर्मकार कल्याण बोर्ड का एक बार फिर से ऑडिट शुरू हो गया है। महज डेढ़ साल के भीतर बोर्ड के कामकाज का दूसरी बार ऑडिट हो रहा है। इस बार ऑडिट में वर्ष 2017 से लेकर 2022 तक पूरे पांच साल का ऑडिट हो रहा है। इसके जरिये पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत की सियासी घेराबंदी की जा सकती है। हरक सिंह पिछली सरकार में न केवल श्रम मंत्री थे, बल्कि कर्मकार बोर्ड के अध्यक्ष पद पर भी काबिज हो गए थे।
बोर्ड सामान खरीद से लेकर उसके बंटवारे तक विवाद में है। त्रिवेंद्र सरकार ने हरक की बोर्ड अध्यक्ष पद से छुट्टी करके वहां शमशेर सिंह सत्याल को तैनात कर दिया। तब से सरकार ने बोर्ड के कामकाज को लेकर एक के बाद एक कई जांच बैठाई। कई जांच अभी शासन स्तर पर लंबित हैं। कई जांच में कुछ लोगों पर कार्रवाई की संस्तुति भी की गई।
ऐसे में अब नए सिरे से ऑडिट शुरू होने से पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की नए सिरे से घेरेबंदी की तैयारी है। न सिर्फ हरक सिंह, बल्कि कई अन्य रसूखदार भी निशाने पर हैं। एजी ऑफिस की ऑडिट टीम इस बार सिर्फ मुख्यालय में बैठ कर ही पड़ताल नहीं करने वाली। बताया जा रहा है कि जिलों में जाकर भी टीम मुख्यालय से मिले आंकड़ों का मिलान करेगी।
ऑडिट में उठे सवाल
आरोप है कि नियम कायदों को ताक पर रख बोर्ड में वाहन खरीदे गए। सामान खरीद की टेंडर प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए गए। श्रमिकों को दी जाने वाली सुविधाओं में भी नियमों की अनदेखी हुई। श्रमिक की बेटी की शादी में 51 हजार देने का नियम है, लेकिन बोर्ड ने एक लाख तक दिए। इसी तरह जिस कंपनी को आईटी और स्किल डेवलपमेंट का काम दिया गया, उन्हीं कंपनियों से साइकिल, टूल किट, छाता, सेनेट्री नैपकिन समेत राशन किट तक खरीदवा दी गई। राज्य से बाहर की कंपनियों से सामान खरीदने पर भी ऑडिट में सवाल उठाए गए थे।
उत्तराखंड भवन एवं कर्मकार कल्याण बोर्ड के सचिव पीसी दुम्का ने कहा, ‘ऑडिट होने से पूरी स्थिति साफ हो जाएगी। आगे बेहतर काम करने के लिए पुराने सभी मामलों की भी पड़ताल हो जाएगी। एजी ऑफिस की ऑडिट करने वाली टीम को पूरा सहयोग किया जा रहा है। एक एक ब्यौरा उपलब्ध कराने के आदेश दे दिए गए हैं।’
एक-एक लाभार्थी का मांगा ब्योरा, छूट रहे पसीने
ऑडिट में किस लाभार्थी को क्या सामान मिला, किसे क्या सुविधाएं दी गईं? इसका पूरा ब्योरा मांगा जा रहा है। यहां तक की एक एक लाभार्थी का नाम सहित पूरा ब्योरा मांगा गया है। इसे जुटाने में बोर्ड के पसीने छूट रहे हैं, क्योंकि बोर्ड के पास इसका पूरा ब्योरा ही नहीं है। ये ब्योरा जिला स्तर पर जिलाधिकारियों की जांच तक में पकड़ में पूरी तरह नहीं आ पाया था। शासन ने देहरादून, हरिद्वार, यूएसनगर और पौड़ी के डीएम को सिर्फ साइकिल वितरण की जांच सौंपी थी। सभी डीएम पूरी जांच नहीं कर पाए थे। कई जगह जांच में असल लाभार्थी मिले ही नहीं।
कागज के मामले में मैं बहुत पक्का आदमी हूं: हरक
कर्मकार बोर्ड का फिर से ऑडिट शुरू होने के मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि कागज के मामले में बहुत पक्का आदमी हूं, ऐसे फंसने वाला नहीं। इस पूरे मामले में मेरी कहीं से कहीं तक कोई भूमिका नहीं है। सारे टेंडर केंद्र सरकार की बड़ी एजेंसियों ने किए हैं और सामान फील्ड में सारा लेबर इंस्पेक्टरों ने बांटा है। ऐसे में यदि कोई फंसेगा भी तो वही फंसेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार चाहे जितने भी ऑडिट कराए, वे नहीं फंसने वाले। कई बार कोशिश हो चुकी है, लेकिन अभी कुछ नहीं कर पाए हैं। कुछ मिला होता, तो अभी तक कार्रवाई कर दी गई होती।